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कौन-सा काला सच छिपा है “सुखी परिवारों” के पीछे?

बाहर से खुशहाल दिखने वाले परिवार हमेशा हकीकत की ही तस्वीर नहीं बयान कर रहे होते. कोलकाता के फोंसेका परिवार में हुआ तिहरा हत्याकांड इसकी ताजा मिसाल.

अपडेटेड 22 जनवरी , 2016

आखिर किस तरह के लोग अपने बच्चों या अपने जीवनसाथी की हत्या करते हैं? कोलकाता के मनोविज्ञानी डॉ. जय रंजन राम का जवाब है, “ऐसा व्यक्ति जो किसी परेशानी के कारण अपना मानसिक संतुलन खो बैठा हो.” शायद वे खुद को हारा हुआ या समाज से बहिष्कृत महसूस करते हैं या लगातार आलोचना झेल रहे होते हैं. वे खुद को माता-पिता या एक जीवनसाथी के रूप में विफल महसूस करते हैं और फिर उन सब परेशानियों से मुक्त होने का मन बना लेते हैं. और फिर एक दिन वे हत्या कर बैठते हैं.” उनके चैंबर की खामोशी सिर्फ एयरकंडिशनर या पास से गुजरती कारों की आवाज से भंग होती है. तो फिर वे फोंसेका परिवार के तिहरे हत्याकांड के बारे में क्या कहेंगे? डॉ. राम मुस्कराते हैं. “मैं कुछ नहीं कह सकता. जेसिका और नील, दोनों ही मेरे मरीज थे.”

शहर में आज यही चर्चा का विषय है. 16 जनवरी की सुबह फोंसेका परिवार में तिहरे हत्याकांड से पूरा शहर सन्न रह गया. कोलकाता पुलिस इस एक सबसे नए कोण की भी जांच कर रही है. परिवार में एक साथ तीन हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है. सभी अखबारों में यही खबर सुर्खियों में थीः “मैं ने कोलकाता में तिहरे हत्याकांड में जुड़वां बच्चों को मार डाला.” “आदमी कहता है, पत्नी के बच्चों की हत्या के बाद उसे पत्नी को मारना पड़ा.” “आदर्श परिवार की दुर्दशा.” “हत्या से पहले मानसिक इलाज.” एक जाना-पहचाना खौफ भरा सवाल फिर लौट आया हैः बाहर से खुशहाल दिखने वाले परिवार में यह हादसा कैसे हो गया?

जो लोग फोंसेका परिवार को जानते हैं, वे 15 जनवरी, दिन शुक्रवार के बारे में बात करते हैं. यह 157 साल पुराने एक सामाजिक क्लब डलहौजी इंस्टीट्यूट, जिसे प्यार से डीआइ के नाम से जाना जाता है, में साप्ताहिक बार नाइट्स का एक दिन था. यह संगीत, मौजमस्ती और खेलकूद की कुछ पसंदीदा जगहों में से एक है. यहां से कई एंग्लो-इंडियन हस्तियां जुड़ी रही हैं, जैसे हॉकी के मशहूर खिलाड़ी लेस्ली क्लाडियस, कोलकाता का पहला क्विजिंग परिवार, ओ ब्रायंस और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस.

उस दिन शाम को क्लब में खास तौर पर बहुत भीड़ थी. छोटे से मंच पर नई प्रतिभा लोरेना धर कोई पुराना गाना सुना रही थीं. इंटरनेशनल एंग्लो-इंडियन रियूनियन कार्यक्रम के लिए बहुत-से विदेशी अतिथि शहर में आए हुए थे. वहां ढेरों जाने-पहचाने चेहरे मौजूद थे-दंपती, परिवार, मित्र. वहीं किसी जगह पर खुशमिजाज फोंसेका परिवार भी आनंद उठा रहा थाः जेसिका (43 वर्ष) और पति नील (49 वर्ष), जिन्होंने एक दिन पहले ही अपनी शादी की 22वीं सालगिरह मनाई थी.

