केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के प्रिय नौकरशाहों का मुसीबतें पीछा नहीं छोड़तीं. राजनयिक चैनलों के जरिए सोने की तस्करी के रैकेट में उनके पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवशंकर को 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक मामले में जेल जाना पड़ा था. इसके बाद अब कैबिनेट रैंक वाले उनके मुख्य प्रधान सचिव सेवानिवृत्त नौकरशाह के.एम. अब्राहम विवादों की तपिश में हैं.
केरल हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआइ को अब्राहम के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है. 1982 बैच के ये आइएएस अधिकारी इस समय केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड के सीईओ हैं और मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए हैं. लेकिन शायद उन्हें 2008-11 तक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में अपने कार्यकाल के लिए ज्यादा जाना जाता है, जब उन्होंने सहारा परिवार लिमिटेड के कथित धोखाधड़ी वाले लेन-देनों की जांच करने और इसके प्रमुख सुब्रत रॉय को उल्लंघन का दोषी ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
लेकिन अब वे स्वयंभू जन आंदोलनकारी जोमन पुतनपुरकल की ओर से दायर मामले में आरोपी हैं. हाइकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि पहली नजर में अब्राहम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. याचिकाकर्ता का मामला आरोपी के नाम वाली तीन संपत्तियों पर आधारित है. तिरुवनंतपुरम में एक फ्लैट जिसकी कीमत आरोपी के अनुसार 1 करोड़ रुपए है, मुंबई में एक और अपार्टमेंट (3 करोड़ रुपए) और केरल के कोल्लम में उनके भाइयों के साथ संयुक्त स्वामित्व वाला एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (8 करोड़ रुपए).
राज्य सतर्कता रिपोर्ट में कहा गया है कि अब्राहम ने 2002 में किस्तों में 13.5 लाख रुपए देकर तिरुवनंतपुरम में फ्लैट लिया था; 2009 में भारतीय स्टेट बैंक से लोन लेकर मुंबई में फ्लैट 1 करोड़ रुपए में खरीदा था; और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, जो संयुक्त रूप से उनके दो एनआरआइ भाइयों के साथ स्वामित्व में है, 2.5 करोड़ रुपए में बनाया गया था. सतर्कता विभाग ने अब्राहम की संपत्तियों के लिए 1 जनवरी, 2000 से 31 दिसंबर, 2009 तक की 'जांच अवधि' तय की थी, लेकिन हाइकोर्ट ने इसमें गलती पाई और कहा कि यह एक 'ढोंग' थी. कोर्ट चाहता है कि जांच की अवधि 1 जनवरी, 2003 से 31 दिसंबर, 2015 के बीच हो.
इस बीच, अब्राहम ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और सरकार में अपना पद छोड़ने की पेशकश की. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है और दो लोगों पर उंगली उठाई है. एक मजदूर यूनियन नेता और एक पूर्व नौकरशाह पर जो कांग्रेस सरकार (2011-16) के दौरान सेवा में थे. उनका कहना है कि इस साजिश में वे याचिकाकर्ता के साथ थे. सतर्कता विभाग की जांच के दौरान उनके फोन पर हुई बातचीत को उनकी बात साबित करने के लिए नत्थी किया गया. पूर्व डीजीपी जैकब थॉमस (जो अब भाजपा में हैं) पर भी उंगलियां उठाई गई हैं, यह कहते हुए कि याचिकाकर्ता के साथ उनकी मिलीभगत थी. अब्राहम हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर रहे हैं.
पूर्व आइएएस अधिकारी के पक्ष में लड़ने वाले उनके दिग्गज मित्र भी हैं. सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव और अब हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड की प्रबंध निदेशक शीला थॉमस कहती हैं, ''मैं अरसे से अब्राहम को जानती हूं. वे बेहद निष्ठावान अधिकारी हैं और कई दूसरे लोगों के विपरीत ऐसे शख्स हैं जो भ्रष्ट लोगों के दबाव में नहीं आते. यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे मामले में उनकी जांच की जा रही है.''
