उन्होंने अपने 25 साल पुराने आध्यात्मिक जीवन में लगभग 3.30 करोड़ लोगों को गले लगाया है. उनका साम्राज्य पूरी दुनिया में फैला है और कई देशों में उनके भक्त हैं. उनके प्रशंसकों में नरेंद्र मोदी से लेकर हॉलीवुड स्टार शैरॉन स्टोन तक शामिल हैं. नरेंद्र मोदी अम्मा के 60वें जन्मदिन पर उनसे मिलने आश्रम आए थे तो शैरॉन उन्हें देवदूत का दर्जा देती हैं. लेकिन लगता है कि हवाई में रहने वाली ऑस्ट्रेलियाई महिला और उनकी पुरानी सहयोगी सब खत्म करने पर आमादा है.
61 वर्षीया अमृतानंदमयी पर लग रहे आरोप गंभीर हैं. अपनी किताब होली हेल: अ मेमॉयर आफ फेथ, डिवोशन ऐंड प्योर मैडनेस में गेल ट्रेडवेल उर्फ गायत्री ने लिखा है कि माता अमृतानंदमयी मठ (एमएएम) के एक प्रभावशाली सदस्य ने उसका कई बार बलात्कार किया.
ट्रेडवेल ने खुद को ब्रह्मचारी कहने वाली अमृतानंदमयी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे खुद यौन कुंठित हैं और उनमें शारीरिक हिंसा के भी लक्षण हैं. ये आरोप उनको झटका दे सकते हैं, जिन्हें मालूम है कि अमृतानंदमयी को 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी किंग पुरस्कार से सम्मानित किया है. एक ऐसा सम्मान जिससे इससे पहले स्वर्गीय नेल्सन मंडेला और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सचिव कोफी अन्नान को ही नवाजा गया है.
ट्रेडवेल अमृता की शुरुआती शिष्याओं में से एक थीं और 1981 से 1999 में वे अमृतानंदमयी की निजी सहायक भी रहीं. लगभग 229 पन्नों की इस किताब में आश्रम में फैली अराजकता और यौन शोषण की घटनाओं का विस्तारपूर्वक जिक्र करने के साथ-साथ आश्रम में रहने वाली शिष्याओं के मानसिक और शारीरिक उत्पीडऩ का भी विवरण दिया गया है.
ट्रेडवेल का आरोप है कि अमृतानंदयी मठ वित्तीय गड़बडिय़ों में भी शामिल है जिसकी वजह से ही कभी केरल के कोल्लम में एक छोटी-सी झोंपड़ी में चलने वाला उनका आश्रम हजारों कॉलेजों, स्कूलों और अस्पतालों के नेटवर्क में तब्दील हो चुका है.
आज जबकि अमृतानंदमयी के भक्त सोशल मीडिया पर ट्रेडवेल की किताब के ई-संस्करण के वायरल होने के बाद डिजिटल लड़ाई में जुटे हुए हैं तो वहीं केरल पुलिस उन नेट यूजर्स का पता लगाने की कोशिश कर रही है जिन्होंने इस किताब को डाउनलोड और शेयर किया.
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने 24 फरवरी को ट्रेडवेल के आरोपों की जांच कराने की मांग करते हुए कहा, ''किसी को भी हिंदू समाज को उकसाना नहीं चाहिए.” आश्रम के जिन वरिष्ठ सदस्यों को ट्रेडवेल ने आरोपों के घेरे में लिया है, वे किताब में लगाए गए आरोपों को बकवास बताते हैं. आश्रम के अमृतानंदमयी के सबसे करीबी माने जाने वाले अमृतास्वरूपानंद ने इंडिया टुडे को बताया, ''ट्रेडवेल के आरोप और उनकी भाषा इतनी भद्दी और बर्बर है कि उसका जवाब नहीं दिया जा सकता. मैं इन पवित्र परिधानों को पहनकर उस स्तर तक नहीं जा सकता.”
