
आंध्र प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्र अनंतपुर के हिंदूपुर में चिलचिलाती गरमी में युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने अपना चुनावी मंच सजा रखा था. वहां 4 मई को पार्टी अध्यक्ष वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने राज्य के विवादास्पद भूमि स्वामित्व अधिनियम, 2023 के संदर्भ में वोटरों से एक भावुक अपील की. उन्होंने अपने बारे में कहा, "आपका बेटा जमीन देने वाला है, जमीन हड़पने वाला नहीं."
दरअसल, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के उनके प्रतिद्वंद्वी चंद्रबाबू नायडू ने इसे 'जमीन हड़पने वाला कानून’ करार दिया है, जिससे इसकी पारदर्शिता को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं. जगन ने कहा, "सत्ता पाने के लिए छटपटा रहे चंद्रबाबू नायडू ऐसे झूठ फैला रहे हैं, उनके बहकावे में न आएं. भूमि स्वामित्व अधिनियम केंद्र सरकार का बनाया एक कानून है जिससे किसानों को अपनी जमीन पर पूरा अधिकार मिलेगा...आपका बेटा सुनिश्चित करेगा कि किसान अपनी जमीन के मालिक बने रहें और उन्हें किसी तरह से परेशानी न झेलनी पड़े."
राज्य की 25 लोकसभा सीटों और 175 विधानसभा सीटों के लिए 13 मई को होने वाले मतदान को लेकर वाईएसआरसीपी और विपक्षी खेमे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच तलवारें खिंची हैं. एनडीए में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के अलावा भाजपा और अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी (जेएसपी) भी शामिल हैं. दोनों पक्ष एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं.
उससे एक शाम पहले, नेल्लोर में एक रैली में टीडीपी सुप्रीमो ने जगन को 'विनाशक और डकैत’ तक करार दे डाला. उन्होंने दावा किया कि चुनाव में वाईएसआरसीपी की हार तय है. उन्होंने कहा, "यह चुनाव धर्म और अधर्म के बीच, विनाश और विकास के बीच है, यह जगन जैसे डकैत और राज्य के पांच करोड़ लोगों के बीच एक लड़ाई है."

वहीं, जगन लगातार दूसरा कार्यकाल पाने की कोशिश में जुटे हैं. उन्हें उम्मीद है कि लाभार्थियों तक 4.2 लाख करोड़ रुपए की लागत वाली राज्य की 38 कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने की वजह से करीब आधे मतदाता तो इस चुनाव में उनका समर्थन करेंगे ही. वहीं, नायडू घोषणा कर चुके हैं कि 74 साल की उम्र में, यह उनका आखिरी चुनाव होगा. वे अपनी भावनात्मक अपील में यह भी कहते हैं कि राज्य को पटरी पर लाने के लिए एक आखिरी मौका चाहते हैं.
वाईएसआरसीपी और टीडीपी में कांटे की टक्कर के बीच जगन की बहन वाई.एस. शार्मिला के नेतृत्व वाली कांग्रेस भी गठबंधन - जिसमें भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) शामिल हैं - के साथ चुनाव मैदान में है. परिवार का गढ़ रही कडप्पा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहीं शर्मिला बुलंद इरादों के साथ जगन को कड़ी चुनौती दे रही हैं. वे इससे खासी खफा हैं कि जगन ने इस सीट पर उनके चचेरे भाई और कडप्पा के मौजूदा सांसद वाई.एस. अविनाश रेड्डी को मैदान में उतारा है.
जो कथित तौर पर उनके चाचा और कडप्पा के पूर्व सांसद वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी (दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और जगन-शर्मिला के पिता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के भाई) की 2019 के चुनावों के दौरान हुई हत्या से जुड़े हैं. हालांकि, हत्या की गुत्थी अभी पूरी तरह सुलझ नहीं पाई है लेकिन जगन ने अविनाश को क्लीनचिट दे दी है. इस मामले में उन्हें तब और बड़ी राहत मिली जब 16 अप्रैल को कडप्पा जिला अदालत ने आदेश दिया कि शर्मिला और टीडीपी के नेता हत्या के मामले को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां नहीं कर सकते. इस तरह, जगन ने कम से कम इस मोर्चे पर तो अपने दो मजबूत दुश्मनों को पटखनी दे दी है.
