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कश्मीर के बुनियादी ढांचे पर क्यों लग गई है आतंकियों की नजर?

कुछ समय पहले ही कश्मीर में जेड मोड़ टनल पर आतंकी हमला हुआ था

आतंकी हमले के बाद गांदरबल
आतंकी हमले के बाद गांदरबल
अपडेटेड 12 नवंबर , 2024

मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के गगनगिर इलाके में 20 अक्टूबर को शाम ढलते ही आतंकवादियों ने जेड-मोड़ सुरंग निर्माण स्थल से अपने शिविर लौट रहे कामगारों पर गोलीबारी कर दी. इस हमले में छह मजदूरों और एक डॉक्टर की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. मजदूरों में ज्यादातर प्रवासी थे और वे श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर सोनमर्ग और कंगन शहर को जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से अहम इस सुरंग के निर्माण में जुटे हुए थे.

यह राजमार्ग लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के लिए एक अहम आपूर्ति मार्ग है. यह घटना अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद किसी अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना पर पिछले पांच साल में पहला हमला है. यह मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ओर से पहली केंद्रशासित प्रदेश सरकार का नेतृत्व संभालने के ठीक चार दिन बाद हुआ. घायलों को श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया था.

वहां का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, "लोगों ने इस उम्मीद में उत्साह के साथ चुनाव में हिस्सा लिया कि उनकी जिंदगी में सुधार आएगा. हम उस मिशन से पीछे नहीं हटेंगे. हम यहां विकास को रुकने नहीं देंगे. अगर सुरक्षा ग्रिड में कमियां हैं तो हम उन्हें दूर करेंगे. मैंने डीजीपी से बात की और हम सभी बड़ी परियोजनाओं को सलाह देंगे कि वे सुरक्षा के मसले को हल्के में न लें."

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादी घटनाओं को पूरी तरह से खत्म करने का आह्वान किया है और अधिकारियों को पूरे जम्मू-कश्मीर के अहम बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को सुरक्षित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने सुरक्षा में किसी तरह की सेंध को रोकने के लिए परियोजनाओं कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ मिलकर एक बहु-आयामी, फूलप्रूफ तंत्र स्थापित करने पर जोर दिया है. शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े गुट रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है. पाकिस्तान बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते यह गुट अपनी पहचान छिपाता रहा है.

अधिकारियों के मुताबिक, बीते पांच साल के दौरान राज्य में आतंकवादी गतिविधियों में काफी कमी देखी गई है. वहीं छह साल के बाद अब नई सरकार का गठन हुआ है. ऐसे में बुनियादी ढांचा विकास परियोजना पर इस हमले को राज्य में शांति प्रयासों को बेपटरी करने की कोशिश माना जा रहा है.

यह हमला जिस सुरंग को निशाना बनाने के लिए किया गया है, उसका आकार 'जेड' अक्षर की तरह होने की वजह से इसका नाम जेड-मोड़ सुरंग रखा गया है. करीब 6.4 किमी लंबी यह सुरंग जल्द ही चालू होने वाली है. यह जोजिला सुरंग की बड़ी पहल का हिस्सा है जिसे पाकिस्तान के साथ वाली नियंत्रण रेखा और चीन के साथ वाली एलएसी तक सैनिकों के लिए सड़क के जरिए तेज पहुंच प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. 

वर्ष 2020 में लद्दाख में एलएसी के पास चीन के साथ झड़पों और उसके बाद भारतीय क्षेत्र में उसकी घुसपैठ के साथ-साथ बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के मद्देनजर, भारत ने सरहदी इलाके में अपने रक्षा और सैन्य अभियानों को बढ़ाने के लिए प्रमुख पहलकदमियां शुरू करके कोशिशें तेज कर दी हैं.

हालांकि इस हमले से प्रवासी श्रमिकों में डर पैदा हो गया है और उनमें से कई लोग सर्दियों से पहले वहां से निकलने की योजना बना रहे हैं. ठंड के मौसम की वजह से आम तौर पर छह महीने तक निर्माण कार्य स्थगित रहते हैं, इसलिए कामगार वसंत में आते हैं और सर्दियों से पहले अपने घरों को लौट जाते हैं. दशकों तक घाटी में राजमिस्त्री का काम कर चुके बिहार के मास्टर अशरफ कहते हैं, "मैं अपना बकाया पैसा जुटा रहा हूं ताकि जितनी जल्दी हो सके, अपने घर लौट सकूं. हमले की खबर सुनने के बाद मेरा परिवार मुझे वापस लौट आने के लिए कह रहा है."

बडगाम का नदिगाम गांव अपना प्यारा बेटा खोने का शोक मना रहा है. मृतकों में गांव के डॉ. शाहनवाज अहमद डार भी शामिल थे और उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग उनके घर पहुंचे. गुलाम अहमद यह नहीं समझ पा रहे कि निर्दोष श्रमिकों को क्यों मारा गया. वे कहते हैं, "हमारे गांव ने अपना चिराग खो दिया है. उन मजदूरों का आखिर क्या कुसूर था जो अपने परिवारों के लिए कमाने दूर-दूर से आए थे. यह साफ दहशतगर्दी है."

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिंदा बचे लोगों से मिली जानकारी से पता चलता है कि आतंकवादी ज्यादा से ज्यादा नुक्सान पहुंचाना चाहते थे और इसी के चलते राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इसकी जांच का जिम्मा दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीड़ितों का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा, "इस जघन्य कृत्य में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें सख्त जवाब दिया जाएगा." यह खूनखराबा इस बात की याद दिलाता है कि कश्मीर में अमन की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है.

उमर अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर

खतरे में सुरंग

जेड मोड़ सुरंग की लंबाई 6.4 किमी है. यह हर मौसम में एलएसी और एलओसी तक सुरक्षा बलों की पहुंच सुनिश्चित करेगी

निर्माण स्थल पर हमले में छह मजदूरों और एक डॉक्टर की मौत हुई और कई लोग घायल हो गए

नई सरकार चुने जाने के बाद बुनियादी ढांचा परियोजना पर हमला शांति प्रयासों को बेपटरी करने की कोशिश माना जा रहा है

कलीम गीलानी

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