बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने हाल ही एक ऑनलाइन बैठक के दौरान पार्टी की बंगाल इकाई के नेताओं को आगाह किया कि वे उनकी (बंसल की) कुख्यात छवि को ध्यान में रखें. प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे बंसल ने 26 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से शुरू किए गए सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाने में सुस्ती दिखाने पर अपने सहयोगियों को कड़ी फटकार लगाई.
दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व ने एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और 7 नवंबर तक केवल 4,50,000 लोगों ने ही सदस्यता ग्रहण करने की प्रक्रिया पूरी की. इसमें भी बड़ी संख्या ऐसे नेताओं/सदस्यों की है जिन्होंने अपनी सदस्यता का नवीनीकरण कराया है. इस पर बंसल का गुस्सा जिला अध्यक्षों पर फूटा और उन्होंने उन्हें खराब प्रदर्शन जारी रखने पर पद से हटाने की धमकी तक दे डाली.
बताते हैं बंसल ने कहा, "मैं उत्तर प्रदेश में लोगों को बेरहमी से हटाने के लिए कुख्यात था. अगर मुझे नतीजे नहीं दिखे तो यहां भी ऐसा ही करूंगा. दिल्ली में किसी भाईसाहब की कोई सिफारिश काम नहीं आएगी." यह संभवत: पहली बार है कि शांत स्वभाव वाले बंसल ने बंगाल के अपने साथियों को इतनी कड़ी फटकार लगाई है. इससे पता चलता है कि बंगाल को लेकर बीजेपी नेता भले कुछ भी दावे करते रहे हों, पार्टी संगठनात्मक स्तर पर कमजोर हो रही है. खासकर लोकसभा चुनाव के बाद, जिसमें उसकी सीटें 2019 में मिली 18 सीटों की तुलना में घटकर 12 ही रह गईं.
सूत्रों के मुताबिक, सदस्यता अभियान पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा को 15 नवंबर से आगे बढ़ा दिया गया. बंसल ने जब से राज्य के नेताओं को टास्क दिया, कुछ सुधार भी नजर आए हैं. हालांकि, उन्हें बहुत प्रभावशाली नहीं कहा जा सकता. 17 नवंबर तक लगभग 10.5 लाख लोगों ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
यह आंकड़ा 7 नवंबर की सूची में करीब छह लाख की वृद्धि दिखाता है. इसमें मौजूदा सदस्यों का नवीनीकरण भी शामिल है. 70,000 सदस्यों के साथ दक्षिणी दिनाजपुर संगठनात्मक जिला सूची में सबसे ऊपर है, जो राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का गृह जिला है. इसके बाद नादिया दक्षिण, नादिया उत्तर, तामलुक और बोंगांव का नंबर है. विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के जिले तामलुक में करीब 40,000 सदस्य बने हैं. सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले पांच जिले दार्जिलिंग, बांकुड़ा, डायमंड हार्बर, बशीरहाट और जंगीपुर रहे.
इस पर राज्य के एक नेता ने सवाल उठाया, ''हम समझते हैं कि मुस्लिम बहुल आबादी वाले मुर्शिदाबाद या जंगीपुर और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी के गढ़ डायमंड हार्बर में यह काम मुश्किल होगा. लेकिन बांकुड़ा और दार्जिलिंग का क्या?'' बांकुड़ा से बीजेपी सांसद (2019-2024) सुभाष सरकार को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया और दार्जिलिंग का प्रतिनिधित्व अभी बीजेपी के राजू बिस्टा कर रहे हैं. अगर व्यक्तिगत क्षमता की बात करें तो बतौर सांसद मजूमदार और बतौर विधायक अधिकारी ने अधिकतम सदस्य संख्या जोड़ी है.
बंसल ने यह फटकार उस बैठक में लगाई जिसमें प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार, महासचिव (संगठन) अमिताभ चक्रवर्ती, सदस्यता अभियान प्रभारी राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य और कई राज्य पदाधिकारी मौजूद थे. बंसल की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर भट्टाचार्य ने कहा, "अभियान अपनी गति से आगे बढ़ रहा है. छोटी-मोटी बाधाएं हैं, जिन्हें दूर कर लिया जाएगा."
पार्टी के वरिष्ठ नेता भट्टाचार्य का पुराने नेता-कार्यकर्ता बहुत सम्मान करते हैं. कइयों का कहना है कि पुराने वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की जा रही है, जिसकी वजह से ही पार्टी का आधार कमजोर हुआ है. एक सूत्र के मुताबिक, "जब समिक दा ने उनसे फिर से सक्रिय होने का अनुरोध किया तो हमने लोगों को रोते देखा. नए लोग उन्हें नजरअंदाज करते रहे हैं. वे सत्ता का आनंद तो लेते हैं लेकिन उनमें पुराने दिग्गजों जैसा समर्पण भाव नहीं. समिक दा के अभियान की कमान संभालने के बाद हमें उम्मीद है कि ये लोग फिर सक्रिय होंगे." समय तेजी से बीतने के साथ दिग्गज नेताओं के कंधे पर बीजेपी की साख बचाने और सदस्य संख्या को निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है.
अच्छे नहीं संकेत
> पश्चिम बंगाल में बीजेपी सदस्यता अभियान का लक्ष्य एक करोड़ है. 17 नवंबर तक 10.50 लाख लोगों ने सदस्यता ली
> नवंबर के शुरू में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने राज्य नेतृत्व को चेताया कि अगर सदस्यता अभियान इसी तरह फीका रहा तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी
> राजनीति के जानकारों का कहना है कि सदस्यता अभियान में सुस्ती बंगाल बीजेपी के संगठनात्मक बिखराव का संकेत है
- अर्कमय दत्ता मजूमदार