पिछले साल 18 दिसंबर की घटना है. लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के एंडोक्राइन सर्जरी के ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर मरीजों के ऑपरेशन में मसरूफ थे. दोपहर करीब एक बजे ओटी के मॉनिटर में स्पार्किंग से आग लग गई. ओटी में धुआं भरने लगा तो पीलीभीत की तैयबा की सर्जरी बीच में ही रोककर आनन-फानन में दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा. इस बीच तैयबा की मौत हो गई. इसी दौरान बगल में सीबीटीएस की ओटी में भी धुआं भर गया. गाजीपुर की रहने वाली नेहा के बच्चे की दिल की सर्जरी चल रही थी.
ऑपरेशन बीच में छोड़ दूसरी जगह शिफ्ट करने के प्रयास में बच्चे की भी मौत हो गई. पीजीआइ जैसे प्रदेश के सबसे सुरक्षित अस्पताल में आग से दो मरीजों की मौत ने सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे. देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री ब्रजेश पाठक समेत अन्य अधिकारियों की बैठक बुलाई. बाद में पाठक ने सभी मेडिकल कॉलेजों, सरकारी अस्पतालों और ऑपरेशन थिएटरों का फायर सेफ्टी ऑडिट करने के आदेश जारी कर दिए.
सेफ्टी ऑडिट का आदेश जारी कर आगे की कार्रवाई भूल जाने के सबब ने झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में नवजातों को मौत के मुंह में ढकेल दिया. मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एनआइसीयू) में 55 नवजात भर्ती थे. 15 नवंबर की रात पौने ग्यारह बजे तीमारदारों ने वार्ड से धुआं निकलते देखा. उन्होंने शोर मचाया लेकिन जब तक लोग समझ पाते, आग की लपटें उठने लगीं. दरवाजे पर आग की लपटें होने की वजह से नवजातों को बाहर नहीं निकाला जा सका. दमकल की गाड़ियों के पहुंचने पर काफी मशक्कत के बाद शिशुओं को बाहर निकाला गया लेकिन तब तक 10 नवजात दुनिया छोड़ चुके थे. बाद में दो और नवजातों ने दम तोड़ दिया. अभी भी कई शिशुओं की हालत गंभीर बनी हुई है.
एनआइसीयू में भर्ती बच्चों का मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी, जिला महिला अस्पताल और निजी अस्पतालों में उपचार चल रहा है. घटना की जानकारी मिलते ही योगी ने पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा पार्थसारथी सेन शर्मा को तुंरत झांसी पहुंचने का निर्देश दिया. आग के कारणों की जांच के लिए योगी ने त्रिस्तरीय जांच कमेटी का गठन भी कर दिया.
शुरुआती जांच में सामने आया है कि झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआइसीयू में उपकरणों के अत्यधिक लोड की वजह से शॉर्ट सर्किट हुआ. इसके बाद आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तक पहुंच गई. एनआइसीयू में आग से पिघल चुके प्लास्टिक के पाइप से ऑक्सीजन के रिसाव के बाद चंद मिनटों में पूरा वार्ड आग के चैंबर में तब्दील हो गया. इस अग्निकांड ने झांसी मेडिकल कॉलेज की जानलेवा लापरवाही पर से भी पर्दा हटा दिया. आग लगने पर न तो एनआइसीयू में लगा फायर अलार्म बजा और न ही अग्निशामक यंत्र काम आए.
जांच में यह भी सामने आया है कि वार्ड में लगे अग्निशामक यंत्र तीन साल पहले ही अपनी उम्र पूरी कर चुके थे. आग में झुलसने से मरीं दो नवजात बेटियों के पिता याकूब के मुताबिक, घटना के एक दिन पहले 14 नवंबर को शाम पांच बजे भी एनआइसीयू में शॉर्ट सर्किट हुआ था, जिसकी जानकारी मौके पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ को दी गई थी. मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया. झांसी में फायर डिपार्टमेंट से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, "मेडिकल कॉलेज के एनआइसीयू में क्षमता से तीन गुना नवजात भर्ती किए गए थे. इस वजह से जीवन रक्षक उपकरणों को लगातार चलाए रखना पड़ रहा था. नियमानुसार इन उपकरणों के लोड को मेंटेन करने के लिए एक क्रम में कुछ उपकरणों को बंद करना पड़ता है. लेकिन ऐसा न करने से शॉर्ट सर्किट हुआ."
