एक महीने पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के ठीक तीन दिन बाद मोहन यादव ने भोपाल में पुलिस मुख्यालय के अपने दौरे के दौरान एक असमान्य अनुरोध किया था. यहां तक कि जब पुलिस के शीर्ष अफसर अपराध के आंकड़ों और उनकी रोकथाम के लिए उठाए कदमों का ब्यौरा देने में व्यस्त थे, तब यादव ने राज्य पुलिस प्रमुख सुधीर सक्सेना को हर जिले का अपना पुलिस बैंड बनाने का निर्देश दिया. यानी मौजूदा पुलिस बैंड की संख्या को पांच से बढ़ाकर 55 करने का निर्देश दिया.
आखिर इस कदम के पीछे क्या विचार है? सक्सेना बताते हैं, "बैंड लोगों के साथ पुलिस के रिश्ते को और बेहतर बनाने में मदद करते हैं. उनका प्रदर्शन वर्दीधारी सेवाओं के प्रति उत्साह को बढ़ाता है और वे रोजगार के आकर्षक क्षेत्र बन जाते हैं."
मगर इस सोच को हकीकत में तब्दील करना इतना आसान नहीं है. पुलिस बैंड को ग्रेड ए, ग्रेड बी और ग्रेड सी के तहत तीन प्रकारों में बांटा गया है. पहले में 36 म्यूजिशियन (संगीतकार या वादक) होंगे और वे भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में तैनात होंगे. 26 म्यूजिशियन वाले ग्रेड बी पुलिस रेंजों में तैनात किए जाएंगे, जबकि बाकी जिलों को 16 म्यूजिशियन वाले ग्रेड सी बैंड मिलेंगे.
ये बैंड विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) के तहत रखे जाते हैं और इस पुलिस अर्धसैनिक बल ने अपने जवानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं और अब तक इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. आला अधिकारी इसका श्रेय इस बात को देते हैं कि इससे जवानों को जिला मुख्यालयों में तैनाती पाने के अवसर मिलेंगे.
स्पेशलिस्ट ट्रेड कांस्टबलों में से भी भर्ती की मांग की जा रही है और पुलिस मुख्यालय ने बैंड के लिए अतिरिक्त 800 जवानों की भर्ती की अनुमति मांगी है. फिलहाल, 330 प्रशिक्षु भोपाल स्थित राज्य के एकमात्र पुलिस बैंड स्कूल के 90 दिवसीय बूट कैंप में हिस्सा ले रहे हैं.
वरिष्ठ सदस्यों को उनकी महारत बढ़ाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बेंगलुरु स्थित केंद्र में भेजा गया है और वे उसके बाद मास्टर ट्रेनर के रूप में काम करेंगे. इसके पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए पुलिस मुख्यालय पचमढ़ी स्थित सेना के म्यूजिक स्कूल से भी बातचीत कर रहा है.
तो क्या ये पुलिस बैंड रोजाना अपना प्रदर्शन दिखाएंगे? वे औपचारिक समारोहों और परेडों में बजाना जारी रखेंगे. मगर, अब छोटे शहरों के लोग भी स्मार्ट परिधान में पुलिस म्यूजिशियनों को अपना प्रदर्शन करते हुए देखने की उम्मीद कर सकते हैं. पहले पचमढ़ी म्यूजिक स्कूल से जुड़े रहे कर्नल एच.के. दुबे (सेवानिवृत्त) कहते हैं, "परंपरागत तौर पर बैंड न केवल औपचारिक समारोहों में प्रदर्शन करते रहे हैं, बल्कि वे प्रेरक और उत्साहजनक भी होते हैं."
मगर कुछ लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्र कहते हैं, "सरकार का मुख्य कार्य कानून एवं व्यवस्था बहाल रखना है और म्यूजिक की बजाए वही इसकी प्राथमिकता होनी चाहिए." मगर कानून के रखवालों का काम सद्भाव कायम करना भी है, और ये बैंड उसमें मदद कर सकते हैं.