scorecardresearch

सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में यह लड़की बनीं 500 करोड़ रु. के टर्नओवर वाली कंपनी की मालिक

सिर्फ 23 साल की उम्र में एक लड़की अपने बलबूते 500 रु. करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी की बनी मालिक. जानिए कौन है यह? इस लड़की के जज्बे की कहानी.

अपडेटेड 28 जुलाई , 2014
बाहर खुशनुमा दिन है. लेकिन दक्षिण दिल्ली के एक चमकीले मॉल में मद्धिम रौशनी वाले रेस्तरां के भीतर एक लड़की कैमरे के सामने मुस्कुराने की कोशिश कर रही है. वह थोड़ी घबराई हुई है. फोटोग्राफर कहता है, ''अपने कंधों को ढीला छोडि़ए. खुलकर हंसिए.” बड़ी मशक्कत के बाद इस्तेमाल की जा सकने लायक फोटो खिंची है.

23 साल की निधि गुप्ता आज बहुत सारी चीजें पहली बार कर रही हैं. आज पहली बार उन्होंने फाउंडेशन लगाया है, पहली बार मुख्यधारा की कोई पत्रिका उनका इंटरव्यू ले रही है, फोटो खींच रही है, पहली बार उन्होंने सुना है कि 'स्टाइलिस्ट’ की भी नौकरी हुआ करती है.

लेकिन निधि की सबसे बड़ी पहचान यह है कि 23 साल की उम्र में वे 'सेल्फ मेड’ करोड़पति हैं. रेज पावर एक्सपर्ट्स की कहानी शुरू करने से पहले वे संकोच से पूछती हैं, ''क्या मैं हिंदी में बात कर सकती हूं? मेरी अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं है.” रेज पावर एक्सपर्ट्स एक सौर ऊर्जा कंपनी है, जो निधि ने 2011 में अपने भाई के साथ मिलकर मात्र 1,37,000 रु. की मामूली पूंजी के साथ शुरू की थी.

आज यह 500 करोड़ रु. के टर्नओवर वाली कंपनी बन चुकी है और चार शहरों में इसका ऑफिस है. साथ ही राजस्थान में 400 एकड़ की अतिरिक्त जमीन भी है. निधि ने एक और कंपनी खोली है, जिसमें 300 विक्रेता और श्रमिक काम करते हैं.

निधि बताती हैं, ''हमारा पहला प्रोजेक्ट बीकानेर में 4 बीघा जमीन पर लगा 250 किलोवाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट था. बाद में हमने उसके आसपास की जमीन खरीदनी शुरू कर दी.” अगर बड़ी पूंजी और वित्तीय कौशल के सवालों को किनारे रख दें तो भी एक बिजनेस मॉडल आखिर कैसे सफल होता है? उन्हीं से सुनिए, ''छोटे से लेकर मझोले दर्जे तक के व्यवसायी हमारे ग्राहक हैं.

वे कहते हैं कि हम आयकर बचाने या कर में छूट लेने के लिए सौर प्रोजेक्ट में 'एक खास रकम’  का निवेश करना चाहते हैं. अगर हमारे पास किसी प्रोजेक्ट के लिए 10 निवेशक भी हों तो हम उनकी ओर से जमीन खरीदते हैं और निवेशकों के बीच उसका बराबर बंटवारा कर देते हैं.” यह बिजनेस मॉडल काफी कारगर है.

निधि बताती हैं, ''फर्ज करिए कि कोई ग्राहक 6 करोड़ रु. के एक मेगावाट के प्रोजेक्ट में निवेश कर रहा है तो चार साल के भीतर उसे अपने निवेश की रकम वापस मिल जाएगी. साथ ही हम उसे अगले 25 सालों तक बिजली उत्पादन से होने वाली आय में हिस्सा देने की भी गारंटी देते हैं. ये मुनाफा है और उसे टैक्स में भी शत-प्रतिशत लाभ होता है.”   

अगर यह काम इतना ही सीधा और आसान है तो क्यों नहीं हर कोई सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगा लेता है? इस राह में सबसे बड़ी दीवार लालफीताशाही है. निधि कहती हैं, ''सरकारी अनुमति मिलना और दस्तावेज तैयार करना ही सबसे मुश्किल काम है. अच्छे सरकारी ताल्लुकात बहुत जरूरी हैं. सोलर पावर बिजनेस में यही सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण काम है.

