बिहार के सीतामढ़ी जिले में भारत-नेपाल सीमा पर हाल ही एक अजीब घटना घटी. बुधवार 28 मई की शाम सीमावर्ती भिट्ठा मोड़ थाने के प्रभारी दारोगा रविकांत तीन सिपाहियों के साथ सीमापार कर नेपाल के परसा पतैली गांव चले गए.
वहां शराब तस्करों ने उनकी अच्छी-खासी पिटाई कर दी, फिर नेपाल की पुलिस ने उन्हें बचाया और नेपाल के ही अस्पताल में उनका इलाज कराकर भारत भेज दिया. इधर, भारत लौटने पर सीतामढ़ी के एसपी अमित रंजन ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. दिलचस्प है कि पिछले एक महीने में सीतामढ़ी में ऐसी दूसरी घटना हुई है.
इससे पहले सीमावर्ती बेला थाने के प्रभारी प्रभाकर को भी एसपी ने सस्पेंड किया था. उन पर आरोप था कि शराब तस्करों से पिटने के बावजूद उन्होंने उन पर कठोर कार्रवाई नहीं की, बस पीआर बॉन्ड भरवाकर छोड़ दिया. उनकी पिटाई भारत के ही तस्करों ने 6 मई को की थी.
एक ही जिले में शराब तस्करों से पिटे दो थाना प्रभारियों को सस्पेंड किया जाना इशारा करता है कि मामला सामान्य नहीं है. पुलिस पर हमला करने के आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कोई सख्त कार्रवाई की हो, ऐसा पता नहीं चलता.
पिछले तीन महीने में बिहार में शराब तस्करों और कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई करने गए पुलिसकर्मी कम से कम दस बार पिट चुके हैं. ऐसी घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. क्या ये दोनों मामले इस दिशा में भी कोई इशारा करते हैं?
भिट्ठा मोड़ के थाना प्रभारी रविकांत नेपाल क्यों चले गए थे? सीतामढ़ी पुलिस का आधिकारिक बयान कहता है कि रविकांत सादे लिबास में चोरी की मोटरसाइकिल की तलाश में बिना वरीय अधिकारियों को सूचना दिए भारत-नेपाल सीमा के पास चले गए थे.
वहां कुछ असामाजिक तत्वों ने उपद्रव किया, जिसमें थाना प्रभारी और एक सिपाही घायल हो गए. इस लापरवाही के लिए थाना प्रभारी और उनके साथ गए पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया. इंडिया टुडे से बातचीत में सीतामढ़ी के एसपी अमित रंजन बताते हैं, ''वे सीमा के पास थे, शराब तस्कर उन्हें घसीटते हुए नेपाल के अंदर ले गए."
नेपाल के अस्पताल में उनका इलाज कराते हुए एक तस्वीर इस पत्रिका के पास है और नेपाल के सीमावर्ती जिले महोत्तरी के प्रभारी उपरीक्षक (जिला पुलिस प्रभारी) हेरंब शर्मा ने इंडिया टुडे से न सिर्फ इस तस्वीर की पुष्टि की बल्कि यह भी कहा कि घटना नेपाल सीमा में हुई.
सूचना मिलने पर नेपाल पुलिस बीच-बचाव के लिए पहुंची. बाद में वे खुद घटनास्थल पहुंचे थे. अशांति फैलाने के लिए वहां के दो युवकों—शानू और रौशन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. उन्होंने दारोगा रविकांत का इलाज करवाकर वापस भारत भेजा. उन्होंने कहना था कि वे इस मामले में सीतामढ़ी के एसपी अमित रंजन के साथ लगातार संपर्क में हैं.
यह घटना भिट्ठा मोड़ से पांच किमी दूर सीतामढ़ी और मधुबनी जिले की सीमा पर स्थित सेमुआ गांव के पास हुई. जब यह संवाददाता सेमुआ पहुंचा तो हाईवे पर दो-तीन गुमटियां भर थीं. वहां बैठे लोगों ने बताया, ''यहां से मुश्किल से आधा किमी दूर जगह है, जहां यह घटना हुई. सड़क से आप जैसे नीचे उतरेंगे सौ-दो सौ मीटर बाद नो मेन्स लैंड शुरू हो जाएगा और उसके बाद नेपाल."
