अक्सर सास-बहू सीरियल्स में डूबी रहने वाली 29 वर्षीया साक्षी शर्मा ने एक दिन अपने पति के कहने पर नेशनल ज्योग्राफिक पर टैबू शो देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि वे क्या मिस कर रही थीं. उन्होंने वाराणसी के रामजी को बिना किसी औपचारिक शिक्षा के लोगों के दांत निकालते देखा तो हैरान रह गर्इं. साक्षी कहती हैं,
‘‘टैबू क्लासिक शो है. गंगा किनारे का डेंटिस्ट, कम उम्र में शादी और इसी तरह की अजब-गजब बातों को देखना दिलचस्प है.’’ अब उनके टीवी देखने के कुल समय में 60 फीसदी जगह इन्फोटेनमेंट प्रोग्राम्स ने ले ली है.
सातवीं में पढ़ने वाले दिल्ली के 11 वर्षीय अभ्युदय को लें, उसे नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर आने वाला मैन वर्सेज वाइल्ड पसंद है. अभ्युदय कहता है, ‘‘इसे देखकर एक्साइटमेंट होती है.’’ ये दोनों देश में इन्फोटेनमेंट चैनलों की लोकप्रियता की तस्दीक करते हैं. यह कुछ हटकर देखने की चाहत है, जो सूचना और मनोरंजन से जुड़े चैनलों के लिए यूएसपी बन रही है़ दर्शक ऐसी चीजें चाहते हैं जिनसे एजुकेशन और नॉलेज के साथ ही एंटरटेनमेंट भी मिले. टैम 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी प्रकार के चैनलों में इन्फोटेनमेंट चैनलों की भागीदारी 1.2 फीसदी है जबकि रेवन्यू के मामले में यह 2 फीसदी है.
इन्फोटेनमेंट चैनलों के विकास को इस बात से भी समझा जा सकता है कि 2008 से 2014 के बीच डिस्कवरी नेटवर्क्स की व्यूअरशिप में 228 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि युवाओं के लिए शुरू किए गए इसके डिस्कवरी साइंस चैनल की व्यूअरशिप में 2013 में 300 फीसदी की वृद्धि हुई है. डिस्कवरी नेटवर्क्स एशिया-पैसिफिक के ईवीपी और जीएम राहुल जौहरी कहते हैं, ‘‘भारत युवा देश है और इंस्पिरेशनल प्रोग्रामिंग के लिए दर्शकों में काफी मांग है़ धारावाहिकों और फिल्मों से अलग नॉन फिक्शन और रियलिटी कंटेंट की मांग में इजाफा हो रहा है.’’
इन्फोटेनमेंट की दुनिया
इस समय देश में विभिन्न विषयों के 748 से ज्यादा प्राइवेट चैनल चल रहे हैं. इसके अलावा 30 सरकारी चैनल हैं. इनमें सबसे ज्यादा हिंदी के चैनलों का मार्केट शेयर है. 1995 में सिर्फ डिस्कवरी ही एकमात्र इन्फोटेनमेंट चैनल थाए जबकि आज उनकी संख्या नौ (नेशनल ज्योग्राज़्फिक चैनल, नैट ज्यो वाइल्ड, नैट ज्यो पीपल, डिस्कवरी चैनल, डिस्कवरी साइंस, डिस्कवरी टर्बो, एनिमल प्लैनेट, हिस्ट्री टीवी18, डिस्कवरी किड्स) तक पहुंच गई है जबकि लाइफस्टाइल चैनलों का आंकड़ा छह (टीएलसी, फॉक्स ट्रैवलर, ट्रैवल एक्सपी, एनडीटीवी गुड टाइम्स, जी खाना खजाना और फैशन टीवी) से ज्यादा है. अगर इसके बाजार पर नजर डालें तो सूत्र बताते हैं कि इन्फोटेनमेंट और लाइफस्टाइल चैनलों में विज्ञापन से लगभग 400 करोड़ रु़ तक की कमाई हो जाती है.
नया है तो हिट है
हिस्ट्री टीवी18 को 2011 में लॉन्च किया गया था लेकिन आज चैनल के कई शो दर्शकों में काफी लोकप्रिय हैं. वे हवाई अड्डों पर छूटे सामान की नीलामी (बैगेज बैटल) से लेकर कारों को नया लुक देने (काउंटिंग कार्स) वाले शो तक लॉन्च करते हैं जो पहले भारतीय टीवी के लिए पूरी तरह से अनजान थे. यही नहीं, नेशनल ज्योग्राफिक पर दिखाए गए टैबूः इंडिया ने भी भारत की रूढ़ बातों को सामने लाने का काम किया. ‘‘कुछ नया देखो’’ के वादे वाले हिस्ट्री टीवी 18 की वाइस प्रेसिडेंट और हेड मार्केटिंग संगीता अय्यर कहती हैं, ‘‘हमारा दर्शकों से कुछ नया दिखाने का वादा था, और हम हर दिन ऐसा ही करने की कोशिश करते हैं. ट्रैवलिंग से लेकर कुकिंग और एडवेंचर से लेकर साइंस से जुड़े विदेशी शो भारत में काफी पसंद किए जा रहे हैं.’’

