
संपूर्ण क्रांति के जनक जय प्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर 11 अक्तूबर को लखनऊ में एक बार फिर हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. पिछले साल समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ के गोमती नदी के किनारे बने जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर (जेपीएनआईसी) का गेट फांदकर जय प्रकाश की मूर्ति पर माल्यार्पण किया था. इसके बाद जमकर हंगामा हुआ.
प्रशासन ने ऐसी स्थिति से बचने के लिए इस बार जेपीएनआईसी के गेट पर टिन शेड लगवा दिए. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर 10 अक्तूबर को पैतृक गांव सैफई में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में भाग लेकर देर रात लखनऊ लौटे अखिलेश यादव को जैसे ही जेपीएनआईसी के गेट पर टिन शेड लगाए जाने की जानकारी मिली, वे मौके पर पहुंच गए.
उन्होंने अगले दिन 11 अक्तूबर को दोबारा यहां आकर जय प्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की घोषणा की. पिछले वर्ष की घटना से सबक लेते हुए जब अखिलेश यादव सपा कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ जेपीएनआईसी के गेट को फांदकर भीतर प्रवेश कर गए थे, इस बार प्रशासन ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए थे. कड़ी सुरक्षा के बावजूद 11 अक्तूबर को सैकड़ों सपा कार्यकर्ता विक्रमादित्य मार्ग के आसपास सुबह से ही जुट गए थे.
सुबह करीब साढ़े दस बजे लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त अमित वर्मा अखिलेश से मिलने आवास के अंदर गए. इसके बाद खुली जीप में जेपी की प्रतिमा रखकर उसे सपा अध्यक्ष के आवास से बाहर लाया गया. करीब 11 बजे अखिलेश यादव आवास से निकले और जीप को अस्थाई मंच का रूप दे दिया गया. उस पर चढ़कर अखिलेश ने जेपी को श्रद्धांजलि दी.
जेपी की जयंती के जरिए अखिलेश यादव ने राजनैतिक तीर छोड़े. श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा कि बहुत से समाजवादी लोग सरकार चला रहे हैं. नितीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री) जेपी आंदोलन से निकले हैं. यह उनके लिए मौका है कि ऐसी सरकार जो समाजवादियों को लोकनायक की जयंती के दिन याद करने नहीं दे रही है, उससे समर्थन वापस ले लें.
अखिलेश ने कहा, "भाजपा जेपीएनआईसी में बिच्छु होने की बात कहकर हमे रोक रही है, सच तो यह है कि उसकी सरकार में ही कई बिच्छु हैं.'' भाषण के अंत में अखिलेश यादव ने यह एलान किया कि जब सुरक्षा घेरा हटेगा तब वे जेपीएनआइसी जाकर जेपी को श्रद्धांजलि देंगे.
लखनऊ में जेपीएनआईसी, जो पिछले 10 वर्षों से निर्माणाधीन है, एक बार फिर सपा और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के बीच टकराव का केंद्र बन गया है. लखनऊ के गोमती नगर में 18 एकड़ के भूखंड में फैला जेपीएनआईसी, पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी. इस मल्टी-फंक्शनल सेंटर का निर्माण 2013 में शुरू किया गया.
इसके निर्माण का जिम्मा रियल एस्टेट कंपनी शालीमार ग्रुप के संजय सेठ को मिला था. संजय सेठ को बाद में सपा ने अपना राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया और नजदीकियां बढ़ने पर राज्यसभा भेजा था. बाद में संजय सेठ भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने भी संजय सेठ को राज्यसभा भेजा. इस तरह संजय सेठ तो तरक्की करते गए लेकिन इनकी कंपनी की निर्मित परियोजना बदहाली के गर्त में डूबती चली गई.
जेपीएनआईसी परियोजना की शुरुआती अनुमानित लागत 265 करोड़ रुपए थी जो 2017 तक बढ़कर 864 करोड़ रुपए हो गई थी. इसी बीच 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले 11 अक्तूबर, 2016 को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने परियोजना के एक हिस्से का उद्घाटन किया था. इस प्रोजेक्ट के लिए 2017 तक 865 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं लेकिन इसकी लागत अब 1,015 करोड़ रुपए पहुंच गई है.
योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन आवास राज्य मंत्री सुरेश पासी ने जेपीएनआइसी में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. पर इस आरोप पर कोई कार्रवाई न होने से कई तरह के सियासी पहलुओं को बल मिल रहा है. वर्ष 2019 में परियोजना की नोडल एजेंसी लखनऊ विकास प्राधिकरण ने संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भेजते वक्त 995 करोड़ रुपए मांगे थे. तब शासन ने 40 करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया था लेकिन यह जरूरी 150 करोड़ रुपए से काफी कम था.
सपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश महासचिव जय शंकर पांडेय बताते हैं, ''जेपीएनआइसी को लेकर भाजपा सरकार राजनैतिक द्वेष की भावना से काम कर रही है.'' एलडीए अफसरों ने जेपीएनआइसी परिसर में संचालित म्यूजियम ब्लॉक को पूरी तरह से शुरू करने के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद 10 करोड़ रुपए की मांग की थी. इस म्यूजियम को 2016 को तत्कालीन सपा सरकार ने शुरू करा दिया था लेकिन यह बीते छह साल से बंद है.

इसे दोबारा खोलने के लिए बड़े बजट की दरकार है. एलडीए के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, जेपीएनआइसी के लिए अधिक धनराशि देने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास लंबित है. एलडीए ने 2022 में जेपीएनआइसी को लीज पर देने का फैसला किया था. उस वक्त पीपीपी मोड में इसे चलाने के लिए करीब 100 करोड़ रुपए खर्च का आकलन किया गया लेकिन सरकार ने अभी तक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है.
देखरेख के अभाव में जेपीएनआईसी की इमारत खंडहर में तब्दील हो रही है. मुख्य द्वार पर लगी फॉल्स सीलिंग और लाइटें टूट गई है. स्वीमिंग पूल के चारों ओर रैंप पर विदेशी लकड़ियां लगाई गई थीं, जो गायब हो चुकी हैं. लोहे के पोल जंग खा रहे है. गेस्ट हाउस में लगी फोम की चेयर गायब है. मुख्य भवन में लगे एसी, लिफ्ट, एक्सीलेटर आदि बिना चले ही बेकार हो रहे हैं. एलडीए के एक अधिकारी बताते हैं, ''जेपीएनआइसी के मेंटेनेंस पर सालाना 70 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. एलडीए के पास इस मद में कोई प्रावधान नहीं है.''
जेपीएनआईसी सपा सरकार में शुरू हुआ इकलौता प्रोजेक्ट नहीं है जो अधूरा पड़ा हो. लखनऊ, कन्नौज, सैफई में एक दर्जन से अधिक योजनाएं पूरी होने की बाट जोह रही हैं (देखें: बॉक्स). लखनऊ में जेपीएनआइसी के करीब ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा गोमती रिवर फ्रंट भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर कर भाजपा सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया है. प्रोजेक्ट की सीबीआई जांच साढ़े छह साल से चल रही है.
उत्तर प्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य और लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सुधीर पंवार कहते हैं, ''अन्य कई विकास योजनाओं की तरह लखनऊ का गोमती रिवर फ्रंट भी राजनीति का शिकार हुआ है. अगर रिवर फ्रंट में कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो जांच एजेसिंयों के लिए जांच पूरी करने की समयसीमा तय की जानी चाहिए. जांच में देरी से यह संकेत मिलता है कि सरकार इस प्रोजेक्ट को केवल मुद्दा बनाए रखने के लिए लटकाना चाहती है.''
इटावा में अखिलेश यादव का पैतृक गांव सैफई पिछले सात वर्षों से अधूरी विकास योजनाओं के 'डंपिंग ग्राउंड' में तब्दील हो गया है. इन योजनाओं में सैफई में बना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, ऑल वेदर स्विमिंग पूल, सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल जैसे बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं. सैफई निवासी और आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव कहते हैं, ''सबका साथ-सबका विकास का नारा देने वाली प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सैफई में जनता के पैसे से बनी विकास योजनाओं को बंद करके अपनी असलियत जाहिर कर दी है.''
सैफई में विकास योजनाओं में भेदभाव करने के आरोपों पर इटावा से पूर्व भाजपा सांसद राम शंकर कठेरिया कहते हैं, ''सैफई में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, ऑल वेदर स्विमिंग पूल जैसी कई योजनाओं का कोई औचित्य नहीं था. यह सपा सरकार के दौरान जनता के पैसे की बर्बादी की मिसाल है. सैफई में उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की सेवाओं को दुरुस्त करने का कार्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है.''
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने सैफई में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया था लेकिन वह अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय ने अधिकारियों से इस वर्ष जनवरी में सपा सरकार में शुरू हुई विकास योजनाओं की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी लेकिन इस पर पुख्ता कार्रवाई अभी तक लंबित है.