मगर, एक तरफ जहां जगन कुछ हिस्सों में सत्ता विरोधी लहर को लेकर चिंतित हैं, वहीं नायडू को यह चिंता सता रही है कि कहीं विपक्षी एकता का उनका फैसला उनकी चुनावी संभावनाओं पर भारी न पड़ जाए, क्योंकि भाजपा का एक वर्ग टीडीपी के साथ गठजोड़ के खिलाफ रहा है.
एनडीए की कुछ आशंकाएं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य दिग्गज भाजपा नेताओं की यात्राओं से दूर हो गई होंगी. मोदी ने 6 मई को राजमहेंद्रवरम निर्वाचन क्षेत्र के वेमागिरि में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, "वाईएसआरसीपी सरकार ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करके आंध्र प्रदेश को पंगु बना दिया है. इसके पुनरुद्धार के लिए डबल इंजन विकास (दिल्ली और राज्य दोनों जगह एनडीए की सरकार) की जरूरत है." इस सीट से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी (नायडू की साली) एनडीए उम्मीदवार हैं. मोदी ने राज्य की तीन यात्राएं कीं जो मुख्यत: भाजपा के छह लोकसभा उम्मीदवारों के लिए केंद्रित थीं.
जगन की पैठ
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए जगन ने अपनी प्रचार रणनीति चार महीने पहले ही अपना ली थी. उन्होंने 27 जनवरी को विशाखापट्टनम से सिद्धम (तैयारी) रैली की शुरुआत की और चार विशाल रैलियों के जरिए शुरुआती अभियान को गति देने की कोशिश की.
फिर, अगले चरण में मार्च अंत से शुरू किए गए मेमंथा सिद्धम (हम तैयार हैं) अभियान के तहत 21 दिनों में सभी 26 जिलों की बस यात्रा की. वहीं, एक अनूठी पहल के तौर पर वाईएसआरसीपी ने अपने नागरिक-केंद्रित, कल्याण-उन्मुख शासन को रेखांकित करने के लिए 12 आम नागरिकों को बतौर स्टार प्रचारक मोर्चे पर उतारा. इन लोगों ने बताया कि कैसे उनके परिवारों को उन योजनाओं से लाभ हुआ है, जिन्हें जगन गर्व से नवरत्नालु (नवरत्न) कहते हैं.
जगन ने 2 मई को 'जगन कोसम सिद्धम’ (हम जगन के लिए तैयार हैं) अभियान शुरू किया. इसके तहत 2,50,000 से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं ने 47,000 मतदान केंद्रों तक फैले 1.67 करोड़ घरों में से अधिकांश का दौरा किया और हर व्यक्ति को 2024 के चुनाव को लेकर जगन के वादों यानी चुनाव घोषणापत्र नवरत्नालु प्लस के बारे में बताया. 27 अप्रैल को जारी घोषणापत्र में किसी नई बड़ी योजना की घोषणा के बजाए पुरानी योजनाओं को बढ़े आवंटन के साथ जारी रखने और पेंशन में वृद्धि करने का वादा किया गया है.

अपनी कल्याणकारी योजनाओं के साथ वाईएसआरसीपी ने सभी जाति समूहों को साधने पर ध्यान केंद्रित किया. हैदराबाद स्थित नलसार यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले हरथी वागीशन कहते हैं, "वाईएसआरसीपी ने 2019 के बाद से ही कुशल सोशल इंजीनियरिंग के जरिए अपना सामाजिक आधार तैयार करने पर पूरा ध्यान दिया है. इसकी शुरुआत जगन कैबिनेट में प्रमुख जातियों और समूहों के मंत्रियों को शामिल करने के साथ हुई, जिससे विभिन्न जातियों के कई ताकतवर राजनेताओं का दबदबा घटा है."