(डायनमो मजिशियन इम्पॉसिबल, हिस्ट्री टीवी 18. हैरतअंगेज कारनामों की वजह से यह शो भारत में हित है)
मेड इन इंडिया
इन्फोटेनमेंट चैनल कंटेंट लोकलाइजेशन पर ध्यान दे रहे हैं. अय्यर बताती हैं, ‘‘हमने नया लोकल प्रोडक्शन वाइटल स्टेट्स ऑफ इंडिया बनाया है. इसमें हम भारत के बारे में दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं.’’ हिस्ट्री चैनल पर कामसूत्र, 26/11 मुंबई टेरर अटैकए बालीवुड 100 ईयर्स और इंडिया ऑन फोर व्हील्स जैसी डॉक्युमेंट्रीज दिखाई जा चुकी हैं, जिन्हें पसंद किया गया है.
लोकलाइजेशन की वजह से ही तो डिस्कवरी चैनल का रिवील्ड शो भारत में हिट है. इसमें भारत के लोकसभा चुनाव, राष्ट्रपति भवन और नियंत्रण रेखा जैसे विषयों पर बेहतरीन सामग्री दिखाई गई. इनके अलावा, एनिमल प्लैनेट पर व्हेयर टाइगर रूल्स और ये मेरा इंडिया सीरीज भी पसंद की गई हैं. भारतीय सेना से लेकर स्वर्ण मंदिर तक इनके विषय बन चुके हैं. सुंदरबन के मानवभक्षी बाघों से लेकर गिर के शेरों तक को दिखाया जा चुका है. लोकल कंटेंट को पसंद किए जाने की वजह से ही विभिन्न इन्फोटेनमेंट चैनलों में 15 से 35 फीसदी तक लोकल कंटेंट देने की कोशिश जा रही है.

(डिसक्वरी का शो रिवील्ड. इस शो में भारतीय सेना से लेकर भारत के चुनाव के बारे में बेहतरीन जानकारी दी गई है)
विदेशी माल-देसी तड़का
भारत में इन्फोटेनेमेंट चैनलों के बढ़ने की वजह इन्हें देसी रंग देना भी है. हिंदीए बंगाली, तमिल और तेलुगु में होने से इन चैनलों की निकल पड़ी है. तभी तो इन चैनलों की व्यूअरशिप में 90 फीसदी हिस्सा डब की भाषाओं का है. जैसे नेशनल ज्योग्राफिक चैनल का साइंसेज ऑफ स्टूपिड इसकी मिसाल है. इसमें फिल्म और टीवी ऐक्टर मनीष पॉल बड़ी ही मजेदार कमेंट्री करते हैं और साइंस से जुड़े विभिन्न क्लिप्स के जरिए फंडे समझाते हैं. बेशक इसमें क्लिप विदेशी होते हैं लेकिन देसी ऐंकर और कमेंट्री इसमें दिलचस्पी बढ़ा देते हैं.
विदेशी शेफ से लेकर मजिशियन तक भारत अपने शो ऑर्गेनाइज करने आ रहे हैं. दुनिया भर में मशूहर ट्रिक मास्टर डायनमो हिस्ट्री टीवी18 पर भारत की गलियों में अपने जादू के कारनामे दिखाकर सबको हैरान करते नजर आते हैं तो इतालवी शेफ डेविड रोक्को भी मुंबई से दिल्ली तक व्यंजनों को खंगाल चुके हैं.
क्षेत्रीय भाषाओं में आने से इन चैनलों की पहुंच में इजाफा ही हुआ है. जौहरी कहते हैं, ‘‘भारतीय भाषाओं में डब करना हमारी मुख्य रणनीतियों में से है. हमारे डब प्रोग्राम्स को लोगों ने हाथोहाथ लिया है.’’ तभी पांच साल के बच्चे से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग ज्ञानवर्धन के इन प्रोग्रामों का मजा ले रहे हैं. साक्षी कहती हैं, ‘‘मेरे लिए इंग्लिश हिंदी का सवाल नहीं है. अगर मनोरंजन अपनी मातृभाषा में हो तो उससे ज्यादा मजेदार कुछ नहीं है.’’
