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तेजाबी जख्मों पर मरहम

ओडिशा के एक युवक ने तेजाबी हमले की पीड़िता से विवाह कर उसे दिया नया जीवन. लेकिन ऐसी सैकड़ों अन्य जिंदगियां शारीरिक और मानसिक संत्रास में जीने को अभिशप्त

मिली नई पहचान प्रमोदिनी राउल (बीचोबीच) का सरोज साहू से संपन्न होता विवाह
मिली नई पहचान प्रमोदिनी राउल (बीचोबीच) का सरोज साहू से संपन्न होता विवाह
अपडेटेड 30 मार्च , 2021

महेश शर्मा

तेजाबी छपाक से बुरी तरह झुलसीं ओडिशा के जगत‌सिंहपुर जिले की प्रमोदिनी राउल अब श्रीमती प्रमोदिनी साहू बन चुकी हैं. पांच साल पहले इलाज के दौरान उनकी जिंदगी में सरोज साहू आए और अस्पताल में देखभाल करने लगे. उन्हें ऐसी सहानुभूति हुई कि उन्होंने प्रमोदिनी और उनके परिजनों का दिल जीत लिया. दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि दोनों ने सनातनी रीतिरिवाज से एक मार्च को विवाह कर लिया.

विवाह उनके मूलस्थान जगतसिंहपुर जिले में ही संपन्न हुआ. भुवनेश्वर में 2 मार्च को रिसेप्शन था जिसमें दोनों को आशीर्वाद देने राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल समेत कई मंत्री और गणमान्य नागरिक मौजूद थे. भारी संख्या में लोगों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया. प्रमोदिनी के तेजाबी जख्मों को परिणय के मरहम ने कुछ ऐसा छुआ कि वे खुशी से फूली नहीं समा रही थीं.

उसे पर तेजाबी छपाक की घटना 2009 की थी तब प्रमोदिनी 16 की वय वाली एक खूबसूरत युवती हुआ करती थीं. अर्धसैनिक बल का जवान उसे इकतरफा प्यार करने लगा. पर वह उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती थी. एक दिन मोटरसाइकिल से अपने दोस्त के साथ आकर अचानक उसने प्रमोदिनी को तेजाब से नहला दिया. यह तेजाबी छपाक प्रमोदिनी को बुरी तरह झुलसा गया. खेल और नृत्य में अपना भविष्य संवारने में जुटीं प्रमोदिनी ने सोचा भी न था कि कोई वहशी उसका यह हाल कर देगा.

वे बताती हैं, ''ऐसा लगता था जैसे प्लास्टिक की तरह मेरा शरीर गल रहा है. बाल तक उड़ गए. एक आंख पूरी तरह गल चुकी थी और एक आंख से 60 प्रतिशत ही दिखता है.’’ इलाज के दौरान दवा सप्लाइ का काम करने वाले युवक सरोज साहू की एक परिचित नर्स ने प्रमोदिनी की दर्द भरी कहानी उसे सुनाई. सरोज सहानुभूतिवश उनकी देखभाल करने लगा. दोनों की दोस्ती प्यार में कब बदल गई, पता ही नहीं चला.

सरोज अपना अधिक समय अस्पताल में प्रमोदिनी की देखभाल में बिताने लगे. इस कारण उनकी नौकरी भी जाती रही. धीरे-धीरे सरोज और प्रमोदिनी का प्यार परवान चढऩे लगा. दरअसल, प्रमोदिनी के पिता का निधन हो चुका है. नाते रिश्तेदार भी उनसे किनारा करते गए. उनकी जिंदगी में सरोज ही बचे थे जो उन्हें अच्छी तरह समझते थे. शीरोज नाम की एक संस्था और ओडिशा की सामाजिक कार्यकर्ता शुभाश्री दास की मदद से लखनऊ में दोनों की सगाई संपन्न हुई.

