केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के तौर पर पीयूष गोयल रेड कार्पेट पर चलने के आदी हैं. मगर जैसा कि पार्टी के एक शख्स ने मुस्कराते हुए बताया, "गोयल धूल और मुंबई की उमस भरी गरमी में खाक छानने के लिए मजबूर हैं और उनकी ग्रे मोदी जैकेट पसीने से तर-बतर हो जाती है."
लोकसभा सीट जीतने की अपनी पहली कोशिश में गोयल कांदिवली की एक गली में समर्थकों का अभिवादन कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि वे खुद चुनावी राजनीति की उबड़-खाबड़ राह से जूझ रहे हैं. हालांकि वे तीन बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं और ऐसा नहीं है कि उनके पास चुनावी अभियान के अनुभव की कमी है.
पीयूष ही बताते हैं कि जब वे बच्चे थे तो तीन बार महाराष्ट्र में विधायक रह चुकीं उनकी मां उन्हें चुनाव प्रचार में साथ ले जाती थीं. चुनाव प्रचार में उन्होंने पहला कदम उस वक्त रखा जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने उनसे 1989 में अपने पहले लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली से उनके चुनाव अभियान का प्रबंधन करने को कहा.
गोयल के प्रचार अभियान का रथ एक खुली छत वाली भगवा रंग की वैन है जिसके चारों ओर मोदी के बड़े कट-आउट लगे हुए हैं. रथ पर बैठे गोयल ने माना कि चुनाव प्रचार का उनका पूरा अनुभव ''प्रफुल्लित करने और उत्साह बढ़ाने वाला'' है और 'जमीन से जुड़े' होने के एहसास की वजह से भी यह अलहदा है.
वे कांदिवली से एक घंटे की दूरी पर स्थित सायन में बड़े हुए थे. उनके छुटपन में कांदिवली और उत्तर मुंबई का अधिकांश भाग पत्थरों की खदानों से अटा पड़ा था जिससे इस मैक्सिमम सिटी के निर्माण में तेजी आई. गोयल उत्तर मुंबई लोकसभा क्षेत्र से लड़ रहे हैं. अब बोरीवली की तरह कांदिवली में भी झुग्गियां उग आई हैं जो मध्यवर्ग की गगनचुंबी इमारतों के साथ कंधे से कंधा मिला रही हैं. यही मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की तेज वृद्धि की खासियत है.
ये माटुंगा के डॉन बॉस्को स्कूल के स्वच्छ वातावरण से बहुत दूर हैं, जहां गोयल ने पढ़ाई की थी. उसके बाद उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की और मुंबई यूनिवर्सिटी में चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई की और आखिरकार एक कामयाब निवेश बैंकर बन गए. 1990 के दशक में राजनीति में शामिल होने के बाद गोयल ने दूसरों के प्रचार में मदद की और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने. इस तरह उन्होंने पार्टी कामकाज का अच्छा अनुभव हासिल किया. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया और फिर उन्हें प्रोमोट करते हुए कैबिनेट रैंक में शामिल कर लिया, जहां गोयल रेलवे, कोयला, वित्त और अब वाणिज्य, कपड़ा और उपभोक्ता मामलों सहित कई महकमें संभाल रहे थे.
गगनचुंबी इमारतों से घिरी कांदिवली की सड़कों पर जैसे-जैसे उनकी रथयात्रा आगे बढ़ती है, सबका ध्यान गोयल की ओर खिंचा चला आता है. वे उत्सुकता से अपनी जालीदार खिड़कियों से बाहर झांकती गृहिणियों की ओर खुशी से हाथ हिलाते हैं. स्वागत करने के लिए आए एक बुजुर्ग जोड़े से वे फूल स्वीकार करते हैं. इस बीच वे भाजपा के सहयोगी दलों से मिल रहे समर्थन के बारे में बताने को रुकते हैं.
वे उन लोगों की ओर इशारा करते हैं जिन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के झंडे थाम रखे हैं. एनसीपी के झंडों पर पार्टी का चुनाव चिन्ह घड़ी छपा है तो मनसे के झंडों पर रेल इंजन. उसके बाद गोयल विस्तार से बताते हैं कि जब मुंबई को ठाणे से जोड़ने वाली 6,500 करोड़ रुपए की सुरंग बन जाएगी तो उनके निर्वाचन क्षेत्र की कनेक्टिविटी में काफी सुधार होगा.
वह सुरंग संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नीचे से गुजरेगी और मरीन ड्राइव तक आने-जाने में लगने वाले समय में एक घंटे से ज्यादा की कटौती होगी. वे स्थानीय लोगों को एक धर्मार्थ ट्रस्ट की ओर से 1,000 बिस्तरों वाले अस्पताल के निर्माण के साथ-साथ अपनी ओर से मुहैया की जाने वाली चिकित्सा सुविधाओं के बारे में भी बताते हैं. इससे उन लोगों को आपात स्थिति में मध्य मुंबई जाने की जरूरत नहीं रह जाएगी. बाद में झुग्गीवासियों को संबोधित करते हुए गोयल कहते हैं कि वे पक्का करेंगे कि उन सभी को मोदी की गारंटी योजनाओं के तहत पुनर्विकास योजना के जरिए उसी इलाके में पक्के घर मिलें. उन्होंने जल निकासी के काम को भी पूरा कराने का वादा किया.
