भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कुल 18 सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया था. 3 दिसंबर को जब नतीजे आए तो भाजपा की रणनीति कामयाब होती दिखी जब इन 18 उम्मीदवारों में से 12 ने जीत हासिल की.
इसी रणनीति ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के कई मौजूदा सांसदों और योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है. भाजपा ने प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है.
पार्टी लगातार औपचारिक और अनौपचारिक दोनों मंचों से जिताऊ उम्मीदवारों पर ही दांव लगाने का संकेत दे रही है. हालांकि भाजपा नेतृत्व ने अभी तक टिकट वितरण के मापदंड तय नहीं किए हैं, लेकिन वह निश्चित रूप से ऐसे उम्मीदवारों का चयन करेगी जो राज्य से 80 सीटों के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकें. भाजपा योगी सरकार के कई मंत्रियों के नामों पर मंथन कर रही है जिन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है.
अयोध्या में साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य वी.एन. अरोड़ा बताते हैं, ''पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली भाजपा अब यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में खुलकर प्रयोग कर सकेगी.'' योगी सरकार में पशुपालन मंत्री धर्मपाल एक समय यूपी भाजपा अध्यक्ष बनने की दौड़ में थे और अब वे आंवला लोकसभा सीट पर एक बड़े दावेदार के रूप में सामने आए हैं. भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप 2014 से यहां से सांसद हैं. 2009 में मेनका गांधी ने यहां से जीत हासिल की थी. पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी लगातार अपनी ही पार्टी को निशाने पर लिए हुए हैं. पार्टी से बिगड़े रिश्तों के कारण वरुण को भी पीलीभीत से टिकट मिलने पर संशय है. ऐसे में अगर पार्टी मौजूदा सांसद वरुण गांधी को बदलने का फैसला करती है तो योगी सरकार के मंत्रियों में बलदेव सिंह औलख या संजय गंगवार को यहां से उतारा जा सकता है.
लोक निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. उनकी पहली पसंद गृह क्षेत्र धौरहरा है. वर्तमान में भाजपा की कुर्मी नेता रेखा वर्मा धौरहरा से सांसद हैं. अगर केंद्रीय भाजपा नेतृत्व रेखा वर्मा की उम्मीदवारी में कोई बदलाव नहीं करता है तो जितिन प्रसाद के लिए पीलीभीत या खीरी सीट पर संभावना तलाशी जा सकती है. हालांकि विधानसभा चुनाव में खीरी से सांसद अजय मिश्र टेनी का ब्राह्मणों के बीच जैसा समर्थन दिखा उससे उनके बदले जाने की संभावना कम ही दिखाई दे रही है.
इसी तरह, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य की नजर आगरा लोकसभा क्षेत्र पर है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल कर रहे हैं. अगर बेबी रानी मौर्य को आगरा से टिकट मिला तो बघेल को इटावा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. हालांकि योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की कन्नौज और आसपास के जिलों में सक्रियता से इटावा या अन्य किसी सुरक्षित लोकसभा सीट से उनकी दावेदारी को बल मिल रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बेटे के समाजवादी पार्टी के साथ जाने के बाद से प्रदेश भाजपा के कई बड़े नेता इलाहाबाद से सांसद रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ हो गए हैं. भाजपा के भीतर ऐसी अटकलें हैं कि प्रयागराज से वर्तमान सांसद रीता बहुगुणा जोशी को टिकट नहीं मिलेगा क्योंकि वे 75 साल की हो जाएंगी, जो कि पार्टी की ओर से तय सांसदों के उम्र के दायरे में आ जाएंगी.
योगी सरकार में उद्योग विभाग के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल 'नंदी' अपने गृह क्षेत्र, प्रयागराज से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. इसी तरह गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण की नजर मथुरा पर है. परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह की रुचि बलिया लोकसभा सीट में है. पश्चिम यूपी से आने वाले मंत्री सोमेंद्र तोमर और अनूप बाल्मीकि क्रमश: कैराना और हाथरस से भाजपा टिकट के दावेदार हो सकते हैं. हाल में मथुरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे ने यहां से सांसद हेमा मालिनी की दावेदारी मजबूत की है. 2022 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले श्रीकांत शर्मा ने मथुरा में जनता के बीच अपनी पकड़ दिखा दी थी. श्रीकांत को दिल्ली से सटी किसी लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया जा सकता है. इसी तरह पूर्व मंत्री सतीश द्विवेदी की सिद्धार्थनगर और सुरेश राणा की सहारनपुर लोकसभा सीट पर दावेदारी की चर्चाएं भी तेज हो रही हैं. सुल्तानपुर से वर्तमान सांसद मेनका गांधी का टिकट कटने की दशा में लखनऊ में सरोजनीनगर से विधायक राजेश्वर सिंह को भाजपा उम्मीदवार बनाने पर विचार किया जा सकता है.