नीचे उतरने के बाद कच्चे रास्ते पर नो मेन्स लैंड में सशस्त्र सीमा बल के चार जवान दिखे. एक पगडंडीनुमा रास्ता था जो नेपाल के परसा पतैली गांव जाता था. इस रास्ते से दोनों देशों के नागरिकों को पैदल और दोपहिया वाहनों से आने-जाने की अनुमति है. परिचय पत्र देखने के बाद ये जवान आगाह करते हैं, ''ध्यान रखिएगा, वहां आपके साथ कुछ गलत हुआ तो हम आपका बचाव नहीं कर पाएंगे."
मगर दूसरी तरफ के लोग खुद परेशान लग रहे थे. सीमा पार करते ही शराब की आधा दर्जन से ज्यादा गुमटियां हैं. ये दुकानें उन बिहारी ग्राहकों के लिए खुली थीं, जिनके राज्य में शराबबंदी है. छोटे-से गांव परसा पतैली और पास के गांव चौरिया में जगह-जगह शराब की बोतलों के ढेर दिखते हैं. यहां रोज सैकड़ों लीटर शराब की खपत होती होगी, ऐसा साफ नजर आता है.
वहां के ज्यादातर शराब विक्रेता उस घटना के बारे में बताने से हिचक रहे थे. वे बस इतना बता रहे थे कि घटना इसी जगह घटी है, मगर उन्होंने खुद नहीं देखा, दूसरों से सुना है. इसी गांव के युवक सानू और रौशन को नेपाल की पुलिस पकड़कर ले गई. सानू के दरवाजे पर एक झोपड़ी थी, जिसके बाहर बोतलों का ढेर लगा था. अंदर तीन युवक बैठे थे, जिनमें दो भारतीय थे. उन्होंने खुद को सानू के बड़े भाई ज्ञानू का रिश्तेदार बताया.
तीसरा युवक जो इसी गांव का था और घटना का न सिर्फ प्रत्यक्षदर्शी था बल्कि उसने इसका वीडियो भी बनाया था, उसने बताया, ''दो मोटरसाइकिल पर दारोगा रविकांत सादे कपड़ों में तीन पुलिस वालों के साथ यहां आए थे. उन्होंने शराब पी और पैसे देने से इनकार कर दिया और कहा कि तुम लोग इंडियन लोगों को शराब बेचते हो, तुम हमको पैसे दिया करो. इस पर यहां के लोगों ने कहा, 'हमारे यहां शराबबंदी थोड़े ही है. तुम दारोगा अपने देश में हो' इसी बात पर झगड़ा हो गया. गांव के लोगों ने उन सबकी पिटाई कर दी. दो पुलिस वाले भाग खड़े हुए. दो को गांव के लोगों ने पकड़ लिया."
उस लड़के के मुताबिक, थोड़ी देर बाद भिट्ठा मोड़ से कुछ और पुलिसकर्मी यहां आए. वे अपने साथी और दोनों बाइक को वापस लेने आए थे. फिर नेपाल की पुलिस भी पहुंच गई. दोनों में बहस होने लगी.
नेपाल की पुलिस कह रही थी, ''आप हमारे इलाके में कैसे आ गए?" भारत की पुलिस का कहना था, ''हम इजाजत लेकर आए हैं." उस युवक ने इस घटना का वीडियो इंडिया टुडे को उपलब्ध कराया. उसी के शब्दों में, "फिर नेपाल की पुलिस घायल दारोगा को अपने साथ जलेश्वर के अस्पताल ले गई. साथ में भारत के दो लोग और थे जो दो भारतीय इलाकों के पंचायत प्रतिनिधि थे." इनकी तस्वीरें भी नेपाल के अस्पताल में दिखती हैं.
इस घटना से लगभग 12 दिन पहले सीतामढ़ी के एसपी अमित रंजन ने बेला थाने के प्रभारी प्रभाकर को सस्पेंड किया था. अपने थाना क्षेत्र के सिरसिया बाजार के पास भारत-नेपाल सीमा पर वे सादी वर्दी में शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने गए थे. लेकिन वहां उनकी तस्करों से भिड़ंत हो गई.
तस्करों ने उनका पिस्टल छीनकर उन्हें बंधक बना लिया. बाद में थाने की पुलिस वहां पहुंची, उन्हें मुक्त कराया. आरोपी रामवीर चौधरी और उसके पुत्र को गिरफ्तार कर थाना लाया गया. मगर बाद में थाना प्रभारी ने दोनों को पीआर बॉन्ड पर दस्तखत करवाकर छोड़ दिया. बॉन्ड में लिखा था, ''वे आपसी विवाद में थाना लाए गए थे."
