प्रयागराज के कटरा इलाके में रहने वाली 24 वर्षीया कुमारी रश्मि बचपन से मेधावी छात्रा रही हैं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद रश्मि ने सिविल सेवा को अपना लक्ष्य बनाया और तैयारी में जुट गईं. रश्मि ने 2016, 2018 और 2019 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की सम्मलित राज्य प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) परीक्षा की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन इंटरव्यू को न भेद पाईं. नतीजा बेहद मामूली अंकों से रश्मि का चयन न हो पाया और पीसीएस अफसर बनने का सपना अधूरा रह गया. ये वे वर्ष थे जब पीसीएस परीक्षा विवादों में घिर गई थी और स्केलिंग से जुड़ा विवाद कोर्ट की चौखट तक भी पहुंचा था. वर्ष 2019 में पिता का देहांत हो जाने के कारण परिवार संकट में आ गया और रश्मि दो साल परीक्षा नहीं दे सकीं. अपने आत्मबल को दोबारा जुटाते हुए रश्मि ने फरवरी के अंतिम हक्रते में निकले पीसीएस-2023 परीक्षा के आवेदन पत्र को भरकर परीक्षा में शामिल होने का निर्णय लिया है. रश्मि के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर यह है कि इस बार आयोग ने पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का अभूतपूर्व निर्णय लिया है.
इस निर्णय से उत्साहित रश्मि कहती हैं, ''दो साल वैकल्पिक विषय की तैयारी न कर पाने के कारण मेरा आत्मविश्वास कुछ कमजोर पड़ रहा था लेकिन अब वैकल्पिक विषय न होने से उन अभ्यर्थियों की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं जो किसी एक विषय में विशेषज्ञता के बजाए सामान्य अध्ययन में विशेषज्ञता रखते हैं.'' रश्मि के जैसे लाखों अभ्यर्थी यूपीपीएससी में पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता हटाने से लाभान्वित होने की स्थिति में आ गए हैं (देखें बॉक्स). मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में 22 फरवरी को यूपीपीएससी की पीसीएस मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय को समाप्त करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. इस प्रकार यूपीपीएससी परीक्षा सुधार के मामले में संघ लोक सेवा आयोग से आगे निकल गया, जहां अभी भी वैकल्पिक विषयों को हटाने पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है.
यूपीपीएससी में परीक्षा संबंधी नए सुधार लागू करने में मुख्य भूमिका आयोग के चेयरमैन संजय श्रीनेत्र की है. प्रवर्तन निदेशालय में नॉर्दन रीजन के स्पेशल डायरेक्टर रहे संजय श्रीनेत्र ने 18 मई, 2021 को यूपीपीएससी के चेयरमैन का दायित्व संभाला था. इसके बाद से श्रीनेत्र ने आयोग की कार्यसंस्कृति बदलने के लिए कई तरह की नई व्यवस्थाएं लागू की हैं. पीसीएस परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने के लिए श्रीनेत्र ने देश और राज्य के विशेषज्ञों को सम्मलित करते हुए एक पैनल बनाया और उन्हीं के सुझाव पर आधारित वैकल्पिक विषय हटाने संबंधी प्रस्ताव को राज्य सरकार को भेजा था. अभी तक यूपीपीएससी की मुख्य परीक्षाओं की व्यवस्था संघ लोक सेवा आयोग के पैटर्न पर थी.
संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में भारत और अन्य सामान्य अध्ययन, निबंध, एक वैकल्पिक विषय से जुड़े दो प्रश्नपत्र पूछे जाते हैं. यूपीपीएससी ने अब वैकल्पिक विषय को हटाकर उसकी जगह उत्तर प्रदेश के बारे में जानकारी रखने वाले दो प्रश्नपत्र की व्यवस्था लागू की है. इस प्रकार मुख्य लिखित परीक्षा कुल 1,500 अंकों की ही होगी. इसके बाद इंटरव्यू के 100 अंक हैं. इंटरव्यू की व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए इसे ''नाम रहित-चेहरा रहित'' किया गया है. इंटरव्यू के लिए आने वाले अभ्यर्थी का नाम, जाति और उसके कॉलेज या विश्वविद्यालय की जानकारी साक्षात्कार परिषद को नहीं दी जाती है. अब हर अभ्यर्थी का एक यूनीक कोड होता है. साथ ही विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार हुए विशेष अव्यवस्थितत कोड से अभ्यर्थी को अंतिम समय तक यह नहीं पता लग पाता है कि उसे किस साक्षात्कार परिषद के सामने उपस्थितत होना है. इसके साथ ही आयोग में सुबह और शाम के लिए अलग-अलग इंटरव्यू बोर्ड की व्यवस्था भी लागू की गई है.
