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सोशल मीडिया पर आक्रामक रुख

कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया सरअंजाम को जोड़कर भारत जोड़ो यात्रा का सुघड़ कंटेंट परोसने की व्यवस्था बनाई और सभी प्लेटफॉर्म पर मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज की.

नेता का स्वागत भारत जोड़ो यात्रा के महाराष्ट्र के श्रीगांव पहुंचने पर राहुल गांधी के स्वागत के लिए लाइन में खड़े कांग्रेस नेता
नेता का स्वागत भारत जोड़ो यात्रा के महाराष्ट्र के श्रीगांव पहुंचने पर राहुल गांधी के स्वागत के लिए लाइन में खड़े कांग्रेस नेता
अपडेटेड 6 दिसंबर , 2022

राहुल गांधी की अगुआई में भारत जोड़ो यात्रा (बीजेवाइ) जब तेलंगाना से महाराष्ट्र में प्रवेश कर रही थी, 7-8 नवंबर की उस दरम्यानी रात को कांग्रेस सोशल मीडिया शाखा की मुखिया सुप्रिया श्रीनेत आधी रात के काफी बाद तक जगी हुई थीं. तब वे विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश में थीं. पत्रकार रह चुकीं श्रीनेत के लिए देर रात तक काम में जुटे रहना तो कोई नई बात नहीं थी, लेकिन दिल्ली के 15, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड (जीआरबी) पर मौजूद उनकी टीम के लिए वह रात काफी गहमागहमी भरी थी.

उन्हें तेलंगाना-महाराष्ट्र सीमा से कुछ बेहद दिलचस्प दृश्यों की आमद के लिए सतर्क कर दिया गया था. आखिर, उस रात हाथों में मशाल लिए अंधेरे को चीरते हुए राहुल गांधी की अगुआई में भारत जोड़ो यात्रियों के नाटकीय वीडियो उनके वर्क स्टेशन पर नमूदार हुए. 

फटाफट थोड़े-बहुत संपादन के बाद, श्रीनेत और राहुल गांधी के सोशल मीडिया एकाउंट्स संभालने वाले श्रीवत्स वाइबी के बीच कुछ व्हाट्सऐप मैसेज का आदान-प्रदान हुआ, और फिर पार्टी के संचार प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश की हां होते ही, विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती पर राहुल गांधी के रात्रि मार्च की छवियों से जगमगा उठे.

जब गुरुद्वारा रकाबगंज वॉर रूम के सदस्य घर के लिए निकले, तो रात के 3.30 बज चुके थे. अगला बैच सुबह 6 बजे काम संभालने के लिए आ पहुंचा. 

यह, खासकर 7 सितंबर को भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने के बाद, कांग्रेस के सोशल मीडिया योद्धाओं के जीवन में बीता बस एक और दिन था. आजाद भारत के इतिहास में यह कन्याकुमारी से कश्मीर तक लगभग 3,500 किमी की करीब छह महीने चलने वाली पदयात्रा अभूतपूर्व है. इसका आकार और इसमें लोगों की दिलचस्पी बेमिसाल है.

हर दिन इसमें ऐसी छवियां उभरती हैं, जो चुनाव रैलियों जैसे राजनैतिक मजमों में नहीं देखी गई हैं. समाज के हर तबके और आयुवर्ग के पुरुष-महिलाएं, लड़के-लड़कियां कांग्रेस के चेहरे राहुल गांधी का हाथ पकड़कर, उनसे कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, उनके गले लगते हैं और कई बार तो उनके कंधे पर सिर रखकर रो पड़ते हैं.

फिर पुराने दिग्गज नेताओं के साथ राहुल का दौड़ना, डांस ग्रुप के साथ थिरकना, दांतों से गन्ना छीलकर चूसना या भरी बारिश में भीड़ को संबोधित करने जैसे नजारे खूब खिल रहे हैं. फिल्मी सितारों, खिलाड़ियों, युद्ध नायकों और सामाजिक कार्यकर्ता अपने गैर-दलीय रुख के साथ स्वेच्छा से यात्रा में शामिल हुए, क्योंकि बकौल उनके, वे एकता और प्रेम का संदेश देने में यकीन करते हैं.

भारत जोड़ो यात्रा के आयोजन से जुड़े एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता कहते हैं, ''सेलेब्रिटी इसलिए पहुंचे क्योंकि उन्हें देश में नफरत और सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ बोलने की जरूरत महसूस हुई. राहुल गांधी असरदार सामाजिक आवाजों को अपने साथ पैदल चलने का न्योता देकर एक बड़े जनाधार तक पहुंचेंगे.’’ 