अमृतानंदमयी के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ब्रह्मचारी राजू कहते हैं कि वे न्यूयॉर्क में अटॉर्नी से बातचीत कर ट्रेडवेल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की तैयारी में हैं. उन्होंने कहा, ''उन्होंने आश्रम में 20 साल तक रहने के दौरान इन आरोपों को नहीं उठाया और न ही आश्रम छोडऩे के 14 साल बाद तक.” सारे आरोप उनके अस्थिर दिमाग की पैदाइश हैं. वे कैंसर की रोगी हैं और डिप्रेशन की शिकार रहती हैं.”

( माता अमृतानंदमयी के साथ गेल ट्रेडवेल)
आश्रम के कुछ लोग दावा करते हैं कि ट्रेडवेल तब से कुछ चिढ़ी हुई हैं जब से अमृतानंदमयी ने अपनी शिष्या को न्यूयॉर्क के करोड़पति भक्त से शादी करने की इच्छा पर आपत्ति दर्ज की थी. एक भक्त बताते हैं, ''गायत्री ने एक भक्त के साथ प्रेम की पींगें भरने की कोशिश की थी. लेकिन उसने अम्मी से इसकी शिकायत कर दी. इस पर अम्मा ने गायत्री को ऐसा करने से मना किया.”
केरल पुलिस ने ट्रेडवेल की किताब के आरोप के आधार पर बलात्कार का मामला दर्ज करने के लिए कानूनी सलाह मांगी है. पुलिस को ट्रेडवेल से संपर्क करने और आरोपों को सुनिश्चित करने के बाद शुरुआती स्तर की जांच करने को भी कहा गया है. दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील दीपक प्रकाश ने भी कोल्लम स्थित आश्रम के हेडक्वार्टर के पास के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन पुलिस ने दीपक से मामले को आगे बढ़ाने के लिए सबूत पेश करने को कहा है.
इतना सब होने के बावजूद केरल का हो-हल्ला मचाने वाले मीडिया और बातूनी नेताओं ने इस मामले से दूरी बनाए रखी है. मुख्यमंत्री उम्मन चांडी कहते हैं, ''एमएएम ने मानवता की खातिर जो काम किए हैं उन्हें निराधार आरोपों की काली छाया से नहीं ढका जाना चाहिए.” जबकि गृह मंत्री रमेश चेन्नीथला कहते हैं कि एमएएम पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं है. हालांकि सीपीएम ने मामले पर नपी-तुली प्रतिक्रिया दी है.
इसके राज्य सचिव पिनारई विजयन ने कहा है, ''आरोप गंभीर हैं और इनकी ठीक से जांच होनी चाहिए.” बीजेपी और वीएचपी सीधे तौर पर अमृतानंदमयी के समर्थन में उतर आई हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव पी.के. कृष्णदास कहते हैं, ''यह किताब हिंदू नेताओं और हिंदू संस्थाओं को बदनाम करने के अंतरराष्ट्रीय एजेंडे का हिस्सा है.” भारतीय विचार केंद्र के निदेशक पी. परमेश्वरन कहते हैं, ''ताजा आरोपों में अमृतानंदमयी पर निशाना साधा गया है क्योंकि खुद अमृतानंदमयी और मठ आध्यात्मिकता और सेवा का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया है.”

अपने विरोध को जायज ठहराने के लिए आश्रम ने कुछ ई-मेल जारी किए हैं. आश्रम का दावा है कि ये ई-मेल उन्हीं चार विदेशी शिष्यों ने लिखे हैं जो ट्रेडवेल को अच्छी तरह जानते हैं. इनमें ट्रेडवेल के आरोपों का मजाक उड़ाया गया है और जवाब में ट्रेडवेल पर कामुक प्रवृत्ति का होने का आरोप लगाया गया है. हालांकि ट्रेडवेल इस बात से बिलकुल भी परेशान नहीं हैं. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, ''मैंने अपनी किताब में जो कहा है, मैं उस पर कायम हूं, किसी भी बात से पीछे हटने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मैंने बगैर किसी बुरी भावना के सच बता दिया है और इसी वजह से उनके पास मेरे खिलाफ कोई सही मामला नहीं है.”
