मेडिकल कोर्सेज में दाखिला मिलना अमूमन मुश्किल होता है, लेकिन दाखिला मिलने के बाद वहां अच्छे से पढ़ाई और भी मुश्किल होती है. इसे सरल करने की एक इनोवेटिव पहल बनारस के रहने वाले डॉ. अमित वर्मा ने की है. उनकी बेंगलूरू स्थित कंपनी एएमसीआइ एडटेक ने ज्लिप के नाम से एक ऐसा प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो पूरी मेडिकल शिक्षा को सरल और प्रभावी बनाने का काम कर रहा है.
इसके बारे में डॉ. वर्मा बताते हैं, ''जहां दूसरी कंपनियां डिजिटल एजुकेशन सॉल्यूशंस उपलब्ध करा रही हैं, वहीं हमने मेडिकल की अकादमिक दुनिया के लिए भारत का पहला एडवांस्ड विजुअल सेंटर विकसित किया है. इसमें रोजाना की अकादमिक गतिविधियों के अलावा एआइ आधारित रिपोर्टिंग को भी जोड़ा गया है."
उनके मुताबिक, इसके यूनीक फीचर्स में स्किल आधारित मॉड्यूल्स, क्लीनिकल सिनैरियो लर्निंग और जरूरत के हिसाब से तुरंत अध्ययन सामग्री तैयार करने की सुविधा है. ये सारी सुविधाएं एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं. एएमसीआइ एडटेक ने 3डी स्टीरियोस्कोपिक कंटेंट डेवलप किया है और इसके जरिए पढ़ाने का कॉपीराइट कंपनी के पास ही है. आमतौर पर क्लास में होता यह है कि एक बार प्रोफेसर ने पढ़ा दिया या टेक्नोलॉजी का डिमॉन्स्ट्रेशन दे दिया, उसके बाद अगर कोई दुविधा हो तो छात्र को फिर से प्रोफेसर के पास जाना पड़ेगा.
यह प्लेटफॉर्म इस गैप को भी भर रहा है. डॉ. वर्मा के शब्दों में, ''एआइ आधारित मूल्यांकन मॉडल होने की वजह से मेडिकल छात्र यहां अपनी प्रगति को खुद ट्रैक कर पा रहे हैं. लंबे वक्त की बात करें तो हमारे प्लेटफॉर्म की भूमिका अच्छे और कुशल मेडिकल पेशेवर तैयार करने की है ताकि जब वे असली दुनिया में प्रैक्टिस करने जाएं तो गलती की गुंजाइश कम से कम रहे.''
अभी तक इस प्लेटफॉर्म से हजारों छात्र जुड़ चुके हैं. डॉ. वर्मा यह जानकारी साझा करते हुए बताते हैं, ''देश के 20 से ज्यादा प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज हमारे प्लेटफॉर्म पर आए हैं. छात्रों की संख्या 14,000 से ज्यादा है. वहीं तकरीबन 2,000 मेडिकल प्रोफेसर इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. हमें छात्रों, प्रोफेसरों और कॉलेजों से लगातार उत्साहजनक फीडबैक मिल रहा है. इसके आधार पर हम इस प्लेटफॉर्म को और भी बेहतर बनाते जा रहे हैं.''
भारत के बाहर भी यह प्लेटफॉर्म सराहा गया है. कोविड के दौरान ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस ग्लोबल ट्रेनिंग ऐंड एजुकेशन सेंटर (एनएचएस-जीटीईसी) ने उनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके मेडिकल की पढ़ाई जारी रखी थी. इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल और बढ़े, इसके लिए डॉ. वर्मा मेडिकल कंटेंट ऐंड क्लीनिकल डिजीज डिस्कशन फोरम के जरिए इसे और बेहतर बना रहे हैं.
विस्तार की योजनाओं के बारे में डॉ.वर्मा बताते हैं, ''भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों की मेडिकल शिक्षा में पारंपरिक शिक्षण प्रणाली और 3डी तकनीक के इस्तेमाल के बीच एक गैप है. इसलिए भारत के साथ-साथ हम दूसरे देशों में भी जाने की प्रक्रिया में हैं. हमारा लक्ष्य है कि दुनिया की सबसे समृद्ध और व्यापक मेडिकल शिक्षा डिजिटल रिपोजिटरी तैयार करें ताकि भारत 'मेडिकल शिक्षा में विश्व गुरु' बन सके.''
डॉ. अमित वर्मा की यह पहल ऊपर से देखने में तो सिर्फ मेडिकल पेशेवरों के काम की लगती है, लेकिन इसका आखिरी फायदा बेहतर डॉक्टरों के रूप में आम लोगों को ही मिलना है.
नवाचार
डॉ. अमित वर्मा ने मेडिकल शिक्षा के लिए एक 3डी प्लेटफॉर्म तैयार किया है जो भावी डॉक्टरों को मुश्किल विषय सरल तरीके से समझाने में मददगार है. एआइ आधारित होने की वजह से यह शिक्षकों और कॉलेजों के लिए भी पढ़ाई को ज्यादा असरदार बना रहा है.
''ज्लिप टीम ने मेरे टीचिंग पैटर्न को बदल दिया है. इसमें स्टीरियोस्कोपिक 3डी एमबीबीएस लेक्चर और मेडिकल विजुअल डिजिटल लाइब्रेरी है. पहले मैं हमेशा उलझन में रहता था कि मेरे छात्र इसे समझ पाए हैं या नहीं. लेकिन अब यह चिंता नहीं रहती. छात्र भी इसे पसंद कर रहे हैं.''
— डॉ. सचेंद्र मित्तल, प्रोफेसर, एनाटॉमी, एनआइएमएस, जयपुर