इंटरव्यू बोर्ड या साक्षात्कार परिषद में बैठने वाले सदस्यों के लिए भी कठिन मानक तय हुए हैं. अब हाइकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सेना में मेजर जनरल या उसके समकक्ष अधिकारी, आइएएस, पीसीएस के अफसरों व अन्य शीर्ष नौकरशाह के अलावा केवल कुलपतियों को ही साक्षात्कार परिषद में शामिल करने का नियम बनाया गया है. इंटरव्यू में पहली बार चेयरमैन समेत सभी सदस्यों की सीधी जिम्मेदारी भी तय करते हुए नई व्यवस्था लागू की गई है. पहले इंटरव्यू के बाद साक्षात्कार परिषद का अध्यक्ष सदस्यों से सलाह-मशविरा करके अभ्यर्थी को नंबर देता था. नई व्यवस्था के अनुसार अब साक्षात्कार परिषद में शामिल सभी चार सदस्य केवल प्रश्न ही नहीं पूछेंगे बल्कि नंबर भी देंगे. इंटरव्यू में अभ्यर्थी को मिलने वाले कुल अंक चेयरमैन और सभी सदस्यों द्वारा दिए गए कुल नंबरों का औसत होगा. इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों को नंबर देने के साथ ही उनकी जिम्मेदारी तय करने की व्यवस्था देश के किसी भी लोक सेवा आयोग में अभी तक नहीं है.
इतना ही नहीं यूपीपीएससी की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए अब अभ्यर्थिोयों को बार-बार आवेदन करने की झंझट से भी निजात मिल गई है. 3 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपीपीएससी में एकल अवसरीय पंजीकरण व्यवस्था (ओटीआर) की शुरुआत की. ओटीआर लागू करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले आयोग के चेयरमैन श्रीनेत्र बताते हैं, ''अभ्यर्थी एक नाम से कई कई फॉर्म भर देते थे. अपनी सहूलत के अनुसार सेंटर मे जाकर परीक्षा दे देते थे. ईमानदार अभ्यर्थियों के हित और परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए एक संस्थागत प्रयास की जरूरत थी. अब जीवन भर कभी अभ्यर्थी को दोबारा आयोग की परीक्षाओं का फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा.
वह आयोग की वेबसाइट पर ओटीआर नंबर डालेगा और परीक्षा की फीस जमा कर देगा.'' ओटीआर व्यवस्था लागू करने के लिए आयोग ने नेशनल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एनआइसी) की मदद से एक सॉफ्टवेयर तैयार कराया है, जिसका कई स्तरों पर परीक्षण किया गया है, अब तक इस पर ढाइ लाख से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं. पहली अप्रैल से ओटीआर व्यवस्था आयोग की सभी परीक्षाओं में लागू हो जाएगी. परीक्षा की आवेदन प्रक्रिया में अभी और सुधार होने जा रहे हैं. अभी तक अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने के बाद इसका प्रिंट आउट जरूरी दस्तावेजों के साथ आयोग को ऑफलाइन भेज रहे हैं. इसमें कई तरह की समस्याएं आ रही हैं. बड़ी संख्या में फॉर्म ऑफलाइन जमा न होने के कारण आवेदन निरस्त हो रहे थे और कई बार अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के साथ आवेदन कर रहे थे. इस समस्या से निबटने के लिए आयोग ऑनलाइन वेरिफिकेशन की व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है.
श्रीनेत्र ने जब यूपीपीएससी की कमान संभाली उस वक्त अभ्यर्थी आयोग की परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों पर सवाल उठा रहे थे. आयोग ने जब पीसीएस-2019 और पीसीएस-2020 की संशोधित उत्तरकुंजी एक साथ जारी की थी तो उसमें 38 सवाल गलत होने की पुष्टि हुई थी. इसके अलावा अन्य परीक्षाओं में भी प्रश्नों के विवाद लगातार सामने आते रहे हैं. श्रीनेत्र ने जब परीक्षाओं में गुणवत्तापूर्ण सुधार लाने के उद्देश्य से आयोग के विशेषज्ञों के कार्यप्रणाली की समीक्षा की और गुणवत्तापूर्ण न पाए जाने के कारण 80 विशेषज्ञों को पिछले साल 22 अगस्त को आयोग के पैनल से बाहर का रास्ता दिखा दिया. श्रीनेत्र बताते हैं, ''विशेषज्ञों के ज्यादा गलती करने पर सभी चयन आयोग को यह पत्र लिखा जाएगा कि वे भी इस विशेषज्ञ की सेवाएं न लें.''