उनके 16 साल के जुड़वां बेटे डारेन और जोशुआ के अलावा 21 साल की बेटी सामंता थी. वह अमेरिका में पढ़ाई कर रही थी और छुट्टियों में भारत वापस आई थी. दोनों जुड़वां भाई क्लब के मैदान में फुटबॉल खेल रहे थे, जबकि घर के बड़े लोग अपने दोस्तों के साथ बार में ड्रिंक कर रहे थे. अपनी आदत के अनुसार जेसिका गपशप और हंसी-मजाक में मशगूल थीं, नील के साथ उनकी हल्की कहा-सुनी भी हुई, लेकिन रात के करीब 11 होते-होते वे एक-दूसरे के साथ नाच रहे थे.
 जेसिका का यह आखिरी डांस था. अगली सुबह जेसिका और उनके दोनों जुड़वां बेटे एक बेडरूम में मरे हुए पाए गए, जबकि नील को गले में गहरे घाव के साथ इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया था. आखिर उस रात अचानक ऐसा क्या हो गया? इसके पीछे दो अलग-अलग कहानियां बताई जा रही हैं. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पूर्व) गौरव शर्मा और गुप्तचर विभाग में नरहत्या सेक्शन के अधिकारियों के मुताबिक, यह किसी अंदर के आदमी का काम था. लेकिन सामंता, नील की मां शर्ली और जेसिका की बहन शबाना अनवर, जो हत्या के समय घर में मौजूद थीं, का कहना है कि उन्होंने किसी तरह की आवाज नहीं सुनी.

नील ने लिखकर अपनी बात बताई है न्न्योंकि वे बोलने की स्थिति में नहीं हैं और उनका इलाज चल रहा है. इसके मुताबिक, फोंसेका परिवार आधी रात के कुछ देर बाद घर वापस आ गया था. चूंकि बेटी सामंता, शर्ली और शबाना घर में थीं, इसलिए लड़के माता-पिता के बेडरूम में सो गए. करीब 4 बजे जेसिका ने पाया कि नील अपना फोन देख रहे थे. इस पर जेसिका को उनके किसी दूसरी महिला से संबंध रखने का शक हुआ. उनकी आपस में नोक-झोंक हुई, जो काफी बढ़ गई. वे वॉशरूम चले गए और जब लौटे तो देखा कि जेसिका एक लड़के को किसी भारी चीज से मार रही थी. दूसरा लड़का पहले ही मर चुका था. वे एक चाकू उठाकर जेसिका की तरफ दौड़े. जेसिका ने उन पर भी हमला किया. इस झगड़े में जेसिका गिर गई और उसका सिर बेड से टकरा गया, जिससे उसकी मौत हो गई. सकते में आ चुके नील ने चाकू और ब्लेड से आत्महत्या करने की कोशिश की. उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ही जेसिका की हत्या की, लेकिन “अपने बचाव में.”

पुलिस की ओर से तैयार एक दूसरी कहानी भी बताई जाती है. इसके अनुसार, सामंता और शबाना डाइनिंग रूम में भोर होने से कुछ देर पहले तक बात कर रही थीं. रात करीब 1 बजे उन्होंने नील को बेडरूम का दरवाजा बंद करते देखा, जहां जेसिका और जुड़वां भाई सो रहे थे. करीब 4.30 बजे वे दोनों अब भी बातचीत में मशगूल थे. तभी नील बाहर आए और उन्होंने उन दोनों से कहा कि वे जाकर सो जाएं.

सामंता उठकर शर्ली के कमरे में चली गई और शबाना दूसरे कमरे में. सुबह 6.30 बजे ड्राइवर ने दरवाजे की घंटी बजाई. एक घंटे बाद 7.30 बजे नील के कुछ क्लाइंट्स ने घंटी बजाई. शबाना ने जब बेडरूम का दरवाजा खटखटाया तो नील बाहर आए. उस समय उनकी “आंखें अजीब लग रही थीं.” नील ने शबाना को बताया कि जेसिका और दोनों जुड़वां भाई मर चुके हैं.

शबाना भागीं और करीबी रिश्तेदारों को बता दिया. इसके बाद नील को जब उनके बेडरूम से निकाला गया तो उनके गले में गहरा घाव था. पुलिस अब उनके खिलाफ हत्या का मामला बना रही है. उसका मानना है कि उन्होंने ही अपनी पत्नी और नींद में सो रहे बेटों के सिर पर बेरहमी से डंबल (मुगदर) मारकर उनकी हत्या की है. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, उनकी कलाइयों पर जो घाव हैं, जिसके बारे में नील का कहना है कि उनकी पत्नी से झगड़े के कारण वे घाव लगे थे, वे शायद खुद ही लगाए गए थे.

