scorecardresearch

क्या है कोलोरेक्टल सर्जरी, जिससे पाइल्स जैसी बीमारी का इलाज कर रहे हैं डॉ. अरशद?

डॉ. अरशद अहमद ने लंदन के सेंट मार्क्स इंस्टीट्यूट और चूललोनकोर्न विश्वविद्यालय बैंकॉक से पाइल्स, फिशर और फिस्ट्यूला जैसी घातक बीमारी का इलाज सीखा. अब वो सर्जरी के जरिए पाइल्स जैसी घातक बीमारियों का इलाज कर रहे हैं.

डॉ. अरशद अहमद एनोरेक्टल सर्जन
अपडेटेड 2 जनवरी , 2025

लखनऊ के कैसरबाग इलाके में कैंट रोड पर स्थित नजर अस्पताल बीते पांच दशक से गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कर रहा है. यह अस्पताल प्रसिद्ध फिजीशियन नजर अहमद के नाम से मशहूर था. पर अब यह बवासीर, भगंदर (फिस्ट्यूला) और मलाशय से जुड़े जटिल रोगों के इलाज का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. इसका बीड़ा उठा रखा है डॉ. नजर अहमद के बेटे डॉ. अरशद अहमद ने.

पिता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए डॉ. अरशद ने 2000 में कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और 2006 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (अब किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) से सर्जरी में पोस्ट-ग्रेजुएशन (एमएस) किया. केजीएमयू में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर सेवाएं देने के बाद 2009 में डॉ. अरशद जनरल सर्जरी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बने.

वे बताते हैं, ''मैंने बचपन से देखा था कि पाइल्स, फिस्ट्यूला और फिशर जैसी बीमारियों के बारे में काफी भ्रांतियां थीं. संकोच तथा झोलाछाप के चंगुल में फंसकर रोगी बीमारी को और खराब कर देते थे. यह बीमारी लगातार बढ़ रही थी. इसे ही ध्यान में रखते हुए मैंने कोलोरेक्टल सर्जरी की विधा को चुना.''

उस वक्त विभाग प्रमुख डॉ. रमाकांत की देखरेख में डॉ. अरशद कोलोरेक्टल सर्जरी में पारंगत हुए. 2010 में उनके रिटायर होने के बाद डॉ. अरशद ने केजीएमयू में कोलोरेक्टल सर्जरी की विधा को आगे बढ़ाया. उस वक्त इस पर कोई एमसीएच जैसा सुपरस्पेशिएलिस्ट पाठ्यक्रम नहीं था.

कोलोरेक्टल सर्जरी की आधुनिक तकनीक सीखने के लिए डॉ. अरशद ने छुट्टियों में लंदन के सेंट मार्क्स इंस्टीट्यूट, सैंडवेल और वेस्ट अस्पताल बर्मिंघम, चूललोनकोर्न विश्वविद्यालय बैंकॉक समेत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और तुर्की के प्रतिष्ठित मेडिकल इंस्टीट्यूट में जाकर प्रशिक्षण लिया. वहां वे कोलोरेक्टल (मलाशय) सर्जरी के साथ एनोरेक्टल (आंत के सबसे निचले हिस्से, गुदा) रोगों के आधुनिक इलाज में पारंगत हुए.

पाइल्स, फिशर और फिस्ट्यूला के आधुनिक इलाज के तौर तरीके सीखे. डॉ. अरशद बताते हैं, ''दिक्कत यह थी कि पाइल्स, फिशर और फिस्ट्यूला के लिए कोई भी स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल नहीं था.'' उन्होंने केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग में पाइल्स, फिशर और फिस्ट्यूला मरीजों के लिए 'कॉम्प्रीहेन्सिव एडवांस ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल' लागू किया. उसके लिए विदेशों में इलाज की सभी आधुनिक तकनीकों को लाया गया.

इनमें डीजीएचएएल (डॉपलर गाइडेड हेमोरोइडल आर्टरी लिगेशन), स्टेपलर, लेजर जैसी मशीनों के अलावा एनल फिस्ट्यूला के इलाज की नई तकनीकों में वीएएएफटी (वीडियो असिस्टेड एनल फिस्ट्यूला ट्रीटमेंट), लिफ्ट (लिगेशन इफ इंटरस्फिंटेरिक फिस्ट्यूला ट्रैक्ट), फिस्ट्यूलोस्कोप जैसी मशीनों को स्थापित किया. इस तरह उत्तर भारत में पहली बार केजीएमयू में मलाशय और गुदा रोगों का अत्याधुनिक इलाज एक छत के नीचे शुरू हुआ.

फरवरी 2024 में पिता नजर अहमद के देहांत के बाद डॉ. अरशद ने केजीएमयू से इस्तीफा देकर पुश्तैनी नजर अस्पताल की जिम्मेदारी संभाल ली. यहां भी उन्होंने इन रोगों के इलाज की सारी आधुनिक तकनीकें एक जगह स्थापित कर गरीब मरीजों का नि:शुल्क इलाज शुरू किया. वे 10,000 से ज्यादा सर्जरी कर चुके हैं और यह सिलसिला जारी है.

नवाचार 
मलाशय और गुदा रोगों की सर्जरी को बेहतर बनाने के लिए डॉ. अरशद ने आइआइटी कानपुर के सहयोग से दो प्रोक्टोस्कोप, ''मल्टीपरपज प्रोक्टोस्कोप-हिंग टाइप'' और ''मल्टीपरपज प्रोक्टोस्कोप "नेस्टेड टाइप'' तैयार किए हैं. ये अनोखे प्रोक्टोस्कोप सेल्फ रिटेनिंग मैकेनिज्म, सेल्फ इल्यूमिनेशन और एडजस्टेबल डायमीटर जैसी तकनीक से लैस हैं. इन दोनों प्रोक्टोस्कोप को पेटेंट हासिल हो चुका है.

गोरखपुर के रहने वाले मरीज सत्यवान मोदलवाल कहते हैं, ''मैं पाइल्स की समस्या से पिछले चार वर्ष से परेशान था. कोई ऐसा डॉक्टर या पद्धति नहीं थी जिसे न आजमाया हो. फरवरी में डॉ. अरशद से मिला. मेरी सर्जरी हुई. कुछ ही दिनों में बीमारी दूर हो गई. आज मैं संतुष्ट और आत्मविश्वास से भरा हुआ हूं.''

Advertisement
Advertisement