आयोग की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को भी ''फूलप्रूफ'' बनाया गया है. पहले अभ्यर्थियों के रोल नंबर के साथ कॉपियां जांची जाती थीं पर अब कॉपियों पर रोल नंबर की जगह एक खास कोड होता है जिससे परीक्षक को यह नहीं पता चल पाता है कि वह किसकी कॉपी जांच रहा है. इतना ही नहीं. पहले यह तय नहीं था कि एक परीक्षक एक दिन में कितनी कॉपियों की जांच करेगा. चूंकि एक कॉपी को जांचने का मानदेय 500 रुपए तय था, ऐसे में परीक्षकों में होड़ लगी रहती थी कि वे एक दिन में ज्यादा से कॉपियां जांच लें. अब एक परीक्षक एक दिन में 25 से ज्यादा कॉपियां नहीं जांचेगा.
आयोग की परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के चयन की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए खास प्रयास हुए हैं. अभी तक पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष में 13 गुना अभ्यर्थियों का चयन किया जाता था. आयोग ने अब इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है. इसी तरह इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष दो अभ्यर्थियों का चयन किया जाता था. सिविल सेवा की तैयारी कराने वाली एक कोचिंग के प्रमुख आदित्य वर्मा बताते हैं, ''इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष दो अभ्यर्थियों का चयन करने के कारण जालसाजी को बढ़ावा मिल रहा था. इसमें जालसाज इंटरव्यू देने वाले अभ्यर्थियों को अपने झांसे में लेकर परीक्षा में सफल कराने का ठेका लेते थे.'' इस गड़बड़ी को दूर करने के लिए आयोग ने अब एक पद के सापेक्ष तीन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाने का निर्णय लिया है. यही नहीं मेडिकल अफसर, कॉलेजों के प्रधानाचार्य के पदों पर केवल इंटरव्यू के जरिए आयोग की सीधी भर्ती की प्रक्रियाएं भी सुधार के दायरे में हैं. अभी तक सीधी भर्ती के लिए होने वाले इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थियों का चयन करने के लिए एक ऑब्जेक्टिव स्क्रीनिंग टेस्ट होती है. इस स्क्रीनिंग परीक्षा के आधार पर इंटरव्यू में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की मेरिट बनती है. इस प्रक्रिया में सुधार के लिए यूपीपीएससी ने सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि भविष्य में स्क्रीनिंग टेस्ट के 50 प्रतिशत नंबर और इंटरव्यू के 50 प्रतिशत नंबर को जोड़कर अभ्यर्थी का चयन किया जाए.
आयोग के चेयरमैन श्रीनेत्र ने यूपीपीएससी के परिसर को भी 'कैंडिडेट फ्रेंड्ली' बनाने की कोशिश की है. आयोग के गेट नंबर तीन से भीतर प्रवेश करते ही 'बोधि संगम' नाम से एक सेल्फी पॉइंट बनाया गया है. यहां पर 'अप्प दीपोभव:' यानी 'अपना प्रकाश स्वयं बनो' जैसे कई सूक्तियां लिखी गई हैं. 'अमृत सरोवर' नाम से एक दूसरा सेल्फी पॉइंट चेयरमैन कार्यालय के बगल में बनाया गया है. श्रीनेत्र बताते हैं, ''आयोग परिसर में सेल्फी पॉइंट बनाने का मुख्य मकसद अभ्यर्थियों के मन से आयोग के प्रति भय या आशंकाओं को समाप्त करना है.''
इसी भय और आशंका को समाप्त करने की मकसद से पीसीएस परीक्षा का इंटरव्यू शुरू होने से पहले श्रीनेत्र सभी अभ्यर्थियों से एक साथ आयोग के सरस्वती हॉल में मिलते हैं. उनका हौसला बढ़ाते हैं और बिना किसी हिचक के साक्षात्कार बोर्ड के सामने जाने को प्रेरित करते हैं. आयोग के भीतर अंग्रेजों के जमाने के भवन ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (ओटीएस) के कल्पवृक्ष हॉल में एक बड़ा संग्रहालय बन रहा है, जिसमें पुरातात्विक मूर्तियों के अलावा लोक सेवा आयोग के इतिहास से जुड़ी जानकारी और 'वन डिस्ट्रिडक्ट वन प्रोडक्ट' (ओडीओपी) से जुड़े उत्पाद प्रदर्शि त होंगे. आयोग परिसर में सरयू भवन नामक ऑफिसर हॉस्टल और इसके आसपास के भवनों की जगह एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाने का निर्णय लिया गया है. कुल 11 तल वाले इस भवन के दूसरे तल पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हॉल और तीसरे तल पर साक्षात्कार कक्ष होगा. इसके बाद आयोग के सारे विभाग एक छत के नीचे हो जाएंगे.
