छब्बीस अप्रैल को, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फोन पर हुई एक बातचीत को रीट्वीट किया जिसमें दो 'पत्रकार' कथित तौर पर चर्चा कर रहे थे कि सोरेन के विधानसभा क्षेत्र बरहेट में कुछ आदिवासी लोगों को किस प्रकार खाली बर्तनों के साथ दिखाया जाए.
एक दिन पहले, उन दोनों के अलावा तीन अन्य लोगों को सोरेन की छवि खराब करने की कोशिश करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. क्या फर्जी खबरों के खिलाफ एक वास्तविक अभियान चलेगा?
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