यात्रा जिस राज्य से गुजरती है, वहां भारी दिलचस्पी जगा रही है और अपने भारी जमावड़े तथा अनोखेपन की वजह से सुर्खियों में छाई हुई है. लेकिन भारत जोड़ो यात्रा की 'खासियत और उद्देश्य’ को देश भर में लाखों मोबाइल हैंडसेट, डेस्कटॉप और लैपटॉप तक पहुंचाने का जिम्मा सोशल मीडिया टीम पर है. और इस जिम्मेदारी को तीन केंद्रीय टीमें, एक बाहरी एजेंसी की मदद से, 7 सितंबर से लगातार अंजाम दे रही हैं.

इन टीमों का नेतृत्व रमेश कर रहे हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया विंग के लिए नया नारा बनाया है-ऐक्ट या एसीटी (आक्रामक, सामंजस्यपूर्ण और समयबद्ध). पहले यह शाखा कांग्रेस के संचार विभाग से अलग थी, पर अब यह रमेश की देखरेख में है, जिन्होंने जून में संचार प्रभारी का पदभार संभाला था. रमेश कहते हैं, ''इससे सोशल मीडिया शाखा में बेहतर तालमेल और समयबद्धता आ गई है. 

हमारी शैली जब से आक्रामक हुई है, हमें शानदार नतीजे मिल रहे हैं.’’ एक आठ सदस्यीय टीम उन्हें सीधे रिपोर्ट करती है. इसके अलावा, श्रीनेत के नेतृत्व में काम कर रही 60 सदस्यीय टीम भी उन्हें रिपोर्ट करती है.
 
नई आक्रामक शैली का नतीजा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस अपने विरोधियों से पोस्ट दर पोस्ट, ट्रोल दर ट्रोल, दो-दो हाथ करती दिखाई दे रही है. कई बार तो विरोधियों को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ता है. जब पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सहित कुछ भाजपा नेताओं ने कथित तौर पर राहुल का एक नकली वीडियो पोस्ट किया.

 जिसमें वे कथित तौर पर कन्हैया लाल की हत्या करने वाले दो मुस्लिम हमलावरों को माफ करने की बात करते दिखते हैं तो कांग्रेस ने उन पर खुलकर हमला बोला और उन्हें शर्मिंदा किया. आखिरकार वे वीडियो डिलीट करने पर मजबूर हो गए. पेशे से दर्जी हिंदू कन्हैया लाल ने भाजपा नेता नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट किया था, जिन्हें पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.
 
सोशल मीडिया पर जवाबी हमला पर्याप्त नहीं लगा, तो पार्टी ने फौरन आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. भाजपा ने यात्रा में बच्चों के साथ राहुल की तस्वीरें पोस्ट करके बच्चों के राजनैतिक उपयोग का आरोप लगाया, तो कांग्रेस ने जवाब में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए बच्चों का कथित इस्तेमाल कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने अपने साथ बैठी एक लड़की का वीडियो साझा किया था, जो भाजपा के राज के बारे में गुजराती में बात कर रही थी. श्रीनेत कहती हैं, ''हम हमेशा कुचक्री ट्रोल अभियान झेलते नहीं रह सकते. हम तथ्यों पर टिके रहेंगे... हम गाली-गलौज पर नहीं उतरेंगे. लेकिन वे अगर यह सब करते रहे, तो उन्हें वैसे ही जवाब के लिए तैयार रहना चाहिए. अगर वे फेक न्यूज फैलाना और गाली-गलौज बंद कर देते हैं, तो हम देखेंगे कि कोई भी ऐसा न करे. हम अब इसी सिद्धांत पर चल रहे हैं.’’
 
राहुल गांधी की व्यक्तिगत दिलचस्पी की वजह से भी उनकी पार्टी के सोशल मीडिया अभियान को मजबूती मिली है. श्रीवत्स की अगुआई वाली 10 सदस्यीय टीम की मदद से, राहुल खुद अपने सोशल मीडिया एकाउंट संभालते हैं. उनके एक करीबी सहयोगी का दावा है कि इसी वजह से उनके पोस्ट संख्या में प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले काफी कम हैं. मसलन, 1 नवंबर से 21 नवंबर के बीच, राहुल ने 55 ट्वीट किए, जबकि मोदी के ट्वीट की संख्या 214 थी.

वे बताते हैं, ''वे भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं, और सिर्फ विश्राम के दौरान ही पोस्ट कर सकते हैं. इसलिए उनके ट्वीट कम हैं.’’ वे यह भी खुलासा करते हैं कि राहुल कंटेंट को विजुअलाइज और क्यूरेट करने में सक्रिय दिलचस्पी लेते हैं. दरअसल, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत के वीडियो या यात्रा की ड्रोन से खींची गई तस्वीरें पोस्ट करने का आइडिया खुद राहुल का था. वे कहते हैं, ''वे लोगों की भागीदारी और दिलचस्पी पर फोकस चाहते हैं.’’ 