परीक्षा प्रक्रियाओं में देरी और समय से परीक्षाफल घोषित न कर पाने से यूपीपीएससी आलोचना का शिकार होता रहा है. इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि आयोग की परीक्षाओं से जुड़ी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा नहीं रहती थी. आयोग के चेयरमैन श्रीनेत्र ने अब परीक्षा की हर प्रक्रिया के लिए एक समय सीमा तय कर दी है, जिसका कड़ाई से पालन किया जा रहा है. परीक्षाओं के कैलेंडर को सख्ती से लागू किया गया है. आयोग ने 2022-23 के लिए कुल 22 परीक्षाओं का कैलेंडर घोषित किया था जिसके सापेक्ष अब तक 105 प्रतिशत उपलब्धि के साथ कुल 23 परीक्षाएं पूरी की जा चुकी हैं. 31 मार्च, 2022 तक आयोग ने 13,000 से अधिक पदों का विज्ञापन निकाला था. इस साल मार्च की शुरुआत तक इनमें से 92 प्रतिशत से अधिक यानी 12,000 से अधिक पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है.
पिछले साल एक वर्ष के भीतर पीसीएस-2021 का परीक्षा परिणाम घोषित कर संघ लोक सेवा आयोग की बराबरी करने वाला यूपी लोक सेवा आयोग अब इस केंद्रीय संस्था को पीछे छोड़ने की तैयारी कर चुका है. यूपीपीएससी पीसीएस-2022 का अंतिम 15 अप्रैल से पहले घोषित करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है. अगर श्रीनेत्र का यह लक्ष्य पूरा हुआ तो पहली बार यूपी लोक सेवा आयोग पीसीएस-2022 परीक्षा का नतीजा संघ लोक सेवा आयोग की आइएएस-2022 परीक्षा के नतीजे से काफी पहले घोषित कर देगा.
वैकल्पिक विषय से कठिनाइयां
एक विषय में विशिष्ट ज्ञान रखकर आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उस विषय की निपुणता का सरकारी सेवा एवं उत्तरदायित्व निर्वहन में कोई भूमिका नहीं रहती
पीसीएस परीक्षा में कुल 29 वैकल्पिक विषयों के कारण कुछ विषयों में अच्छे नंबर और कुछ विषयों में कम नंबर मिलने की संभावनाओं के कारण लगातार आशंकाएं बनी रहती थीं
अत्यधिक वैकल्पिक विषयों के बीच अंकों की समरूपता की स्थिति स्थापित करने के लिए अपनाई जाने वालीं स्केलिंग पद्धतियों ने कई बार विवाद को जन्म दिया है
आयोग की वर्तमान परीक्षा प्रणाली के चलते दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों का पीसीएस परीक्षा में चयन हो जाता था जो बाद में कार्यभार न ग्रहण करने के कारण सीटें रिक्त रह जाती थीं
वैकल्पिक विषय आधारित कोचिंग सेंटर की संख्या लगातार बढ़ रही थी जिनसे जुड़ी कई सारी गडबड़ियां पिछले दिनों जांच एजेंसियों को पकड़ में आई थीं
वैकल्पिक विषय हटने से लाभ
मुख्य परीक्षा में सभी परीक्षार्थियों के लिए प्रश्नपत्र और एक तरह और अनिवार्य होने की स्थिति में परीक्षार्थियों के बीच प्रतियोगिता के लिए समान अवसर पैदा होंगे
विभिन्न विषयों के बीच तुलनात्मक रूप से अच्छे व बुरे मार्किंग पैटर्न की स्थितियां और स्केलिंग को लेकर अभ्यर्थियों के बीच का संदेश समाप्त हो जाएगा
पीसीएस परीक्षा में उत्तर प्रदेश राज्य के विशेष ज्ञान पर आधारित प्रश्नपत्रों की चयन प्रक्रिया से राज्य को अधिक से अधिक जानने और समझने वाले अधिकारी मिलेंगे
परिवर्तित परीक्षा योजना में यूपी के अभ्यर्थियों का अधिक से अधिक चयन होगा और दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों का कम चयन होने से रिक्त सीटों की संख्या में गिरावट आने की संभावना
परिवर्तित परीक्षा योजना से राज्य की सिविल सेवा में किसी एक विषय में विशेषज्ञता के स्थान पर सभी क्षेत्रों में विशिष्ट ज्ञान से परीक्षा में अच्छे अभ्यर्थियों के चयन की अधिक संभावनाएं बढ़ेंगी
''राज्य सरकार ने निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था के माध्यम से चयन प्रक्रिया की शुचिता सुनिश्चित की है. इसके माध्यम से प्रदेश में साढ़े पांच लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान की गई है. इस कार्य में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है''
—योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश