
यह ऐसा राज्याभिषेक था जिसकी प्रतीक्षा हो रही थी पर मौका आया 2026 में प्रस्तावित असम विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 26 मई को. और यह एक तरह से सामंती द्वंद्वयुद्ध की आहट की तरह भी दिखता है.
गौरव गोगोई के लिए यह बदला लेने का मौका है ठीक उस राजकुमार की तरह जिससे ताज छीन लिया गया हो. हाइकमान ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर बैठाया है, उनके इस अभिषेक से सबसे सघन राजनैतिक संघर्ष का मंच सज गया है.
गोगोई का मुकाबला बेहद जुझारू मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा से होने जा रहा है और कांग्रेस का यह बागी उनके पिता को पराजित कर चुका है.
कांग्रेस राज्य में नपा-तुला जुआ खेल रही है. इससे वह एक दशक की उस निराशा के ग्रहण से बाहर निकलना चाहती है जो 2016 में भाजपा के हाथों बेदखल कर दिए जाने से लगा था. कांग्रेस की बात विरासत से जुड़ी है. दिवंगत सीएम तरुण गोगोई का 15 साल का कार्यकाल अक्सर उग्रवाद पीड़ित राज्य से स्थिरता और समृद्धि की ओर जाने से जोड़ा जाता है, जिसकी तस्दीक 2021 में उन्हें दिया गया पद्म भूषण सम्मान करता है.
लेकिन अबकी बार के पैकेज में उनके पुत्र का 'नया और उन्नत' स्वरूप आया है. गौरव को ग्रैंड ओल्ड पार्टी अपने 'पुनरुत्थान के चेहरे' और करिश्माई चैलेंजर के रूप में पेश कर रही है. इसमें 2024 के लोकसभा चुनाव में हुई निर्णायक जीत से बढ़े गौरव के कद का भी योगदान है. लोकसभा में बतौर पार्टी उपनेता वे अब 'दिखाई' और 'सुनाई' देने लगे हैं. गौरव को एक तरह से सीएम प्रत्याशी बनाकर पार्टी संदेश भी दे रही है कि वह उनके साथ पूरी तरह खड़ी है. बावजूद इसके कि गौरव की ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर सरमा 'पाकिस्तानी कनेक्शन' के इल्जाम लगा रहे हैं.
सरमा पिछले कुछ महीनों से लगातार अभियान चला रहे हैं जिसमें उनका यह दावा भी शामिल है कि एलिजाबेथ ने पाकिस्तानी एजेंसी के लिए काम किया और गोगोई भी आइएसआइ के निमंत्रण पर पाकिस्तान गए थे. गोगोई ने सधे हुए जवाब में इसे ''सी-ग्रेड बॉलीवुड मूवी प्लॉट'' करार देकर सरमा की 'मानसिक स्थिति' पर सवाल उठाए.

पिछला 2024 का लोकसभा चुनाव गोगोई के राजनैतिक करियर और सरमा के साथ उनकी अदावत में निर्णायक मोड़ रहा. परिसीमन की कवायद में उनका पारंपरिक गढ़ कलियाबोर खत्म हो गया, जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन जोरहाट से चुनाव लड़ना पड़ा, जहां जीत की संभावना धुंधली थी. सरमा ने पूरा तंत्र उनके खिलाफ झोंका और मुकाबले को प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया. इसलिए जब गोगोई 1,44,000 से भी ज्यादा वोटों से जीते तो यह कांग्रेस के लिए महज एक और लोकसभा सीट की जीत नहीं थी, इसने सरमा की चुनावी अपराजेयता का आभामंडल चूर-चूर कर दिया.
राज्य कांग्रेस के भीतर गोगोई की पदोन्नति को उत्साह और व्यावहारिक स्वीकार के मिले-जुले भाव से देखा गया. वरिष्ठ नेताओं ने सार्वजनिक रूप से माना कि सरमा के लिए गोगोई सबसे व्यवहार्य चुनौती हैं. अलबत्ता चिंताएं कायम हैं. हाल में हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन ने गोगोई के गढ़ जोरहाट में पार्टी जिला परिषद की एक सीट तक नहीं जीत सकी.
जमीनी स्तर पर पार्टी की संगठन शक्ति को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. अगले साल के चुनाव महज शख्सियतों का टकराव नहीं, बल्कि असम के भविष्य के बारे में दो अलग-अलग विजन सरमा का हट्टा-कट्टा विकास-केंद्रित नजरिया बनाम गोगोई का सामाजिक न्याय आधारित विकल्प के बीच चुनाव भी होंगे.
खास बातें
> गौरव गोगोई असम कांग्रेस अध्यक्ष बने, 2026 के चुनाव में नेतृत्व करेंगे.
> 2016 के बाद से एक दशक से कांग्रेस सत्ता से बाहर है.
> सीएम हेमंत बिस्व सरमा और भाजपा ने गोगोई पर पाकिस्तान कनेक्शन के आरोप मढ़े.