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सांप्रदायिक सद्भाव वाले राजस्थान में अब धार्मिक झगड़े क्यों बढ़ने लगे?

राजस्थान में हाल के दिनों में सांप्रदायिक तनाव वाली इतनी घटनाएं घटी हैं कि भजन लाल की सरकार के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है

साख तेजी से धूल-धूसरितः इलस्ट्रेशन: सिद्धांत जुमडे
अपडेटेड 22 अप्रैल , 2025

मरुस्थली राज्य राजस्थान की अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में कुछ हद तक शांत छवि रही है, लेकिन अब यह साख तेजी से धूल-धूसरित होती जा रही है. इस साल की होली से राज्य में इस बीमारी के कुछ चकत्ते दिखने लगे हैं.

इसकी शुरुआत जयपुर के सेंट एंजेला सोफिया स्कूल से हुई जिसने छात्रों को स्कूल में रंग न लाने के बारे में सर्कुलर जारी किया था, शायद इसलिए कि वे लोग उत्पीड़न की किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचना चाहते थे. लेकिन इसने सांप्रदायिक विवाद का रूप ले लिया.

इतना कि 11 मार्च को स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने घोषणा की कि वे स्कूल के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को लिखेंगे. अगले ही दिन एक त्रासदी ने साबित कर दिया कि राज्य में कुछ लोग जिस तरह से होली खेलते हैं, वह घातक हो सकता है.

जयपुर के पास दौसा शहर के एक पुस्तकालय में परीक्षा की तैयारी कर रहे 25 वर्षीय हंसराज मीणा पर जानलेवा हमला किया गया क्योंकि उन्होंने कुछ युवकों द्वारा उन पर रंग डालने का विरोध किया था.

घटना के बाद पुलिस ने होली के दौरान लोगों को परेशान या हंगामा करने वाले हुड़दंगियों पर शिकंजा कसा. लेकिन मर्ज का ज्यादा इलाज तब नए सिरदर्द में बदल गया जब जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर के परिसर में श्रद्धालुओं को होली खेलने से रोक दिया गया, जाहिर तौर पर ऐसा भगदड़ रोकने के लिए किया गया. कई नाराज भक्तों ने जवाब में इसका बहिष्कार कर दिया.

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरोप लगाया, ''यह स्तब्ध करने वाला है. पुलिस और मंदिर के अधिकारियों ने भक्तों की तलाशी ली कि उनके पास कोई रंग तो नहीं. हम सालों से मंदिर परिसर के एक हिस्से में होली मनाते आ रहे हैं.''

होली के दिन चेहरे पर कीचड़ शायद अच्छी बात न हो लेकिन आलोचकों का कहना है कि भाजपा सांप्रदायिकता के मुद्दे को जिंदा रखना चाह रही है क्योंकि इस साल के अंत में स्थानीय निकाय चुनाव हो सकते हैं. पूरे परिदृश्य में इस तरह की घटनाएं बिखरी पड़ी हैं. सबसे खौफनाक सबूत है भाजपा विधायक गोपाल शर्मा का उस समय 'पाकिस्तानी, पाकिस्तानी' चिल्लाना जब 8 मार्च को कांग्रेस के मुख्य सचेतक रफीक खान विधानसभा में शहरी विकास के मुद्दे पर बोल रहे थे.

बाद में इस घटना के बारे में मीडिया से बात करते हुए खान रो पड़े. शर्मा के जैसे ही उनके पार्टी विधायक बालमुकुंद आचार्य भी हैं, जो होली के दौरान मांस की दुकानों के खिलाफ 'कार्रवाई से बचने' वाले मुसलमानों से खफा हैं. वकीलों के साथ होली समारोह के दौरान उनकी भड़ास दिखी जब उन्होंने वकीलों से कहा कि वे अपनी कानूनी अक्ल का इस्तेमाल कर लाउडस्पीकरों पर अजान बंद कराएं क्योंकि यह उनके लिए सिरदर्द है.

पहली बार मुख्यमंत्री बने भजन लाल शर्मा के सामने बड़ी चुनौती अपने बड़बोले नेताओं पर लगाम लगाने की है. आलोचकों का कहना है कि इन नेताओं को अपने बयानों पर कोई पछतावा नहीं लगता जिससे प्रशासन और जनता तक यह संदेश पहुंचने का अंदेशा है कि इस तरह की गतिविधियां जायज हैं.

पहले ही 2 मार्च की घटना को लेकर हंगामा मच गया और मनमानी के आरोप लगाए गए जिसमें अलवर के रघुनाथगढ़ गांव में छापेमारी के दौरान पुलिस की 'लापरवाही' के कारण एक मुस्लिम दंपती के बच्चे की मौत हो गई थी. आरोप है कि जब बच्चा फर्श पर गिर गया तो पुलिस ने गलती से बच्चे पर पैर रख दिया. अधिकारियों का दावा है कि छापेमारी साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान का हिस्सा थी.

राजस्थान अभी तक सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत राज्य होने के आरोपों से बचा रहा है. मुख्यमंत्री भजन लाल, जिन्हें सत्ता में आए अभी सिर्फ 15 महीने हुए हैं, को सतर्क रहना होगा, अगर वे अप्रिय विवादों में फंसकर अपनी छवि खराब नहीं करना चाहते.

राजस्थान में हाल के दिनों में सांप्रदायिक तनाव वाली इतनी घटनाएं हो गईं कि भजन लाल की सरकार के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है.

राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा ने इस मामले में कहा है कि हमें शब्दों के चयन को लेकर सतर्क रहना चाहिए...लेकिन आजकल लोग ज्यादा ही संवेदनशील हो रहे हैं.

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