इसमें सालों की मेहनत लगी थी. केंद्र ने बेहतर बुनियादी ढांचे पर जोर दिया, स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन लाभ दिए और दहशतगर्दी में कमी की मदद से माहौल अच्छा होने की बात जोरशोर से फैलाई गई. ऐसी ही अच्छी-अच्छी बातों ने मिलकर जम्मू-कश्मीर को पर्यटन केंद्र के तौर पर फिर जिंदा कर दिया.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने 2019 से बुनी जा रही पैबंदों की उस चादर को तार-तार कर दिया. मुंह बाए खड़ा सवाल अब यह है कि जिसे इतनी मेहनत से जिंदा किया था, उसे फिर जिंदा कैसे करें.
यह मुश्किल काम है. डरे हुए सैलानियों ने किनारा कर लिया, होटलों में गर्मियों की ज्यादातर बुकिंग रद्द हो गईं, और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनी से दुश्वारियां सिर पर चढ़कर नाचने लगीं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 27 मई को मंत्रिमंडल की बैठक के लिए ऐन मौका-ए-वारदात पहलगाम को चुना.
शाम को वे अपने बेटों जहीर और जमीर के साथ साइकिलों से पहलगाम की सड़कों पर घूमे. अगले दिन मंत्रिमंडल के साथ मुख्यमंत्री स्की-रिजॉर्ट गुलमर्ग गए और केबल कार की सवारी की. ईद के बाद 7 जून को सरकार श्रीनगर में डल झील के आसपास वॉकेथॉन का और झील पर खेलों का आयोजन कर रही है.
साल 2024 में रिकॉर्ड 35 लाख सैलानी जम्मू-कश्मीर आए. यह क्षेत्र राज्य की जीडीपी में 7 फीसद का योगदान देता है. होटलों और होमस्टे में बढ़-चढ़कर निवेश कर चुके यहां के उत्साही लोग कर्ज नहीं चुका पा रहे. जम्मू-कश्मीर सरकार ने इन हितधारकों की मदद करने के लिए केंद्र से गुजारिश की है.
गृह मंत्री अमित शाह 29-30 मई को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आए. उनके एजेंडे में 3 जून से शुरू अमरनाथ यात्रा को महफूज बनाना था. 42,000 सुरक्षाकर्मियों के विशाल जत्थे पहलगाम और गांदरबल से होकर गुफा तक पहुंचने के जुड़वां रास्तों की रखवाली करेंगे. जरा-सी भी चूक कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
खास बातें
> कश्मीर में पर्यटन ठप होने के साथ ही सीएम उमर अब्दुल्ला पहलगाम गए, केंद्र से मदद और मुआवजा मांगा.
> केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर का दौरा किया, अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा का जायजा लिया.
कलीम गीलानी