
अक्टूबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश की नई राजधानी परियोजना अमरावती की आधारशिला रखी थी. लेकिन फिर वाइ.एस. जगन मोहन रेड्डी सरकार (2019-24) के कार्यकाल के दौरान इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. अब करीब नौ साल बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने अपनी उसी महत्वाकांक्षी परियोजना को फिर से पटरी पर लाने का ऐलान कर दिया है.
नायडू ने 19 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह जानकारी दी कि आठ मंजिला राजधानी क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (सीआरडीए) कार्यालय का निर्माण फिर शुरू हो गया है. उन्होंने कहा, "नियति बदल चुकी है. पांच साल तक नजरअंदाज किए जाने और उम्मीदों पर कुठाराघात के बाद अब एक बार फिर अमरावती का उत्थान शुरू हो गया है. हम लोगों की राजधानी अब तैयार होगी...आज निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया, और अब यह लगातार आगे बढ़ता जाएगा."
अमरावती के रायपुडी में यह इमारत 70 फीसद से ज्यादा पूरी हो चुकी थी. लेकिन इसके बाद युवजन श्रमिक रायतू कांग्रेस पार्टी (वाइएसआरसीपी) सरकार के दौरान पिछले पांच वर्ष में इस पर कोई काम नहीं हो सका.
प्रस्तावित शहर में प्रमुख परियोजनाओं पर काम जनवरी 2025 तक शुरू हो जाएगा. सीआरडीए को पर्यावरण संबंधी मंजूरी के लिए अलग से एक पर्यावरण और सामाजिक असर के आकलन वाली इकाई स्थापित की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आगे कोई और अड़चन नहीं आएगी. नगर प्रशासन मंत्री पी. नारायण कहते हैं, "फास्ट-ट्रैक मंजूरी जरूरी है. अनुमानित तौर पर 50,000 करोड़ रुपए की परियोजनाएं चल रही हैं, जिनके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और राज्य स्तर पर अलग-अलग मंजूरी की जरूरत पड़ेगी. सीआरडीए में इसके लिए एक समर्पित इकाई इस पूरी प्रक्रिया में देरी से बचाने में कारगर होगी."
फंडिंग को लेकर कोई खास चुनौती नहीं है. राज्य को उम्मीद है कि विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की तरफ से जल्द ही कर्ज को स्वीकृति मिल जाएगी. सभी पुराने टेंडर रद्द किए जा रहे हैं और 24 महीने के भीतर दो चरणों में विकास कार्यों को पूरा करने के लिए मूल्यांकन का काम जारी है. नए हाइ कोर्ट और विधानमंडल भवन के लिए पहले से स्वीकृत डिजाइन को बिना किसी बदलाव के इस्तेमाल करने से इन प्रतिष्ठित इमारतों के तैयार होने में थोड़ा ज्यादा समय (करीब 30 माह) लगने की उम्मीद है.

नायडू यह पक्का करना चाहते हैं कि 2029 के विधानसभा चुनाव से पहले अमरावती का एक बड़ा हिस्सा तैयार हो जाए और यहां काम शुरू हो जाए. जगन सरकार की अब निरस्त हो चुकी 'तीन राजधानियों' वाली योजना से लोगों की बढ़ी उम्मीदों को देखते हुए नायडू ने इसके जवाब में बंदरगाह शहर विशाखापत्तनम को वित्तीय राजधानी के तौर पर विकसित करने का ऐलान किया है. वहीं, कुरनूल में हाइ कोर्ट की एक बेंच और कई उद्योग स्थापित किए जाने की तैयारी है.
जगन ने सभी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित करने के नाम पर विशाखापत्तनम को प्रशासनिक राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और न्यायपालिका को कुरनूल स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन विशाखापत्तनम के रियल एस्टेट कारोबारियों के साथ वाइएसआरसीपी नेताओं के संदिग्ध सौदों की खबरों ने 'समान विकास' के दावे की सारी पोल-पट्टी खोलकर रख दी थी.
नायडू का दावा है, "मेरी सरकार की विजन 2047 योजना का उद्देश्य राज्य का विकास करना है...'420 लोग' (कथित धोखेबाज) इसे नहीं समझ पाएंगे. एक कॉल पर अमरावती क्षेत्र के 29,881 किसान अपनी 34,241 एकड़ जमीन दान करने के लिए आगे आ गए थे." दरअसल, वे अपनी पिछली सरकार (2014-19) के दौरान लोगों के स्वैच्छिक लैंड पूलिंग का हिस्सा बनने का जिक्र कर रहे थे. जब आवासीय और वाणिज्यिक भूखंडों और अन्य सुरक्षा लाभों के बदले में किसानों ने राजधानी शहर के लिए अपनी जमीन दान की थी.
विश्व बैंक और एडीबी ने सैद्धांतिक तौर पर अमरावती के विकास के पहले चरण के लिए 160 करोड़ डॉलर यानी कि 13,600 करोड़ रुपए का फंड देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है. शेष 1,400 करोड़ रुपए का फंड केंद्र की तरफ से दिया जाना है. दूसरे चरण के लिए फंडिंग इस पर निर्भर करेगी कि पहला चरण कितनी जल्दी पूरा होता है.
तो क्या अमरावती और आंध्र प्रदेश का 'नया जन्म' हो रहा है, जैसा कि नायडू का खेमा हमें भरोसा दिलाना चाहता है? विश्लेषकों का मानना है कि यह एक कठिन काम है और तभी संभव हो पाएगा जब वे 17 अक्टूबर को घोषित आर्थिक और औद्योगिक नीति अगले पांच वर्षों के लिए सफलता के साथ लागू कर सकें. इसका लक्ष्य 20 लाख नौकरियां सृजित करना और एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है जो 'न सिर्फ आकृष्ट करे बल्कि वैश्विक ब्रांड बनाने' में भी मददगार हो.
नौकरियां और विकास चुनावी वादे हैं जिन्हें उन्होंने अब तक जारी छह दस्तावेजों के जरिए जाहिर किया है. कागजों पर तो योजनाएं एकदम सही लगती हैं लेकिन कभी 'आंध्र प्रदेश के सीईओ' कहे जाने वाले नायडू को अमरावती की परिकल्पना को धरातल पर उतारने और राज्य को कृषि अर्थव्यवस्था से उद्योग शक्ति में तब्दील करने के लिए अपना मार्केटिंग कौशल दिखाने से आगे भी बहुत कुछ करना होगा.
राजधानी: कुछ कदम
अमरावती के पहले चरण के लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 13,000 करोड़ रु. देने का वादा किया
सारे पुराने टेंडर ठंडे बस्ते में डाले गए. प्रोजेक्ट दो साल में पूरे करने की मंशा वाले नए एस्टीमेट तैयार
जगन की राजधानी की तीन योजनाएं रद्द. विजाग वित्तीय राजधानी और कुरनूल में हाइ कोर्ट की पीठ होगी.