जाति का जोर
सियासी दल जाति को नजरअंदाज करना गवारा नहीं कर सकते. जगन की अगुआई में, इस साल की शुरुआत में आंध्र प्रदेश जाति जनगणना कराने वाला देश का दूसरा राज्य था. वैसे, उसके नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. पूर्व की उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक, 4.98 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में 37 फीसद पिछड़ा वर्ग हैं जिनमें 143 जाति समूह आते हैं. सवर्ण कापु जातियां और उससे जुड़े विभिन्न समूह भी अहम हैं जो कुल मिलाकर 16 फीसद हैं. ताकतवर रेड्डी (जगन की जाति) करीब आठ फीसद हैं तो कारोबारी कम्मा जाति करीब छह फीसद. नायडू कम्मा जाति से हैं.
जगन जहां रेड्डी समुदाय का अन्य जातियों के साथ संतुलन बना रहे हैं, तो नायडू और एनडीए कम्मा के वर्चस्व पर निर्भर हैं. अनुमान के मुताबिक, 175 विधानसभा सीटों के लिए वाईएसआरसीपी 49 रेड्डी को मैदान में उतार रही, जबकि 29 को एनडीए गठबंधन. वहीं, एनडीए के पास दौड़ में 35 कम्मा हैं तो वाईएसआरसीपी सूची में नौ कम्मा. उसकी सूची में 22 कापू भी हैं, जो एनडीए के 18 से ज्यादा हैं. इसी तरह, एनडीए के रोस्टर में 39 पिछड़ा वर्ग और तीन मुस्लिम उम्मीदवार हैं तो वाइएसआरसीपी ने उससे अधिक 41 पिछड़ा वर्ग और सात मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है. दोनों पक्षों ने अपने जातिगत समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है.
नायडू के 'आश्वासन’
नायडू ने भी चुनाव अभियान में यात्राओं और कार्यक्रमों की झड़ी लगा दी. उन्होंने सबसे पहले अपने बेटे और टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव नारा लोकेश को 'युवा गालम पदयात्रा’ (युवा आवाज पदयात्रा) पर भेजा, जो 27 जनवरी 2023 को उनके कुप्पम विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुई.
20 दिसंबर को विजयनगरम के नेल्लीमारला में पदयात्रा खत्म होने से पहले लोकेश ने सत्ता विरोधी भावना का लाभ उठाने की गरज से 226 दिनों से ज्यादा लंबी यात्रा के दौरान 97 विधानसभा क्षेत्रों की कुल 3,132 किमी की दूरी नापी.
लोकेश की पदयात्रा खत्म होने से पहले ही नायडू की पत्नी और टीडीपी के संस्थापक एन.टी. रामा राव की तीसरी बेटी नारा भुवनेश्वरी ने 25 अक्तूबर, 2023 को तिरुपति जिले के चंद्रागिरी से 'निजाम गेलावली (सत्य की फतह हो)’ यात्रा शुरू कर दी. मकसद कथित तौर पर नायडू की 'गैरकानूनी गिरफ्तारी बर्दाश्त न कर पाने’ की वजह से मारे गए टीडीपी समर्थकों के परिवारों को ढाढस बंधाना था. भुवनेश्वरी 203 शोक संतप्त परिवारों से मिलीं और उन्हें वित्तीय मदद की पेशकश की.
निजाम गेलावली यात्रा के दौरान भुवनेश्वरी सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों के 95 विधानसभा क्षेत्रों में गईं. इस साल 13 अप्रैल को यात्रा के समापन से पहले उन्होंने विभिन्न तबकों - महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, हथकरघा कामगारों, आदिवासियों, पहली बार के मतदाताओं, दिहाड़ी मजदूरों और मछुआरों - से बातचीत के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए. खुद नायडू ने 6 मार्च को प्रजा गालम (लोगों की आवाज) अभियान छेड़ा.
