उन्हें क्या पूर्वाभास हो गया था? ‘‘मेरी जिंदगी ज्यादा-से-ज्यादा दो साल की है. मुझे तेजी से सब कुछ कर लेना होगा.’’ उन्होंने कुछ दोस्तों से 31 दिसंबर की रात गोवा के समुद्र तट वाले विला में नए साल के जश्न में ऐसा ही कुछ कहा था और फिर पूरे मन से डांस में हिस्सा लिया था.
उसके 17 दिन बाद दुबई की बेहद समृद्ध कारोबारी 51 वर्षीय सुनंदा पुष्कर अचानक अलविदा कह गईं, ठीक उसी तरह जैसे राजधानी की सेलेब्रिटीज की दुनिया में चकाचौंध फैलाने वे अचानक आ पहुंची थीं. हालांकि राजधानी की संभ्रांत राजनैतिक बिरादरी के हिसाब से वे कभी खुद को ढाल नहीं पाईं.
17 जनवरी को दिल्ली के एक होटल के सुइट में उनकी मौत कथित तौर पर जाने-अनजाने नींद की ज्यादा गोलियां लेने से हुई लेकिन शायद इसके पीछे वह गहरा एहसास था कि उनके पति उन्हें धोखा दे रहे हैं. इस घटना पर पसरा रहस्य बेशक उनकी जिंदगी के बारे में फैली सार्वजनिक धारणा के विपरीत है.
कभी दिल्ली में ‘‘ड्रीम कपल’’ (सपनों का जोड़ा) के रूप में चर्चित सुनंदा और केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर की शादी अगस्त, 2010 में हुई थी और उनका बहुचर्चित हनीमून शायद 2013 के शुरुआत में खत्म होने लगा था. सुनंदा दूसरी औरत के प्रति थरूर के ध्यान से परेशान होने लगी थीं.
उन्होंने पिछले सितंबर में एक दोस्त से कहा था, ‘‘वे उस औरत से बात करते हुए उसकी आंखों में ऐसे खो गए थे, मानो सब कुछ, मुझे भी भूल गए हों. इससे मुझे बुरी तरह जलन होने लगी.’’ दुबई के इस आलीशान नजारे से वे अपरिचित नहीं थीं.
वे लाहौर की स्तंभकार 45 साल की मेहर तरार से थरूर की दोस्ती को लेकर परेशान थीं. तरार ने पिछले साल अप्रैल में मानव संसाधन राज्यमंत्री का इंटरव्यू लिया था और अपने लेख में उनकी तुलना शाहरुख खान से की थी.
सुनंदा को यकीन हो गया था कि तरार उनके पति में अपनी ‘‘प्रोफेशनल’’ जरूरतों से कहीं ज्यादा दिलचस्पी ले रही हैं और थरूर भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने अपनी एक दोस्त से कहा कि मैंने दोनों को ‘‘दुबई के होटल में सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में देखा है.’’
गोवा के कलंगुट बीच के पास विजय माल्या के किंगफिशर विला में नए साल की पूर्व संध्या पर आयोजित पार्टी में मौजूद फैशन डिजाइनर बीना रमानी को भी लगा कि सुहाने रिश्ते में कुछ तो ‘‘चटख’’ गया है. वे कहती हैं, ‘‘अमूमन भरपूर उत्साहित रहने वाली सुनंदा कुछ खिंची-खिंची-सी थी.’’
वे याद करती हैं कि थरूर भी रौ में नहीं लग रहे थे. वे दिल्ली से खास तौर पर अपनी पत्नी के साथ समय बिताने आए थे. रमानी कहती हैं, ‘‘उस शाम दोनों दो बार डांस फ्लोर पर पहुंचे,’’ लेकिन जादुई अंदाज कहीं गायब था.
सुनंदा को 15 जनवरी को तिरुवनंतपुरम से दिल्ली की उड़ान में अचानक यह पता चला कि पिछली जुलाई को संपर्क तोड़ लेने का वादा करने के बावजूद थरूर अब भी अपनी पाकिस्तानी दोस्त के संपर्क में थे. बस यह बात आखिरी चोट साबित हुई. दोनों के प्रेम और तनाव के गवाह रहे एक दोस्त से उन्होंने कहा, ‘‘उसने (थरूर ने) तरार का नंबर ‘‘हरीश’’ के नाम से सेव कर रखा था.’’
