scorecardresearch

कर्नाटक : वक्फ की जमीन पर कैसे फंस गई कांग्रेस?

सूर्या ने 7 नवंबर को कर्नाटक के वक्फ मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान की ओर से पिछले कुछ महीनों में विभिन्न जिलों में आयोजित वक्फ अदालतों की ओर इशारा किया

विजयपुरा में विरोध प्रदर्शन के दौरान माखनपुरा गुरुपीता के सोमेश्वर स्वामीजी और केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे (बाएं)
विजयपुरा में विरोध प्रदर्शन के दौरान माखनपुरा गुरुपीता के सोमेश्वर स्वामीजी और केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे (बाएं)
अपडेटेड 23 नवंबर , 2024

कर्नाटक में 13 नवंबर को संपन्न हुए विधानसभा उपचुनावों के लिए आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच राज्य की कांग्रेस सरकार खुद को एक ऐसे पेचीदा मुद्दे में उलझता हुआ पा रही है जिसकी आंच पूरे देश में महसूस की जा रही है और यह एक विवाद का रूप ले चुका है. राज्य की चन्नपट्टण, शिग्गांव और संडूर विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों के आक्रामक चुनाव अभियानों के बीच एक अन्य घटना ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया.

7 नवंबर को जगदंबिका पाल कर्नाटक आए थे. पाल उस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष हैं जो विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की समीक्षा कर रही है जिसे अगस्त 2024 में संसद में पेश किया गया था. पाल की विजयपुरा जिले की यात्रा बेंगलूरू से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के वहां के दौरे के दो हफ्ते बाद हुई है. सूर्या भी उस जेपीसी के सदस्य हैं. सूर्या ने आरोप लगाया कि उत्तरी कर्नाटक के इस जिले की हजारों एकड़ खेती की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा कर दिया है.

उन्होंने सिद्धरामैया के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह किसानों को नोटिस भेजकर और बिना 'उचित कानूनी प्रक्रिया' के भूमि रिकॉर्ड में दर्ज दाखिल-खारिज में बदलाव करके वक्फ के दावे जुड़वा रही है. इससे किसानों के लिए इस भूमि का लेन-देन नामुमकिन हो जाएगा.

वक्फ का सीधा-सरल अर्थ है किसी संपत्ति को धर्म के काम के लिए अल्लाह को सौंप देना. यह धार्मिक या कल्याण के लिए समर्पित चल-अचल संपत्ति होती है. 25 अक्तूबर को सूर्या ने कहा कि उन्होंने विजयपुरा के होनावाड गांव के किसानों से मुलाकात की थी जहां की लगभग 1,200 एकड़ खेती लायक जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोका है.

कर्नाटक भाजपा के नेता इसे 'भूमि जेहाद' का नाम देते हैं. उन्होंने सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया और इसकी जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया है. सूर्या ने 7 नवंबर को कर्नाटक के वक्फ मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान की ओर से पिछले कुछ महीनों में विभिन्न जिलों में आयोजित वक्फ अदालतों की ओर इशारा किया. उनका दावा था कि "यह केंद्र सरकार के कानून में संशोधन करने से पहले हजारों एकड़ जमीन वक्फ को हस्तांतरित करने की एक चाल है. हम इसका पर्दाफाश करना चाहते थे." 

भूस्वामियों को वक्फ बोर्ड के नोटिस के मामले में भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के दावे के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

दूसरी ओर खान का कहना है कि ये अदालतें वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण जैसी शिकायतों को हल करने के लिए आयोजित की गई थीं. लेकिन यह बात संज्ञान में आई है कि विजयपुरा जिला के अधिकारियों की ओर से भूल से कुछ नोटिस जारी कर दिए गए थे. 7 अक्तूबर को विजयपुरा में वक्फ अदालत आयोजित किए जाने के बाद जिले में 124 नोटिस जारी किए गए थे.

