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यूपी : दलित शिक्षक परिवार के हत्याकांड पर कैसे सियासी रोटी सेंक रही हैं पार्टियां?

अमेठी में दलित शिक्षक हत्याकांड के बाद चौतरफा निशाने पर आई योगी सरकार. लोकसभा चुनाव में पासी मतों के बीजेपी से छिटकने का फायदा उठाने में जुटीं दूसरी पार्टियां

लखनऊ में अपने आवास पर सुनील कुमार के परिजनों से मिलते सीएम योगी आदित्यनाथ
लखनऊ में अपने आवास पर सुनील कुमार के परिजनों से मिलते सीएम योगी आदित्यनाथ
अपडेटेड 23 अक्टूबर , 2024

रायबरेली जिले से प्रयागराज जा रहे हाईवे पर पड़ने वाले पहले टोल से करीब 10 किलोमीटर दूर गदागंज क्षेत्र का सुदामापुर और आसपास का इलाका रैदास (दलित) बहुल है. 10,000 से ज्यादा की आबादी में खेतिहर मजदूर और जूते के कारीगरों की संख्या बहुतायत में है. यहां गिनती के लोगों ने सरकारी नौकरी पाकर अपनी पहचान बनाई है. इन्हीं लोगों में से एक 35 वर्षीय सुनील कुमार भी थे.

वे अमेठी की तिलोई तहसील के पन्हौंना स्थित कंपोजिट विद्यालय में सहायक अध्यापक थे. रायबरेली में तेलियाकोट का रहने वाला चंदन वर्मा, सुनील और उनकी पत्नी पूनम को लंबे समय से डरा धमका रहा था. परेशान होकर सुनील डेढ़ साल पहले पत्नी और दो बेटियों के साथ रायबरेली से आकर अमेठी के शिवरतनगंज क्षेत्र के अहोरवा भवानी कस्बे में मुन्ना अवस्थी के मकान में किराए पर रहने लगे थे.

पूनम ने रायबरेली कोतवाली में चंदन के खिलाफ 18 अगस्त को छेड़छाड़ और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. इससे नाराज चंदन ने 4 अक्तूबर को देर शाम अमेठी के घर में घुसकर सुनील कुमार, पत्नी पूनम और उनकी दोनों बेटियों की गोली मारकर हत्या कर दी.

अमेठी में दलित शिक्षक की हत्या की खबर से उत्तर प्रदेश सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे. रायबरेली से कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हत्याकांड को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा. अमेठी से कांग्रेस सांसद किशोरी लाल शर्मा हत्याकांड के कुछ ही घंटे बाद रात में सुनील के पिता रामगोपाल और मां राजवती को ढांढ़स बंधाने सुदामापुर गांव पहुंच गए.

शर्मा ने अपने फोन से रामगोपाल की राहुल गांधी से बात कराई. इसी दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पुलिस अधिकारियों को तलब कर हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ने का आदेश दिया. एसटीएफ ने 4 अक्तूबर की देर रात चंदन को गौतमबुद्ध नगर में यमुना एक्सप्रेसवे पर जेवर टोल प्लाजा के पास गिरफ्तार कर लिया.

दलित शिक्षक परिवार के इस हत्याकांड को विपक्षी पार्टियों ने यूपी की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को घेरने और जातीय समीकरणों के जरिए उसे मात देने के बड़े मौके के रूप में लिया. रायबरेली-प्रयागराज हाईवे पर पहला टोल पार करने के बाद दाईं ओर जाने वाली ऊबड़-खाबड़ सड़क राजनैतिक दलों के नेताओं की गाड़ियों की भीड़ से और कराहने लगी. 4 अक्तूबर को रामगोपाल के बेटे, बहू और दोनों पोतियों के शव पहुंचने से करीब घंटा भर पहले किशोरी लाल शर्मा सुदामापुर पहुंच गए थे.

वे करीब तीन घंटे गांव में ही रहे. इस दौरान बीजेपी, सपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आजाद समाज पार्टी (असपा) समेत कई राजनैतिक दलों के स्थानीय अध्यक्ष सुनील के माता-पिता से अपनी संवेदनाएं प्रकट करने पहुंचे. सपा छोड़कर बीजेपी में आए रायबरेली में ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय और उसके बाद राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उद्यान राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी पीड़ित परिवार से संवेदना प्रकट करने पहुंचे.

शाम पांच बजे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भी सुदामापुर पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की. अगले दिन 5 अक्तूबर को जब गांव में शवों की अंत्येष्टि की तैयारियां चल रही थीं, उसी वक्त मनोज पांडेय सुनील के पिता रामगोपाल, बहन सुनीता, भाभी निशा देवी को साथ लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मिले. योगी ने पीड़ित परिवार को नौकरी, जमीन का पट्टा और आर्थिक मदद का भरोसा दिया.