उत्तर मुंबई सीट पिछले करीब तीन दशक से भाजपा का गढ़ रही है. लेकिन गोयल को 'बाहरी उम्मीदवार' के ठप्पे के साथ मराठी भाषियों और गैर-मराठियों के बीच भाषाई विभाजन से जूझना पड़ रहा है. उनका मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार भूषण पाटील से है. मौजूदा सांसद और दो बार से यहां जीतते आए गोपाल शेट्टी—जिन्हें इस बार टिकट नहीं मिला—के उलट गोयल के पास कार्यकर्ताओं और स्थानीय मतदाताओं के साथ नजदीकी जुड़ाव का अभाव है.
बोरीवली से विधायक चुने जाने से पहले नगरसेवक और मुंबई के डिप्टी मेयर रह चुके शेट्टी अपने पूरे निर्वाचन क्षेत्र में करीब 10 उद्यान विकसित करने की वजह से समर्थकों के बीच 'गार्डन सम्राट' के नाम से ख्यात हैं. 'त्वरित न्याय' दिलाना भी उनकी पहचान का एक हिस्सा है. वे धाराप्रवाह मराठी, हिंदी, गुजराती और कन्नड़ बोल लेते हैं. यही वजह है कि विभिन्न भाषाएं बोलने वाले यहां के विविध समाज के बीच खासी पकड़ रखते हैं. भाजपा ने देशभर में पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाने वाली उत्तर मुंबई से गोयल को उतारने के लिए शेट्टी का पत्ता काट दिया.
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो शेट्टी नाराज थे कि क्षेत्र में इतना काम और मेहनत करने के बावजूद उन्हें यहां से हटा दिया गया. पर यह नाराजगी गोयल को बिना शर्त समर्थन देने में बाधा न बनी; वे लगातार उनके चुनावी रथ के साथ चल रहे हैं. गोयल का निर्वाचन क्षेत्र विविध सामाजिक पहलुओं को समेटे है—इसमें मुंबई का फेफड़ा कहे जाने वाले सबसे हरे-भरे स्थान संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के बीच आदिवासी बस्तियां हैं तो गोराई और भाटी में कोलीवाड़ा यानी मछुआरों के गांव.
मलाड में शीशों की तरह चमचमाते आईटी हब और कुरार की झुग्गीबस्तियां भी इसका हिस्सा हैं. कांदिवली-पूर्व से भाजपा विधायक अतुल भातखलकर कहते हैं, ''हमारी जीत तय है क्योंकि लोग सिर्फ और सिर्फ मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं.'' भाजपा नेता किशोर जोशी का मानना है कि एक केंद्रीय मंत्री का जीतना उत्तर मुंबई के लिए फायदेमंद ही साबित होगा. ''एक वरिष्ठ नेता के तौर पर वे कई मुद्दों को सुलझाने और निर्वाचन क्षेत्र में नई परियोजनाएं शुरू कराने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सकते हैं.''
हालांकि, भाजपा नेता मानते हैं कि विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) इस चुनावी जंग को मराठी बनाम गैर-मराठी का रंग दे सकती है क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार पाटील मराठी हैं और आगरी समुदाय से आते हैं, जिन्हें कोली और भंडारी जैसे समूहों की तरह मुंबई के मूल निवासियों में से एक माना जाता है. भाजपा के एक नेता कहते हैं, ''हमारे लिए एकमात्र राहत की बात यह है कि कांग्रेस की छवि मराठी समर्थक पार्टी वाली नहीं हैं.''
हालांकि, पूर्व मंत्री और मलाड पश्चिम से कांग्रेस विधायक असलम शेख पाटील की जीत की पूरी संभावनाएं जताते हुए बताते हैं कि कैसे कांग्रेस ने 2004 और 2009 में यह सीट जीती थी. अब कांग्रेस एमवीए के एक घटक के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) का साथ मिलने से मराठी वोट का एक बड़ा हिस्सा पाटील के हिस्से में आने की उम्मीद कर रही है.
दूसरी तरफ, गोयल खुद को कई विवादों में घिरा पाते हैं, खासकर उनके लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कांदिवली स्थित ठाकुर कॉलेज ऑफ साइंस ऐंड कॉमर्स का मामला. वहां मार्च में कथित तौर पर छात्रों को उनके बेटे ध्रुव गोयल का भाषण सुनने को बाध्य किया गया था. छात्रों की आईडी जब्त कर ली गई थी ताकि ध्रुव के भाषण के समय उनकी मौजूदगी पक्की की जा सके.
फिर, अप्रैल में गोयल को मछली की गंध से असुविधा का मामला. बताते हैं, उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र की ग्रामीण बस्तियों में प्रचार के दौरान नाक रूमाल से ढक ली थी. यह रिपोर्ट छापने वाली एक स्थानीय अखबार की पत्रकार नेहा पुरव ने कुछ अज्ञात लोगों की तरफ से धमकी मिलने की शिकायत दर्ज कराई.
बहरहाल, इनमें से कोई भी विवाद उत्तर मुंबई से जीत दर्ज करने के गोयल के भरोसे को डिगा नहीं पाया है. वे तो पूरे आत्मविश्वास के साथ दावा करते हैं कि भाजपा और सहयोगी दल 2019 में एनडीए की 41 सीटों से भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे. वजह? गोयल के मुताबिक, ''हर तरफ मोदी ही छाए हैं, और कोई मुद्दा ही नहीं है. सबसे बड़ी बात है एक भरोसा होना और जब हम कहते हैं 'मोदी है तो मुमकिन है', तो यह बताता है कि वे जो भी कहते हैं, उसे पूरा करते हैं.'' गोयल भले ही दक्षिण मुंबई में पले-बढ़े हों लेकिन 2024 में वे निश्चित रूप से शहर के उत्तरी क्षेत्र के लिए निकल पड़े हैं.