दिल्ली की उड़ान में दोनों के बीच तकरार की बात को पुष्ट करते हुए उस दोस्त ने इंडिया टुडे को बताया, ‘‘सुनंदा चीख पड़ी थीं.’’ उस दोस्त के मुताबिक, ‘‘शशि ने संपर्क तोड़ लिया था पर तरार छोडऩा नहीं चाहती थीं. सुनंदा भी अपने पति के ब्लैकबेरी मैसेंजर पर आए-गए मैसेज से यह जान सकती थीं कि शशि ने उससे दूरी बना ली है. लेकिन वह यह जानकर हैरान रह गई कि शशि ने तरार का नंबर दूसरे नाम से सेव करके उसे धोखा देने की कोशिश की.’’
लेकिन उनके बहुत-से दोस्तों को रिश्तों में दरार और सुनंदा की बेचैनी का जरा भी एहसास नहीं हुआ. 3 जनवरी को गोवा एअरपोर्ट पर सुनंदा से मिले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कहते हैं, ‘‘यह सब मुझे अजीब लगता है. कुछ भी अटपटा नहीं लग रहा था. सुनंदा हमेशा की तरह खुशमिजाज थीं और शशि तथा अपनी साझा योजनाओं के बारे में बात कर रही थीं.’’
उन्होंने यह भी बताया कि जनवरी के तीसरे हफ्ते में दोनों पटियाला आने वाले थे तो अमरिंदर सिंह ने उन्हें रात के खाने पर घर बुलाया था. वे कहते हैं, ‘‘हमने तो गर्मियों में साथ-साथ भूटान की यात्रा की भी योजना बनाई थी.’’ दिल्ली के वकील अतुल नंदा पिछले साल श्रीनगर में फिरोज खान की बहन दिलशाद शेख की 60वीं सालगिरह पर सुनंदा और थरूर से मिले थे. वे कहते हैं, ‘‘कोई सपने में भी नहीं सोच सकता कि उनके बीच किसी तीसरे की गुंजाइश बन सकती है.’’
रमानी कहती हैं कि सुनंदा को मंत्री की पत्नी होने के नाते हासिल सत्ता का रुतबा तो रास आ रहा था लेकिन उन्हें थरूर से मिलने के पहले दुबई की ग्लैमरस जिंदगी भी लुभा रही थी. थरूर से उनके तकरारों के गवाह कुछ दोस्तों के मुताबिक, सुनंदा के लिए इन दो जिंदगियों में संतुलन कायम करना मुश्किल होता जा रहा था. थरूर सोशलाइट इवेंट्स में जाने से हिचकते थे क्योंकि इससे उनके राजनैतिक करियर पर बुरा असर पड़ सकता था.
विडंबना देखिए कि दुबई से लेकर दिल्ली तक कामयाब असर रखने वाली, भरोसे से लबरेज कारोबारी सुनंदा कहा करती थीं कि ‘‘कुछ भी करने के लिए कभी किसी मर्द की दरकार नहीं’’ है. लेकिन अब वे इतनी असुरक्षित महसूस करने लगी थीं कि वे उस मर्द को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थीं जिसकी दिलचस्पी को वे घटता हुआ देख रही थीं.
सुनंदा थरूर से आर्थिक सहारा नहीं चाहती थीं. उनकी व्यक्तिगत संपत्तियों में (इनकी फेहरिस्त पीएमओ की वेबसाइट पर है) दुबई में 12 अपार्टमेंट, कनाडा में एक अपार्टमेंट, जम्मू में जमीन-जायदाद, 7 करोड़ रु. मूल्य के जेवरात और डिजाइनर घडिय़ां और इतनी ही रकम का बैंक जमा है. कुल मिलाकर वे 113 करोड़ रु. की मालकिन थीं. इसके अलावा मुगल सम्राट हुमायूं के काल की एक तलवार भी उनके पास थी, जिसकी कीमत नहीं आंकी गई है.
अप्रैल, 2010 की बात है. विदेश राज्यमंत्री थरूर से उनके रोमांस की चर्चा इन आरोपों के साथ सार्वजनिक हुई कि इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) में कोच्चि क्रिकेट टीम की फ्रेंचाइजी हासिल करने के लिए परोक्ष रूप से थरूर के प्रतिनिधि के रूप में उन्हें 75 करोड़ रु. के शेयर दिए गए हैं. इस पर वे बिफर पड़ी थीं.
उन्होंने वे शेयर लौटा दिए लेकिन एक कामकाजी औरत होने के नाते अपनी स्वतंत्र हैसियत का इजहार किया. उन्होंने एक साप्ताहिक को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘यह नितांत अपमानजनक है. क्या मैं अपना पैसा नहीं कमा सकती?’’ उन्होंने नकारात्मक खबरों को ‘‘मध्ययुगीन मानसिकता’’ से ग्रसित कहा था.

(सुनंदा और शशि थरुर 2010 में राजस्थान के पुष्कर में अपने हनीमून के दौरान)
चार महीने बाद उन्होंने तब मात्र सांसद रह गए थरूर (आइपीएल संबंधी आरोपों के बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया था) से केरल में पलक्कड के पास इलावनचेरी में उनके पारिवारिक घर पर खुशी-खुशी शादी की. सुनंदा ने शादी के दो दिन बाद एक टीवी इंटरव्यू में कहा, ‘‘मैं सोचती हूं कि हर कोई यही कयास लगा रहा है कि वे कहां मिले होंगे-वे इतने इंटेलिजेंट हैं!
मैं फौरन प्रभावित हो गई.’’ उन्होंने बताया कि पहली बार उनकी नजरें थरूर से दुबई में जून, 2009 में एक पार्टी में मिलीं. पार्टी मलयाली कारोबारी सनी वर्की की अमीरात हिल्स के उनके भव्य विला में आयोजित थी. वह इलाका अरबपतियों का है और वहीं भुट्टो-जरदारी परिवार का भी विला है. थरूर विदेश राज्यमंत्री बनने के बाद पहले विदेश दौरे पर गए थे.
पांच महीने बाद सुनंदा ओमान की राजधानी मस्कट में थीं. थरूर वहां एक मीटिंग में पहुंचे थे. तब उनकी शादी अपनी संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहयोगी क्रिस्टा गाइल्स से बरकरार थी. वहां दोनों एक होटल में मिले. वे प्यार में दीवाने हो चले थे. थरूर एक जरूरी मीटिंग जल्दी-जल्दी निपटाकर सुनंदा के साथ वक्त बिताने पहुंचे थे.
इसके बाद यह सिलसिला आगे बढ़ा तो थरूर का उसी साल बाद में गाइल्स से तलाक हो गया. यह परी कथा तो अभी शुरू हुई थी. सुंदर, सौम्य और तेजतर्रार थरूर 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के उम्मीदवार थे और 2009 में यूपीए सरकार के मंत्री बन गए थे. वे टीवी चैनलों पर सुनंदा का हाथ थामे रिक्की नेल्सन के प्रेम गीत और पुराने हिंदी फिल्मी गीत गाया करते थे.
इससे कई लोगों की नजरें उनकी ओर उठीं जिसे सुनंदा ‘‘पीडीए (पब्लिक डिस्पले ऑफ अफेक्शन यानी प्रेम का सार्वजनिक इजहार)’’ कहा करती थीं. लेकिन उनके इस इजहार से राजधानी के राजनैतिक रूप से जायज-नाजायज की परख वाली बिरादरी में बहुत-से लोग असहज भी थे. इस दुनिया के लिए वे बाहरी थीं.
वे जोर से ठहाका लगातीं और जमकर अंतरंग बातें साझा करतीं. थरूर में भी ऊंची उड़ान की पूरी संभावना थी. जब बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने 2012 में फिकरा कसा कि यूपीए को थरूर के लिए एक नया मंत्रालय ‘‘मिनिस्ट्री ऑफ लव अफेयर्स’’ बना देना चाहिए तो सुनंदा ने तपाक से जवाब दिया, ‘‘बीजेपी नेताओं के पास हमला करने के लिए बस लव ही बच गया है. अगर वे असली मर्द हैं तो उन्हें असली मुद्दे उठाने चाहिए.’’
कुछ दिन बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘‘50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड’’ बताया तो सुनंदा ने लगभग हर न्यूज चैनल पर उनकी निंदा की. उनसे पूछा गया कि क्या वे मोदी से माफी मांगने की मांग करेंगी, तो जवाब था, ‘‘अगर वे माफी मांगने वाले होते तो 2002 में अपने राज्य के लोगों के नरसंहार के लिए माफी मांग चुके होते.’’ यानी राजनीति के अनजाने क्षेत्र में भी बेहिचक उतर जा रही थीं.

हालांकि यह वास्तविक नहीं हो सकता था. दरअसल, अमीरात और उत्तरी अमेरिका में टूरिज्म, आइटी और रियल एस्टेट के धंधे में मर्दों को मात देने वालीं सुनंदा शादी के मामले में कभी भाग्यशाली नहीं रहीं. बमुश्किल 18 वर्ष की उम्र में श्रीनगर के लाल चौक के पास मौलाना आजाद रोड पर गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ विमेन में इकोनॉमिक्स की छात्रा सुनंदा को डल लेक पर सरकारी होटल सेंटौर लेकव्यू में हॉस्टेस की पार्टटाइम नौकरी मिल गई थी.