अनोखा है प्रोजेक्ट
> जेपीएनआईसी का निर्माण कार्य 28 फरवरी, 2014 को शुरू किया गया. इसे अक्तूबर, 2016 में बनकर तैयार हो जाना था लेकिन यह परियोजना अभी भी ठप पड़ी है
> 19 मंजिल की इस इमारत में ओपन एयर रेस्तरां और 19वें फ्लोर पर हेलिपैड भी बनाया गया है. यहां 1200 वाहनों की बहुमंजिला कार पार्किंग भी है
> 18.64 एकड़ क्षेत्रफल में बने जेपीएनआइसी में 107 कमरों वाला सेवेन स्टार गेस्ट हाउस और 1,000 क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हाल भी है
> एक ओलंपिक साइज डाइविंग पूल, एक किड्स पूल, एक लॉन टेनिस लॉन, एक जिम्नेजियम, एक स्पा ऐंड योगा सेंटर के अलावा टेरेस पर ओपन एयर रेस्तरां का भी प्रावधान है
> जेपीएनआइसी में म्यूजियम ब्लॉक के अलावा बेसमेंट में लाइब्रेरी ऐंड रीडिंग रूम की भी व्यवस्था है
'भगीरथ' के इंतजार में अधूरे प्रोजेक्ट
> गोमती रिवर फ्रंट: सपा सरकार के दौरान वर्ष 2014-15 में लखनऊ में गोमती चैनेलाइजेशन प्रोजेक्ट के लिए 1,513 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. मार्च, 2017 तक इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद 60 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो सका था.
> क्रिकेट स्टेडियम: सैफई में 200 करोड़ रुपए की लागत से 45 हजार दर्शकों की क्षमता वाला क्रिकेट स्टेडियम वर्ष 2018 में बनकर तैयार हो गया था. निर्माण के बाद से यह क्रिकेट स्टेडियम बंद पड़ा है.
> गेस्ट हाउस: सैफई में पर्यटन विभाग ने 42 करोड़ रुपए की लागत से एक गेस्ट हाउस का निर्माण 2015 में शुरू कराया था. 2017 में निर्माण कार्य 90 फीसद पूरा हो गया था लेकिन उसके बाद अन्य कार्य लंबित हैं.
> सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल: अखिलेश यादव सरकार ने 2014 में सैफई में 500 बेड का प्रदेश का सबसे बड़ा सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल बनाने का फैसला किया. 6 मार्च, 2024 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसका उद्घाटन किया लेकिन सेवाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं.
> जच्चा-बच्चा अस्पताल: सैफई में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान के तहत 300 बेड वाले जच्चा-बच्चा अस्पताल की नींव 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रखी थी. पैसा पूरा न मिलने से अस्पताल भवन 60 फीसद से आगे नहीं बन सका है.
> ऑल वेदर स्वीमिंग पूल: सैफई में ऑल वेदर स्वीमिंग पूल अक्तूबर, 2016 में बनकर तैयार हो गया था. बिजली कनेक्शन न होने कारण पांच साल तक स्वीमिंग पूल बंद पड़ा रहा. जून 2021 मे राजकीय निर्माण निगम ने स्वीमिंग पूल को खेल विभाग को हस्तांतरित किया है.
> मुगल म्यूजियम: अखिलेश सरकार ने 2015 में आगरा में ताज महल के पूर्वी गेट के पास स्टेट ऑफ द आर्ट प्रोजेक्ट के रूप में मुगल म्यूजियम का निर्माण शुरू कराया था. इस प्रोजेक्ट पर 2016 के अंत में काम बंद हो गया. योगी सरकार ने मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम कर दिया लेकिन यह अभी तक अधूरा ही पड़ा है.
> रोड साइड कैफे: अखिलेश सरकार ने आगरा आने वाले पर्यटकों को विश्व स्तरीय सुविधाएं देने के लिए रोड साइड कैफे की योजना बनाई थी. जमीन विवाद में फंसने के बाद से योजना अधर में लटकी है.
> परफ्यूम पार्क: फ्रांस के ग्रासे शहर की तर्ज पर कन्नौज में परफ्यूम पार्क की आधारशिला अखिलेश यादव सरकार के दौरान 12 अप्रैल, 2016 को रखी गई थी. लोकसभा चुनाव से पहले 3 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका उद्घाटन किया लेकिन व्यवस्थाएं अभी भी अधूरी.