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वसुंधरा राजे के राज में सुशासन को पलीता

प्रदेशभर में हुई हालिया बड़ी आपराधिक वारदात से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, पुलिसवाले भी हुए हमलों के शिकार.

अपडेटेड 24 नवंबर , 2014

नवंबर की 15 तारीख को राजस्थान के नागौर जिले के कुचामन थाने के हेड कांस्टेबल फैज मोहम्मद की हत्या हो गई. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उसी दिन फैज के आश्रितों के लिए सरकारी मदद की घोषणा की. उन्हें हाउसिंग बोर्ड में मकान, 22 लाख रु. नकद और एक आश्रित को सरकारी नौकरी मुहैया कराने की बात कही गई. फैज की हत्या के आरोपी हिस्ट्रीशीटर विजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटनाक्रम से एक दफा तो लग सकता है कि सरकार मुस्तैद है.

लेकिन असलियत बिल्कुल उलट है. अपने एक कर्मी की हत्या के बावजूद पुलिस विभाग या गृह मंत्रालय ने कोई सबक नहीं लिया. फैज के आश्रितों को सरकारी मदद के ऐलान के बाद सब कुछ रूटीन की तरह हो गया. और इसके 24 घंटे बाद ही कोटा जिले के कुन्हाड़ी थाने के थानाधिकारी राजेश सोनी हमले के शिकार हो गए. श्रीगंगानगर जेल से फरार अपराधी अनवर ने उन पर देसी कट्टे से फायर कर दिया. वे किस्मत वाले रहे कि गोली जांघ के बीच से निकल गई. पुलिस पर हुई हमले की यह वारदात अपराधियों के बुलंद हौसले की तरफ स्पष्ट इशारा करती है.

प्रदेश में अपराधियों के बढ़ते हौसले का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फैज की हत्या का आरोपी विजेंद्र पिछले छह माह से कुचामन में खुलेआम लोगों को डरा-धमका कर जबरन वसूली कर रहा था. पुलिस ने ऐसी कई शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया था जबकि कुछ माह पहले ही विजेंद्र ने इसी थाने के एक कांस्टेबल बालूराम विश्नोई पर गोली चलाई थी. सहकारिता मंत्री अजय किलक के गृह क्षेत्र डेगाना में पकड़े गए फर्जी पुलिसकर्मी गिरोह में भी विजेंद्र अहम सदस्य था और पुलिस दावा कर रही है कि उसके तार अजमेर जेल से जुड़े हैं. पिछले दिनों कैदियों की आपसी लड़ाई में बीकानेर जेल में बलवीर बानूड़ा की मौत हो गई. बानूड़ा से भी उसके संबंध रहे हैं. विजेंद्र के पास से भारी मात्रा में हथियार मिले हैं. ऐसे खतरनाक अपराधी को खुलेआम छूट मिलना प्रशासन के रवैए को जाहिर करता है. प्रदेश में बढ़े गैंगवार और उनके जेल से संबंध को पुलिस ने खुद स्वीकार किया है. पर आखिर हथियार और मोबाइल फोन जेल में अपराधियों तक कैसे पहुंच रहे हैं? यह सुशासन तो कतई नहीं है.
फैज की हत्या का आरोपी विजेंद्र सिंह
(फैज की हत्या का आरोपी अपराधी विजेंद्र सिंह पुलिस कस्टडी में)
गृह मंत्री व्यस्त, पुलिस पस्त
दूसरी ओर प्रदेश के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया इन घटनाओं के दौरान निकाय चुनाव के प्रचार में व्यस्त रहे. वे विकास की गारंटी के लिए निकाय चुनावों मे बीजेपी को मजबूत करने की बात कह रहे थे जबकि आपराधिक वारदातों की शिकार उन्हीं की पुलिस बन रही है. ऐसे में आम लोगों की सुरक्षा कैसे होगी? प्रचंड बहुमत वाली बीजेपी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद आरएसएस के करीबी कटारिया को गृह मंत्री बनाया है. कटारिया राजनीति के चस्के में डूबे हैं और बेखौफ अपराधी चारों ओर आतंक मचाए हुए हैं.