इस काम के लिए हमारे यहां एक अलग विभाग है.” इन सबके बाद दिक्कत आती है आरईसी (रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट) की. वे कहती हैं, ''राजनीति हमारे बिजनेस को बहुत प्रभावित करती है. इस वक्त हमें काफी दिक्कत पेश आ रही है क्योंकि आरईसी नहीं मिल रहा है. जाहिर है, इससे सौर प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले ग्राहक भी निराश होते हैं और अपने फैसले से पीछे हट जाते हैं. लेकिन अब मुझे उम्मीद है कि नए प्रधानमंत्री के शासन में स्थितियां बेहतर होंगी. उन्होंने गुजरात में ढेर सारे सौर ऊर्जा प्लांट लगाए हैं. इसलिए अब हमें उम्मीद है कि बाकी राज्यों में भी नीतियां बदलेंगी.”

निधि सौर ऊर्जा व्यवसाय की चुनौतियों और संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताती हैं, लेकिन उनसे बात करते हुए दिमाग पर जोर देकर यह याद करना पड़ता है कि वे तो सिर्फ 23 साल की हैं. मैं सवाल करती हूं कि अपने खाली समय में आप क्या करती हैं? वे तुरंत जवाब देती हैं, ''मेरे पास बिल्कुल खाली समय नहीं है.” लेकिन वे लोगों से मिलती-जुलती तो होंगी. उनके दोस्त तो होंगे.

निधि उदास होकर कहती हैं, ''दो साल पहले तक मेरी भी सोशल लाइफ थी. मैं दोस्तों के साथ बाहर जाती थी, सिनेमा देखती थी. लेकिन अब सब खत्म हो गया है. मेरे लिए भी यह नया अनुभव है.” और उनकी इस नई सफलता के बारे में दोस्तों का क्या कहना है? वे कहती हैं, ''यह जीवन का कड़वा सच है कि जब पैसा आता है तो रिश्ते धुंधले पडऩे लगते हैं. सफलता ने मेरे आसपास के लोगों को बदल दिया है. अब जिस तरह वे मुझे देखते हैं और मुझसे बात करते हैं, वह पहले से बहुत अलग है.

कई बार मेरे पुराने दोस्त मुझ पर तंज करते हैं, सिर्फ इसलिए कि मैं अब नई कार खरीद सकती हूं. मेरे दोस्त कहते हैं, 'अब तुम अमीर हो गई हो, बड़ी शख्सियत हो गई हो.’ अगर मैं उनके साथ हूं और दो-चार बिजनेस कॉल आने पर बात कर लूं तो उन्हें लगता है कि मैं घमंडी हो गर्ई हूं और दिखावा कर रही हूं.

लेकिन मुझे नहीं लगता कि भीतर से मैं जरा भी बदली हूं. इसलिए मुझे तकलीफ होती है. इसलिए अब मैं शायद ही कभी उनसे मिलती हूं. बस कभी-कभार फोन पर बात हो जाती है.” तभी अचानक निधि का चेहरा दमक उठता है और वे कहती हैं, ''लेकिन अगर आप उनके बारे में न सोचें तो वे बिल्कुल मायने नहीं रखते. मेरा काम मुझे व्यस्त रखता है. जीवन चलता रहता है.”

कभी-कभार जब बहुत तनाव हो या मन न लग रहा हो तो वे अपनी होंडा सिटी या लैंड रोवर लेकर निकल जाती हैं और घंटों पूरे जयपुर के चक्कर लगाती हैं. वे कहती हैं, ''एक वक्त था, जब मुझे घुड़सवारी का बहुत शौक हुआ करता था, लेकिन अब मेरे पास वक्त ही नहीं है.” निधि मानती हैं कि उन्हें फैशन, शॉपिंग और घूमने-फिरने का कोई शौक नहीं है. वे कहती हैं, ''ईमानदारी से कहूं तो जो चीजें सामान्य स्त्रियों को बहुत पसंद होती हैं, मुझे उन चीजों का बिल्कुल शौक नहीं है. आज मैंने पहली बार लिपस्टिक लगाई है.”