इस घटना की खबर जब एसपी को मिली तो उन्होंने एसडीपीओ से इसकी जांच करवाकर 16 मई को प्रभाकर को सस्पेंड कर दिया. सीतामढ़ी एसपी के मुताबिक, दस दिन पहले पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा से पांच शराब कारोबारियों को पकड़ा, जिनमें वे दोनों भी हैं.
सिरसिया बाजार में उनके घर के पास पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने बताया, ''पूरा मामला पैसों के लेन-देन का है. तस्कर पहले थाना प्रभारी को नियमित रकम पहुंचाते थे. जब राशि मिलने में देर हुई तो थाना प्रभारी सादे कपड़ों में आए थे."
ये दोनों मामले इस तरफ इशारा करते हैं कि शराब तस्करों के साथ ज्यादातर मुठभेड़ की असली वजह कुछ और ही है. इसी वजह से पुलिस अधिकारी तस्करों से पिटकर आने के बाद भी अपने ही पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. इन दोनों मामलों में थाना प्रभारी सादी वर्दी में गए, बिना किसी खास तैयारी के. दोनों जगह स्थानीय लोग रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हैं.
हालांकि एक स्थानीय पुलिस अधिकारी अनौपचारिक बातचीत में कहते हैं, ''शराब तस्करों को पकड़ने के लिए सादी वर्दी में ही जाना पड़ता है क्योंकि पुलिस की वर्दी देखकर वे भागने लगते हैं. हम सादी वर्दी में जाते हैं, पीछे पुलिस पार्टी का बैकअप रहता है." मगर उनकी बातें भी बहुत भरोसेमंद नहीं लगतीं क्योंकि दोनों मामलों में पुलिस का बैकअप नहीं था.
ऐसा क्यों है? यह पूछने पर सीतामढ़ी के एसपी अमित रंजन इंडिया टुडे को बताते हैं, ''दोनों मामलों में थाना प्रभारियों को ऊपर के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना न देने की वजह से सस्पेंड किया गया है. पहले मामले में जहां भिट्ठा मोड़ थाना प्रभारी बिना सूचना रेड के लिए चले गए थे, वहीं दूसरे मामले में बेला के प्रभारी के साथ मारपीट होने के बाद भी उन्होंने मुझे सूचित नहीं किया."
ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं? कहीं इसके पीछे रिश्वतखोरी का मामला तो नहीं! यह पूछने पर अमित रंजन स्पष्ट करते हैं, ''वजह क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा. जांच चल रही है. हां, भारत-नेपाल सीमा पर शराब तस्करी का मामला गंभीर है. हम छापेमारी बढ़ाएंगे, पुलिसकर्मियों को हथियारों से लैस किया जाएगा. कोरेक्स (एक कफ सीरप जिसका इस्तेमाल नशे के तौर पर होता है) और शराब माफियाओं को चिह्नित कर उनकी संपत्ति नीलाम करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी."
ये दोनों अलग तरह के मामले जरूर हैं मगर इनके अलावा भी कई जगहों पर पुलिस शराब कारोबारियों से पिटती रही है. पुलिस मुख्यालय अपनी ही पुलिस टीम की पिटाई से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करता.
मगर पिछले तीन महीने में इन दोनों के अलावा ऐसे आठ मामले सुर्खियों में आए, जहां शराबियों और शराब के अवैध कारोबारियों पर कार्रवाई करने गई पुलिस खुद पिट गई और कुछ मामलों में लोगों ने आरोपियों को पुलिस हिरासत से छुड़ा लिया. एक मामले में तो शराब कारोबारी को छुड़ाने लोग थाने पहुंच गए.
पुलिस क्यों बार-बार शराब कारोबारियों से पिट जा रही है? पिटने के बाद भी वह अपराधियों के खिलाफ बहुत सख्त ऐक्शन क्यों नहीं लेती?