अलबत्ता नायडू को शुरू में ही एहसास था कि टीडीपी शायद अपने दम पर वाईएसआरसीपी को न हरा पाए, सो उन्होंने भाजपा और जेएसपी से गठबंधन किया. 2024 के लिए नायडू ने सीटों का बड़ा हिस्सा - 144 विधानसभा और 17 लोकसभा सीटें - अपने लिए रखा, जबकि महज 31 विधानसभा और आठ लोकसभा सीटें सहयोगी दलों को दी हैं.
एनडीए की दुश्वारियां
मगर गठबंधन के लिए सब कुछ अच्छा-भला नहीं चल रहा. विश्लेषकों का कहना है कि इसमें तीनों के संगठित प्रयास की कमी है, जिससे निर्वाचन क्षेत्रों के स्तर पर और बूथ प्रबंधन में एनडीए के मंसूबे धरे के धरे रह सकते हैं. आपसी मतभेद भी सामने आ गए जब भाजपा ने 30 अप्रैल को गठबंधन के साझा घोषणापत्र के खिलाफ प्रदर्शन किया. भाजपा चुनाव अभियान में मोदी की फोटो और कटआउट प्रमुखता से नहीं दिखाने के कारण भी नायडू और कल्याण से नाराज है.
तीनों दलों में तालमेल न होने से वोटों का हस्तांतरण दूर की कौड़ी लगता है. वहीं, नायडू ने जहां मुसलमानों को चार फीसद आरक्षण का भरोसा दिलाया, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि भाजपा इसके खिलाफ है - आंध्र के ज्यादातर मुसलमानों के लिए यही वाईएसआरसीपी की ओर जाने का पर्याप्त कारण है.
राज्य में करीब 65 लाख लोगों को हर महीने करीब 2,000 करोड़ रुपए राज्य जनकल्याण पेंशन के तहत बांटे जाते हैं. टीडीपी ने इस सामाजिक सुरक्षा पेंशन का यह कहकर विरोध किया कि इससे मतदाताओं के व्यवहार पर असर पड़ सकता है. यह भी उलटे टीडीपी के ही गले पड़ गया. चुनाव आयोग को आगे आना पड़ा, जिसने लाभार्थियों के बैंक खातों में सरकार की ओर से मई के भुगतान को मंजूरी दे दी. लिहाजा मई के पहले दो दिनों में ही लाभार्थियों को 65.4 लाख पेंशनभोगियों के 1,945 करोड़ रुपए में से 96.67 फीसद रकम का भुगतान कर दिया गया. इसका फायदा निश्चित रूप से वाईएसआरसीपी के खाते में गया.
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि वाईएसआरसीपी और टीडीपी के बीच आमने-सामने की लड़ाई में जगन ने अपनी बढ़त बरकरार रखी है. वागीशन कहते हैं, "जनसंपर्क और कल्याणकारी कार्यक्रमों के जरिए वाईएसआरसीपी के सामाजिक आधार को बढ़ाया गया है, जो गरीबों में टीडीपी के वोटर आधार में से काटकर ही बढ़ा होगा."
वैसे, सत्ता विरोधी रुझान और राजकाज में भ्रष्टाचार की धारणा के चलते वाईएसआरसीपी की संभावनाओं में बट्टा लग सकता है. मगर सामाजिक टिप्पणीकार ए.एम. खान यजदानी कहते हैं, "सत्ता विरोधी भावनाओं के संकेतों के बावजूद जगन ने जरूरतमंदों के लिए योजनाओं को जमीन पर उतारते हुए अपने रेड्डी समुदाय का भरोसा जीता." जाहिर है, यह जगन और नायडू के बीच आर-पार की लड़ाई है.