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गुजरात: 500 से ज्यादा मरीजों पर हुए गैरकानूनी दवाओं के ट्रायल का कैसे हुआ खुलासा?

भ्रष्ट डॉक्टरों और दवा कंपनियों की मिलीभगत से मरीजों पर उनकी मर्जी के बगैर अवैध क्लिनिकल परीक्षण करने की वजह से घेरे में आया अहमदाबाद का वाडीलाल साराभाई अस्पताल.

अहमदाबाद का वाडीलाल साराभाई अस्पताल.
अपडेटेड 30 मई , 2025

अहमदाबाद के वाडीलाल साराभाई अस्पताल (वीएसएच) के एक मरीज ने उसे नहीं मिले 3,000 रुपए क्लिनिकल ट्रायल में भाग लेने के 'भुगतान' के लिए जब कांग्रेस पार्षद राजश्री केसरी से संपर्क किया तो दोनों को अंदाजा न था कि उसके पीछे क्या चल रहा है.

उससे खुलासा हुआ कि 2021 और 2024 के दौरान 500 से ज्यादा मरीजों को उनकी जानकारी के बगैर गिनी पिग में बदल दिया गया. उन्हें ऐसा जताया गया कि उनका बस नियमित इलाज हो रहा है. मगर कथित तौर पर उन पर अस्पताल के कम से कम नौ विभागों में अनधिकृत क्लिनिकल दवा ट्रायल किए गए.

इसमें 52 दवा कंपनियों और भ्रष्ट डॉक्टरों की मिलीभगत के आरोप हैं. मरीजों को मधुमेह, गठिया से लेकर एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से संबंधित दवाओं के परीक्षणों में शामिल किया गया और इसमें 17-20 करोड़ रुपयों की घूसखोरी की बात कही जा रही है. किसी पंजीकृत इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी से कोई मंजूरी नहीं ली गई. 

फरवरी में वीएसएच को चलाने वाले अहमदाबाद नगर निगम के बजट सत्र के दौरान केसरी के पूछने पर आयुक्त बंछा निधि पाणि ने ऐसे किसी ट्रायल से इनकार किया. बाद में केसरी ने सबूत पेश किए: दो दवा कंपनियों और वीएसएच की अकादमिक शाखा एनएचएल म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज के बीच 2024 में एमओयू पर हस्ताक्षर हुए.

एक और दस्तावेज में डीन की ओर से उस काम के लिए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवांग राणा को 'एक्सपर्ट फार्माकोलॉजिस्ट' बनाने का जिक्र है. फिर निगम को जांच समिति गठित करनी पड़ी, जिसने अप्रैल में पुष्टि की कि डॉ. राणा और आठ संविदा डॉक्टरों समेत 17 डॉक्टरों ने अनधिकृत परीक्षण किए. उन सभी को निलंबित कर दिया गया. इसमें शामिल फर्मों की पूरी सूची सामने नहीं आई है.

इंदौर के एक ऐसे ही स्कैंडल पर 2012 की याचिका की सुनवाई करते हुए 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को वीएसएच से जुड़े आरोपों पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

खास बातें

> वीएसएच में 2021-2024 के दौरान संभावित तौर पर 500 से ज्यादा मरीजों पर अवैध क्लिनिकल ट्रायल.

> ट्रायल के बारे में वीएसएच बोर्ड के सदस्यों को पता न होना अस्तपाल प्रशासन की दयनीय दशा दर्शाता है.

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