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मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर आते ही संभाली पार्टी की कमान, क्या पूरी कर पाएंगे केजरीवाल की कमी?

अब जब मनीष सिसोदिया बाहर आ गए हैं तो पार्टी ने यह तय किया है कि जब तक केजरीवाल बाहर नहीं आ जाते तब तक दिल्ली में संगठन और प्रचार-प्रसार के काम का नेतृत्व वे करेंगे

जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए. साथ में सुनीता केजरीवाल
जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए. साथ में सुनीता केजरीवाल
अपडेटेड 11 सितंबर , 2024

तकरीबन 17 महीने जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक पदयात्रा शुरू की है. पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज से विधायक सिसोदिया अपनी इस पदयात्रा के माध्यम से दिल्ली के अलग—अलग क्षेत्रों में जा रहे हैं. उन्होंने 16 अगस्त को दिल्ली के कालकाजी क्षेत्र से अपनी पदयात्रा शुरू की और इसके जरिए वे छह महीने के अंदर होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) की संभावनाओं को मजबूत करना चाहते हैं. इस दौरान वे केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार को लेकर आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं. साथ ही वे दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों को भी गिना रहे हैं.

इस पदयात्रा में आप के कार्यकर्ता 'सच की जीत' का पोस्टर लेकर निकले हैं. साथ ही इस यात्रा में यह नारा लग रहा है, 'मनीष सिसोदिया आ गए, अब केजरीवाल भी आएंगे.' इस यात्रा को लेकर आप के दो लक्ष्य बताए जा रहे हैं. पहला यह कि इसके जरिए पार्टी अपनी बातों को लोगों के बीच पहुंचाए. वहीं दूसरी सोच यह है कि इससे सिसोदिया सीधे तौर पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद कर पाएंगे और शीर्ष नेतृत्व की गिरफ्तारी की वजह से संगठन के स्तर पर जो सुस्ती आई है, उसे ठीक कर पाएंगे.

आप के एक नेता ने इस बारे में बताया कि बाकी सब लोग बाद में आए हैं, लेकिन केजरीवाल और सिसोदिया ने पहले दिन से एक-एक कार्यकर्ता को जोड़कर इस पार्टी को खड़ा किया है. वे कहते हैं कि केजरीवाल और सिसोदिया ही ऐसे नेता हैं जो हर विधानसभा के प्रमुख कार्यकर्ताओं को सीधे तौर पर जानते हैं और जब इन दोनों में से कोई एक भी सामने आता है तो कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर हो जाती है.

इस पदयात्रा के दौरान एक जगह सिसोदिया ने अपने कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए कहा, "आज आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत बाहर निकलकर आई है कि वह अपने सबसे कठिन समय में भी टूटी या झुकी नहीं है. पार्टी के हरेक सदस्य ने मिलकर सड़कों पर लड़ाई लड़ी. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है." पार्टी अपने संगठन को चुस्त—दुरुस्त करने को लेकर इसलिए भी सचेत है कि विधानसभा चुनाव के पहले उसे आशंका है कि कुछ और विधायक और प्रमुख नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा सकते हैं.

सिसोदिया के बाहर आने के बाद पार्टी ने सिर्फ पदयात्रा ही नहीं बल्कि और भी कई स्तर पर अभियान चलाने और संगठन को मजबूती देने की योजना बनाई है. पार्टी की योजना है कि वह अपने दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता की मौजूदगी में दिल्ली में सांगठनिक स्तर पर अभी से काम करते हुए छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाए. इसलिए भी पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को फिर से दिल्ली सरकार में मंत्री बनाने के लिए पार्टी ने कोई प्रयास नहीं किया. इस बारे में वे कहते हैं, "मेरी कोई व्यक्तिगत पसंद-नापसंद नहीं है. अरविंद केजरीवाल भी बहुत जल्दी आ रहे हैं. जब वे आ जाएंगे तो मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता तय करेंगे कि मुझे पार्टी के प्रचार-प्रसार का काम देखना है या फिर सरकार में काम करना है."

जब केजरीवाल और सिसोदिया के साथ-साथ पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता संजय सिंह भी जेल में थे तो उस समय केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय हुईं. अब जब सिसोदिया बाहर आ गए हैं तो पार्टी ने यह तय किया है कि जब तक केजरीवाल बाहर नहीं आ जाते तब तक दिल्ली में संगठन और प्रचार-प्रसार के काम का नेतृत्व सिसोदिया करेंगे और हरियाणा में यह जिम्मेदारी सुनीता केजरीवाल के पास होगी. हरियाणा में आने वाले 1 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव हैं और वहां भी आप चुनाव लड़ने जा रही है. दिल्ली और हरियाणा में पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन अभी तक की स्थिति यह है दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव में अलग—अलग मैदान में उतर रही हैं.

हालांकि जब सिसोदिया से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने किसी भी संभावना को खारिज नहीं किया. पार्टी में यह बात भी चल रही है कि आप के जो नेता चाहते हैं कि गठबंधन में चुनाव लड़ा जाए, उनमें सिसोदिया भी शामिल हैं.

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