सरकार में कटारिया की हैसियत नंबर-दो  की मानी जाती है. वे सरकार के फैसलों में अहम भूमिका निभाते हैं. बतौर गृह मंत्री सुरक्षा की कमान संभालने से पहले वे सरकार में पंचायती राज मंत्री थे. इन वारदात ने शुरुआत में ही उनके सामने चुनौती पेश कर दी है. अब उन्हें इन पर ध्यान देना होगा क्योंकि अपराधियों की कडिय़ां एक-दूसरे से जुड़ी हैं. इसका असर नगरपालिका चुनाव और आने वाले पंचायत चुनावों पर भी पड़ सकता है. बीजेपी सत्ता में आने के बाद राज्य के उपचुनावों में नकारात्मक नतीजों का स्वाद चख चुकी है. ऐसे में उसके लिए संभल कर चलना जरूरी है.   

कटारिया की तरह आरएसएस से संबंध रखने वाले समाज कल्याण मंत्री अरुण चतुर्वेदी को भी जवाब देते नहीं बन रहा है. जयपुर के झेटवाड़ा में गरीब बच्चों के सरकारी छात्रावास में उसका संचालक लंबे वक्ïत से दो छात्राओं का कथित तौर पर शारीरिक शोषण कर रहा था. मामला खुला तो हर कोई सकते में है.

और महिलाओं पर कहर
महिलाओं के खिलाफ हो रहे संगीन अपराधों से भी सरकार के सुशासन के दावे की पोल खुल रही है. 16 नवंबर को ही सीकर जिले में तो इनसानियत की सारी हदें पार हो गईं. यहां दातारामगढ़ इलाके के कांकरा गांव में एक महिला को उसके पति केसर सिंह ने कथित तौर पर मुंह में कपड़ा ठूंस कर निर्वस्त्र कर पूरे गांव में घुमाया. राजसमंद जिले में 8 नवंबर को ऐसा वाकया हो चुका था. यहां के थुरावड़ गांव में पंचों के फरमान पर एक महिला को निर्वस्त्र घुमाया गया. हालांकि इस मामले में पुलिस ने 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और कटारिया ने इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बात कही है. राजसमंद जिले में ही रेलमगरा स्कूल की एक 16 वर्षीया छात्रा पर वहां का अध्यापक नंबर बढ़वाने के नाम पर कथित तौर पर यौन संबंध बनाने का दबाव बना रहा था. प्रिंसिपल से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. लिहाजा छात्रा ने आरोपी अध्यापक की बातें मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर लीं और 19 नवंबर को इस मामले का खुलासा हो गया. सिरोही जिले के मोरेली गांव में भी 11 नवंबर को एक 12 वर्षीय छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उसने सुसाइड नोट में आत्महत्या की वजह अपने स्कूल के अध्यापकों की प्रताडऩा बताया है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, 2013 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 27,933 दर्ज मामलों के साथ राजस्थान चौथे नंबर पर है तो बलात्कार के मामले में दूसरे नंबर पर. एनसीआरबी के मुताबिक, राज्य में 2013 में बलात्कार के 3,285 मामले दर्ज हुए. जाहिर है, महिलाओं की सुरक्षा सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.

हालिया वारदात पर कांग्रेस ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास ने सरकार के कठघरे में खड़ा करते हुए कहा, ''प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में इजाफा हुआ है. '' कांग्रेस के महिला मोर्चा ने इस मसले पर कटारिया से इस्तीफे की मांग कर डाली है. कोटा में  9 अक्तूबर को सात वर्षीय रुद्राक्ष के अपहरण और हत्या में भी सरकार की काफी फजीहत हुई थी. राज्य के पुलिस महानिदेशक ओमेंद्र भारद्वाज कहते हैं,  ''इन दिनों महिलाओं पर जो अत्याचार हुए हैं यह सामाजिक समस्या है. ''

साफ है कि राज्य में औद्योगिक विकास और बड़े निवेश की सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इन बढ़ती आपराधिक घटनाओं और सुशासन के वादे पर भी गंभीर होना पड़ेगा, तभी वे अपने विकास एजेंडे में कामयाब हो सकती हैं.    

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