आखिर कांग्रेस राजस्थान के मुख्यमंत्री और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट के बीच सुलह कराने में कैसे कामयाब हुई? इस सवाल का जवाब कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत और उसके बाद सीएम सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डी.के. शिवकुमार के बीच सत्ता के बंटवारे में छिपा है. इससे राहुल गांधी को पायलट को यह समझाने का मौका मिल गया कि शिवकुमार ने भी सीएम बनने की अपनी महत्वाकांक्षा से समझौता कर लिया है और आगे 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है. तब पार्टी गहलोत को दिल्ली बुला लेगी और राजस्थान की कमान उन्हें मिल जाएगी. एक और बात भी रही कि अब महज पांच महीने के लिए सीएम बनने में पायलट की दिलचस्पी नहीं. अब देखना यह है कि 2024 का चुग्गा कांग्रेस की उम्मीदों पर खरा उतरता है या नहीं.
न सहानुभूति मिली, न समर्थन
बिहार में भाजपा पिछले दिनों शिक्षकों के समर्थन में सड़क पर उतरी. उसे उम्मीद थी कि युवाओं का समर्थन मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ऊपर से पार्टी नेताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. बाद में पार्टी नेता अपने जख्म दिखाकर भी युवाओं से समर्थन की उम्मीद कर रहे थे लेकिन विरोधियों ने सोशल मीडिया पर यह कहकर उनकी हवा निकाल दी कि दूसरों पर लाठीचार्ज कराने वाले आज पहली बार पिटे हैं. हैरानी यह कि यहां पार्टी कार्यकर्ता भी उनसे कन्नी काट गए.
ऊपर वाले से इसरो की आस
हर लॉन्च से पहले इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक तिरुमला के श्री वेंकटेश्वर मंदिर पहुंचते हैं. यहां भगवान के चरणों में स्पेसक्राफ्ट का मॉडल रखकर सफलता की प्रार्थना की जाती है. इस बार श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 के लॉन्च से पहले भी 13 जुलाई को इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ और उनके साथी मंदिर पहुंचे थे. दिलचस्प है कि स्पेस सेंटर का नाम जिनके नाम पर रखा गया, खुद उनके इसरो प्रमुख रहते ऐसा कभी नहीं देखा गया था. अब क्रायोजनिक इंजन को शायद दैवी धक्के की भी जरूरत पड़ने लगी है.
तेरा करूं दिन गिन गिन के
राजस्थान विधानसभा में 18 जुलाई को तेजाब फिल्म का गाना एक दो तीन...काफी चर्चा में रहा. भाजपा नेता सतीश पूनिया ने गाने का जिक्र करते हुए कहा, ''राहुल गांधी ने एक से 10 तक गिनती दोहराते हुए 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा की थी, लेकिन आज 1,700 दिन बीत जाने के बाद भी किसान कर्जदार हैं.'' इसी बीच प्रतिपक्ष की एक महिला नेता अपनी सुरीली आवाज में वही गाना गुनगुनाने लगीं तो प्रतिपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य भी शोर-शराबा बंद कर उनकी ओर देखने लगे. सियासी सयानों में खुसफुसाहट होने लगी कि इनको आखिर किसका इंतजार है?
अब्बास का क्या होगा?
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के एनडीए में शामिल होने के बाद पार्टी के विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी पर सबकी निगाहें टिक गई हैं. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर से चुनाव जीतकर विधायक बने अब्बास अंसारी क्या एनडीए का नेतृत्व स्वीकार करेंगे, ऐसे में जबकि योगी सरकार का रुख मुख्तार अंसारी परिवार पर काफी सख्त है. नवंबर, 2022 में ईडी ने अब्बास को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. साजिश रचने के आरोप में अब्बास की पत्नी निकहत भी जेल में बंद है. यह भी देखना अहम है कि योगी सरकार अपने सहयोगी दल के विधायक के प्रति कैसा रवैया अपनाती है.
— साथ में पुष्यमित्र, आशीष मिश्र, आनंद चौधरी और अमरनाथ के. मेनन