उनके पहले पति संजय रैना में सभी गुण थे. वे दिल्ली में पूसा में इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से कैटरिंग और न्यूट्रिशन में ग्रेजुएट थे. उन्हीं की तरह कश्मीरी हिंदू थे और सेंटौर में फ्रंट-ऑफिस मैनेजर थे. उनकी 1986 में शादी हुई और सुनंदा के लिए यह पहली बगावत थी. उनके पिता फौजी अफसर कर्नल पुष्कर नाथ दास और मां जया शादी के खिलाफ थे. हालांकि शायद मां से ही उन्हें जिद्दी स्वभाव मिला था. सुनंदा की बचपन की दोस्त, पारिवारिक मित्र की बेटी रेखा साधु मट्टू कहती हैं, ‘‘जया आंटी पक्की कश्मीरी मां थीं. उन्होंने हिंदी सीखने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें यकीन था कि 1989 में बाहर आए कश्मीरी पंडित एक दिन फिर घाटी में लौट जाएंगे.’’
सुनंदा को भी जीवन फिर से संवार लेने की अपनी काबिलियत पर गजब का भरोसा था. रैना से रिश्ते टूटने के तीन साल बाद उन्होंने पूर्व पति के मलयाली कारोबारी दोस्त सुजीत मेनन से 1991 में शादी कर ली. दो साल वाद वे दुबई चली गईं. 2010 की गर्मियों में आइपीएल विवाद उठने पर उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘‘उन्होंने मुझे एक दोस्त के नाते बेहद कष्टदायी शादी के रिश्ते को तोडऩे की हिम्मत दी.’’
नवंबर,1992 में मेनन ने सुनंदा को जीवन की सबसे बड़ी खुशी दी. बेटे शिव का जन्म हुआ. लेकिन यह शादी भी नहीं चली. पांच साल बाद, जब उनका बेटा चार साल का था, मार्च, 1997 में दिल्ली के करोलबाग में एक कार दुर्घटना में सुजीत की मौत हो गई. तब अवसाद और खुदकशी की अटकलें उठी थीं. खुदकशी की अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने स्वीकार किया था कि उनके पति ‘‘वित्तीय झमेलों में फंस गए थे.’’
शिव पुष्कर मेनन अपने पिता की मृत्यु के बाद अपनी आवाज को लेकर जूझ रहे थे. ऐसे में मां का पूरा ध्यान बेटे पर लग गया था. 1990 के दशक के अंतिम वर्षों में सुनंदा अमीरात का परिचित संसार छोड़कर बेटे के उम्दा इलाज के लिए कनाडा चली गई थीं.
हाल के दिनों में उन्होंने 2011 के आइआइएफए के दौरान मेल टुडे को बताया था कि वे अपने बेटे के लिए थरूर की अकादमिक दुनिया की बजाए बॉलीवुड की ग्लैमरस दुनिया को ज्यादा मुफीद समझती हैं.
उन्होंने मुंबई में फिल्मी सितारों और डायरेक्टरों से काफी जान-पहचान बढ़ाई थी और 21 वर्षीय शिव को अनुपम खेर के ऐक्टिंग स्कूल में दाखिला भी दिलवाया था ताकि फिल्मों में जाने में मदद मिले. अंतिम संस्कार के दो दिन बाद थरूर के लोधी एस्टेट आवास के बगीचे में एक श्रद्धांजलि सभा में शिव ने डबडबाई आंखों के साथ कहा, ‘‘वे देवदूत थीं. उनका नाता इस संसार से नहीं था. अब वे पवित्र स्थान से हमारी ओर मुस्कराते हुए देख रही हैं.’’

(18 जनवरी के सुनंदा की शवयात्रा में शशि थरुर और उनके साथ कर्नल राजेश पुष्कर)
कुछ खबरों के विपरीत लगता है, शिव का मन यह मान चुका है कि थरूर उनकी मां की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. जिस दिन दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने मौत की वजह ‘‘जहर’’ बताई, उन्होंने एक बयान में अपनी निजी क्षति के लिए ‘‘मीडिया के दबाव, तनाव और विभिन्न दवाइयों के बेमेल मिश्रण’’ को दोषी ठहराया.
उन्होंने कहा, ‘‘जो भी मेरी मां को जानता है, उसे पता है कि वे खुदकुशी करने वाली कमजोर इनसान नहीं थीं.’’ अपने सौतेले पिता के लिए उन्होंने कहा, ‘‘वे उन्हें चोट नहीं पहुंचा सकते.’’
दो साल पहले सुनंदा पुष्कर ने कहा था, ‘‘शादी दो लोगों के बीच होती है क्योंकि वे एक-दूसरे को समझते और सम्मान करते हैं. यह एकतरफा मामला नहीं हो सकता....तब वह नहीं चलेगा.’’ वह चला भी नहीं.
-साथ में संदीप उन्नीथन
उसके 17 दिन बाद दुबई की बेहद समृद्ध कारोबारी 51 वर्षीय सुनंदा पुष्कर अचानक अलविदा कह गईं, ठीक उसी तरह जैसे राजधानी की सेलेब्रिटीज की दुनिया में चकाचौंध फैलाने वे अचानक आ पहुंची थीं. हालांकि राजधानी की संभ्रांत राजनैतिक बिरादरी के हिसाब से वे कभी खुद को ढाल नहीं पाईं.
17 जनवरी को दिल्ली के एक होटल के सुइट में उनकी मौत कथित तौर पर जाने-अनजाने नींद की ज्यादा गोलियां लेने से हुई लेकिन शायद इसके पीछे वह गहरा एहसास था कि उनके पति उन्हें धोखा दे रहे हैं. इस घटना पर पसरा रहस्य बेशक उनकी जिंदगी के बारे में फैली सार्वजनिक धारणा के विपरीत है.
कभी दिल्ली में ‘‘ड्रीम कपल’’ (सपनों का जोड़ा) के रूप में चर्चित सुनंदा और केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर की शादी अगस्त, 2010 में हुई थी और उनका बहुचर्चित हनीमून शायद 2013 के शुरुआत में खत्म होने लगा था. सुनंदा दूसरी औरत के प्रति थरूर के ध्यान से परेशान होने लगी थीं.
उन्होंने पिछले सितंबर में एक दोस्त से कहा था, ‘‘वे उस औरत से बात करते हुए उसकी आंखों में ऐसे खो गए थे, मानो सब कुछ, मुझे भी भूल गए हों. इससे मुझे बुरी तरह जलन होने लगी.’’ दुबई के इस आलीशान नजारे से वे अपरिचित नहीं थीं.

सुनंदा को यकीन हो गया था कि तरार उनके पति में अपनी ‘‘प्रोफेशनल’’ जरूरतों से कहीं ज्यादा दिलचस्पी ले रही हैं और थरूर भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने अपनी एक दोस्त से कहा कि मैंने दोनों को ‘‘दुबई के होटल में सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में देखा है.’’
गोवा के कलंगुट बीच के पास विजय माल्या के किंगफिशर विला में नए साल की पूर्व संध्या पर आयोजित पार्टी में मौजूद फैशन डिजाइनर बीना रमानी को भी लगा कि सुहाने रिश्ते में कुछ तो ‘‘चटख’’ गया है. वे कहती हैं, ‘‘अमूमन भरपूर उत्साहित रहने वाली सुनंदा कुछ खिंची-खिंची-सी थी.’’
वे याद करती हैं कि थरूर भी रौ में नहीं लग रहे थे. वे दिल्ली से खास तौर पर अपनी पत्नी के साथ समय बिताने आए थे. रमानी कहती हैं, ‘‘उस शाम दोनों दो बार डांस फ्लोर पर पहुंचे,’’ लेकिन जादुई अंदाज कहीं गायब था.
सुनंदा को 15 जनवरी को तिरुवनंतपुरम से दिल्ली की उड़ान में अचानक यह पता चला कि पिछली जुलाई को संपर्क तोड़ लेने का वादा करने के बावजूद थरूर अब भी अपनी पाकिस्तानी दोस्त के संपर्क में थे. बस यह बात आखिरी चोट साबित हुई. दोनों के प्रेम और तनाव के गवाह रहे एक दोस्त से उन्होंने कहा, ‘‘उसने (थरूर ने) तरार का नंबर ‘‘हरीश’’ के नाम से सेव कर रखा था.’’
दिल्ली की उड़ान में दोनों के बीच तकरार की बात को पुष्ट करते हुए उस दोस्त ने इंडिया टुडे को बताया, ‘‘सुनंदा चीख पड़ी थीं.’’ उस दोस्त के मुताबिक, ‘‘शशि ने संपर्क तोड़ लिया था पर तरार छोडऩा नहीं चाहती थीं. सुनंदा भी अपने पति के ब्लैकबेरी मैसेंजर पर आए-गए मैसेज से यह जान सकती थीं कि शशि ने उससे दूरी बना ली है. लेकिन वह यह जानकर हैरान रह गई कि शशि ने तरार का नंबर दूसरे नाम से सेव करके उसे धोखा देने की कोशिश की.’’
