सोशल नेटवर्किंग की दुनिया न सिर्फ असल जिंदगी में जोडिय़ां बनवा रही है बल्कि अब तो खेल के मैदान भी इससे अछूते नहीं हैं. हुआ यूं कि एक युवा टेनिस खिलाड़ी को उसके फेसबुक खिलाड़ी दोस्त ने एक रिक्वेस्ट भेजी. वह रिक्वेस्ट विंबलडन के बॉयज के डबल्स मुकाबले में उसके साथ मिलकर खेलने की थी. दूसरे खिलाड़ी ने इस ऑफर को हां कहा और दोनों लंदन के ग्रास कोर्ट पर उतर गए. उनकी जोड़ी ऐसी जमी कि दोनों ने अच्छे-अच्छों के छक्के छुड़ा दिए और आखिर में विंबलडन की बॉयज चैंपियनशिप अपने नाम कर ली. यह जोड़ी भारत के 17 वर्षीय सुमित नागल और वियतनाम के ली हुआंग नाम की थी. किसी भी ग्रैंडस्लैम की बॉयज चैंपियनशिप को जीतने वाले वे भारत के छठे खिलाड़ी बन गए. उनके हौसले बुलंद हैं. वे कहते हैं, ''अब मैं खुद को मेन्स टूर्नामेंट के लिए तैयार कर रहा हूं. मेरा पूरा फोकस पुरुष सिंगल्स की रैंकिंग पर है.''
हरियाणा की धरती को भारत के लिए मुक्केबाजी और कुश्ती में पदक जीतने वाले हीरो के लिए जाना जाता है. अब यहां से खेल के नए क्षेत्रों में भी प्रतिभाएं अपना हुनर दिखा रही हैं. दिल्ली से करीब 100 किमी दूर झज्जर जिले के जैतपुर गांव में 16 अगस्त, 1997 को जन्मे सुमित क्रिकेटर बनना चाहते थे. लेकिन सेना की शिक्षा कोर से हवलदार के रूप में सेवानिवृत्ति होने के बाद दिल्ली के नांगलोई में बस गए उनके पिता सुरेश नागल को यह खेल पसंद नहीं था. सुरेश खुद टेनिस के शौकीन हैं और चाहते थे कि उनका बेटा भी टेनिस खेले. लेकिन वे अपनी इस इच्छा को उस पर थोपना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने एक दिन अपने बेटे से कहा, ''मैं तुम्हें स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स लेकर चलूंगा, और वहां देखना, कितने तरह के खेल हैं.'' बच्चे की उम्र सात साल थी और पिता के कहने पर वह स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स गया. जब वहां से लौटा तो उसके हाथ में रैकेट था. सुमित बताते हैं, ''इस तरह टेनिस की ओर मेरे कदम बढ़ गए और टेनिस मेरा जुनून बन गया.''
रैकेट को थामना कोई आसान नहीं था. सुमित की मेहनत सुबह पांच बजे शुरू हो जाती और वह हर काम करता जो उसे टेनिस के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करते. सुमित बताते हैं, ''मैंने कभी प्रैक्टिस के लिए ना नहीं कहा और जब तक कोच कहते, मैं प्रैक्टिस करता. कोच कहते कि एक गेंद मारनी है तो मैं पांच मारता.''
बेटे के सपने को साकार करने में मां कृष्णा नागल भी जुट गईं. वे उसे स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में प्रशिक्षण दिलाने के लिए 1.5 किमी पैदल चलकर करीब के बस स्टॉप तक जातीं. बस में ऐसे ही एक सफर के दौरान मां की परेशानी ने सुमित के इरादे को और पुख्ता कर दिया. वे याद करते हैं, ''एक बार मैं मम्मी के साथ बस में सफर कर रहा था. बाइचांस मम्मी अपना बटुआ घर भूल आई थीं. वहां उन्हें किसी और से पैसे मांगने पड़े. मुझे उस दिन बहुत खराब लगा. तब मैंने खुद से वादा किया कि अपनी जिंदगी में ऐसा दोबारा नहीं होने दूंगा.''