आश्रम के उनके खिलाफ मुकदमा दायर करने की संभावना पर ट्रेडवेल ने कहा, ''मानहानि का कोई भी मुकदमा महंगी कानूनी कार्रवाई की वजह से मुझे आर्थिक तौर पर परेशान करेगा, लेकिन इस मामले को कोर्ट में ले जाना मीडिया का ध्यान खींचेगा और इससे आश्रम की ही नकारात्मक छवि तैयार होगी.” इंडिया टुडे को लिखे गए ई-मेल में उन्होंने कहा है कि वे इस बात से बहुत परेशान हैं कि पुलिस की शक्ति का इस्तेमाल बहुत सी आवाजों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उन्हें आरोपों के साथ सामने आने में 14 साल लग गए क्योंकि आश्रम में हुए व्यवहार से उबरने में लंबा समय लगा. ट्रेडवेल ने यह भी कहा कि शुरुआत में वे सब भूल जाना चाहती थीं और उन्हें यह भी डर था कि सब कुछ सार्वजनिक करने पर उन्हें नुकसान भी पहुंचाया जा सकता है.
अमृतानंदमयी इन आरोपों से बेफिक्र हैं. वे कहती हैं, ''ये आरोप मुझे छू भी नहीं सकते. वे मेरे साथ आश्रम में बरसों तक थीं लेकिन उन्होंने आश्रम में रहने के दौरान मुझे वह सब कुछ नहीं बताया जो उन्होंने किताब में लिखा है.” उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, ''मुझे लगता है कि उसे गुमराह किया गया है. उसका यह दावा पूरी तरह गलत है कि वे मेरे कमरे में रहीं. वे ऊपर के कमरे में रहती थीं. उन्हें आश्रम छोडऩे की अनुमति मिली क्योंकि उसके कुछ काम एक संन्यासी होने के नाते अशोभनीय थे.”
अमृतानंदमयी ने 22 फरवरी को केरल के पलक्कड़ में अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए वित्तीय गड़बडिय़ों में शामिल होने के किसी भी आरोप से इनकार किया. उन्होंने कहा, ''अगर उनके कहे अनुसार हमारे पास लाखों करोड़ों रु. होते तो मैंने अब तक भारत और दुनिया से गरीबी दूर कर दी होती.”
हालांकि मठ इतना भी गरीब नहीं है. भारत में कई छोटे-बड़े शहरों में उनका रियल एस्टेट का साम्राज्य है तो वहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, सिंगापुर, स्पेन, जर्मनी, बेल्जियम, जापान और रीयूनियन आइलैंड जैसे देशों में भी यह फैला है. उनके इस विशाल साम्राज्य का नमूना वाशिंगटन स्थित उनका 78 लाख डॉलर का आश्रम भी है. असल में इसका मालिकाना हक पूर्व अमेरिकी राजनयिक सार्जेंट श्राइवर और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जान एफ. केनेडी की बहन यूनीस मेरी केनेडी श्राइवर के पास था.
इस बीच आश्रम का कामकाज पहले की तरह जारी है. 23 फरवरी को तिरुवनंतपुरम के ब्रह्मस्थानाम मंदिर में हजारों लोग, जिनमें केंद्रीय और स्थानीय मंत्री शशि थरूर, त्रावणकोर के शाही परिवार के कई लोग, बीजेपी और वीएचपी के वरिष्ठ नेता अमृतानंदमयी से गले मिलने के लिए लाइन में लगे. ग्यारह बजे अमृतानंदमयी अपनी चमकती और जानी-पहचानी सफेद साड़ी में दाखिल हुईं.