लेकिन उनके बहुत-से दोस्तों को रिश्तों में दरार और सुनंदा की बेचैनी का जरा भी एहसास नहीं हुआ. 3 जनवरी को गोवा एअरपोर्ट पर सुनंदा से मिले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कहते हैं, ‘‘यह सब मुझे अजीब लगता है. कुछ भी अटपटा नहीं लग रहा था. सुनंदा हमेशा की तरह खुशमिजाज थीं और शशि तथा अपनी साझा योजनाओं के बारे में बात कर रही थीं.’’
उन्होंने यह भी बताया कि जनवरी के तीसरे हफ्ते में दोनों पटियाला आने वाले थे तो अमरिंदर सिंह ने उन्हें रात के खाने पर घर बुलाया था. वे कहते हैं, ‘‘हमने तो गर्मियों में साथ-साथ भूटान की यात्रा की भी योजना बनाई थी.’’ दिल्ली के वकील अतुल नंदा पिछले साल श्रीनगर में फिरोज खान की बहन दिलशाद शेख की 60वीं सालगिरह पर सुनंदा और थरूर से मिले थे. वे कहते हैं, ‘‘कोई सपने में भी नहीं सोच सकता कि उनके बीच किसी तीसरे की गुंजाइश बन सकती है.’’
रमानी कहती हैं कि सुनंदा को मंत्री की पत्नी होने के नाते हासिल सत्ता का रुतबा तो रास आ रहा था लेकिन उन्हें थरूर से मिलने के पहले दुबई की ग्लैमरस जिंदगी भी लुभा रही थी. थरूर से उनके तकरारों के गवाह कुछ दोस्तों के मुताबिक, सुनंदा के लिए इन दो जिंदगियों में संतुलन कायम करना मुश्किल होता जा रहा था. थरूर सोशलाइट इवेंट्स में जाने से हिचकते थे क्योंकि इससे उनके राजनैतिक करियर पर बुरा असर पड़ सकता था.
विडंबना देखिए कि दुबई से लेकर दिल्ली तक कामयाब असर रखने वाली, भरोसे से लबरेज कारोबारी सुनंदा कहा करती थीं कि ‘‘कुछ भी करने के लिए कभी किसी मर्द की दरकार नहीं’’ है. लेकिन अब वे इतनी असुरक्षित महसूस करने लगी थीं कि वे उस मर्द को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थीं जिसकी दिलचस्पी को वे घटता हुआ देख रही थीं.
सुनंदा थरूर से आर्थिक सहारा नहीं चाहती थीं. उनकी व्यक्तिगत संपत्तियों में (इनकी फेहरिस्त पीएमओ की वेबसाइट पर है) दुबई में 12 अपार्टमेंट, कनाडा में एक अपार्टमेंट, जम्मू में जमीन-जायदाद, 7 करोड़ रु. मूल्य के जेवरात और डिजाइनर घडिय़ां और इतनी ही रकम का बैंक जमा है. कुल मिलाकर वे 113 करोड़ रु. की मालकिन थीं. इसके अलावा मुगल सम्राट हुमायूं के काल की एक तलवार भी उनके पास थी, जिसकी कीमत नहीं आंकी गई है.
अप्रैल, 2010 की बात है. विदेश राज्यमंत्री थरूर से उनके रोमांस की चर्चा इन आरोपों के साथ सार्वजनिक हुई कि इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) में कोच्चि क्रिकेट टीम की फ्रेंचाइजी हासिल करने के लिए परोक्ष रूप से थरूर के प्रतिनिधि के रूप में उन्हें 75 करोड़ रु. के शेयर दिए गए हैं. इस पर वे बिफर पड़ी थीं.
उन्होंने वे शेयर लौटा दिए लेकिन एक कामकाजी औरत होने के नाते अपनी स्वतंत्र हैसियत का इजहार किया. उन्होंने एक साप्ताहिक को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘यह नितांत अपमानजनक है. क्या मैं अपना पैसा नहीं कमा सकती?’’ उन्होंने नकारात्मक खबरों को ‘‘मध्ययुगीन मानसिकता’’ से ग्रसित कहा था.

(सुनंदा और शशि थरुर 2010 में राजस्थान के पुष्कर में अपने हनीमून के दौरान)
चार महीने बाद उन्होंने तब मात्र सांसद रह गए थरूर (आइपीएल संबंधी आरोपों के बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया था) से केरल में पलक्कड के पास इलावनचेरी में उनके पारिवारिक घर पर खुशी-खुशी शादी की. सुनंदा ने शादी के दो दिन बाद एक टीवी इंटरव्यू में कहा, ‘‘मैं सोचती हूं कि हर कोई यही कयास लगा रहा है कि वे कहां मिले होंगे-वे इतने इंटेलिजेंट हैं!
