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जम्मू-कश्मीर: गुलमर्ग फैशन शो को लेकर सड़क से सदन तक में क्यों मचा हंगामा?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीएम उमर अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि फैशन शो से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है

अंदाज अपना-अपना कश्मीर के गुलमर्ग में 7 मार्च को विवादास्पद फैशन शो
अपडेटेड 16 अप्रैल , 2025

बर्फ से ढके गुलमर्ग का नजारा है. मौका है द एली इंडिया फैशन शो का, जिसमें दिल्ली के डिजाइनर शिवन और नरेश के परिधान टोपियां, पैंट सूट, स्कीवियर और हां बिकिनी भी प्रस्तुत किए गए.

मॉडल बर्फ से ढके रैम्प पर उतरे, तो दर्शक कुछ नीचे लगी कुर्सियों पर विराजमान थे. उनमें से कुछ जाहिरा तौर पर शराब पी रहे थे. मगर 7 मार्च को इस अनोखे शो के वीडियो और तस्वीरें क्या जारी हुईं, कश्मीर में सामूहिक गुस्से और रोष का उबाल आ गया.

कश्मीरी इस बात से नाराज थे कि ऐसा ''अपमानजनक और अभद्र'' कार्यक्रम मुस्लिम बहुल इलाके में स्थानीय संवेदनाओं को नजरअंदाज करके रमजान के पाक महीने में आयोजित किया गया.

ठेठ शीर्ष से स्तब्ध अस्वीकृति के स्वर सामने आए. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कैफियत देते हुए विधानसभा में कहा, ''यह निजी पार्टी थी, जिसने निजी होटल में निजी तौर पर इसका आयोजन किया और निमंत्रण पत्र भी निजी तौर पर बांटे. सरकार से कोई मंजूरी नहीं ली गई, न ही... कोई सरकारी अफसर शामिल था.'' आयोजन नेडस होटल में हुआ, जिसके मालिक उमर के रिश्तेदार हैं. श्रीनगर की एक अदालत ने आयोजकों को पेशी के लिए तलब किया है.

हंगामे ने जेऐंडके में शराब पर पाबंदी लगाने की लगातार चली आ रही मांग को फिर सुलगा दिया. इससे पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नए अभियान को भी अचानक ताकत मिल गई, जिसके कुपवाड़ा से विधायक फैयाज अहमद मीर 10 फरवरी को ही एक प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे. इसमें जम्मू और कश्मीर में शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. 

फरवरी में श्रीनगर में शराब के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान के दौरान पीडीपी की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, ''यह राजनैतिक नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा है. बढ़ती बेरोजगारी नौजवानों को ड्रग्स और शराब की तरफ धकेल रही है. अगर बिहार, गुजरात और नगालैंड में शराबबंदी हो सकती है तो कश्मीर में क्यों नहीं.'' मुफ्ती इस मुद्दे पर गद्दीनशीन नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ विपक्ष के हमलों की अगुआई कर रही हैं. 28 विधायकों के साथ विपक्ष की मुख्य पार्टी भाजपा दोयम दर्जे की भूमिका निभा रही है.

शराब के खिलाफ इस समूहगान में मजहबी नेता भी कूद पड़े. उन्होंने फैशन शो पर नाराजगी जताई. सबसे प्रमुख घाटी के शीर्ष मौलवी और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलगाववादी धड़े के मुखिया मीरवाइज उमर फारूक थे, जो जनवरी में अपनी आवाजाही पर लगी पाबंदी हटने के बाद अपना कामकाज अभी शुरू ही कर रहे हैं. एनसी के विधायक तनवीर सादिक ने शराब की बिक्री को पर्यटन के साथ जोड़ा, तो उसका जवाब देते हुए फारूक ने कहा, ''लाखों लोग नशे के आदी हो चुके हैं. फिर भी जब शराब पर पाबंदी की बात आती है तो वे अर्थव्यवस्था और राजस्व की बात करने लगते हैं... अगर समाज को फायदा नहीं पहुंचा सकते तो खुदा के लिए कम से कम हमारे मूल्यों और नैतिक आदर्शों को तो नुक्सान न पहुंचाएं.''