राहुल के सोशल मीडिया पोस्ट से लोगों का जुड़ाव और उन पर प्रतिक्रिया की दर वाकई बढ़ी है, खासकर प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले. इंडिया टुडे की पड़ताल में पता चला कि 1 नवंबर से 21 नवंबर के बीच, उनके ट्वीट में रुचि लेने वालों की संख्या मोदी के मुकाबले लगभग दोगुनी थी (देखें बॉक्स), जबकि मोदी के फॉलोअर की संख्या राहुल के मुकाबले लगभग चार गुनी है.

1 जनवरी, 2019 और 31 दिसंबर, 2021 के बीच दिल्ली स्थित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया कि राहुल के ट्वीट पर लोग मोदी के मुकाबले अधिक प्रतिक्रिया दे रहे थे. राहुल के एक सहयोगी कहते हैं, ''हमने नए आंकड़ों की पड़ताल नहीं की है, लेकिन खासकर भारत जोड़ो यात्रा के बाद फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे वीडियो केंद्रित प्लेटफॉर्म पर लोगों की दिलचस्पी में अभूतपूर्व उछाल देखा गया है.’’ 

भारत जोड़ो यात्रा के कंटेंट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए, वरिष्ठ नेताओं को ''विनम्र निर्देश’’ भेजे गए कि ऐसे कंटेंट का प्रसार करें. संचार टीम के एक सदस्य कहते हैं, ''हमने 33 नेताओं की साल भर की सोशल मीडिया गतिविधियों पर एक रिपोर्ट तैयार की और उन्हें दिखाई. उन्होंने शायद ही कभी राहुल गांधी या कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट की गई किसी बात को आगे बढ़ाया था. अब वे सभी सक्रिय और आक्रामक हो गए हैं.’’ 

कंटेंट को तुरंत तैयार करने में पेशेवर मदद का जिम्मा पार्टी ने मुंबई स्थित डिजिटल मीडिया आउटरीच एजेंसी तीन बंदर को दिया है. एजेंसी भारत जोड़ो यात्रा का लोगो डिजाइन करने और गीत तैयार करने के अलावा, यात्रा की वेबसाइट का काम भी संभालती है. रमेश कहते हैं, ''हमारी पार्टी की स्थायी टीमें छोटी हैं. भारत जोड़ो यात्रा जैसे बड़े अभियान के लिए हमें अतिरिक्त पेशेवर कार्यबल की जरूरत थी. तीन बंदर उस जरूरत को पूरा करती है. एजेंसी का कंटेंट में कोई संपादकीय हस्तक्षेप नहीं है.’’ 

रमेश, श्रीनेत और श्रीवत्स के नेतृत्व वाली तीनों टीमों के साथ बड़ी संख्या में स्वयंसेवक और पार्टी कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं, जो खुद कंटेंट तैयार कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा नौ बार के लोकसभा सदस्य कमलनाथ कहते हैं, ''मैंने अपने पूरे राजनैतिक जीवन में कार्यकर्ताओं में ऐसा उत्साह कभी नहीं देखा. भारत जोड़ो यात्रा से संगठन में एक अलग तरह की ऊर्जा का संचार हुआ है.’’

एक कार्यकर्ता के मोबाइल फोन से यात्रा की सबसे अधिक वायरल छवियों में से एक इसी तरह निकली. 6 अक्तूबर को कर्नाटक में सोनिया गांधी यात्रा में चल रही थीं तो राहुल गांधी अपनी मां के जूते के फीते बांधने के लिए झुके. श्रीनेत कहती हैं, ''यह अचानक हुआ था और आस-पास कोई कैमरा भी नहीं था. हमें एक साधारण कार्यकर्ता से यह वीडियो मिला.’’ उन्हें लगता है कि ऐसे सुनहरे पलों की योजना नहीं बनाई जा सकती.

वे यह भी कहती हैं, ''राहुल गांधी कैमरे में आने के लिए कुछ नहीं करते. वे अचानक किसी बूढ़ी औरत को गले लगा लेते हैं या किसी किसान की बात पूरी ईमानदारी से सुनने लगते हैं. वहां मौजूद लोगों के लिए यह चुनौती होती है कि उस पल को कैमरे में कैद कर लें. ऐसा कब होगा कोई नहीं जानता, लेकिन यह सब सहज रूप से होता है, इसलिए हमें अधिक प्रेरणास्पद और भावनात्मक छवियां मिलती हैं.’’ 

लेकिन ऐसी सामग्री पाने के लिए श्रीनेत की टीम को हर दिन बड़ी संख्या में छवियों और वीडियो को छानना पड़ता है और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जरूरतों के मुताबिक उनका संपादन और पैकेजिंग करनी पड़ती है. यह टीम कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा के सोशल मीडिया हैंडल के लिए यह काम करती है, जबकि श्रीवत्स की अगुआई वाली टीम राहुल के व्यक्तिगत सोशल मीडिया हैंडल के लिए कंटेंट क्यूरेट करती है.

तीनों टीमों के बीच लगातार तालमेल बना रहता है कि क्या वायरल हो सकता है और क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ठीक है. यात्रा का सब कुछ कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट नहीं किया जाता, जबकि भारत जोड़ो यात्रा के हैंडल पर यात्रा से संबंधित सामग्री ही होती है.

यह तीन टीमों के लिए कोई आसान काम नहीं है, जिनमें कुल 80 लोग भी नहीं हैं. लगातार भारी मात्रा में वीडियो और विजुअल्स की बारिश होती रहती है और उन्हें अमूमन 30 मिनट से कम समय में मुनासिब रीपैकेजिंग करनी पड़ती है. कई बार, यात्रा खराब कनेक्टिविटी वाले स्थानों से होकर गुजरती है, तो वीडियो और फोटो की आमद ठप हो जाती है. यही नहीं, राहुल की सुरक्षा के लिए लगाए गए जैमर भी दिक्कत पैदा करते हैं.

श्रीनेत कहती हैं, ''इन चुनौतियों के बीच हमारी टीमें लगातार सही सामग्री की तलाश में रहती हैं. सही कंटेंट चुनने का मेरा बैरोमीटर यह है कि टीम को विजुअल्स देखकर कैसा लग रहा है. मसलन, जब रोहित वेमुला की मां या गौरी लंकेश की मां और बहन राहुल गांधी के साथ चलीं, तो कमरे में सभी की आंखें नम हो गईं. वे बड़े मार्मिक पल थे. ऐसे ही मौके भारत जोड़ो यात्रा को इतना खास और मानवीय बना रहे हैं. इसका संदेश राजनीति से ऊपर उठ कर लोगों के दिलों को छू रहा है.’’ 

लेकिन राहुल की सहज-स्वाभाविक छवियां ही यात्रा के सोशल मीडिया प्रचार लोकप्रियता की तरफ नहीं ले जा रहीं. पैकेजिंग की रूपरेखा को एक खास स्वर देने के लिए योजनाबद्ध ढंग से तैयार किया गया है. मसलन, राहुल ने विदर्भ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों की आत्महत्या पर बात की. इसके पहले ही, दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड मंज बैठी सोशल मीडिया टीम ने किसानों की आत्महत्याओं का डेटा ग्राफिक्स के साथ तैयार कर लिया था.

ताकि उस पोस्ट से लोगों को यह समझ में आ सके कि विदर्भ में किसानों की आत्महत्या महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों है. जब राहुल ने तिरुवनंतपुरम में मनरेगा मजदूरों से बातचीत की, तो टीम योजना से संबंधित आंकड़ों के साथ तैयार थी, ताकि उनकी मांगों से देश की अगली पीढ़ी को वाकिफ कराया जा सके. 

कई बार संदर्भ सामग्री की तलाश देर से भी की जाती है. मसलन, कर्नाटक में राहुल ने एक बूढ़ी औरत को अपने हाथ में दो खीरे लिए खड़े देखा और जिज्ञासावश उससे बातचीत की. उसके कंधे पर हाथ रखे राहुल की तस्वीर सोशल मीडिया टीम के पास आई. सोचा गया कि कोई बूढ़ी महिला नेहरू-गांधी खानदान के वारिस पर स्नेह बरसा रही है. बाद में, उन्हें पता चला कि बातचीत का एक ऐतिहासिक महत्व था.

उस महिला ने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 'ग्रोवर्स लैंड पॉलिसी’ के तहत मिली जमीन पर दो खीरे उगाए थे. इसलिए, वे खीरों को इंदिरा के पोते को उपहार में देना चाहती थीं. भावनात्मक संदर्भ के साथ दृश्य को दोबारा तैयार करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया गया. 

वाकई, कांग्रेस के सोशल मीडिया योद्धाओं के लिए घटनाओं के संदर्भ महत्वपूर्ण हैं. उनके मुताबिक, भारत जोड़ो यात्रा इतिहास बना रही है और वे पूरे जोश से उसकी याददाश्त को संजो रहे हैं. श्रीनेत कहती हैं, ''हमने इस तरह के बड़े असर का अनुमान नहीं लगाया था, लेकिन अब यह देश के राजनैतिक इतिहास में एक ऐतिहासिक मौके की तरह खुल रही है.’’ पार्टी की सोशल मीडिया टीमें पूरी कोशिश कर रही हैं कि देश भारत जोड़ो यात्रा को उनके ऐतिहासिक चश्मे से देखे. 

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