मैं फौरन प्रभावित हो गई.’’ उन्होंने बताया कि पहली बार उनकी नजरें थरूर से दुबई में जून, 2009 में एक पार्टी में मिलीं. पार्टी मलयाली कारोबारी सनी वर्की की अमीरात हिल्स के उनके भव्य विला में आयोजित थी. वह इलाका अरबपतियों का है और वहीं भुट्टो-जरदारी परिवार का भी विला है. थरूर विदेश राज्यमंत्री बनने के बाद पहले विदेश दौरे पर गए थे.
पांच महीने बाद सुनंदा ओमान की राजधानी मस्कट में थीं. थरूर वहां एक मीटिंग में पहुंचे थे. तब उनकी शादी अपनी संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहयोगी क्रिस्टा गाइल्स से बरकरार थी. वहां दोनों एक होटल में मिले. वे प्यार में दीवाने हो चले थे. थरूर एक जरूरी मीटिंग जल्दी-जल्दी निपटाकर सुनंदा के साथ वक्त बिताने पहुंचे थे.
इसके बाद यह सिलसिला आगे बढ़ा तो थरूर का उसी साल बाद में गाइल्स से तलाक हो गया. यह परी कथा तो अभी शुरू हुई थी. सुंदर, सौम्य और तेजतर्रार थरूर 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के उम्मीदवार थे और 2009 में यूपीए सरकार के मंत्री बन गए थे. वे टीवी चैनलों पर सुनंदा का हाथ थामे रिक्की नेल्सन के प्रेम गीत और पुराने हिंदी फिल्मी गीत गाया करते थे.
इससे कई लोगों की नजरें उनकी ओर उठीं जिसे सुनंदा ‘‘पीडीए (पब्लिक डिस्पले ऑफ अफेक्शन यानी प्रेम का सार्वजनिक इजहार)’’ कहा करती थीं. लेकिन उनके इस इजहार से राजधानी के राजनैतिक रूप से जायज-नाजायज की परख वाली बिरादरी में बहुत-से लोग असहज भी थे. इस दुनिया के लिए वे बाहरी थीं.
वे जोर से ठहाका लगातीं और जमकर अंतरंग बातें साझा करतीं. थरूर में भी ऊंची उड़ान की पूरी संभावना थी. जब बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने 2012 में फिकरा कसा कि यूपीए को थरूर के लिए एक नया मंत्रालय ‘‘मिनिस्ट्री ऑफ लव अफेयर्स’’ बना देना चाहिए तो सुनंदा ने तपाक से जवाब दिया, ‘‘बीजेपी नेताओं के पास हमला करने के लिए बस लव ही बच गया है. अगर वे असली मर्द हैं तो उन्हें असली मुद्दे उठाने चाहिए.’’
कुछ दिन बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘‘50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड’’ बताया तो सुनंदा ने लगभग हर न्यूज चैनल पर उनकी निंदा की. उनसे पूछा गया कि क्या वे मोदी से माफी मांगने की मांग करेंगी, तो जवाब था, ‘‘अगर वे माफी मांगने वाले होते तो 2002 में अपने राज्य के लोगों के नरसंहार के लिए माफी मांग चुके होते.’’ यानी राजनीति के अनजाने क्षेत्र में भी बेहिचक उतर जा रही थीं.

हालांकि यह वास्तविक नहीं हो सकता था. दरअसल, अमीरात और उत्तरी अमेरिका में टूरिज्म, आइटी और रियल एस्टेट के धंधे में मर्दों को मात देने वालीं सुनंदा शादी के मामले में कभी भाग्यशाली नहीं रहीं. बमुश्किल 18 वर्ष की उम्र में श्रीनगर के लाल चौक के पास मौलाना आजाद रोड पर गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ विमेन में इकोनॉमिक्स की छात्रा सुनंदा को डल लेक पर सरकारी होटल सेंटौर लेकव्यू में हॉस्टेस की पार्टटाइम नौकरी मिल गई थी.