प्रमोदिनी बताती है कि घटना के वर्ष 2009 से 2016 के बीच उन्हें धमकियां भी मिलती रहीं. आखिरकार 2017 में जाकर आरोपी गिरफ्तार हुआ और अब जेल की हवा खा रहा है. दोनों के विवाह में सक्रिय रहीं सोशल वर्कर शुभाश्री दास का कहना है कि ''एसिड पीड़िताओं को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है. सरकार, बड़े-बड़े एनजीओ और कॉर्पोरेट घराने आगे आएं तो यह कोई मुश्किल काम नहीं है.’’ शुभाश्री के अनुसार शीरोज कैफे का प्रस्ताव उन्होंने खुद राज्य सरकार को दिया है.

पांच साल में 700 से ज्यादा एसिड अटैक
महिला सम्मान को लेकर किए जाने वाले बड़े-बड़े दावों के बीच पूरे देश में 2014 से 2018 के बीच 700 से ज्यादा एसिड अटैक की घटनाएं सामने आई हैं जिसमें उत्तर प्रदेश में 260, पश्चिम बंगाल में 248, दिल्ली में 114, मध्य प्रदेश में 59, ओडिशा में 52, पंजाब में 50, आंध्र प्रदेश में 47, हरियाणा में 46, बिहार में 39 और गुजरात में 37 मामले एसिड अटैक के सामने आए हैं. हालांकि ये वे आंकड़े हैं जो सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हैं. जबकि दावा है कि यह संख्या असल घटनाओं के मुकाबले बेहद कम है.

पुनर्वासन और सख्त कानून की जरूरत
तेजाबी हिंसा के उन्मूलन पर एसिड सरवाइवर्स ऐंड वीमेन वेलफेयर फाउंडेशन की ओडिशा अध्यक्ष और महिला आयोग की पूर्व सदस्य नम्रता चड्ढा बताती हैं कि उनकी संस्था ने ओडिशा में 70 एसिड अटैक सरवाइवर्स में से दस को पूरा सपोर्ट दिया है. उनका कहना है कि तेजाबी हमले की घटना के वक्त लंबे-चौड़े वादे कर दिए जाते हैं लेकिन बाद में सरकारें भी मुआवजा देकर पल्ला झाड़ लेती हैं.

उनके मुताबिक, ‘‘26 तरह की विकलांगता में एसिड अटैक पीड़िताएं भी हैं. विकलांगों के लिए नौकरी में दो प्रतिशत आरक्षण है पर इसका लाभ एसिड अटैक पीड़िताओं को आज तक नहीं मिला. इस बाबत मैंने सरकार को लिखा भी है. लेकिन जब बात कीजिए तो जवाब में आश्वासन मिल जाता है बस.’’

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के हवाले से नम्रता बताती हैं कि ओडिशा में 2011 से 2019 के बीच ओडिशा में एसिड अटैक के 70 मामले प्रकाश में आए. इनमें से 44 फीसदी एसिड अटैक सरवाइवर्स सिर्फ उत्तर भारत की हैं तो 27 प्रतिशत पूर्वी भारत की. ओडिशा पूर्वी भारत का राज्य है. कानून के मुताबिक, एसिड अटैक करने वालों को 10 साल की सजा या उम्र कैद हो सकती हैं. एसिड की उपलब्धता पर भी सख्ती बरती जानी चाहिए. इसके लिए सुप्रीमकोर्ट के दिशानिर्देश भी हैं.

मिनती पर पति ने तेजाब डाला
ओडिशा में एसिड सरवाइवर्स के रूप में कुछ और चौंकाने वाली घटनाएं प्रकाश में आईं. प्रमोदिनी को तो सुंदर-से पति के रूप में सरोज मिल गए लेकिन ब्रह्मपुर जिले के कविसूर्यनगर की मिनती प्रधान के चेहरे पर उसके शक्की मिजाज पति ने ही तेजाब उड़ेल दिया. यह घटना मेडिकल कॉलेज परिसर में ही 16 नवंबर 2007 को हुई.

वे वहीं पर डिप्लोमा इन मेडिकल लैबोरेटरी टेक्निशियन (डीएमएलटी) कोर्स कर रही थीं. पति को बाद में जमानत मिल गई. मिनती बताती हैं कि पति समझौते के लिए धमकी भी देता है. उनकी एक आंख और चेहरा खराब है. तीन बहनों में सबसे बड़ी मिनती घर का खर्च भी देखती हैं. उन्हें लैब में कांट्रैक्चुअल नौकरी मिली थी, अब वह भी छूट गई.

कालाहांडी जिले के कलामपुर की 22 वर्षीया पूनम सिंहल को एकतरफा चाहने वाले सिरफिरे आशिक ने 17 अक्तूबर 2000 को सरेबाजार तेजाब से नहला दिया. वे पांच साल तक कटक और फिर दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज कराती रहीं. बेरोजगार पूनम आजकल परिवार के साथ दिल्ली में हैं. इसे एसिड अटैक का पहला बड़ा केस बताया जाता है. कालाहांडी की दमयंती बिहारी पर 15 जनवरी 2018 को एकतरफा प्रेम में तेजाबी हमला किया गया. दो साल बाद जाकर आरोपी परशुराम गिरफ्तार किया गया. दमयंती भुवनेश्वर के पुश आश्रम में रहकर स्टेनोग्राफी और कंप्यूटर सीख रही हैं.

देखने में आया है कि इस तरह के अधिकांश वाकए एकतरफा प्यार के आवेश में आशिक लड़कों की ओर से अंजाम दिए जाते हैं. और इस तरह से वे एक जीवन को तबाह और बर्बाद कर देते हैं. इसी तरह की एक घटना गंजम जिले के गंजपुर गांव में हुई. वहां मामुनी बिसोई पर 2018 में एकतरफा प्यार में तेजाब फेंका गया.

आरोपी पकड़ा गया और फिलहाल जेल में है. कटक मेडिकल कालेज में मामुनी की आठ सर्जरी की गई. अनुसूचित जाति की मामुनी के पिता ठेका मजदूर हैं. कंधमाल के फुलबानी की अनाथ बच्ची संगीता पर तो उस वक्त तेजाब फेंका गया था जब वह आठ साल की थी. संगीता एक घर में नौकरानी थी और वहीं मालिक के बेटे ने इस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया. वे सुभद्राश्रम में रह रही हैं. अब वे 18 साल की हैं और आइटीआइ में टेलरिंग का प्रशिक्षण ले रही हैं.

चाहिए और सरोज
प्रमोदिनी बताती हैं कि सरोज उनका बहुत ख्याल रखते हैं. ''वे हृदय बहुत कोमल है. 
मैंने सोचा भी न था कि मेरे जीवन में कोई अजनबी आएगा और मेरा हमसफर बन जाएगा.’’ लेकिन एसिड अटैक का संत्रास झेल रही बाकी पीडि़ताओं को उनका सरोज कब मिलेगा? 

छपाक-से पहचान ले गया
 एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2018 के बीच देशभर में एसिड अटैक की 700 से ज्यादा घटनाएं सामने आईं

 एसिड अटैक के सबसे ज्यादा 260 मामले उत्तर प्रदेश के थे. उसके बाद पश्चिम बंगाल (248), दिल्ली (114) और मध्य प्रदेश (59) का नंबर था. ओडिशा में इस तरह की 52 घटनाएं दर्ज की गईं 

 जानकारों के मुताबिक, इस तरह के बहुत-से मामले तो पुलिस तक आ ही नहीं पाते. कई बार तो हमलावर ही पीडि़ता को डरा-धमकाकर चुप करा देते हैं

 बहुत-से मामलों में देखने में आया कि एकतरफा प्यार में खारिज किए जाने पर सिरफिरे आशिक ऐसे हादसे अंजाम देते हैं

—महेश शर्मा

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