टेनिस खेलते हुए सुमित अब साढ़े नौ साल का हो चुका था. उसी दौरान अपोलो टायर्स ने महेश भूपति समेत पांच कोचों को टेनिस का टैलेंट ढूंढने का जिम्मा सौंपा ताकि भविष्य में वे ग्रैंड स्लैम जैसे बड़े मुकाबलों में जीत दर्ज कर सकें. दिल्ली में छांटे गए बच्चों में सुमित का चयन हो गया. अप्रैल, 2008 में सुमित महेश भूपति की एकेडमी में ट्रेनिंग लेने के लिए बेंगलूरू चले गए. वहां पूरा फोकस टेनिस की ट्रेनिंग पर रहता और विदेश दौरे भी होते. अपोलो का प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद सुमित में स्पार्क देखकर भूपति ने उनकी पूरी जिम्मेदारी लेने का फैसला कर लिया.
भूपति की देख-रेख में उनका करियर परवान चढऩे लगा. फिलहाल वे दिसंबर, 2013 से जर्मनी की शटलर वास्क टेनिस-यूनिवर्सिटी में कोचिंग ले रहे हैं और रोजाना तीन घंटे टेनिस की प्रैक्टिस करते हैं और दो घंटे खुद को फिट रखने के लिए गुजारते हैं. उनकी मां कृष्णा कहती हैं, ''मेझे उसकी बहुत याद आती है. कई दिनों तक हमारी बात नहीं होती.''
सुमित अपनी पहली कामयाबी मुंबई की अंडर-16 में भागीदारी को मानते हैं. इसने उनका हौसला बढ़ाने का काम किया. राफेल नडाल को वे अपनी प्रेरणा बताते हैं और कहते हैं, ''मुझे खेल को लेकर उनका जुनून, रवैया और शालीनता पसंद है. वे जेंटलमैन खिलाड़ी हैं.'' अपने पसंदीदा खिलाड़ी की ही तरह सुमित को प्ले कोर्ट पर खेलना पसंद है. टेनिस महंगा खेल है लेकिन जैसा कि सुमित के पिता सुरेश कहते हैं, ''महेश भूपति के तस्वीर में आने के बाद स्पॉन्सरशिप कोई मुद्दा नहीं रही.'' भूपति के बारे में सुमित कहते हैं, ''मेरे करियर को वही आकार दे रहे हैं और वही सब कुछ कर रहे हैं.''
उनके पिता दिल्ली के सरकारी स्कूल में प्राइमरी टीचर हैं तो बड़ी बहन साक्षी शौकीन टीचर हैं. मां कृष्णा खुद को 'अंधविश्वासी' मानती हैं और अपने बेटे के मैच नहीं देखतीं. इस दौरान उनके हाथ-पांव सुन्न हो जाते हैं. नांगलोई के छोटे-से घर में एक कैबिनेट में सिर्फ ट्रॉफियां रखी गई हैं. 12वीं पास सुमित फुरसत के लम्हों में दोस्तों के साथ मस्ती करते हैं. वे चाहते हैं कि एक दिन वे भी कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में बतौर गेस्ट आएं.
इस सब के बीच वे टेनिस की शीर्ष वरीयता हासिल करने के अपने टारगेट को नहीं भूलते. वे इतना ही कहते हैं, ''जब 21-22 का हो जाऊंगा तो शायद अपने फ्यूचर को देख सकूंगा.'' पिता सुरेश का सपना है कि सुमित मेन्स सिंगल्स टाइटल जीतें. जब वे बड़े खिलाड़ी हो जाएंगे तो मां कृष्णा का उनके दौरे में शामिल होने का अरमान भी पूरा हो जाएगा.
सुमित नागल: टेनिस कोर्ट पर नए सितारे का उदय
पहलवानों और मुक्केबाजों की धरती हरियाणा से निकल रहा नया टैलेंट. सुमित नागल ने विंबलडन की बॉयज डबल चैंपियनशिप जीती. सपना है पुरुष सिंगल्स की शीर्ष वरीयता पर पहुंचना

अपडेटेड 5 अगस्त , 2015
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