अब्राहम खुद कहते हैं कि वे सीबीआइ या किसी अन्य एजेंसी से जांच का स्वागत करते हैं. वे बताते हैं कि 2009 में सहारा परिवार के आरोपों के बाद सीबीआइ और आयकर विभाग ने उनकी संपत्तियों की जांच की थी और यहां तक कि परिवार के सदस्यों के बैंकिंग लेन-देन की भी जांच की थी. उनका दावा है कि उस समय उन्हें खातों में कोई विसंगति नहीं मिली थी. 68 वर्षीय अब्राहम ने इंडिया टुडे से कहा, ''मैंने अपनी सारी आय की सूची दे दी है और रिकॉर्ड जमा कर दिए हैं. अब सार्वजनिक सेवा में मेरा 43वां साल है और मुझे एक और जांच पर कोई गुरेज नहीं है.''
अब्राहम केस से सीएम पिनाराई की पुरानी यादें जरूर ताजा हो गई होंगी. 2020 के विधानसभा चुनाव से एक साल पहले केरल के मुख्यमंत्री को शिवशंकर के खिलाफ सोने की तस्करी के आरोपों का भी हमला झेलना पड़ रहा था. और अब जब 79 वर्षीय पिनाराई की 2026 में ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल पर नजर है, तो ऐसे वक्त में न केवल अब्राहम केस बल्कि उनकी अपनी बेटी वीणा थैक्कंडियिल के खिलाफ भी गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) की तफ्तीश चल रही है.
पिनाराई की बेटी और बेंगलूरू की आइटी सेवा प्रदाता एग्जालॉजिक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की प्रबंध निदेशक पर कोच्चि की कोचीन मिनरल्स ऐंड रुटाइल लिमिटेड से बिना किसी सेवा के 2.7 करोड़ रुपए प्राप्त करने का आरोप है. एक सत्र अदालत ने वीणा और 12 अन्य पर आरोप लगाने वाली एक शिकायत का संज्ञान लिया जिसके खिलाफ हाइकोर्ट ने दो महीने के लिए यथास्थिति रखने का आदेश दिया है. एसएफआइओ ने उन पर कंपनी अधिनियम की धारा 447 के तहत आरोप लगाया है, जिसके तहत धोखाधड़ी पर 10 साल तक की जेल समेत कठोर सजा का प्रावधान है.
कानूनी हलकों का मानना है कि वीणा के खिलाफ आरोपों के विपरीत अब्राहम के खिलाफ सीबीआइ जांच ऐसी साजिश है ताकि ईडी की कार्रवाई हो सके और 2026 की शुरुआत में चुनाव आने तक मुख्यमंत्री को जांच में उलझाया जा सके. पिनाराई इस तरह की रणनीति से अनजान नहीं हैं, लेकिन वे ताजा गड़बड़झाले से कैसे निबटते हैं, इसका असर उनकी पार्टी माकपा के भविष्य पर भी पड़ेगा, अपने शासन वाले एकमात्र राज्य की सत्ता से फिसलने का जोखिम नहीं उठा सकती.
तगड़ी जांच
> सीएम के मुख्य प्रधान सचिव के.एम. अब्राहम पर आय से अधिक संपत्ति की जांच.
> केरल हाइकोर्ट ने कहा कि जांच के लिए 'पहली नजर में दिखने वाले साक्ष्य' मौजूद हैं.
> 2016 में अब्राहम को इस मामले में राज्य सतर्कता विभाग से क्लीन चिट मिल गई थी.
> पिनाराई अपनी बेटी वीना थैक्कंडियिल के खिलाफ एसएफआइओ मामले में कुछ परेशानी में हैं, जिसमें उनकी आइटी फर्म को धोखाधड़ी से भुगतान किया जाना शामिल है.
> केरल में 2026 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं, और पिनाराई, जो अपने और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए लगातार तीसरे कार्यकाल की तलाश कर रहे हैं, विवादों में नहीं पड़ सकते.