कमल हासन ने 2008 में फिल्म दशावतारम् में दस भूमिकाएं निभाकर पूरे देश को चौंका दिया था. लेकिन तब कम ही लोगों ने सोचा होगा कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा राजनीति का किरदार भी निभा सकती है.
यह भी न सोचा होगा कि वे एक दिन संसद के सदन में इस भूमिका में दिखेंगे. उनके अमूमन बेहद विनम्र, संयमित सार्वजनिक व्यवहार के मद्देनजर किसी ने यकीनन यह भी न सोचा होगा कि उनके नए सियासी मंच पर आते ही तीखी बहस और भाषाई विवाद छिड़ जाएगा.
फिर भी राज्यसभा की ड्योढ़ी पर खड़े हासन कुछ कन्नड़ लोगों के निशाने पर हैं. उनकी हाल ही रिलीज हुई फिल्म ठग लाइफ पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ खड़ी हो गई है, बाकयदा खंडन-मंडन, आलोचना और अदालती हस्तक्षेप के साथ. यह तुमुल एक हल्की-फुल्की टिप्पणी से उठा कि 'कन्नड़ तमिल से निकली है.'
यह बात बेहद आदर और भाईचारे के लहजे में कही गई थी, लेकिन वह कुछ ऐसी हदें लांघ गई कि भोलेपन और अनजाने में पैर जैसे किसी बारूदी सुरंग पर जा पड़ा. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया को भी नहीं सुहाया. यह ऐसी पटकथा थी जो कमल के दिमाग में सूझी ही नहीं. आखिर वे नई दिल्ली में दक्षिण की आवाज जो बनना चाहते हैं.
दक्षिण के पांव उत्तर में
विवाद की धूल बैठने के बाद, चाहे कटुता थोड़े दिन बनी रहे, लेकिन कथानक उसी बड़ी भूमिका की ओर बढ़ेगा. संसद में कमल का प्रवेश अहम मोड़ है, न सिर्फ उनके लिए, बल्कि तमिलनाडु के सरोकार जोरदार ढंग से राष्ट्रीय मंच पर उठाने के मामले में भी. अब तक वे नाटकीयता, तामझाम से दूर रहकर साफगोई के साथ आगे बढ़ते रहे हैं. उनके साथी रजनीकांत भारी तामझाम और तड़क-भड़क के साथ तमिल सिनेमा को राजनीति में उतारने के बेहतर उम्मीदवार दिखाई देते थे. उन्होंने मानो खिलवाड़ किया, लोगों को उकसाया, लेकिन अंत में ठिठक गए. कमल ने कभी ऐसी आवाजें नहीं उठाईं. वे चुप रहे लेकिन आखिरकार निर्णायक कदम बढ़ाया.
जे. जयललिता और एम. करुणानिधि की मृत्यु के कुछ महीनों बाद 2018 में उन्होंने मक्कल नीति मैयम (एमएनएम) नाम की सियासी पार्टी का गठन किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे कुछ हासिल नहीं हुआ और 2021 के विधानसभा चुनाव में भी यह पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, इसलिए कमल ने अपनी उम्मीदों को समेट लिया. समझदारी से उन्होंने खुद को एडजस्ट किया.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने द्रमुक के साथ गठबंधन किया, जिसे वे वैचारिक रूप से करीब मानते हैं और जिसने उनकी लोगों में अपील और स्टार प्रचारक की क्षमता को पहचाना. समझ यही बनी थी कि कमल द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए प्रचार करेंगे और बदले में पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजेगी.
यह दोनों के लिए व्यावहारिक रास्ता था. अपनी आवाज, साफगोई, कद और वैचारिक झुकाव के साथ कमल द्रमुक के लिए महत्व की राष्ट्रीय उपस्थिति साबित हो सकते हैं. आज के मीडिया के तामझाम वाली राजनीति में उनका महत्व दोहरा है. उनकी ऐसी छवि है जिसकी अपील पूरे देश में है क्योंकि उनके पिछली बॉलीवुड फिल्मों की अपनी अपील है जो नई दिल्ली में किसी और के साथ नहीं. फिर ऐसी कोई भी सफलता द्रमुक को अपने इलाके में भी फायदा पहुंचाएगी, जहां वे अभिनेता से नेता बने विजय की काट पेश कर सकते हैं.
कमल राज्यसभा में प्रवेश के साथ शायद अब तक की सबसे कठिन भूमिका में कदम रख रहे हैं, यह कितनी कठिन है, इसका एहसास उन्हें तमिल-कन्नड़ ज्वाला में उंगलियां जलाकर पहले ही हो गया. वैसे, यह पूरी तरह रास्ता बदलना भी नहीं है. प्रतिष्ठित फिल्म नायकन के दशकों बाद ठग लाइफ में निर्देशक मणिरत्नम के साथ फिर से जुड़कर कमल ने संकेत दिया है कि उन्होंने सिनेमा नहीं छोड़ा है. लगता है, फिलहाल उनके पांव दोनों नावों पर रहेंगे. दरअसल, ठग लाइफ के ऑडियो लॉन्च पर उन्होंने वे शब्द कहे थे, जो कन्नड़ आइकन राजकुमार के बेटे अभिनेता-निर्माता शिव राजकुमार को प्यार से संबोधित था. इसका मतलब पारिवारिक बंधन को दर्शाना था, लेकिन यह बुरी तरह गड़बड़ा गया.
उन्होंने बाद में पछतावे के साथ माफी मांगते हुए कहा, ''मैंने जो कहा वह प्यार में था. मेरा कोई और मतलब नहीं था. नेता भाषा पर बात करने के काबिल नहीं होते. उनके पास इसके बारे में बात करने की सलाहियत नहीं होती. मैं भी वही हूं.''
तमिल के महान साहित्यकार पेरुमल मुरुगन ने इंडिया टुडे से कहा, ''उन्होंने जो कहा वह नया नहीं है. तमिल राष्ट्रवादी हमेशा यही कहते हैं. वे द्रविड़ भाषाओं के निकलने का दावा करने तक ही सीमित नहीं रहते. उनका दावा है कि दुनिया की सभी भाषाएं तमिल से पैदा हुई हैं. इसमें तर्क से ज्यादा भावना बोलती है और इसमें भाषाई कट्टरता है.'' लेकिन मुरुगन के शब्दों में, ''किसी विचार का मुकाबला करने का सही तरीका दूसरा विचार है.'' हो सकता है कि कमल को कोई नया विचार मिल जाए.
खास बातें
> तमिल सुपरस्टार कमल हासन द्रमुक के जरिए राज्यसभा में जा रहे.
> उनकी अपील राष्ट्रीय स्तर की है, ऐसे में वे तमिलनाडु और दक्षिण की आवाज बन सकते हैं.
> कन्नड़ भाषा की उत्पत्ति पर उनकी भूल भरी टिप्पणी से एक बेजा विवाद खड़ा हो गया है.
> ठग लाइफ को धमकियां मिल रहीं पर इससे जाहिर होता है कि उन्होंने फिल्मों को अलविदा नहीं कहा है.