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झारखंड: शानदार जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री हेमंत के सामने कौन सी बड़ी चुनौतियां हैं?

गठबंधन को संभालना भी अब हेमंत सोरेन के लिए जबरदस्त चुनौती है. झामुमो से सात, कांग्रेस से चार और राजद से एक मंत्री बनाया गया है. स्टोरी में पढ़िए आखिर विभाग बंटवारे से सहयोगी दल कितने खुश हैं?

नया अध्याय सोरेन रांची में 2 दिसंबर को अपने आवास के बाहर जुटे लोगों को संबोधित करते हुए
अपडेटेड 31 दिसंबर , 2024

गठबंधन की राजनीति में एक हफ्ते की अच्छी-खासी अहमियत होती है. हेमंत सोरेन को 28 नवंबर को झारखंड के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद 5 दिसंबर को मंत्रिमंडल का गठन करने में सात दिन लगे. यह अपने आप में बहुत कुछ कहता है. फिर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष ने ढंग के पूरे एक मकसद के साथ चौथा कार्यकाल शुरू किया.

मंत्रिमंडल की पहली बैठक में 6 दिसंबर को सोरेन ने नवगठित टीम के 11 मंत्रियों को 17 सूत्री निर्देश जारी किए. उनमें यह सख्त निर्देश प्रमुख था कि मंत्री अपने निजी सचिवों और कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की छानबीन करें ताकि ''मंत्रियों के दफ्तरों में विवादास्पद कर्मचारी को जगह न मिले.'' इस सावधानी भरे रुख से बहुत मुश्किलों से सीखे गए सबक की झलक मिलती है.

मई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथों उस वक्त के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी ने उनके प्रशासन पर गहरी छाया डाल दी थी. घोटाला उस समय सामने आया जब जांचकर्ताओं ने आलम के निजी सचिव संजीव लाल और घरेलू सहायक जहांगीर आलम से जुड़े फ्लैट से 35 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की.

अब अपनी जोरदार चुनावी जीत झामुमो की अगुआई वाले उनके गठबंधन ने विधानसभा की 81 में 56 सीटें जीती हैं. इससे उत्साहित सोरेन को जनता के भरोसे की अहमियत का बखूबी अंदाजा है. उन्हें पता है कि मइयां सम्मान योजना सरीखी जिन नीतियों की बदौलत उन्हें आदिवासी और ग्रामीण समर्थकों का प्यार-दुलार मिला है, उन्हीं की वजह से वे विपक्ष के निशाने पर भी हैं. अब ध्यान दो चीजों पर है: भ्रष्टाचार से लड़ना और  ईमानदारी की छवि पेश करना.

सोरेन ने मइयां सम्मान योजना के तहत वित्तीय धनराशि 1,000 से बढ़ाकर 2,500 रुपए करके अहम चुनावी वादा पूरा कर दिया. अगस्त में लॉन्च इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की उम्र के बीच की महिलाओं को सहायता दी जाती है. योजना को गठबंधन की जीत में निर्णायक भूमिका निभाने का श्रेय भी दिया जाता है. मगर इस पर बढ़े हुए खर्च से अहम वित्तीय चुनौतियां भी उठ खड़ी हुई हैं.

योजना से राज्य के खजाने पर सालाना 16,000 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा. फिर हैरानी क्या कि सोरेन ने मंत्रियों से सख्त वित्तीय अनुशासन बरतने का आह्वान किया. सोरेन केंद्र सरकार से कोयले की रॉयल्टी और जमीन के मुआवजे के रूप में बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए वसूलने के कानूनी विकल्प भी तलाश रहे हैं.

मंत्रियों को विभागों के बंटवारे के बाद मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक में जारी 17 सूत्री एडवाइजरी झारखंड के विधायी इतिहास में अभूतपूर्व है. इसमें मंत्रियों से आग्रह किया गया है कि कैबिनेट की बैठकों में पेश करने से पहले प्रस्तावों की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करें. एडवाइजरी वित्त, कानून और कार्मिकी विभाग से अनिवार्य रूप से सलाह-मशविरा करने की बात कहती है ताकि संभावित कानूनी या वित्तीय अड़चनों से बचा जा सके.

सोरेन ने मंत्रियों को विभागीय क्रियाकलापों का आकलन करने, खामियों को पहचानने और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का फीडबैक जुटाने के लिए जिला मुख्यालयों के दौरे करने का निर्देश भी दिया है. जो साफ तौर पर लंबे वक्त से लटकती आ रही परियोजनाओं में तेजी लाने और सरकारी पहलकदमियों को दूरदराज तथा अक्सर उपेक्षित रहे इलाकों तक बढ़ाने पर है.

राजस्व बढ़ाने पर भी अहम जोर दिया जा रहा है. मंत्रियों को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तैयारियां शुरू करने के साथ अपने विभागों की अप्रयुक्त संपत्तियों की समीक्षा करने और उनका बेहतरीन इस्तेमाल पक्का करने का काम सौंपा गया है. निर्देशों में राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति के लंबित मामले सुलझाने, अदालती मामलों को देखने और सरकार की कानूनी स्थिति मजबूत करने को भी प्राथमिकता दी गई है.

गठबंधन को संभालना अलबत्ता अब भी सोरेन के लिए जबरदस्त चुनौती है. झामुमो से सात, कांग्रेस से चार और राजद से एक मंत्री बनाया गया है, लेकिन विभाग बंटवारे के नाजुक काम ने विवाद पैदा कर दिए. मंत्रियों के शपथ ग्रहण के कुछ ही वक्त बाद कथित तौर पर कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से लिखी एक चिट्ठी लीक होकर सबके सामने आ गई. इसमें कांग्रेसी मंत्रियों के विभागों को मंजूरी देने का जिक्र करते हुए सोरेन के अधिकार पर सवाल उठाए गए.

झामुमो 34 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन साधारण बहुमत के लिए सोरेन कांग्रेस के 16 विधायकों पर निर्भर हैं, जिससे पार्टी के दिल्ली आलाकमान के संभावित दबाव की गुंजाइश कायम है.

उधर, सोरेन ने अनुराग गुप्ता को राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर फिर बहाल कर दिया. यह विवादास्पद कदम है क्योंकि गुप्ता को चुनाव आयोग ने हटाया था. इस सबके बावजूद उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं और पुलिस को अपराधों और खासकर राज्य में साइबर अपराधों और संगठित आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है.

फिलहाल सोरेन ने राज्य के भविष्य पर नजर रखने के साथ राजनीति के जटिल गति विज्ञान के बीच राह बनाते हुए निर्णायक राजकाज की शुरुआत कर दी है. विधानसभा चुनाव में शानदार जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की जनता के विश्वास के भार की भी बखूबी जानकारी रखते हैं.

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