पंडाल में लोग पूरे जोश में 'अम्मा, अम्मा’ की आवाजें लगाने लगे, कुछेक ने उनका सुरक्षा घेरा तोड़कर उनके पांव छूने की कोशिश भी की. वे तमिल, हिंदी और मलयालम में भजन गाती हैं और उसके बाद प्रवचन होता है. भीड़ उन्हें ध्यान से सुनते हुए उनकी जय-जयकार करती है. यानी अब तक अम्मा के लिए सब कुछ ठीक चल रहा है.
( —साथ में जे. बिंदुराज )

ट्रेडवेल ने खुद को ब्रह्मचारी कहने वाली अमृतानंदमयी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे खुद यौन कुंठित हैं और उनमें शारीरिक हिंसा के भी लक्षण हैं. ये आरोप उनको झटका दे सकते हैं, जिन्हें मालूम है कि अमृतानंदमयी को 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी किंग पुरस्कार से सम्मानित किया है. एक ऐसा सम्मान जिससे इससे पहले स्वर्गीय नेल्सन मंडेला और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सचिव कोफी अन्नान को ही नवाजा गया है.
ट्रेडवेल अमृता की शुरुआती शिष्याओं में से एक थीं और 1981 से 1999 में वे अमृतानंदमयी की निजी सहायक भी रहीं. लगभग 229 पन्नों की इस किताब में आश्रम में फैली अराजकता और यौन शोषण की घटनाओं का विस्तारपूर्वक जिक्र करने के साथ-साथ आश्रम में रहने वाली शिष्याओं के मानसिक और शारीरिक उत्पीडऩ का भी विवरण दिया गया है.
ट्रेडवेल का आरोप है कि अमृतानंदयी मठ वित्तीय गड़बडिय़ों में भी शामिल है जिसकी वजह से ही कभी केरल के कोल्लम में एक छोटी-सी झोंपड़ी में चलने वाला उनका आश्रम हजारों कॉलेजों, स्कूलों और अस्पतालों के नेटवर्क में तब्दील हो चुका है.
आज जबकि अमृतानंदमयी के भक्त सोशल मीडिया पर ट्रेडवेल की किताब के ई-संस्करण के वायरल होने के बाद डिजिटल लड़ाई में जुटे हुए हैं तो वहीं केरल पुलिस उन नेट यूजर्स का पता लगाने की कोशिश कर रही है जिन्होंने इस किताब को डाउनलोड और शेयर किया.
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने 24 फरवरी को ट्रेडवेल के आरोपों की जांच कराने की मांग करते हुए कहा, ''किसी को भी हिंदू समाज को उकसाना नहीं चाहिए.” आश्रम के जिन वरिष्ठ सदस्यों को ट्रेडवेल ने आरोपों के घेरे में लिया है, वे किताब में लगाए गए आरोपों को बकवास बताते हैं. आश्रम के अमृतानंदमयी के सबसे करीबी माने जाने वाले अमृतास्वरूपानंद ने इंडिया टुडे को बताया, ''ट्रेडवेल के आरोप और उनकी भाषा इतनी भद्दी और बर्बर है कि उसका जवाब नहीं दिया जा सकता. मैं इन पवित्र परिधानों को पहनकर उस स्तर तक नहीं जा सकता.”
अमृतानंदमयी के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ब्रह्मचारी राजू कहते हैं कि वे न्यूयॉर्क में अटॉर्नी से बातचीत कर ट्रेडवेल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की तैयारी में हैं. उन्होंने कहा, ''उन्होंने आश्रम में 20 साल तक रहने के दौरान इन आरोपों को नहीं उठाया और न ही आश्रम छोडऩे के 14 साल बाद तक.” सारे आरोप उनके अस्थिर दिमाग की पैदाइश हैं. वे कैंसर की रोगी हैं और डिप्रेशन की शिकार रहती हैं.”

