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गुजरात के सोमनाथ में शेरों के लिए बनाया जा रहा नया आशियाना

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'सिंह सूचना' नाम का वेब ऐप जारी किया जो शेरों की जगह और आवाजाही के बारे में रियल टाइम पर सटीक जानकारी देगा

अपने-अपने दावे गुजरात के सौरष्ट्र में टहलता हुआ एक शेर
गुजरात के सोमनाथ में शेरों के लिए एक नया आशियाना बसाने का ऐलान हुआ है
अपडेटेड 29 नवंबर , 2023

गुजरात में एक और वन्यजीव सफारी पार्क के ऐलान के साथ वन्यजीवन पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है. नया सफारी पार्क गिर वन्यजीव अभयारण्य से करीब 50 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के तटीय गांव नलिया-मांडवी में होगा. उना केंद्र शासित प्रदेश दीव के करीब फेमस टूरिस्ट स्पॉट है. कुल 674 से ज्यादा की आबादी में से कुछ शेरों के परिवारों ने उना के जंगलों और को अपना घर बनाया है.

इस इलाके में ज्यादा सैलानियों को लुभाने के लिए राज्य सरकार का ताजा फैसला उसके उस विजन को भी दिखाता है जिसमें वह शेरों की बढ़ती आबादी से थोड़ा-बहुत आर्थिक लाभ हासिल करने में गांव वालों की मदद करना चाहती है. यह सब इंसान और जानवरों के बीच बढ़ते टकरावों के बीच हो रहा है क्योंकि सौराष्ट्र में मानव आबादी में बढ़ोतरी, औद्योगीकरण और शहरीकरण की रफ्तार ने शेरों की तादाद में बढ़ोतरी को पीछे छोड़ दिया है. 

उना का वन्यजीव पार्क करीब 475 एकड़ इलाके में होगा. सासन गिर पार्क और अमरेली में अंबार्डी वन्यजीव पार्क के बाद यह इस इलाके में तीसरा सफारी पार्क होगा. सबसे फेमस सासन पार्क की चौहद्दी के भीतर दिन में केवल 180-190 टूरिस्ट टैक्सियों को जाने की इजाजत है, जबकि नए उना पार्क में 50-60 टैक्सियों को जाने दिया जाएगा. गुजरात के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन नित्यानंद श्रीवास्तव कहते हैं, "इससे सासन का बोझ कम होगा. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की मंजूरी का इंतजार है, जिसके बाद पार्क 2026 तक सैलानियों के लिए तैयार हो सकता है."

दक्षिण सौराष्ट्र हाल के दशकों में बंदरगाह की अगुआई में औद्योगिक विकास के दौर से गुजर रहा है. भावनगर और पोरबंदर के बीच सात बंदरगाह हैं, जिनमें से अमरेली जिले में स्थित पीपावाव और जाफराबाद सबसे बड़े हैं जबकि छोटे बंदरगाह और पत्तन भी विस्तार के लिए तैयार हैं. तेजी से फैलता रेल और सड़कों का जाल भी चुनौतियां पेश कर रहा है. बीते एक साल में 36 अलग-अलग घटनाओं में 106 शेर अमरेली और पीपावाव के बीच रेलवे लाइनों पर पाए गए. फील्ड स्टाफ ने उन्हें भगा दिया. तो भी पिछले आठ साल में दर्जन भर से ज्यादा शेर इस मार्ग पर रेल दुर्घटनाओं में मारे गए. जुलाई, 2023 में ही तीन शेर मारे गए. औद्योगिकीकरण और विकास, जिसमें पर्यटन भी शामिल है और वन्यजीव संरक्षण को लेकर बहस नई नहीं है.

मितियाला गिर अभयारण्य सलाहकार समिति के सदस्य चैतन्य जोशी ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि वह नए वन्यजीव पार्क (बाड़ से घिरा चिड़ियाघर) के लिए गुजरात सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दे. उनकी दलील यह है कि यह बेशकीमती आरक्षित वन क्षेत्र को काटकर बनाया जा रहा है. शेर की आवाजाही 30,000 वर्ग किमी इलाके में फैली है, जिसमें से केवल 3,500 वर्ग किमी जंगल हैं, जो शेरों की जंगली आबादी के लिए जरूरी हैं. बाकी खेत, चारागाह, गांव और यहां तक कि कस्बे हैं.

केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट लायन के तहत 2,900 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. इसका बड़ा हिस्सा शेरों के व्यवहार के बारे में स्थानीय लोगों को शिक्षित करने के कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. नवंबर के पहले हफ्ते में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'सिंह सूचना' नाम का वेब ऐप जारी किया. यह शेरों की जगह और आवाजाही के बारे में वास्तविक समय पर सटीक जानकारी देगा. राज्य सरकार फिलहाल वन्यजीव संरक्षण के साथ कृषि, औद्योगिकीकरण और पर्यटन विकास को संतुलित करने में जुटी है.

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