विजयपुरा जिले के प्रभारी मंत्री एम.बी. पाटील ने भाजपा के इस दावे को खारिज किया है जिसमें होनवाडा गांव में 1,200 एकड़ जमीन के वक्फ का होने का दावा किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस गांव के किसी भी किसान को कोई नोटिस नहीं मिला और यहां की वक्फ संपत्ति, अर्थात कब्रिस्तान और दरगाह, केवल 12 एकड़ में फैली हुई है. हालांकि, पाटील ने माना कि कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया में कुछ भूल जरूर हुई है.

मिसाल के तौर पर एक गलत सर्वे नंबर के कारण 13वीं सदी की वीरशैव-लिंगायत संस्था के विरक्त मठ को नोटिस जारी कर दिया गया. उसी तरह बिना उचित नोटिस जारी किए 41 संपत्तियों के दाखिल-खारिज का रिकॉर्ड हिंदी में दर्ज कर लिया गया. पाटील कहते हैं कि 'किसानों की एक इंच भी जमीन वक्फ में नहीं जाएगी'. इतना ही नहीं, पिछले 50 वर्षों में वक्फ के रूप में पंजीकृत संपत्तियों को सत्यापित करने के लिए एक जिला टास्क फोर्स का गठन किया गया है.

कर्नाटक ने सबसे पहले 1974 में वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण किया और इन्हें अधिसूचित किया. लेकिन रिकॉर्ड में वक्फ स्वामित्व को दर्ज करने की प्रक्रिया अमल में नहीं लाई गई. इस बीच वक्फ के रूप में भूमि और धर्मार्थ अनुदान से संबंधित इनाम उन्मूलन कानूनों और कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम 1974 के तहत भूमि पुनर्वितरण की प्रक्रिया में व्यापक बदलाव हुए और जमीन का मालिकाना हक उसे जोतने वालों को दे दिया गया था.

जमीर अहमद खान के अनुसार, कर्नाटक में वक्फ की 1,12,000 एकड़ जमीन में से लगभग 75,000 एकड़ जमीन इन दो कानूनों के माध्यम से जोतने वालों को सौंप दी गई और एक बड़े हिस्से पर अतिक्रमण हो गया. इसका नतीजा यह हुआ कि वर्तमान में वक्फ बोर्ड केवल 23,860 एकड़ जमीन का प्रबंधन कर रहा है. कुल 47,470 वक्फ संपत्तियों की देखरेख कर्नाटक राज्य औकाफ बोर्ड की ओर से की जा रही है, जो अतिक्रमण का शिकार हो चुकी जमीन पर अपना कब्जा फिर से हासिल करने के लिए कई मुकदमे लड़ रहा है.

मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने 2 नवंबर को सभी वक्फ नोटिस वापस लेने का आदेश दे दिया. जून 2023 में कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद से पांच जिलों में 423 नोटिस जारी किए गए थे. इसके बाद वक्फ के दावों से संबंधित सभी भूमि रिकॉर्ड के दाखिल-खारिज पर रोक लगा दी गई.

सत्तारूढ़ दल ने यह भी साबित करने की कोशिश की कि गलती दरअसल भाजपा के कार्यकाल में हुई थी. 8 नवंबर को एम.बी. पाटील ने कुछ रिकॉर्ड जारी किए जो यह जाहिर करते थे कि कर्नाटक में भाजपा के पिछले दो कार्यकालों के दौरान भूमि रजिस्ट्री में इसी तरह के दाखिल-खारिज नियमित रूप से किए गए थे. इसके अलावा, भाजपा सरकार ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 2021 में जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया था. 

पाटील ने आरोप लगाया कि भाजपा ने यह मुद्दा दो वजहों से उठाया है. उसका पहला लक्ष्य उपचुनाव थे और दूसरा आगामी संसद सत्र के लिए तैयारी जिसमें वक्फ संशोधन विधेयक आएगा. जाहिर है, विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है.

—अजय सुकुमारन

Advertisement
Advertisement