उनकी मां गृहिणी हैं और पिता राजस्थान वन विभाग में साधारण कर्मचारी हैं. दोनों ने बड़े फर्ख और जिज्ञासा भरी नजरों से अपनी बेटी की जिंदगी को बदलते हुए देखा है. निधि का जन्म और परवरिश डूंगरपुर के छोटे कस्बे में हुई. उन्हें बढ़ावा देने और प्रेरित करने का सारा श्रेय वे अपने माता-पिता को देती हैं.

वे कहती हैं, ''राजस्थान में लड़कियां 8 बजे के बाद घर से बाहर नहीं जा सकतीं, लेकिन मैं 10 बजे घर आती हूं.” वे अपने बड़े भाई और इस बिजनेस को शुरू करने के उनके संघर्षों के बारे में बताती हैं कि कैसे वे यहां-वहां यात्राएं करते रहते हैं और दिन-रात काम करते हैं. ऑफिस में बाकी कर्मचारियों के सामने वे उन्हें ''राहुल सर” कहती हैं और घर पर ''भाई.”

क्या उन्हें कभी ये कमी महसूस होती है कि अपने बाकी दोस्तों की तरह वे सामान्य जीवन नहीं जी पा रही हैं? वे कहती हैं, ''मेरे सारे दोस्त नौकरी करते हैं. 9 से 5 काम करते हैं और उसके बाद वे पार्टी करने के लिए आजाद हैं. लेकिन मुझे उनसे ईर्ष्या नहीं होती क्योंकि उनकी जिंदगी कितनी सीधी और नीरस है. मेरे काम में कुछ भी पहले से तय नहीं है. हर दिन एक नई चुनौती है.”

वे इस बात को स्वीकार करती हैं कि वे अपनी तरह की किसी और लड़की को नहीं जानतीं. बहुत उत्साह और उमंग से भरकर वे कहती हैं, ''ज्यादातर उद्यमी महिलाएं अपने पिता या पति के बिजनेस में काम कर रही हैं. उन्हें सब कुछ बना-बनाया मिला है.” निधि का अपना जीवन अनुशासन का जीता-जागता उदाहरण है.

सूरज की पहली किरण के साथ उनका दिन शुरू होता है और फिर दिनभर काम का कभी न खत्म होने वाला सिलसिला. रात में अपने साथ एकांत समय सिर्फ जिम में वर्कआउट करने के दौरान मिलता है. उसके बाद रात में एक बजे तक ई-मेल भेजने और मेल का जवाब देने का सिलसिला चलता रहता है. वे कहती हैं, ''सब कुछ मुमकिन है. अगर आप में जोश और उत्साह है तो इस संसार में कुछ भी नामुमकिन नहीं.”

आज का दिन उनके और दिनों के हिसाब से काफी सुस्त है. वे इस इंटरव्यू के लिए जयपुर से दिल्ली आई हैं. हमारी बातचीत खत्म होने के बाद वे पंजाब जाएंगी, जहां एक संभावित ग्राहक से उनकी मुलाकात होने वाली है. वे कहती हैं कि मेरा एक तय लक्ष्य है, जिसे हासिल करना है. 2011-12 में हमारा सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रु. था. 2013 में यह बढ़कर 70 करोड़ रु. हो गया.

इस साल हमारा टर्नओवर 500 करोड़ रु. है. अगले वित्तीय वर्ष तक हमारा लक्ष्य 1,000 करोड़ रु. का टर्नओवर हासिल करना है. रेस्तरां और मॉल से बाहर निकलकर वे सीधे पार्किंग की तरफ बढ़ती हैं और फिर वहां से अपनी अगली मीटिंग के लिए. किसी भी दुकान से कोई भी सामान नहीं खरीदतीं. चीज चाहे कितनी भी आकर्षक क्यों न हो, उनका ध्यान नहीं खींच सकती. इससे पहले जब एक दिन उनसे पूछा कि पैसा आपके लिए क्या मायने रखता है तो उनका जवाब था, ''कुछ भी नहीं.”
Advertisement
Advertisement