सुनील कुमार, उनकी पत्नी और दो बेटियों की रंजिश के चलते हत्या कर दी गई

उनके आश्वासन के 36 घंटे के भीतर 6 अक्तूबर को रायबरेली के प्रभारी मंत्री और एमएसएमई विभाग के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान और मनोज पांडेय ने पीड़ित परिवार को 38 लाख रुपए का चेक सौंपा. इसमें अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न सहायता योजना के 33 लाख और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के पांच लाख रुपए शामिल हैं. इन नेताओं ने आर्थिक सहायता को प्रदर्शित करने वाले बड़े प्लास्टिक डमी चेक को लेकर पीड़ित परिवार के साथ फोटो खिंचवाए ताकि इसका स्पष्ट संदेश दूर तक जाए.

रायबरेली में दलित परिवार को सांत्वना देकर राजनैतिक लाभ लेने की मंशा तब विवादों में घिर गई जब नेताओं ने पिता रामगोपाल के हाथों पुत्र सुनील का अंतिम संस्कार न कर पाने पर सवाल खड़े किए. अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के साथ सुदामापुर गांव पहुंचे सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने कहा, ''मनोज पांडेय को पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री से मिलाने की ऐसी क्या जल्दी थी कि पिता अपने बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर पाया. अगर मिलवाना ही था तो अंतिम संस्कार के बाद मिलवा दिया होता. भाजपा सरकार संवेदनहीन है. यह हर काम केवल दिखावे के लिए ही करती है.''

तीन महीने के भीतर यह दूसरा मौका है जब रायबरेली जिला दलित हत्याकांड को लेकर चर्चा में है. रायबरेली के पिछवरिया गांव में 11 अगस्त को नाई (दलित) जाति से ताल्लुक रखने वाले 22 वर्षीय युवक अर्जुन पासी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 20 अगस्त को राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंचकर अर्जुन पासी के परिवारवालों से मुलाकात की थी और दलितों की सुरक्षा पर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था.

राहुल जब रायबरेली पहुंचे थे उन दिनों कोलकाता मेडिकल कॉलेज में रेप का मुद्दा छाया हुआ था. फुर्सतगंज एयरपोर्ट पर मीडिया से राहुल ने कहा था, ''मैं यहां दलितों की लड़ाई लड़ने आया हूं. मैं भटकूंगा नहीं. कोलकाता की घटना पर बाद में बोलूंगा.''

लोकसभा चुनाव के दौरान 'संविधान बचाओ' का नारा देने वाले राहुल गांधी का ही असर था कि विपक्षी इंडिया गठबंधन ने दलितों के मतों में भारी सेंधमारी कर दी थी. दलित वोटों के शिफ्ट होने से पिछले दो लोकसभा चुनाव में आरक्षित सीटों पर एकतरफा प्रदर्शन करने वाली बीजेपी की सीटें घटकर आधी रह गईं. लखनऊ के बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर अजय कुमार बताते हैं, ''जो उम्मीदों पर खरा उतरेगा उसकी ओर ही दलित मतदाता अपना झुकाव दिखाएंगे. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में दलितों से जुड़े मुद्दे राजनैतिक दलों के क्रियाकलापों की धुरी बन गए हैं.''

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा चुनौती पासी (दलित) मतदाताओं के बदले रुख से मिली जो परंपरागत रूप से बीजेपी का मतदाता रहा है. दूसरी तरफ दलित संवाद और दलितों के साथ सहभोज के बाद कांग्रेस ने पासी समाज पर फोकस बढ़ाया है. जाटवों के बाद पासी उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय है, जो राज्य की कुल अनुसूचित जाति की आबादी का लगभग 16 फीसद है और ये कुल 103 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं.

इसे देखते हुए कांग्रेस ने प्रदेश महासचिव सुशील पासी का कद बढ़ाते हुए उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया है. इससे पहले 21 जुलाई को कांग्रेस ने पासी नेता मसूरिया दीन पासी की पुण्यतिथि मनाई, जो संविधान सभा के सदस्य थे और आजादी के बाद विधायक और सांसद चुने गए. मसूरिया 1952 और 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से दो बार सह-निर्वाचित हुए थे.

उन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान लागू किए गए आपराधिक जनजाति कानून को खत्म करने के लिए आंदोलन शुरू करने का श्रेय दिया जाता है. कांग्रेस ने राजधानी लखनऊ के बाहरी इलाके में पासी बहुल इलाके मलिहाबाद में मसूरिया की पुण्यतिथि मनाई.

लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित सपा भी पासी समाज पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने पासी जाति के पांच उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और ये सभी जीतकर सांसद बने थे. इन्हीं में से अयोध्या को समाहित करने वाली फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी को हराकर सांसद बने अवधेश प्रसाद सपा का दलित चेहरा बनकर उभरे हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद 24 जून को नई लोकसभा की कार्यवाही के पहले दिन अखिलेश यादव जब संसद की सीढ़ियां चढ़ रहे थे तो उनके एक हाथ में संविधान था तो दूसरे हाथ में अवधेश प्रसाद का हाथ. लोकसभा की हर कार्यवाही में अखिलेश ने सदन के भीतर अवधेश प्रसाद को अग्रिम पंक्ति में अपनी बगल में ही बिठाए रखा. नौ बार विधायक और छह बार राज्य सरकार में मंत्री रहे प्रसाद को तवज्जो देकर अखिलेश ने बीजेपी का समर्थन करने वाली पासी-दलित जाति को पूरी तरह साइकिल की ओर खींचने की रणनीति अपनाई है.