( माता अमृतानंदमयी के साथ गेल ट्रेडवेल)
आश्रम के कुछ लोग दावा करते हैं कि ट्रेडवेल तब से कुछ चिढ़ी हुई हैं जब से अमृतानंदमयी ने अपनी शिष्या को न्यूयॉर्क के करोड़पति भक्त से शादी करने की इच्छा पर आपत्ति दर्ज की थी. एक भक्त बताते हैं, ''गायत्री ने एक भक्त के साथ प्रेम की पींगें भरने की कोशिश की थी. लेकिन उसने अम्मी से इसकी शिकायत कर दी. इस पर अम्मा ने गायत्री को ऐसा करने से मना किया.”
केरल पुलिस ने ट्रेडवेल की किताब के आरोप के आधार पर बलात्कार का मामला दर्ज करने के लिए कानूनी सलाह मांगी है. पुलिस को ट्रेडवेल से संपर्क करने और आरोपों को सुनिश्चित करने के बाद शुरुआती स्तर की जांच करने को भी कहा गया है. दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील दीपक प्रकाश ने भी कोल्लम स्थित आश्रम के हेडक्वार्टर के पास के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन पुलिस ने दीपक से मामले को आगे बढ़ाने के लिए सबूत पेश करने को कहा है.
इतना सब होने के बावजूद केरल का हो-हल्ला मचाने वाले मीडिया और बातूनी नेताओं ने इस मामले से दूरी बनाए रखी है. मुख्यमंत्री उम्मन चांडी कहते हैं, ''एमएएम ने मानवता की खातिर जो काम किए हैं उन्हें निराधार आरोपों की काली छाया से नहीं ढका जाना चाहिए.” जबकि गृह मंत्री रमेश चेन्नीथला कहते हैं कि एमएएम पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं है. हालांकि सीपीएम ने मामले पर नपी-तुली प्रतिक्रिया दी है.
इसके राज्य सचिव पिनारई विजयन ने कहा है, ''आरोप गंभीर हैं और इनकी ठीक से जांच होनी चाहिए.” बीजेपी और वीएचपी सीधे तौर पर अमृतानंदमयी के समर्थन में उतर आई हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव पी.के. कृष्णदास कहते हैं, ''यह किताब हिंदू नेताओं और हिंदू संस्थाओं को बदनाम करने के अंतरराष्ट्रीय एजेंडे का हिस्सा है.” भारतीय विचार केंद्र के निदेशक पी. परमेश्वरन कहते हैं, ''ताजा आरोपों में अमृतानंदमयी पर निशाना साधा गया है क्योंकि खुद अमृतानंदमयी और मठ आध्यात्मिकता और सेवा का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया है.”

अपने विरोध को जायज ठहराने के लिए आश्रम ने कुछ ई-मेल जारी किए हैं. आश्रम का दावा है कि ये ई-मेल उन्हीं चार विदेशी शिष्यों ने लिखे हैं जो ट्रेडवेल को अच्छी तरह जानते हैं. इनमें ट्रेडवेल के आरोपों का मजाक उड़ाया गया है और जवाब में ट्रेडवेल पर कामुक प्रवृत्ति का होने का आरोप लगाया गया है. हालांकि ट्रेडवेल इस बात से बिलकुल भी परेशान नहीं हैं. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, ''मैंने अपनी किताब में जो कहा है, मैं उस पर कायम हूं, किसी भी बात से पीछे हटने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मैंने बगैर किसी बुरी भावना के सच बता दिया है और इसी वजह से उनके पास मेरे खिलाफ कोई सही मामला नहीं है.”