बॉलीवुड की दो पीढ़ियों को अपनी खूबसूरती उधार देने वाले कश्मीर के शहरों में कई सिनेमा और बार हुआ करते थे. 1989 में उग्रवाद के विस्फोट ने ज्यादातर को मटियामेट कर दिया. मगर हाल के सालों में जेऐंडके के शराब उद्योग में बहार छाई है. आबकारी महकमे के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 और 2023 के बीच शराब की 77 नई दुकानें, 67 जम्मू और 10 कश्मीर में खुलीं.

शराब की दुकानों की कुल तादाद में 40 फीसद से ज्यादा का इजाफा हुआ और वे 2021 में 217 से बढ़कर 2025 में 305 हो गईं, जिनमें से 291 में जम्मू में और 14 कश्मीर में हैं. शराब की बिक्री से महकमे के राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई, जो 2020-21 में 1,353 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में 2,600 करोड़ रुपए पर पहुंच गया. सबसे ज्यादा खपत जेके स्पेशल व्हिस्की की है, जो इलाके की 22 डिस्टिलरी में बनाई जाती है.

राजस्व में बढ़ोतरी का कुछ वास्ता शराब की दुकानों की उस ई-नीलामी से भी है जो 2021 में उपराज्यपाल की अगुआई वाला प्रशासन लेकर आया. इससे दशकों पुरानी दुकानों की लीज की व्यवस्था खत्म हो गई और हर साल बोली लगाने वालों और प्रतिस्पर्धी बोली के लिए दरवाजा खुल गया. जेऐंडके आबकारी महकमे के एक अफसर इंडिया टुडे को बताते हैं, ''शराब की बोली लगाने में जबरदस्त दिलचस्पी है और इस साल से बोली की रकम चुकाने के लिए सॉल्वेंसी (जो बोली लगाने वाले की वित्तीय क्षमता दिखाती है) 100 फीसद से घटाकर 50 फीसद कर दी गई है.''

इससे पहले जम्मू और कश्मीर राज्य में एक के बाद एक सरकारें शराबबंदी के विधेयकों को धता बताती आई थीं. गद्दीनशीन एनसी ने 1984 में एक विधेयक नामंजूर कर दिया तो पिछली पीडीपी-भाजपा सरकार ने 2016 में विधानसभा में उठी शराबबंदी की चौतरफा मांग को ताक पर रख दिया था.

गौरतलब यह कि पीडीपी के विधेयक से मिलता-जुलता शराबबंदी का विधेयक तकरीबन उसी वक्त लाल चौक से नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक अहसन परदेसी और साथ ही लंगेट से चुने गए निर्दलीय खुर्शीद अहमद शेख ने भी पेश किया था. शेख जेल में बंद सांसद इंजीनियर राशिद के भाई हैं.

प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस मामले में फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं. उमर ने 27 फरवरी को एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा, ''अगर हमें इसके बारे में बात करनी होती, तो हम इसे अपने घोषणापत्र में रखते. आने दीजिए विधेयक को हम, उन्हें (पीडीपी को) याद दिलाएंगे कि उन्होंने सरकार में रहते हुए इस मसले पर क्या किया था.'' जम्मू और कश्मीर प्रशासन शराब की बिक्री पर 50 फीसद शुल्क लगाता है और यह नकदी की तंगी झेल रहे इस केंद्र शासित  प्रदेश के राजस्व का खासा बड़ा हिस्सा है. लिहाजा, उमर सरकार इससे हाथ धोना गवारा नहीं कर सकती. जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीएम उमर अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि फैशन शो से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है.

ये स्टोरी इंडिया टुडे मैगजीन के लिए कलीम जीलानी ने लिखी है.

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