इसीलिए लोकसभा में उपाध्यक्ष पद के लिए अखिलेश ने प्रसाद का नाम आगे बढ़ाया था. संसद सत्र के बीच में अखिलेश ने उन्हें लोकसभा के अधिष्ठाता मंडल में जगह दिलाकर पासी समाज को सकारात्मक संदेश दिया. सपा के युवा पासी नेता मनोज पासवान बताते हैं, ''भाजपा सरकार में दलितों पर अत्याचार अपने चरम पर है. दलितों की सुरक्षा और न्याय के मुद्दे पर सपा हर संभव लड़ाई लड़ रही है.''

सपा ने सोशल मीडिया पर ''यूपी का अपराधनामा'' नाम से एक वीडियो रोज पोस्ट करना शुरू किया है. इसमें प्रदेश में 24 घंटे के भीतर घटे अपराधों का जिक्र होता है. इसमें भी दलितों पर हुए अपराधों को खास तौर पर इंगित किया जाता है.

बीजेपी ने भी लोकसभा चुनाव के बाद पासी मतदाताओं पर डोरे डालने के हर संभव प्रयास शुरू किए हैं. लखनऊ में 14 जुलाई को पार्टी की राज्य कार्यसमिति की बैठक हुई थी. इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदि का स्वागत करते हुए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि 'शहर के वास्तुशिल्पी भारतीय वास्तुकार' लखन पासी को याद करना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि बैठक पासी राजा का उल्लेख किए बिना अधूरी होगी, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने 10वीं या 11वीं शताब्दी में शासन किया था. पासी मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की भगवा खेमे की कवायद को फैजाबाद की सामान्य सीट से सपा सांसद अवधेश प्रसाद से तगड़ी चुनौती मिल रही है. प्रसाद ने संसद में अपने शपथ समारोह के दौरान लोकप्रिय पासी प्रतीकों बिजली पासी और ऊदा देवी का नाम लिया था.

अब लखन पासी का जिक्र करके बीजेपी ने समुदाय को यह संकेत देने का प्रयास किया है कि वह भी अपने इतिहास और सांस्कृतिक प्रतीकों की परवाह करती है. अवधेश प्रसाद को 'काउंटर' करने के लिए ही बीजेपी ने अवध के वरिष्ठ पासी नेता बाराबंकी के पूर्व सांसद बैद्यनाथ रावत को यूपी अनुसूचित जाति आयोग का चेयरमैन और पूर्व विधायक राम नरेश रावत की पत्नी सरोज रावत को यूपी संगीत नाटक अकादमी का सदस्य बनाया है.

उत्तर प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने का वादा करते हुए, चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने प्रदेश में वंचित समाज सम्मेलन की शुरुआत की है. कौशांबी जिले में 26 सितंबर को ऐसे पहले सम्मेलन में चिराग ने पासी प्रतीकों का जिक्र करते हुए वादा किया कि वे ''उनका खोया हुआ गौरव वापस लाएंगे.''

चिराग ने सपा और बसपा पर पासी समुदाय को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. राजनैतिक विश्लेषक चिराग पासवान के इस कदम को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथी दल बीजेपी के लिए कम से कम मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर प्रस्तावित उपचुनाव में मददगार मान रहे हैं. बीजेपी यह सीट जीतकर अयोध्या को समाहित करने वाली फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार का बदला लेना चाहती है.

यूपी में 10 सीटों पर प्रस्तावित विधानसभा उपचुनाव बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और निर्दलीय जीत हासिल करने वाले नगीना के सांसद चंद्रशेखर के बीच दलित वोटों की जंग का गवाह भी बनेगा. दोनों ही दलों ने बिजनौर लोकसभा की मीरापुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेला है. मायावती ने पहली बार उपचुनाव में विशेष दिलचस्पी लेते हुए मीरापुर सीट से प्रधान शाह नजर को प्रत्याशी बनाया. इसके तीन घंटे बाद ही सांसद चंद्रशेखर ने जाहिद हसन को विधानसभा प्रभारी बना दिया.

राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार के सामने अपनी पार्टी का भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर चंद्रशेखर ने दलित वोटों पर हकदारी को लेकर मायावती के सामने चुनौती पेश करने की कोशिश की है. यूपी में दलित युवाओं को जोड़ने के लिए चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी जिस जोश के साथ हर जिले में सक्रिय हो रही है, उससे निबटने के लिए मायावती के भतीजे आकाश आनंद की उत्तर प्रदेश में वापसी की राह खुल सकती है. फिलहाल आने वाले दिन यूपी में दलित वोटों को लेकर खींचतान वाले ही होंगे.

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