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पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के लिए क्यों बन गए हैं जंग जैसे हालात?

नदी जल पर अपने अधिकारों को लेकर पंजाब ने भाखड़ा नांगल बांध के प्रवाह को नियंत्रित करने का अप्रत्याशित कदम उठाया. पड़ोसी राज्य के इस फैसले से हरियाणा गुस्से और प्यास से आग बबूला हो गया

सीएम भगवंत मान 1 मई को नांगल बांध देखने पहुंचे
अपडेटेड 29 मई , 2025

दो भाइयों के बीच सीमा को लेकर मतभेद, पानी पर अधिकार को लेकर जबरदस्त आक्रोश, एकदम जंग जैसे हालात...यह सुनकर आपको एकबारगी तो यही लगेगा कि भारत-पाकिस्तान की बात हो रही है. लेकिन ऐसा नहीं है. फिर भी पंजाब-हरियाणा के बीच मौजूदा तनातनी किसी जंग से कम नहीं.

जरा खुद ही कल्पना करके देखिए, 3 मई की सुबह भाखड़ा नांगल में इंजीनियरों और कर्मचारियों के सामने नजारा कितना असामान्य रहा होगा जब पंजाब पुलिस की रेजिमेंट ने बांध का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए वहां डेरा डाल दिया!

आखिर हुआ क्या था? बात 30 अप्रैल की है जब आधी रात को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने हरियाणा को पेयजल आपूर्ति के लिए 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का फैसला किया. इस पर पंजाब का गुस्सा फूट पड़ा.

बीबीएमबी में पंजाब के प्रतिनिधि राजेश महाजन ने तो विरोध में इस्तीफा ही दे दिया. बोर्ड के आदेश को 'मनमाना' बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पर पहले कोई बातचीत नहीं हुई थी. फिर राजनेताओं ने मोर्चा संभाला. पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस आप कार्यकर्ताओं के साथ राज्य में पड़ने वाले नांगल बांध पर पहुंच गए.

उन्होंने नियंत्रण कक्ष पर ताले लगा दिए और चाबियां पुलिस को सौंप दीं. मुख्यमंत्री भगवंत मान भी तब तक सक्रिय हो चुके थे, इसलिए ताले पर स्वीकृति की मुहर भी लग गई.

घटता पानी, बढ़ता गुस्सा

भरपूर खेत-खलिहानों वाले उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम में पानी को लेकर लोगों का गुस्से से उबलना आम बात है. पंजाब में आपस में झगड़ते रहने वाले राजनैतिक दल भी ऐसे एकजुट हो गए जैसे कोई युद्ध छिड़ गया हो. 5 मई को विधानसभा में बीबीएमबी के आदेश की आलोचना करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया.

उन्होंने कहा, ''हमसे हरियाणा की अतिरिक्त मांगों को पूरा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती. हमारे अपने खेत सूखे पड़े हैं.'' पंजाब मानवीय रुख दिखाते हुए 4,000 क्यूसेक सप्लाइ जारी रखेगा, उससे ज्यादा नहीं.

लंबे समय से पंजाब पर उसके हिस्से के पानी में कटौती करने का आरोप लगाता रहा हरियाणा इस सबसे बेहद खफा है. यही वजह है कि नायब सैनी सरकार की तरफ से मौजूदा स्थिति को लेकर 'असंवैधानिक', 'गैर-कानूनी' और 'अमानवीय' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई.

हरियाणा ने बिना शर्त अतिरिक्त पानी जारी करने की मांग की, और कहा कि उसे अपनी पेयजल जरूरतों का केवल 15.5 फीसद जल ही मिल पा रहा है. 215 स्रोतों के सूख जाने के कारण दर्जनों गांव टैंकरों पर निर्भर हैं, खासकर सिरसा और फतेहाबाद जैसे पश्चिमी जिलों में तो स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है.

छह मई को पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने हरियाणा के साथ किसी 'शत्रु देश' की तरह व्यवहार करने को लेकर पंजाब को कड़ी फटकार लगाई. लेकिन पंजाब अदालत के आदेशों को ताक पर रखकर पानी न देने पर अड़ा है. एक पूर्व अधिकारी ने नाराजगी भरे स्वर में कहा, ''बांध राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा है और इसे लेकर ऐसी कोई स्थिति नहीं आने दी जानी चाहिए.'' बहरहाल, पंजाब के कान पर जूं तक रेंगती नहीं दिखाई दे रही.

खास बातें
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बीबीएमबी ने 30 अप्रैल को पीने के लिए हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी की मंजूरी दी.

> पंजाब ने इसे 'मनमाना' करार दिया; बांध के नियंत्रण कक्ष पर पंजाब पुलिस का पहरा.

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