scorecardresearch

राजस्थान: कांग्रेस के इन धुरंधरों ने लड़ने से पहले ही क्यों डाले हथियार?

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के कई नेता ऐसे हैं जिन्होंने टिकट का फैसला होने से पहले ही पार्टी नेतृत्व को चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया

(बाएं) बृजेंद्र ओला और प्रताप सिंह खाचरियावास
(बाएं) बृजेंद्र ओला और प्रताप सिंह खाचरियावास
अपडेटेड 18 अप्रैल , 2024

जयपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने 21 मार्च, 2024 को एक निजी विश्वविद्यालय के संचालक सुनील शर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा की. घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया के जरिए पूरे देश में यह चर्चा होने लगी कि सुनील शर्मा कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां करने वाले दक्षिणपंथी संगठन 'जयपुर डॉयलॉग्स' से जुड़े हैं.

कांग्रेस नेता शशि थरूर सहित कई नेताओं ने सुनील शर्मा की उम्मीदवारी को लेकर सवाल उठाए. टिकट के दो दिन बाद 23 मार्च को सुनील शर्मा सफाई देने सामने आए और कहा, ''मेरा 'जयपुर डॉयलॉग्स' संगठन से कोई वास्ता नहीं है. जयपुर डॉयलॉग्स की डायरेक्टरशिप से मैं काफी समय पहले ही नाता तोड़ चुका हूं. 'जयपुर डॉयलॉग्स' के यूट्यूब चैनल पर मुझे कभी बुलाया भी गया है तो भी मैंने वहां कांग्रेस पार्टी के दर्शन पर ही बातचीत की है.''

सुनील शर्मा की यह सफाई सामने आने के एक दिन बाद ही 24 मार्च को कांग्रेस ने उनकी जगह पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को जयपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया. हद तो तब हो गई जब प्रताप सिंह ने कहा, ''मैंने तो पहले ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, लेकिन पार्टी और पार्टी के नेताओं का आदेश है इसलिए चुनाव लड़ रहा हूं.''

जयपुर तो बानगी है. राजसमंद और भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्रों में तो कांग्रेस की स्थिति और भी ज्यादा हास्यास्पद हो गई. 25 मार्च को कांग्रेस ने राजस्थान के चार लोकसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों की घोषणा की जिसमें राजसमंद से सुदर्शन सिंह रावत और भीलवाड़ा से दामोदर गुर्जर को उम्मीदवार बनाया गया. राजसमंद उम्मीदवार सुदर्शन रावत दो दिन तक न तो इलाके में पहुंचे और न ही किसी का उनसे कोई संपर्क हो पाया.

27 मार्च को सुदर्शन रावत की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को लिखी एक चिट्ठी सामने आई, जिसमें उन्होंने कहा, ''25 मार्च को मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर मिली कि मुझे राजसमंद से कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है. मेरे लिए यह आश्चर्य की बात थी क्योंकि मैं पिछले एक माह में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को चुनाव लड़ने से कई बार इनकार कर चुका था. मैंने नेतृत्व को यह बता दिया था कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद नैतिक दायित्व नहीं बनता कि मैं चुनाव लड़ूं. मेरी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अपील है कि किसी योग्य उम्मीदवार को मौका दिया जाए.''

यह बयान आते ही कांग्रेस के लिए स्थिति काफी असहज हो गई. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ''सुदर्शन रावत विदेश में थे इसलिए उनसे बात नहीं हो पा रही थी. पार्टी ने तय किया कि वे सबसे मजबूत और बेहतर उम्मीदवार हैं, इसलिए उनके नाम की घोषणा हुई. उन्होंने आग्रह किया है कि उनकी परिस्थिति चुनाव लड़ने की नहीं है, इसलिए पार्टी किसी अन्य योग्य उम्मीदवार का चयन कर ले.''

25 मार्च की सूची में ही भीलवाड़ा से सवाई माधोपुर के गंगापुर कस्बे के निवासी और जयपुर में रहने वाले दामोदर गुर्जर की उम्मीदवारी की घोषणा हुई. गुर्जर को तब उम्मीदवार बनाया गया जब यहां के स्थानीय कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री रामलाल जाट और पूर्व विधायक धीरज गुर्जर ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. दामोदर गुर्जर के बाहरी होने और राजस्थान में एक भी ब्राह्मण चेहरे को टिकट नहीं दिए जाने का मामला उठने लगा तो कांग्रेस ने 29 मार्च को घोषित राजस्थान की आखिरी सूची में दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा की जगह राजसमंद से उम्मीदवार बना दिया और भीलवाड़ा में उनकी जगह पूर्व सांसद डॉ. सी.पी. जोशी के नाम का ऐलान कर दिया. 

दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा से राजसमंद भेजे जाने पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा, ''अब तक कर्मचारियों और अधिकारियों को ही इधर-उधर भेजा जाता रहा है लेकिन, अब कांग्रेस में उम्मीदवारों का भी ट्रांसफर होने लगा है.'' वैसे भी दामोदर गुर्जर को यह अंदेशा नहीं था कि कांग्रेस उन्हें टोंक-सवाई माधोपुर की जगह भीलवाड़ा या राजसमंद से उम्मीदवार बना देगी. 2013 में गुर्जर दौसा विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. 

राजसमंद सीट पर कांग्रेस ने पहली बार बाहरी प्रत्याशी उतारा है. 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत यहां से चुनाव जीते थे जो राजसमंद के निवासी हैं. 2014 में कांग्रेस ने दूसरी बार उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्हें भाजपा के हरिओम सिंह राठौड़ के सामने हार झेलनी पड़ी. 2019 में कांग्रेस ने यहां से गुर्जर नेता देवकीनंदन गुर्जर पर दांव लगाया लेकिन, उन्हें भी भाजपा की दीया कुमारी के सामने साढ़े पांच लाख वोटों से शिकस्त खानी पड़ी. इस बार दामोदर गुर्जर के सामने भाजपा की महिमा विश्वराज सिंह चुनाव मैदान में हैं. महिमा दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ. सी.पी. जोशी को चुनाव हराकर विधायक चुने गए विश्वराज सिंह मेवाड़ की पत्नी हैं.

राजसमंद के साथ ही भीलवाड़ा भी ऐसा क्षेत्र है जहां 2009 के बाद से कांग्रेस चुनाव नहीं जीत पाई है. भीलवाड़ा से 2009 में डॉ. जोशी सांसद चुने गए थे. 2014 में उन्हें भीलवाड़ा की जगह जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया लेकिन, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के सामने उन्हें तीन लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त मिली. इस बार डॉ. जोशी का मुकाबला भाजपा के दामोदर अग्रवाल से होगा. 

उधर, झुंझुनूं से कांग्रेस उम्मीदवार बृजेंद्र ओला ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ''पूर्व मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुझसे पूछा था कि टिकट के लिए किस नेता का नाम लेना है. मैंने तब मना कर दिया था कि मेरा नाम मत लेना. मैंने साफ कहा था कि किसी को भी टिकट दे दीजिए. मैं उसकी मदद कर दूंगा, लेकिन मुझे चुनाव नहीं लड़ना है.''

ओला सचिन पायलट के खास समर्थक माने जाते हैं. ओला पूर्व केंद्रीय मंत्री और शेखावाटी के दिग्गज नेता शीशराम ओला के पुत्र हैं. शीशराम ओला झुंझुनूं से लगातार पांच बार सांसद चुने गए थे और विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से आठ बार विधायक रहे हैं. बृजेंद्र ओला भी झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार विधायक चुने जा चुके हैं. 2009 के बाद से झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है. 2014 में यहां से बृजेंद्र ओला की पत्नी राजबाला को टिकट दिया था जिन्हें भाजपा की संतोष अहलावत के सामने 2 लाख 33 हजार वोटों से शिकस्त मिली. 

कांग्रेस के कई नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने टिकट का फैसला होने से पहले ही पार्टी नेतृत्व को चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, अलवर से पूर्व सांसद भंवर जितेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, पूर्व मंत्री रामलाल जाट जैसे नेताओं के नाम शुमार हैं. राजस्थान में चार माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में हर नेता टिकट के लिए जोर लगा रहा था, लेकिन अब लोकसभा चुनाव में पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.

कांग्रेस की इस स्थिति पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा, ''कांग्रेस को राजस्थान में 25 सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे जिसके कारण मजबूरी में उसे दूसरी पार्टियों के साथ समझौता करना पड़ रहा है. कांग्रेस नेताओं को हार का इतना डर है कि वे चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते.''

लोकसभा चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवारों के ये बयान चुनाव में क्या असर दिखाएंगे यह तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो चुनाव से पहले इस तरह की बयानबाजी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ सकती है.

Advertisement
Advertisement