ऐसा देश जिसकी बड़ी आबादी साक्षरता के मामले में काफी पीछे है, वहां इस तरह की पहल का स्वागत किया ही जाएगा. नेशनल ज्योग्राफिक चैनल और फॉक्स इंटरनेशनल चैनल्स की वीपी (मार्केटिंग और कम्युनिकेशन) देबर्पिता बनर्जी कहती हैं, ‘‘हमारे दर्शकों में हिंदी से आने वालों की मौजूदगी काफी मजबूत है. इससे कनेक्ट बढ़ता है.’’ अब तो यह कनेक्ट लोगों की बातचीत में भी साफ नजर आने लगा है.
‘‘टैबू क्लासिक शो है. गंगा किनारे का डेंटिस्ट, कम उम्र में शादी और इसी तरह की अजब-गजब बातों को देखना दिलचस्प है.’’ अब उनके टीवी देखने के कुल समय में 60 फीसदी जगह इन्फोटेनमेंट प्रोग्राम्स ने ले ली है.

इन्फोटेनमेंट चैनलों के विकास को इस बात से भी समझा जा सकता है कि 2008 से 2014 के बीच डिस्कवरी नेटवर्क्स की व्यूअरशिप में 228 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि युवाओं के लिए शुरू किए गए इसके डिस्कवरी साइंस चैनल की व्यूअरशिप में 2013 में 300 फीसदी की वृद्धि हुई है. डिस्कवरी नेटवर्क्स एशिया-पैसिफिक के ईवीपी और जीएम राहुल जौहरी कहते हैं, ‘‘भारत युवा देश है और इंस्पिरेशनल प्रोग्रामिंग के लिए दर्शकों में काफी मांग है़ धारावाहिकों और फिल्मों से अलग नॉन फिक्शन और रियलिटी कंटेंट की मांग में इजाफा हो रहा है.’’
इन्फोटेनमेंट की दुनिया
इस समय देश में विभिन्न विषयों के 748 से ज्यादा प्राइवेट चैनल चल रहे हैं. इसके अलावा 30 सरकारी चैनल हैं. इनमें सबसे ज्यादा हिंदी के चैनलों का मार्केट शेयर है. 1995 में सिर्फ डिस्कवरी ही एकमात्र इन्फोटेनमेंट चैनल थाए जबकि आज उनकी संख्या नौ (नेशनल ज्योग्राज़्फिक चैनल, नैट ज्यो वाइल्ड, नैट ज्यो पीपल, डिस्कवरी चैनल, डिस्कवरी साइंस, डिस्कवरी टर्बो, एनिमल प्लैनेट, हिस्ट्री टीवी18, डिस्कवरी किड्स) तक पहुंच गई है जबकि लाइफस्टाइल चैनलों का आंकड़ा छह (टीएलसी, फॉक्स ट्रैवलर, ट्रैवल एक्सपी, एनडीटीवी गुड टाइम्स, जी खाना खजाना और फैशन टीवी) से ज्यादा है. अगर इसके बाजार पर नजर डालें तो सूत्र बताते हैं कि इन्फोटेनमेंट और लाइफस्टाइल चैनलों में विज्ञापन से लगभग 400 करोड़ रु़ तक की कमाई हो जाती है.
नया है तो हिट है
हिस्ट्री टीवी18 को 2011 में लॉन्च किया गया था लेकिन आज चैनल के कई शो दर्शकों में काफी लोकप्रिय हैं. वे हवाई अड्डों पर छूटे सामान की नीलामी (बैगेज बैटल) से लेकर कारों को नया लुक देने (काउंटिंग कार्स) वाले शो तक लॉन्च करते हैं जो पहले भारतीय टीवी के लिए पूरी तरह से अनजान थे. यही नहीं, नेशनल ज्योग्राफिक पर दिखाए गए टैबूः इंडिया ने भी भारत की रूढ़ बातों को सामने लाने का काम किया. ‘‘कुछ नया देखो’’ के वादे वाले हिस्ट्री टीवी 18 की वाइस प्रेसिडेंट और हेड मार्केटिंग संगीता अय्यर कहती हैं, ‘‘हमारा दर्शकों से कुछ नया दिखाने का वादा था, और हम हर दिन ऐसा ही करने की कोशिश करते हैं. ट्रैवलिंग से लेकर कुकिंग और एडवेंचर से लेकर साइंस से जुड़े विदेशी शो भारत में काफी पसंद किए जा रहे हैं.’’