आश्रम के उनके खिलाफ मुकदमा दायर करने की संभावना पर ट्रेडवेल ने कहा, ''मानहानि का कोई भी मुकदमा महंगी कानूनी कार्रवाई की वजह से मुझे आर्थिक तौर पर परेशान करेगा, लेकिन इस मामले को कोर्ट में ले जाना मीडिया का ध्यान खींचेगा और इससे आश्रम की ही नकारात्मक छवि तैयार होगी.” इंडिया टुडे को लिखे गए ई-मेल में उन्होंने कहा है कि वे इस बात से बहुत परेशान हैं कि पुलिस की शक्ति का इस्तेमाल बहुत सी आवाजों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उन्हें आरोपों के साथ सामने आने में 14 साल लग गए क्योंकि आश्रम में हुए व्यवहार से उबरने में लंबा समय लगा. ट्रेडवेल ने यह भी कहा कि शुरुआत में वे सब भूल जाना चाहती थीं और उन्हें यह भी डर था कि सब कुछ सार्वजनिक करने पर उन्हें नुकसान भी पहुंचाया जा सकता है.
अमृतानंदमयी इन आरोपों से बेफिक्र हैं. वे कहती हैं, ''ये आरोप मुझे छू भी नहीं सकते. वे मेरे साथ आश्रम में बरसों तक थीं लेकिन उन्होंने आश्रम में रहने के दौरान मुझे वह सब कुछ नहीं बताया जो उन्होंने किताब में लिखा है.” उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, ''मुझे लगता है कि उसे गुमराह किया गया है. उसका यह दावा पूरी तरह गलत है कि वे मेरे कमरे में रहीं. वे ऊपर के कमरे में रहती थीं. उन्हें आश्रम छोडऩे की अनुमति मिली क्योंकि उसके कुछ काम एक संन्यासी होने के नाते अशोभनीय थे.”
अमृतानंदमयी ने 22 फरवरी को केरल के पलक्कड़ में अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए वित्तीय गड़बडिय़ों में शामिल होने के किसी भी आरोप से इनकार किया. उन्होंने कहा, ''अगर उनके कहे अनुसार हमारे पास लाखों करोड़ों रु. होते तो मैंने अब तक भारत और दुनिया से गरीबी दूर कर दी होती.”
हालांकि मठ इतना भी गरीब नहीं है. भारत में कई छोटे-बड़े शहरों में उनका रियल एस्टेट का साम्राज्य है तो वहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, सिंगापुर, स्पेन, जर्मनी, बेल्जियम, जापान और रीयूनियन आइलैंड जैसे देशों में भी यह फैला है. उनके इस विशाल साम्राज्य का नमूना वाशिंगटन स्थित उनका 78 लाख डॉलर का आश्रम भी है. असल में इसका मालिकाना हक पूर्व अमेरिकी राजनयिक सार्जेंट श्राइवर और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जान एफ. केनेडी की बहन यूनीस मेरी केनेडी श्राइवर के पास था.
इस बीच आश्रम का कामकाज पहले की तरह जारी है. 23 फरवरी को तिरुवनंतपुरम के ब्रह्मस्थानाम मंदिर में हजारों लोग, जिनमें केंद्रीय और स्थानीय मंत्री शशि थरूर, त्रावणकोर के शाही परिवार के कई लोग, बीजेपी और वीएचपी के वरिष्ठ नेता अमृतानंदमयी से गले मिलने के लिए लाइन में लगे. ग्यारह बजे अमृतानंदमयी अपनी चमकती और जानी-पहचानी सफेद साड़ी में दाखिल हुईं.
पंडाल में लोग पूरे जोश में 'अम्मा, अम्मा’ की आवाजें लगाने लगे, कुछेक ने उनका सुरक्षा घेरा तोड़कर उनके पांव छूने की कोशिश भी की. वे तमिल, हिंदी और मलयालम में भजन गाती हैं और उसके बाद प्रवचन होता है. भीड़ उन्हें ध्यान से सुनते हुए उनकी जय-जयकार करती है. यानी अब तक अम्मा के लिए सब कुछ ठीक चल रहा है.
( —साथ में जे. बिंदुराज )