“राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को अचानक पार्टी और परिवार से बेदखल करने का फैसला क्यों लिया?” यह सवाल इस संवाददाता ने कई राजद नेताओं से पूछा मगर लगभग सभी ने एक ही जवाब दिया, “जब लालू जी ने फैसला ले लिया है, तेजस्वी जी ने सहमति जता दी है, तो हम क्या कह सकते हैं?” हां, अनौपचारिक बातचीत में कई नेताओं ने कई तरह की बातें कहीं.
इनमें एक टिप्पणी सबसे रोचक थी. “अभी बचा जा सकता था. लालू जी बेवजह मुगले-आजम बन गए. तेज प्रताप तो हमेशा से ऐसे रहे हैं, अजीबो-गरीब हरकतें करने वाले, स्वांग रचने वाले और मीडिया का अटेंशन खींचने वाले. उन्होंने तो जगदाबाबू और रघुवंश बाबू जैसे दिग्गजों को नहीं बख्शा जो लालू जी के पुराने सहयोगियों रहे हैं. लालू जी तब मौन रह गए, आज महज एक मुहब्बत के सार्वजनिक इजहार पर इतना सख्त एक्शन ले लिया. अब यह मसला कम से कम पांच दिन तो चलेगा. हम न मीडिया को जवाब दे पा रहे हैं, न पब्लिक को.”
उनकी टिप्पणी राजद के आम कार्यकर्ता के मन की उलझनों को दर्शाती है, मगर क्या यह मामला सचमुच ऐसा ही है?
मामला-इजहार से बेदखली तक
इस मामले की शुरुआत 24 मई की शाम को हुई, जब तेज प्रताप यादव के सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट की गई, जिसमें उन्होंने एक युवती से अपने प्रेम का इजहार करते हुए लिखा था कि वे पिछले 12 साल से इस रिश्ते में हैं. हालांकि कुछ देर बाद यह पोस्ट डिलीट हो गई मगर फिर से यह पोस्ट उनकी वॉल पर आ गई. आखिर में वह पोस्ट उनकी वॉल से हट गई और उन्होंने ट्वीट किया कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट को हैक किया गया है और उनकी तसवीरों को गलत तरीके से एडिट कर पोस्ट किया गया.
मगर थोड़ी ही देर बाद न्यूज चैनलों पर उनका एक वीडियो चलने लगा जिसमें वे उसी युवती से साथ नाचते और उसे किस करते नजर आ रहे थे. इन तमाम बातों ने लोगों को गॉसिप का एक नया विषय दे दिया.
इसके बाद ही अगले दिन दोपहर के वक्त लालू प्रसाद यादव की वह पोस्ट आ गई, जिसमें उन्होंने लिखा था, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करने से सामाजिक न्याय का सामूहिक संघर्ष कमजोर होता है. इसलिए वे अपने ‘ज्येष्ठ पुत्र’ को पार्टी और परिवार से दूर कर रहे हैं. उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित किया जा रहा है. उससे जो लोग संबंध रखेंगे वे स्वविवेक से निर्णय लें.” थोड़ी देर बाद मीडिया से बातचीत करते हुए नेता प्रतिपक्ष और तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी यादव ने भी अपने पिता के इस फैसले से सहमति जता दी. सोशल मीडिया पर सक्रिय उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने पोस्ट करके पिता के फैसले का समर्थन किया. जाहिर है इस सबके बाद सबकुछ जितना सहज-सामान्य लग रहा था, उसे उतना सहज नहीं रहना था.
इसका नतीजा उस वक्त दिखा जब तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय जिनसे उनका तलाक का मुकदमा चल रहा है, 26 मई को मीडिया के सामने आईं और लालू प्रसाद यादव के परिवार के साथ-साथ राजद की राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा, “मेरा सामाजिक न्याय कौन करेगा? अगर घरवालों को मालूम था कि उनके 12 साल से रिश्ते हैं, तो मेरी शादी क्यों कराई?” यह वह पूरा घटनाक्रम है जिसकी वजह से बिहार की सियासत में हंगामा मचा है और तेज प्रताप यादव सकते में हैं, कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे.