बिहार पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी रहे पटना साइंस कॉलेज के व्याख्याता अखिलेश कुमार कहते हैं, ''यह पुलिस की ट्रेनिंग का हिस्सा है कि उसे सादी वर्दी में रेड नहीं करनी है. सादी वर्दी रेकी के लिए होती है, यह पता लगाने के लिए कि जहां रेड होनी है, वहां का माहौल कैसा है. वहां रेड करने के लिए कितने पुलिस बल की जरूरत होगी. रेड पूरी तैयारी से पुलिस की वर्दी में की जाती है. ऐसे में जो अधिकारी कहते हैं कि वे सादी वर्दी में रेड करने गए थे, वे बिल्कुल नादान हैं, या उनके इरादे ठीक नहीं."
कुमार आगे जोड़ते हैं, ''दूसरी बात जब पुलिस अधिकारी पिटते हैं तो अमूमन पुलिस पूरी तैयारी से पीटने वालों के खिलाफ अगली कार्रवाई करती है ताकि पुलिस का इकबाल कायम रहे. अगर पुलिस अपनी पिटाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में भी नरमी बरत रही है, तो वह किसी तरह के दवाब में है, या जिनके खिलाफ कार्रवाई करनी है उससे वह कुछ अनुचित लाभ ले रही है. इस पूरे मामले को इसी रूप में देखा जा सकता है."
बिहार पुलिस इन मामलों को लेकर बहुत गंभीर नहीं दिखती. इंडिया टुडे से बातचीत में एडीजी हेडक्वार्टर कुंदन कृष्णन कहते हैं, ''पहली बात तो यह कि ये लोग शराब माफिया नहीं हैं, ये गांव के गरीब लोग हैं, जो शराब का कारोबार करते हैं. जब पुलिस भट्ठे फोड़ने जाती है तो वे संगठित होकर हमला करते हैं, महिलाओं को आगे रखते हैं. पुलिस आजकल मानवाधिकार और दूसरे कानूनों को ध्यान में रखकर कार्रवाई करती है. इसलिए ऐसी घटनाएं हो जाती हैं."
बहरहाल, मारपीट की वजह चाहे जो हो, लेकिन कानून लागू करने वालों के खिलाफ हिंसा से पुलिस का इकबाल कम होता है, जो सुशासन के लिए शुभ संकेत नहीं.
पुलिस पर सिलसिलेवार प्रहार
23 मई, 2025: गोपालगंज जिले के तकिया टोला गांव में शराब कारोबारी पर छापामारी करने पहुंची पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने ईंट-पत्थरों से हमला कर दिया. हमले में कुचायकोट थानाध्यक्ष समेत एक चौकीदार जख्मी.
19 मई, 2025: भागलपुर जिले में ललमटिया थाने की पुलिस पासीटोला में छापेमारी करने गई थी. वहां महिलाओं ने उन पर ईंट-पत्थर से हमला कर दिया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए. पुलिस की गाड़ी तक क्षतिग्रस्त हो गई.
10 मई, 2025: सारण जिले के मांझी में अवैध शराब को लेकर छापामारी करने गई पुलिस टीम पर स्थानीय ग्रामीणों ने हमला कर शराब कारोबारी को छुड़ा लिया. हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए.
26 अप्रैल, 2025: कटिहार में शराब तस्करी के आरोप मे पकड़े गए आरोपी के परिजन और गांव वालों ने मिलकर डंडखोरा थाने पर हमला कर दिया. हमले में थाना प्रभारी ओमप्रकाश महतो समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. आत्मरक्षा में पुलिस को कई राउंड गोली चलानी पड़ी.
12 अप्रैल, 2025: बक्सर में यूपी से नाव पर लाई जा रही शराब को उतार रहे शराब माफिया ने जब वहां मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की पुलिस को देखा तो वे उन पर गोलियां चलाने लगे. ऐसे में पुलिस जान बचाकर भागी.
9 अप्रैल, 2025: सिवान के अकोल्ही गांव में शराब तस्करों को पकड़ने गए पुलिस दल पर लोगों ने हमला कर एक सिपाही की जमकर पिटाई कर दी. लोगों ने पुलिस हिरासत से एक शराबी को छुड़ा लिया.
16 मार्च, 2025: पटना के मनेर थाना क्षेत्र में होली के दिन कुछ शराबियों ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया और एक सब-इंस्पेक्टर की वर्दी फाड़ दी. हमले में एक सिपाही भी घायल हो गया.
8 मार्च, 2025: पटना के रानीतालाब थाना क्षेत्र के राघोपुर मुसहरी में शराब के ठिकानों पर छापेमारी करने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने ईंट-पत्थर से हमला कर दिया. हमले में एसआइ शिवशंकर समेत आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए.