शशि थरूर ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जो न तो टीम राहुल में अपनी जगह बना सके और न ही पुराने दिग्गजों के लाडले हो सके. तिरुवनंतपुरम के सांसद पार्टी के उन पांच सांसदों में से एक हैं जिन्होंने लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीते हैं. पिछले साल, थरूर को लोकसभा में कांग्रेस के नेता पद के लिए नजरअंदाज कर दिया गया था.
यहां तक कि उन्हें पार्टी व्हिप भी नहीं बनाया गया था. इसके बाद पार्टी ने न तो उन्हें जनवरी में सीएए-एनपीआर पर गठित त्वरित प्रक्रिया टीम का हिस्सा बनाया, न ही 28 मार्च को गठित कोविड-19 टास्क फोर्स में शामिल किया. कोविड संकट पर पार्टी के विचारों को तैयार करने के लिए गठित 11 सदस्यीय सलाहकार समूह में भी वे शामिल न हो सके.
संयुक्त राष्ट्र में थरूर के अनुभव को देखते हुए, यह चौंकाने वाला है कि पार्टी उन्हें महामारी पर सलाह के काबिल नहीं समझ रही. थरूर के शब्दों में, यह तो महत्वहीन समझने जैसा ही है.
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