धार्मिक, स्वांग रचने शौकीन और सामंती तेवर वाले तेज प्रताप
37 साल के तेज प्रताप यादव अभी हसनपुर विधानसभा से विधायक हैं. इससे पहले से 2015 में महुआ से विधायक बने और बिहार सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं. वे लालू-राबड़ी के नौ संतानों में से आठवें नंबर पर हैं, अपने छोटे भाई, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से ठीक बड़े.
2018 में उनकी शादी बिहार के ही एक अन्य बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाली ऐश्वर्या राय से हुई. ऐश्वर्या के दादा दारोगा प्रसाद राय कांग्रेसी नेता थे और 1970 में वे दस महीनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री रहे. सारण जिले के अंतर्गत आने वाली परसा विधानसभा क्षेत्र का उन्होंने छह बार प्रतिनिधित्व किया. ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय ने भी इस विधानसभा क्षेत्र का छह बार प्रतिनिधित्व किया और 2015 में महागठबंधन सरकार में वे मंत्री रहे. मगर यह शादी लंबी नहीं चल पाई. महज छह महीने के भीतर तेज प्रताप यादव ने खुद तलाक की अर्जी दाखिल कर दी.
बिहार में ही रहकर महज 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले तेज प्रताप के किरदार में कई रंग शामिल हैं. वे धार्मिक और आध्यात्मिक बताये जाते हैं और अक्सर मथुरा-वृंदावन की यात्रा करते हैं. मगर उनका धार्मिक होना महज पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है. वे इसके लिए स्वांग भी रचाते हैं, कृष्ण और शिव के रूप भी धरते हैं. कृष्ण से उन्हें इतना प्रेम है कि जब लालू प्रसाद यादव ने उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया तो उन्होंने खुद को यह कह कर समझा लिया कि तेजस्वी अर्जुन हैं और वे उनके सारथी कृष्ण. संभवतः कृष्ण होने की इसी भावना की वजह से उनके प्रेम के रिश्तों से जुड़ी कई खबरें मीडिया, सोशल मीडिया में तैरती रहती हैं.
सोशल मीडिया पर वे दूसरे मसलों पर स्वांग करते नजर आते हैं. कभी हैंडपंप पर नहाते हुए तो कभी जलेबी छानते हुए. ऐसा लगता है कि उन्हें लोगों का ध्यान खींचना अच्छा लगता है. उन्होंने एक व्लॉग भी बनाया था, जिसमें उन्होंने कुछ वीडियो डाले. इस व्लॉग का नाम एल-आर व्लॉग है यानी लालू-राबड़ी व्लॉग.
ऐसी चर्चा है कि उनकी मां राबड़ी देवी उनके करीब हैं और उनकी तमाम गलतियों के बावजूद परिवार के बाकी सदस्यों की नाराजगी से बचाती रहती हैं. इस घटना के बाद भी ऐश्वर्या राय ने मीडिया के सामने आकर कहा, “कल राबड़ी देवी गई होंगी, उनके आंसू पोछी होंगी और कही होंगी कि शांत रहो, हम सब ठीक कर देंगे.” जाहिर है इस परिवार में बहू के रूप में कुछ महीने रहने की वजह से वे इस मसले को बेहतर जानती हैं.