(डायनमो मजिशियन इम्पॉसिबल, हिस्ट्री टीवी 18. हैरतअंगेज कारनामों की वजह से यह शो भारत में हित है)
मेड इन इंडिया
इन्फोटेनमेंट चैनल कंटेंट लोकलाइजेशन पर ध्यान दे रहे हैं. अय्यर बताती हैं, ‘‘हमने नया लोकल प्रोडक्शन वाइटल स्टेट्स ऑफ इंडिया बनाया है. इसमें हम भारत के बारे में दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं.’’ हिस्ट्री चैनल पर कामसूत्र, 26/11 मुंबई टेरर अटैकए बालीवुड 100 ईयर्स और इंडिया ऑन फोर व्हील्स जैसी डॉक्युमेंट्रीज दिखाई जा चुकी हैं, जिन्हें पसंद किया गया है.
लोकलाइजेशन की वजह से ही तो डिस्कवरी चैनल का रिवील्ड शो भारत में हिट है. इसमें भारत के लोकसभा चुनाव, राष्ट्रपति भवन और नियंत्रण रेखा जैसे विषयों पर बेहतरीन सामग्री दिखाई गई. इनके अलावा, एनिमल प्लैनेट पर व्हेयर टाइगर रूल्स और ये मेरा इंडिया सीरीज भी पसंद की गई हैं. भारतीय सेना से लेकर स्वर्ण मंदिर तक इनके विषय बन चुके हैं. सुंदरबन के मानवभक्षी बाघों से लेकर गिर के शेरों तक को दिखाया जा चुका है. लोकल कंटेंट को पसंद किए जाने की वजह से ही विभिन्न इन्फोटेनमेंट चैनलों में 15 से 35 फीसदी तक लोकल कंटेंट देने की कोशिश जा रही है.

(डिसक्वरी का शो रिवील्ड. इस शो में भारतीय सेना से लेकर भारत के चुनाव के बारे में बेहतरीन जानकारी दी गई है)
विदेशी माल-देसी तड़का
भारत में इन्फोटेनेमेंट चैनलों के बढ़ने की वजह इन्हें देसी रंग देना भी है. हिंदीए बंगाली, तमिल और तेलुगु में होने से इन चैनलों की निकल पड़ी है. तभी तो इन चैनलों की व्यूअरशिप में 90 फीसदी हिस्सा डब की भाषाओं का है. जैसे नेशनल ज्योग्राफिक चैनल का साइंसेज ऑफ स्टूपिड इसकी मिसाल है. इसमें फिल्म और टीवी ऐक्टर मनीष पॉल बड़ी ही मजेदार कमेंट्री करते हैं और साइंस से जुड़े विभिन्न क्लिप्स के जरिए फंडे समझाते हैं. बेशक इसमें क्लिप विदेशी होते हैं लेकिन देसी ऐंकर और कमेंट्री इसमें दिलचस्पी बढ़ा देते हैं.
विदेशी शेफ से लेकर मजिशियन तक भारत अपने शो ऑर्गेनाइज करने आ रहे हैं. दुनिया भर में मशूहर ट्रिक मास्टर डायनमो हिस्ट्री टीवी18 पर भारत की गलियों में अपने जादू के कारनामे दिखाकर सबको हैरान करते नजर आते हैं तो इतालवी शेफ डेविड रोक्को भी मुंबई से दिल्ली तक व्यंजनों को खंगाल चुके हैं.
क्षेत्रीय भाषाओं में आने से इन चैनलों की पहुंच में इजाफा ही हुआ है. जौहरी कहते हैं, ‘‘भारतीय भाषाओं में डब करना हमारी मुख्य रणनीतियों में से है. हमारे डब प्रोग्राम्स को लोगों ने हाथोहाथ लिया है.’’ तभी पांच साल के बच्चे से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग ज्ञानवर्धन के इन प्रोग्रामों का मजा ले रहे हैं. साक्षी कहती हैं, ‘‘मेरे लिए इंग्लिश हिंदी का सवाल नहीं है. अगर मनोरंजन अपनी मातृभाषा में हो तो उससे ज्यादा मजेदार कुछ नहीं है.’’
ऐसा देश जिसकी बड़ी आबादी साक्षरता के मामले में काफी पीछे है, वहां इस तरह की पहल का स्वागत किया ही जाएगा. नेशनल ज्योग्राफिक चैनल और फॉक्स इंटरनेशनल चैनल्स की वीपी (मार्केटिंग और कम्युनिकेशन) देबर्पिता बनर्जी कहती हैं, ‘‘हमारे दर्शकों में हिंदी से आने वालों की मौजूदगी काफी मजबूत है. इससे कनेक्ट बढ़ता है.’’ अब तो यह कनेक्ट लोगों की बातचीत में भी साफ नजर आने लगा है.