एसएडी
के मुखिया और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत
बादल खुद को असली आम आदमी बताते हैं. फरवरी, 2012 के विधानसभा चुनावों में
उनकी पार्टी के एक भी सीट जीत पाने में कामयाब न रहने पर वह पंजाब की
राजनीति में हाशिए पर चले गए थे. लेकिन वहीं से वह हमेशा कांग्रेस से
गलबहियां करते रहने की कोशिश करते रहते थे. फिर 15 जनवरी को उन्होंने सारी
दूरियां मिटाकर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कर लिया.
कांग्रेस में
शामिल होने के बाद वे बोले, “मुझे महसूस हुआ कि कांग्रेस के पास ज्यादा
परिपक्व और अनुभवी नेतृत्व है.” पिछले विधानसभा चुनावों में पंजाब के कुल
मत प्रतिशत का लगभग पांच फीसदी अर्जित करने वाले मनप्रीत का कहना है कि वे
कांग्रेस में इसी शर्त पर शामिल हुए हैं कि वह उनके 11 सूत्रीय एजेंडे को
पूरी तरह अमल में लाएगी जिसमें पंजाब में वीवीआइपी संस्कृति को खत्म करना
भी शामिल है.
मनप्रीत का इस बात पर भी जोर है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष
राहुल गांधी पूरी तरह इससे समहत हैं. मनप्रीत कहते हैं, “मैं राहुल गांधी
से तीन बार मिला. उन्होंने मेरे एजेंडे को स्वीकार करके उसका अपने एजेंडे
में विलय कर लिया है.” माघी मेले में 14 जनवरी को आम आदमी पार्टी (आप) और
अरविंद केजरीवाल के बड़ी रैली करने के अगले ही दिन दिल्ली में एआइसीसी ने
औपचारिक रूप से इस विलय को स्वीकार कर लिया.
पंजाब के वित्त मंत्री के
रूप में इस्तीफा देने (जिसे स्थानीय राजनैतिक हलकों में मोटे तौर पर
पारिवारिक रंजिश की परिणति के रूप में देखा जाता है) के बाद पांच साल से
ज्यादा समय से दरकिनार रहने वाले मनप्रीत का कहना है कि वे बिना किसी शर्त
के कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. वे कहते हैं, “हमने यह साफ कर दिया है
कि हम पार्टी में किसी पद के लिए काम नहीं करेंगे जब तक कि मैं राज्य में
हर कांग्रेस कार्यकर्ता का विश्वास अर्जित नहीं कर लेता. मेरा पहला काम खुद
को पार्टी में समाहित करने का है.”
हालांकि महत्वपूर्ण बात यही है कि
जो व्यक्ति एसएडी में बना रहकर उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल का दायां
हाथ बना रह सकता था, वह भविष्य में अपने लिए बड़ी भूमिकाओं का अनुमान जरूर
लगा रहा है. मनप्रीत ने चंडीगढ़ में एक पत्रकार को कहा, “सवाल किसी
नेता-चाहे वह सुखबीर बादल हों या अमरिंदर हों या मैं-खुद का नहीं है.”
इस तरह गाहे-बगाहे उन्होंने खुद को भी होड़ में डाल ही दिया.
भले ही उनको
शामिल करके कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत मान रही हो लेकिन आम आदमी
पार्टी मनप्रीत को खारिज करते हुए उन्हें ऐसा भीतरी बता रही है जो सत्तारूढ़
अकाली-बीजेपी गठबंधन में पनप रहे भ्रष्टाचार को बेनकाब नहीं कर सका. पंजाब
में आप के मुख्य रणनीतिकार दुर्गेश पाठक कहते हैं, “दिखावे में आम आदमी
नहीं हो सकते हैं आप. मनप्रीत को पंजाब के मतदाताओं के सामने अपनी
प्रामाणिकता साबित करनी होगी. हम गांधीजी को क्यों याद करते हैं? उसके लिए
नहीं जो वे कहते थे, बल्कि इस बात के लिए कि वे जो कहते थे, उस पर खुद
वास्तव में अमल करते थे.”
उधर, मनप्रीत कहते हैं कि इस तरह की पेशकश के
बावजूद उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया क्योंकि आप पंजाब
के लिए कोई कारगर ब्लूप्रिंट रखने में नाकाम रही है. ठीक इसी मामले में वे
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह और पार्टी के लिए मददगार हो सकते हैं
ताकि वे ऐसा ब्लूप्रिंट तैयार कर सकें जो पंजाब के लिए आप के एजेंडे पर
सवाल उठाता हो या उसे गलत बताता हो.
उनकी मौजूदगी पंजाब में कांग्रेस के
लिए एक बड़ी बात हो सकती है. लेकिन जैसा एक वरिष्ठ विश्लेषक का कहना है, इस
समय उनके पास कांग्रेस की भीतरी संस्कृति के मुताबिक खुद को ढालने के लिए
काफी कम समय है. प्रकाश सिंह बादल के अकाली दल में दीक्षा ले चुके मनप्रीत
के लिए इस बदलाव की प्रक्रिया को पूरा करने में थोड़ा वक्त लग सकता है.
पंजाबः मिल गया हाथ का साथ
स्वयंभू असली आम आदमी मनप्रीत बादल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा है कि पार्टी ने “वीवीआइपी” संस्कृति खत्म करने का उनका एजेंडा स्वीकार किया है.

अपडेटेड 22 जनवरी , 2016
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