तेज प्रताप यादव के पूरे व्यक्तित्व पर टिप्पणी करते हुए मनोविज्ञान के एक जानकार नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं, “वे अपने परिवार के सबसे बड़े लड़के हैं. सात बहनों के बाद पैदा हुए, इसलिए दुलरुआ (दुलारे) रहे. उनका पालन-पोषण सत्ता संसाधनों के बीच हुआ है इसलिए वास्तविक दुनिया से उनका जुड़ाव नहीं हो पाया. उनमें अनुभवहीनता और आत्मविश्वास की कमी साफ नजर आती है. सामाजिक और राजनीतिक मसलों में उचित-अनुचित के फैसले लेने में वे कई दफा चूक कर जाते हैं. या तो वे अटेंशन-सीकर हैं या उनमें हाईपोमेनिया का फ्लेवर है, जो उन्हें खुद को मानवेतर समझने का आभास देता है. वे शिव और कृष्ण को आदर्श मानकर दोनों का स्वांग रचते हैं, इसलिए दोनों के स्वभाव की कई ऊपरी चीजें उनके व्यक्तित्व में स्वभाविक रूप से दिखती हैं, खासतौर पर ऐसी चीजें जो आज के समाज में उचित नहीं मानी जाती.”
2014 में राजनीतिक जीवन में सक्रिय हुए तेज प्रताप यादव को जल्द समझा दिया गया कि पार्टी में उनकी जगह अपने छोटे भाई से नीचे है. मगर वे शायद कभी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए. अलग-अलग तरीकों से अपनी विशिष्ट पहचान बनाने की और पार्टी में खुद को महत्वपूर्ण साबित करने की कोशिश करते रहे हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ उन्होंने धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (डीएसएस) नाम का एक संगठन खड़ा किया. हालांकि इस संगठन में उनके कुछ चहेते युवाओं के अलावा कोई शामिल नहीं हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में वे बागी तेवर में नजर आये. तेज प्रताप जहानाबाद और शिवहर की सीट पर अपनी पसंद का उम्मीदवार चाहते थे. जब यह नहीं हुआ तो उन्होंने ने लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर उन्हें चुनाव में उतारा. उनकी इस बगावत की वजह से राजद को जहानाबाद सीट पर नुकसान हुआ, जहां पार्टी प्रत्याशी सुरेंद्र यादव महज 1751 वोटों से हार गए, जबकि लालू-राबड़ी मोर्चा के उम्मीदवार को 7755 वोट मिले थे.
मगर उनके स्वभाव का सबसे नकारात्मक पक्ष कई मौकों पर उनका अशालीन और अभद्र हो जाना है. वे जगदानंद सिंह, रघुवंश प्रसाद सिंह और रामचंद्र पूर्वे जैसे पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेताओं के साथ उलझ चुके हैं. उन्होंने पूर्व एमएलसी और राजद नेता अनिल सम्राट पर राबड़ी आवास में आयोजित इफ्तार पार्टी में थप्पड़ चला दिया था. इसी साल वे होली मिलन समारोह के एक वीडियो में अपने अंगरक्षक से यह कहते नजर आये, “ऐ सिपाही जी, ठुमका लगाओ, नहीं तो सस्पैंड कर दिये जाओगे.”
मगर इन तमाम मौकों पर न लालू जी और न ही परिवार के किसी सदस्य ने कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया व्यक्त की. इसलिए महज एक लड़की के साथ प्रेम संबंध के सार्वजनिक होने से लालू जी इतने नाराज हो जायेंगे, इसकी किसी को अपेक्षा नहीं थी.
लालू जी ने ऐसा क्यों किया, इसको लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही है. पहली, तेज प्रताप प्रेम प्रसंग के मामलों में इतने उलझ गए थे कि इससे उबारने और इसकी तपिश से बचाने के लिए यह एक्शन लेना जरूरी हो गया. दूसरी, विधानसभा चुनाव सिर पर है और अपनी पुरानी नकारात्मक छवि से बाहर निकलने की कोशिश में जुटा राजद इस समय कोई विवाद झेलने की स्थिति में नहीं है. इसके अलावा ऐश्वर्या राय का भी एक पक्ष है, जिन्होंने कल मीडिया के सामने अपनी राय रखी. ऐसे में हम एक-एक कर तीनों मसलों पर विचार करते हैं.
प्रेम प्रसंगों की तपिश से बचने की कोशिश
ताजा मामले में तेज प्रताप यादव के साथ दो लड़कियों का नाम जुड़े होने की खबर सामने आ रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों लड़कियों की आपसी प्रतिद्वंद्विता की वजह से यह विवाद पैदा हुआ है. इसको लेकर चैट के कुछ स्क्रीन शॉट भी शेयर किये जा रहे हैं. हालांकि इंडिया टुडे उनकी विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता.