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने मौजूदा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड कई स्तरों पर तैयार करा रही है. इसके लिए पहले एक दौर का सर्वेक्षण हो चुका है और दूसरे दौर का जारी है. विवादों में घिरे रहने वाले सांसदों पर पार्टी पैनी निगाह रख रही है. वी.एन. अरोड़ा बताते हैं, ''लगातार 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रहे भाजपा के कई सांसदों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर नाराजगी है. इसकी काट के लिए भी भाजपा यूपी में लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में बड़ा फेरबदल कर सकती है.''
अलीगढ़ से सांसद सतीश गौतम पिछले काफी समय से कई सारे विवादों से घिर चुके हैं. जमीन से जुड़े या अन्य कई विवाद की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय को मिली है. हालांकि सतीश गौतम इन सभी विवादों को राजनैतिक द्वेष की भावना से किया गया कार्य बताते हैं. अगर पार्टी ने इन विवादों को गंभीरता से लिया तो अलीगढ़ लोकसभा सीट से हैट्रिक मारने का गौतम का सपना अधूरा रह सकता है. अलीगढ़ से 'स्लीपवेल मैट्रेस' बनाने वाली देश की प्रतिष्ठित कंपनी शीला फोम्स के मालिक राहुल गौतम एक बड़े दावेदार के रूप में सामने आए हैं. राहुल अलीगढ़ से पूर्व सांसद शीला गौतम के बेटे हैं.
इसके अलावा एटा से भाजपा सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया के दामाद प्रवीण राज सिंह जादौन, उद्यमी राजेश भारद्वाज भी अलीगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार की दौड़ में हैं. इसी तरह नोएडा से वर्तमान सांसद डॉ. महेश शर्मा की दावेदारी को जेवर से भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह, राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय मंत्री सुरेंद्र नागर के अलावा बुलंदशहर की जिला पंचायत अध्यक्ष अंतुल तेवतिया से चुनौती मिल रही है. बुलंदशहर से भाजपा सांसद भोला खटीक को राज्यसभा सांसद और प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष कांता कर्दम, राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम से चुनौती मिल रही है. असल में बुलंदशहर में जाटव-दलित की खासी तादाद होने के चलते पार्टी इसी जाति के उम्मीदवार पर दांव लगाने की योजना बना रही है.
ब्रज और रुहेलखंड इलाका भाजपा के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य सपा से विधान परिषद सदस्य और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. पिता के भाजपा से लगातार खराब होते रिश्तों के चलते संघमित्रा भी पार्टी के भीतर अपने को असहज पा रही हैं. संघमित्रा को बदायूं से भाजपा का टिकट न मिलने पर पार्टी बिल्सी से विधायक हरीश शाक्य पर बदायूं में दांव खेल सकती है.
इसी तरह सांसद देवेंद्र सिंह भोले पिछले दो लोकसभा चुनाव से लगातार अकबरपुर-रनियां सीट से भाजपा उम्मीदवार रूप में जीत रहे हैं. इससे पहले कांग्रेस के राजाराम पाल यहां से सांसद थे. उससे पहले बसपा से अनिल शुक्ल वारसी सांसद चुने गए थे. अनिल शुक्ल भाजपा में आकर एक मौके की तलाश कर रहे हैं. अनिल की पत्नी प्रतिभा शुक्ला चूंकि प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, इस वजह से उन्हें भाजपा से टिकट की उम्मीद कम दिख रही है. इसी बीच विधायक अभिजीत सिंह सांगा सांसद देवेंद्र सिंह भोले के लिए चुनौती बन रहे हैं.
देखना है कि यूपी में भाजपा के लोक सभा टिकट के लिए चल रही खींचतान प्रदेश सरकार के कितने मंत्रियों और पार्टी के विधायकों के लिए मौका लेकर आएगी.