यह कोई पहला वाकया नहीं जब शॉर्ट सर्किट ने अस्पतालों को आग के हवाले किया हो. बीते एक साल में यूपी के सरकारी अस्पतालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात एक अधिकारी बताते हैं, "अस्पतालों में लगातार मशीनों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन इन मशीनों से बढ़ने वाले लोड के अनुरूप बिजली की वायरिंग को नहीं बदला जा रहा. यही वजह है कि अस्पताल शॉर्ट सर्किट की वजह से आग की चपेट में आ रहे हैं."
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के इंतजामों पर सवाल फरवरी में हुए फायर ऑडिट में भी उठे थे. इनमें एनआइसीयू और अन्य वार्ड के सुरक्षा इंतजाम भी दुरुस्त नहीं पाए गए थे. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. एन.एस. सेंगर बताते हैं, "फायर ऑडिट में मिली खामियों को दूर करने के लिए एक करोड़ रुपए का प्रस्ताव शासन को भेजा था. मिले 46 लाख रुपयों में से बिजली की खामियों को दूर कराया गया और 126 अग्निशामक यंत्र रीफिल कराए गए थे."
उप-मुख्यमंत्री पाठक ने साल भर के भीतर दूसरी बार प्रदेश के सभी अस्पतालों का फायर सेफ्टी ऑडिट करने का आदेश दिया. पाठक के पिछले वर्ष दिसंबर में दिए गए ऐसे ही आदेश का मखौल राजधानी लखनऊ में ही उड़ रहा है. लखनऊ में सरकारी और निजी मिलाकर कुल 906 अस्पताल पंजीकृत हैं. इनमें से केवल 301 के पास ही फायर एनओसी है.
लखनऊ के चीफ फायर ऑफिसर मंगेश कुमार बताते हैं, "जनवरी से लेकर अब तक 80 अस्पतालों को नोटिस जारी कर आग से बचाव बंदोबस्त दुरुस्त करने की मोहलत दी गई है. तय समय सीमा के भीतर सुधार न करने पर जिम्मेदार अथॉरिटी को अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने को पत्र लिखा जाएगा." अयोध्या के अस्पतालों में भी आग से बचाव के इंतजाम पानी मांग रहे हैं.
यहां के जिला अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम तो बनकर तैयार है लेकिन यह किसी काम का नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि कार्यदायी संस्था ने फायर फाइटिंग सिस्टम को अभी तक स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर ही नहीं किया. स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्ति अपर निदेशक डॉ. आर.बी. कुमार बताते हैं, "अग्नि शमन विभाग किसी भी संस्थान पर कड़ी कार्रवाई करने की बजाए केवल नोटिस जारी कर अपना पल्ला झाड़ लेता है. यही वजह है कि आग की घटनाएं नहीं थम नहीं रहीं." फिलहाल झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद एक बार फिर फायर ऑडिट का अलार्म बजाकर रस्मअदायगी की जा रही है.
कागजी घोषणाओं से नहीं थम रहे हादसे
> जिला अस्पताल, नोएडा: सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल में 21 मई की रात तीन बजे सर्वर रूम में यूपीएस की बैटरी फटने से भीषण आग लग गई
> सिविल अस्पताल, लखनऊ: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल की पहली मंजिल पर मौजूद पैथोलॉजी में 2 जनवरी को आग लगने से भगदड़ मच गई
> एसजीपीजीआइ, लखनऊ: संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के ऑपरेशन थिएटर में 18 दिसंबर, 2023 को शॉर्ट सर्किट के बाद आग लग गई. आग की चपेट में आने से दो लोगों को जान गंवानी पड़ी
> कैंसर संस्थान, लखनऊ: चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के दूसरे तल पर मौजूद सर्वर रूम में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई
> जिला महिला अस्पताल, बरेली: जिला महिला अस्पताल, बरेली की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में 28 नवंबर, 2023 को शॉर्ट सर्किट से आग लगने से वार्ड में भर्ती 11 बच्चे फंस गए. इनमें एक की मौत हो गई
> हृदय रोग संस्थान, कानपुर: लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान, कानपुर में 4 अगस्त 2023 को एसी के आउटडोर यूनिट में आग लगने से हाइ डिपेंडेंसी वार्ड (एचडीयू) में आग लग गई.
> ट्रॉमा सेंटर, लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल में 8 अप्रैल 2020 को मेडिसिन और ऑर्थो विभाग की गैलरी में रखे कबाड़ में आग लग गई थी
> केजीएमयू, लखनऊ: केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में 15 जुलाई, 2017 की शाम सात बजे दूसरे तल पर आपदा प्रबंधन वार्ड के स्टोर में आग लग गई. तीसरे तल तक फैली. पांच मरीजों की मौत