मगर तेज प्रताप यादव के एक बेहद करीबी व्यक्ति ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, “तेज प्रताप जी का सोशल मीडिया अकाउंट दो अलग-अलग मोबाइल में लॉगिन रहता है और एकाध सिस्टम में भी खुला रहता है, जिसे उनकी सोशल मीडिया टीम संभालती है. इनमें से किस जगह से वह पोस्ट किया गया यह अभी तक साफ नहीं हो पाया. मगर जब पोस्ट हुआ तो हमलोगों ने कई दफे इसे डिलीट करने की कोशिश की. जहां तक वायरल वीडियो का सवाल है, आपने गौर किया होगा कि उसमें तेज प्रताप यादव के कदम डगमगाते नजर आ रहे हैं.” उनका इशारा था कि यह पूरा मामला ब्लैकमेलिंग का है.
कुछ ऐसी ही बातें लालू यादव के भतीजे नागेंद्र राय ने भी इंडिया टुडे से कही. उन्होंने कहा, “इस मामले में जिस लड़की का नाम सामने आया है वह मेरे ससुराल की संबंधी है. उनका परिवार लोगों को हनी ट्रैप में फंसाकर ब्लैकमेलिंग करता है. इस लड़की की मां तंत्र-मंत्र जानती है. तेज प्रताप की तंत्र-मंत्र में रुचि होने के कारण इस लड़की का भाई आकाश यादव तेज प्रताप को अपने घर ले गया. तभी से उसका वहां आना-जाना शुरू हुआ. पहले ये लोग काफी गरीब थे, बाद में इसकी दुनिया बदलने लगी. इन लोगों ने मेरे भाई को हनी ट्रैप में फंसा लिया है. इन लोगों ने मुझसे भी 25 लाख रुपये उधार लिये हैं, जो वापस नहीं दे रहे. मैंने इस मामले को लेकर पटना के शास्त्री नगर थाने में शिकायत भी की थी.”
नागेंद्र राय लालू यादव के बड़े भाई महावीर राय के पुत्र हैं. वे यह भी कहते हैं कि चूंकि आकाश आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट चाहते हैं इसलिए भी वे तेज प्रताप को ब्लैकमेल कर रहे हैं. मतलब यह कि जहां एक तरफ लोग समझ रहे हैं कि तेज प्रताप को इजहारे-मुहब्बत की सजा मिली, वहीं तेज प्रताप के करीबी लोग इसे हनी ट्रैप का मामला साबित करने में जुटे हैं.
दिलचस्प है कि एक जमाने तक आकाश यादव तेज प्रताप के काफी करीबी रहे हैं. तेज प्रताप जब छात्र राजद के प्रभारी थे, तब उन्होंने आकाश को छात्र राजद का अध्यक्ष बनाया. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के साथ 2021 में तेज प्रताप का विवाद आकाश की वजह से ही हुआ था. तब जगदानंद सिंह ने आकाश को अध्यक्ष पद से हटाकर गगन यादव को अध्यक्ष बनाया. जिस पर तेज प्रताप ने उन्हें हिटलर कहा था. विरोध स्वरूप जगदानंद सिंह ने कुछ दिनों के लिए पार्टी दफ्तर आना बंद कर दिया था.
इस मामले में राबड़ी देवी के भाई पूर्व सांसद साधु यादव ने भी टिप्पणी की है. मीडिया को दिये बयान में वे दो अन्य लड़कियों का नाम लेते हुए आरोप भी लगाया कि एक लड़की के लिए लालू जी ने दिल्ली में पांच करोड़ की प्रापर्टी खरीदी और उसके भाई को नौकरी दिलाई. अभी फिलहाल तेज प्रताप के साथ जिन दो लड़कियों के संबंध की चर्चा है, उनमें से एक यह लड़की भी है.