उनके पहले पति संजय रैना में सभी गुण थे. वे दिल्ली में पूसा में इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से कैटरिंग और न्यूट्रिशन में ग्रेजुएट थे. उन्हीं की तरह कश्मीरी हिंदू थे और सेंटौर में फ्रंट-ऑफिस मैनेजर थे. उनकी 1986 में शादी हुई और सुनंदा के लिए यह पहली बगावत थी. उनके पिता फौजी अफसर कर्नल पुष्कर नाथ दास और मां जया शादी के खिलाफ थे. हालांकि शायद मां से ही उन्हें जिद्दी स्वभाव मिला था. सुनंदा की बचपन की दोस्त, पारिवारिक मित्र की बेटी रेखा साधु मट्टू कहती हैं, ‘‘जया आंटी पक्की कश्मीरी मां थीं. उन्होंने हिंदी सीखने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें यकीन था कि 1989 में बाहर आए कश्मीरी पंडित एक दिन फिर घाटी में लौट जाएंगे.’’
सुनंदा को भी जीवन फिर से संवार लेने की अपनी काबिलियत पर गजब का भरोसा था. रैना से रिश्ते टूटने के तीन साल बाद उन्होंने पूर्व पति के मलयाली कारोबारी दोस्त सुजीत मेनन से 1991 में शादी कर ली. दो साल वाद वे दुबई चली गईं. 2010 की गर्मियों में आइपीएल विवाद उठने पर उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘‘उन्होंने मुझे एक दोस्त के नाते बेहद कष्टदायी शादी के रिश्ते को तोडऩे की हिम्मत दी.’’
नवंबर,1992 में मेनन ने सुनंदा को जीवन की सबसे बड़ी खुशी दी. बेटे शिव का जन्म हुआ. लेकिन यह शादी भी नहीं चली. पांच साल बाद, जब उनका बेटा चार साल का था, मार्च, 1997 में दिल्ली के करोलबाग में एक कार दुर्घटना में सुजीत की मौत हो गई. तब अवसाद और खुदकशी की अटकलें उठी थीं. खुदकशी की अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने स्वीकार किया था कि उनके पति ‘‘वित्तीय झमेलों में फंस गए थे.’’
शिव पुष्कर मेनन अपने पिता की मृत्यु के बाद अपनी आवाज को लेकर जूझ रहे थे. ऐसे में मां का पूरा ध्यान बेटे पर लग गया था. 1990 के दशक के अंतिम वर्षों में सुनंदा अमीरात का परिचित संसार छोड़कर बेटे के उम्दा इलाज के लिए कनाडा चली गई थीं.
हाल के दिनों में उन्होंने 2011 के आइआइएफए के दौरान मेल टुडे को बताया था कि वे अपने बेटे के लिए थरूर की अकादमिक दुनिया की बजाए बॉलीवुड की ग्लैमरस दुनिया को ज्यादा मुफीद समझती हैं.
उन्होंने मुंबई में फिल्मी सितारों और डायरेक्टरों से काफी जान-पहचान बढ़ाई थी और 21 वर्षीय शिव को अनुपम खेर के ऐक्टिंग स्कूल में दाखिला भी दिलवाया था ताकि फिल्मों में जाने में मदद मिले. अंतिम संस्कार के दो दिन बाद थरूर के लोधी एस्टेट आवास के बगीचे में एक श्रद्धांजलि सभा में शिव ने डबडबाई आंखों के साथ कहा, ‘‘वे देवदूत थीं. उनका नाता इस संसार से नहीं था. अब वे पवित्र स्थान से हमारी ओर मुस्कराते हुए देख रही हैं.’’

(18 जनवरी के सुनंदा की शवयात्रा में शशि थरुर और उनके साथ कर्नल राजेश पुष्कर)
कुछ खबरों के विपरीत लगता है, शिव का मन यह मान चुका है कि थरूर उनकी मां की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. जिस दिन दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने मौत की वजह ‘‘जहर’’ बताई, उन्होंने एक बयान में अपनी निजी क्षति के लिए ‘‘मीडिया के दबाव, तनाव और विभिन्न दवाइयों के बेमेल मिश्रण’’ को दोषी ठहराया.
उन्होंने कहा, ‘‘जो भी मेरी मां को जानता है, उसे पता है कि वे खुदकुशी करने वाली कमजोर इनसान नहीं थीं.’’ अपने सौतेले पिता के लिए उन्होंने कहा, ‘‘वे उन्हें चोट नहीं पहुंचा सकते.’’
दो साल पहले सुनंदा पुष्कर ने कहा था, ‘‘शादी दो लोगों के बीच होती है क्योंकि वे एक-दूसरे को समझते और सम्मान करते हैं. यह एकतरफा मामला नहीं हो सकता....तब वह नहीं चलेगा.’’ वह चला भी नहीं.
-साथ में संदीप उन्नीथन