
''नीतीश जी ऐसे नहीं थे.'' जाने-माने लेखक-राजनेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी प्रेम कुमार मणि जब यह टिप्पणी करते हैं, तो उनकी बातों में विरोध के साथ उदासी भी झलकती है.
वे कहते हैं, ''बीस साल के शासन में नीतीश जी के सामने ऐसे कई प्रस्ताव आए, जब किसी शहर, किसी जगह का नाम बदलने की बात चली. मगर वे कहते थे, 'ये सब फिजूल की बातें हैं. हम इस पर अपना वक्त जाया नहीं करेंगे.' मगर अब वे भी इसी लाइन में आ गए.''
दरअसल, मणि बिहार सरकार के उस फैसले पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसके तहत राज्य कैबिनेट ने गया शहर का नाम बदलकर गयाजी रखने की स्वीकृति दी है. नीतीश और उनकी पार्टी जद (यू) 2005 से राज्य में सत्ता पर काबिज है मगर इतने वर्षों में सरकार ने पहली बार किसी जगह का नाम बदला है.
गया का नाम गयाजी रखने का मूल प्रस्ताव 2022 में गया नगर निगम ने पास कर सरकार के पास भेजा था. तब गया के डिप्टी मेयर रहे मोहन श्रीवास्तव कहते हैं, ''हमने न सिर्फ नाम बदलने का प्रस्ताव किया बल्कि गयाजी विकास समिति का भी गठन किया.
इस समिति में शहर के विभिन्न तबके के लोगों को शामिल किया गया. फिर हमने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ा आयोजन किया, जिसमें तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को आमंत्रित किया था. बाद में जीतनराम मांझी जी ने इस प्रस्ताव को आगे भी बढ़ाया. मगर सरकार को फैसला लेने में तीन साल लग गए.''

गया शहर को श्रद्धावश लोग गयाजी कहते रहे हैं. यह नया नाम नहीं है. हालांकि गया के पुराने नामों में गयापुरी, ब्रह्मपुरी, ब्रह्मगया, इलाहाबाद, आलमगीरपुरी आदि भी शामिल हैं. मगर नगर निगम ने गयाजी नाम ही प्रस्ताव किया. नाम बदलने के पीछे एक और तथ्य भी बताया जाता है. गया एयरपोर्ट का कोड जीएवाइ है, जिसे अंग्रेजी में एक अपमानजनक शब्द की तरह देखा जाता है. इसको लेकर भी शहर में बदलाव की बात की जाती रही है.
गया के अलावा बिहार में बख्तियारपुर और पटना शहर का नाम बदलने की भी मुहिम चलती रही है. भाजपा की तरफ से कहा जाता है कि एक आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी के नाम से किसी शहर का नाम कैसे हो सकता है. हालांकि, जद (यू) कहता है कि यह शहर बख्तियार खिलजी के नाम पर नहीं, बल्कि सूफी संत बख्तियार काकी के नाम पर बसा है. भाजपा के सांसद गिरिराज सिंह और राकेश सिन्हा इसका नाम बदलने की मांग कर चुके हैं. 2005 में राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने इसका नाम बदलने की मांग की थी.

बख्तियारपुर मुख्यमंत्री का कस्बा है. वहां उनके पिता वैद्य थे और नीतीश अरसे तक वहां रहे हैं. इसी वजह से भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल इसका नाम नीतीश नगर रखने की मांग कर चुके हैं. इस पर नीतीश कुमार भड़क गए. उन्होंने कहा, ''यह बकवास है. बख्तियारपुर मेरा जन्मस्थान है, इसका नाम कौन बदलेगा?'' पटना का नाम भी पाटलिपुत्र रखने की मांग उठती रही है. हाल में राष्ट्रीय लोकमंच के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पटना का नाम पाटलिपुत्र रखने की मांग की थी.
पूरे मामले पर प्रेम कुमार मणि कहते हैं, ''इस फैसले का मतलब यह है कि नीतीश जी के हाथों से अब चीजें निकलने लगी हैं. तभी ऐसे फैसले हो रहे हैं. अब काम नहीं होगा. बस नाम बदले जाएंगे. गया के बाद जहानाबाद, औरंगाबाद, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर के नाम भी बदले जा सकते हैं.''
खास बातें
> गया के अलावा बख्तियारपुर और पटना शहर का नाम बदलने की भी मुहिम चलती रही है.
> बीस साल में पहली बार नाम बदलने की घटना को नीतीश के घटते प्रभाव के रूप में देखा जा रहा.