परिवार से जुड़े इन दो सदस्यों के बयान से यह समझा जा सकता है कि शायद तेज प्रताप इन झमेलों में इस कदर उलझ गये थे कि इसकी तपिश से शेष परिवार और पार्टी को बचाने के लिए लालू को यह सख्त फैसला लेना पड़ा.
चुनाव, राजनीति और शुचिता का उदाहरण
जैसे ही तेज प्रताप यादव की प्रेम के इजहार से जुड़ी पोस्ट सार्वजनिक हुई राजद के विरोधी नेता इसके खिलाफ सक्रिय हो गये. इस पोस्ट के तत्काल बाद केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर कहा, “तेज प्रताप जब किसी के साथ रिलेशनशिप में थे तो फिर किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद करने का अधिकार लालू परिवार को किसने दिया?” बीजेपी नेता निखिल आनंद और जदयू नेता नीरज कुमार ने भी इसे लेकर टिप्पणियां कीं. इसलिए यह भी कहा जाता है कि यह मुद्दा आगामी चुनाव में राजद और इंडिया गठबंधन की संभावनाओं को कमजोर न कर दे. उनके विरोधी इस मुद्दे को आगे बढ़ाकर उनके मतदाताओं को मन बदलने में सफल न हो जाएं, इसलिए लालू यादव को यह सख्त फैसला लेना पड़ा.
दरअसल जबसे राजद में तेजस्वी मुख्य भूमिका में आए हैं, वे पार्टी को पुरानी छवि से बाहर लाकर अनुशासित कार्यकर्ताओं वाली पार्टी बनाने में जुटे हैं. पार्टी का यह अंदरूनी आकलन है कि राजद का वोट प्रतिशत अगर 30-32 फीसदी पर जाकर अटक रहा है और अति पिछड़ी जातियां उनके साथ नहीं आ रही हैं, तो इसके पीछे राजद के कोर वोटरों की दबंगई और अनुशासनहीनता एक बड़ी वजह है. शायद इस फैसले के जरिये लालू अपने कार्यकर्ताओं को भी सख्त मैसेज देना चाह रहे होंगे. राजनीतिक टिप्पणीकार अरुण अशेष कहते हैं, “मैसेज यह है कि अनुशासनहीनता के मामले में जब लालू अपने बेटे को पार्टी से निकाल सकते हैं तो वे किसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं.”
इस मामले के राजनीतिक पक्ष पर टिप्पणी करते हुए टाटा सामाजिक विज्ञान संस्था के पूर्व प्राध्यापक पुष्पेंद्र कहते हैं, “मेरे ख्याल से डिसीजन वेटिंग था. दरअसल कई वजहों से पार्टी और परिवार में तेज प्रताप की गलतियों को बर्दास्त किया जा रहा था. तेज प्रताप कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं के साथ अभद्रता का व्यवहार करते थे. वे कभी यह स्वीकार नहीं कर पाए कि उनके छोटे भाई तेजस्वी ही अब लालू के उत्तराधिकारी और पार्टी के प्रमुख हैं. वे पार्टी को नुकसान में डालने की धमकियां भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से दिया करते थे. इससे आम लोगों में भी पार्टी की छवि खराब हो रही थी. लालू ऐसे मौके की तलाश में थे, जब इन्हें हटाया जा सके. ऐसा मौका जिससे पार्टी को तोड़ने का मौका न हो और विपक्ष भी इसका नकारात्मक इस्तेमाल न कर सके.”