विसरा नमूनों को जांच के लिए भेज दिया गया है ताकि पता लगाया जा सके कि मारे गए लोगों की हत्या से पहले कहीं कोई नशीली दवा तो नहीं दी गई थी. हालांकि पुलिस अपनी तरफ से मामला बना सकती है, लेकिन कोई भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहा है कि इस तिहरे हत्याकांड के पीछे मकसद क्या था?

नील हंगरफोर्ड स्ट्रीट में इंटीरियर डेकोरेशन की अपनी कंपनी “इंटीरियर्स काल” चलाते थे. लेकिन पिछले तीन साल से उनका कारोबार मंदा चल रहा था. वे पिछले कई महीने से अपने अपार्टमेंट का किराया भी नहीं चुका पाए थे. रेस में नियमित रूप से पैसा लगाने वाले नील ने रेस का अपना घोड़ा सरताज गवां दिया, जब रॉयल कलकत्ता टर्फ क्लब ने सितंबर, 2015 में इसे नीलाम कर दिया क्योंकि वे “बकाए की रकम चुका नहीं पाए थे.”

इसके बावजूद खुशमिजाज, मृदुभाषी, स्मार्ट और विनीत स्वभाव वाले नील क्लब में हर किसी के पसंदीदा इंसान थे. वे डीआइ के लिए स्नूकर के कई खिताब जीत चुके थे. प्रत्यक्ष तौर पर नील ने पुलिस को बताया है कि उनकी शादी में तनाव था. पहला, कुछ साल पहले एक प्रेम-प्रसंग को लेकर, दूसरे उनकी घटती आमदनी को लेकर, जिसके कारण उन्हें खर्चों में कटौती करनी पड़ रही थी और कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा था.

क्या यही वजह है कि वे पिछले कुछ सालों से साथ-साथ डॉ. राम के पास जा रहे थे. नील डॉक्टर के पास अकेले भी जाते थे. यहां तक कि पिछले साल के अंत में भी. लेकिन उनके मकान मालिक ए. सेठ के परिवार के मुताबिक, “वे सचमुच एक अच्छे इनसान थे.” पड़ोसी श्री और श्रीमती गोम्स भी नील के बारे में ऐसी ही राय रखती हैः “जेसिका हम लोगों से ज्यादा मेलजोल नहीं रखती थीं. लेकिन नील बहुत दोस्ताना और विनम्र स्वभाव के थे.”

फिर एक, सचमुच अच्छे व्यक्ति ने अचानक उन तीन लोगों की हत्या कैसे कर दी, जो उसके अपने थे. इसके पीछे मकसद क्या हो सकता है? दिल्ली में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. मंजू मेहता कहती हैं, “पारिवारिक हत्याओं का मामला बहुत जटिल होता है. आम तौर पर उनका संबंध मानसिक बीमारी और पुराने अवसाद, अत्यंत निजी समस्याओं, अव्यक्त गुस्से और  कुंठा से जुड़ा होता है.”

जेसिका और नील दोनों डॉ. राम के पास जाते थे. निश्चित ही दोनों के रिश्तों में तनाव था. लेकिन वे अकेले नहीं हैः नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो का वार्षिक प्रकाशन “क्राइम इन इंडिया, 2015” दिखाता है कि 37,313 हत्या और गैरइरादतन हत्या के मामलों में से 2,503 मामले घर के भीतर घटित हुए और इसकी वजह प्रेम, ईर्ष्या, लालच, अपराध बोध और बदला रही थी. यह संख्या भारत में कुल हत्या का 7 फीसदी है. साफ है कि पवित्र समझे जाने वाले भारतीय परिवारों में सबकुछ बहुत अच्छा नहीं है.

इस बीच जहां यह सब घटित हुआ, वह पाम एवेन्यू फिर अपनी दिनचर्या पर लौट चुका है. पुलिस वाले उस जगह की गश्त लगाते हैं, जहां पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री वीआइपी बुद्धदेव भट्टाचार्य रहते हैं. भट्टाचार्य के निवास के सामने पीले रंग की तीन मंजिला इमारत 73-1 सी पाम एवेन्यू चांद की रोशनी में धुंधली नजर आ रही है. ऊपरी मंजिल पर अंधेरा है. यही वह जगह है, जहां फोंसेका परिवार ने नौ साल से अपना ठिकाना बना रखा था. लेकिन सिर्फ एक रात में ही सब कुछ तहस-नहस हो गया.

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