वे आगे यह भी कहते हैं, “हालांकि आधुनिक विचार इस बात के खिलाफ है कि किसी को प्रेम या अपनी पसंद जाहिर करने की वजह से सजा दी जाए. मेरा अपना मानना है कि इन्हें तभी दंडित किया जाना चाहिए था, जब वे जगदानंद सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे नेताओं के साथ अभ्रदता कर रहे थे. मगर चूंकि जनमानस की समझ लालू में बेहतर है. वे यह समझते हैं कि पारिवारिक मूल्यों को लेकर भारतीय समाज की मानसिकता अभी भी पुरानी और सामंती है. यहां पसंद की स्वतंत्रता को अभी सामाजिक स्वीकार्यता नहीं मिली है. इन पुरातनपंथी मूल्यों के समर्थक मतदाताओं को रिझाने के लिए उन्होंने यह फैसला लिया. अब परिस्थितियां ऐसी हैं कि उनकी विरोधी पार्टी भी इस फैसले के बाद उन पर ज्यादा हमलावर नहीं हो सकेगी.”
अब ऐश्वर्या के बहाने हमलावर है विपक्ष
काफी हद तक पुष्पेंद्र का आकलन सही लगता है मगर 30 मई को जिस तरह विपक्ष ऐश्वर्या का सवाल उठाकर फिर से लालू परिवार और राजद पर हमलावर है और जिस तरह खुद ऐश्वर्या मीडिया के सामने आकर सवाल पूछ रही है कि मेरा सामाजिक न्याय कब होगा? वे आरोप लगा रही हैं कि परिवार के सारे लोग मिले हुए हैं और ड्रामा कर रहे हैं. इससे यह विवाद थमता नजर नहीं आ रहा.
कई जानकार कहते हैं कि ऐश्वर्या को इस बार या तो चुनाव में उतारा जा सकता है या लालू परिवार की ज्यादतियों के खिलाफ चुनाव प्रचार अभियान में शामिल किया जा सकता है. हालांकि 2020 के चुनाव में भी ऐश्वर्या के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार को एनडीए की तरफ से मुद्दा बनाया गया था. खास तौर पर परसा विधानसभा में जहां से उनके पिता चंद्रिका राय चुनाव लड़ रहे थे. उनके समर्थन में हुई सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था, “इतनी पढ़ी लिखी महिला के साथ जो व्यवहार हुआ वह हममें से किसी को अच्छा नहीं लगा.” उस सभा में खुद ऐश्वर्या मौजूद थीं और कहा था कि वे जल्द लोगों के बीच जाएंगी. हालांकि इसका कोई फायदा उनके पिता को नहीं हुआ, छह बार से परसा के विधायक रहे चंद्रिका राय वह चुनाव हार गए थे.
राजनीति की भेंट चढ़ते रिश्ते
तेज प्रताप, ऐश्वर्या, प्रेम का इजहार, संबंध और इस पूरे मसले पर हो रही राजनीति पर टिप्पणी करते हुए महिलाओं के मुद्दे पर लगातार सक्रिय रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता शाहीना परवीन कहती हैं, “यह पूरा प्रकरण राजनीतिक फायदों के लिए प्रेम, शादी का रिश्ता और आपसी संबंधों को इस्तेमाल करने का है. पहले तेज प्रताप और ऐश्वर्या की शादी राजनीतिक वजहों से कराई गई. जिसका नतीजा यह निकला कि शादी टूट गई. फिर ऐश्वर्या के पिता और उनकी पार्टी ने तब भी अपनी बेटी की परेशानियों का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की, अब भी कर रहे हैं. उधर, वह लड़की जिसका नाम तेज प्रताप के साथ आ रहा है, वह भी अपने भाई के राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल हो रही है.”
इन सभी मामलों में पारिवारिक नैतिकता का सहारा लेकर अभिभावक अपने बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं और हैरत की बात है कि नई पीढ़ी के ये युवा इस बात का खुल कर विरोध भी नहीं कर पा रहे. परवीन आगे यह भी कहती हैं, "तेज प्रताप चुपचाप पिता का आदेश बर्दास्त कर रहे हैं, ऐश्वर्या अपने दुखों को लेकर मुखर हो रही है और इस्तेमाल हो रही है और वह तीसरी लड़की गायब है. यह पूरा मसला पितृसत्ता का है, जो आज भी राजनीति को निर्देशित कर रहा है. यहां महिलाएं आज भी उपकरण हैं, चाहे वह राबड़ी देवी ही क्यों न हो.”