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खाप के डर से सेफ हाउस की हिफाजत में प्रेमी जोड़े

हरियाणा में जान हथेली पर लेकर प्रेम करने वालों की सुरक्षा के लिए बने हैं सेफ हाउस. खाप के खौफ से बचने के लिए यहां आने वालों की संख्या बढ़ रही है.

अपडेटेड 20 जनवरी , 2014
हरियाणा में प्रेम करना जानलेवा हो सकता है. खासकर तब जब प्रेम जाति से बाहर हो या गोत्र के अंदर हो. ऐसे में आखिर प्रेमी जोड़े करें तो क्या? इसका जवाब कपिल और सोनिया की कहानी से मिलता है. सोनिया पशरेजा के माता-पिता अपनी पसंद के लड़के से उसकी शादी करवाना चाहते थे, पर वह तो कपिल गांधी को दिल दे चुकी थीं और उसकी खातिर कुछ भी करने को तैयार थीं.

सो झज्जर के बहादुरगढ़ के इस प्रेमी जोड़े ने घर से भागकर पिछले साल 21 जुलाई को कोर्ट मैरिज कर ली. जैसे ही दोनों हकीकत के धरातल पर आए तो सकते में आ गए कि अब जाएं कहां? उनके सामने छह साल पहले खाप के आदेश पर मनोज और बबली की कैथल के पास बस से उतारकर बेरहमी से हत्या करने की मिसाल थी. दोनों ने अपने नए सफर की पहली रात झज्जर पुलिस लाइन के सेफ हाउस में गुजारी.
हिसार का सेफ हाउस
जहां कमरे में एक पुराना, जर्जर पलंग था. न गद्दा, न तकिया. कमरे की खिड़की पर परदा तक नहीं था. सोनिया बताती हैं, ''सेफ हाउस की हालत ऐसी थी कि लगता था, यहां से कब छुटकारा मिलेगा.” लेकिन कपिल कहते हैं, ''जो भी था, कम-से -कम हम खुशकिस्मत तो हैं कि हम सही-सलामत हैं और अब हम अपने घर में खुश हैं.”

ये सेफ हाउस  इन दिनों ऐसे ही प्रेमी जोड़ों का सुरक्षित ठिकाना बन रहे हैं, जो खाप और समाज के डर से अपनी जान बचाना चाहते हैं. हरियाणा में ऑनर किलिंग जिस तेजी से बढ़ी है, प्रेम विवाह करने वालों की संख्या उससे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि 2010 में सेफ हाउस बनने के बाद यहां हर साल आने वाले जोड़ों की संख्या में इजाफा हुआ है.

सोनीपत में 2010 में सिर्फ एक जोड़ा प्रोटेक्शन के लिए आया था. अगले साल यह संख्या बढ़कर 30 हो गई. फिर 2012 में 58 और 2013 में 84 लोगों ने कोर्ट के आदेश पर सोनीपत के सेफ हाउस में शरण ली. चंडीगढ़ हाइ कोर्ट में रोज तकरीबन 45 से 55 नवविवाहित जोड़े प्रोटेक्शन के लिए आते हैं.

पर हर कोई कपिल और सोनिया जितना खुशकिस्मत नहीं होता. पिछले साल 18 सितंबर को रोहतक के पास गांव गिरनावाठी की निधि बराक और धमेंद्र बराक की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि दोनों एक गोत्र के होने के बावजूद एक-दूसरे से प्यार करते थे. हत्या करने वाले कोई और नहीं, लड़की के पिता, चाचा, मां और परिवार के ही लोग थे. उन्होंने धर्मेंद्र का सिर धड़ से अलग कर दिया, उसके शरीर के कई टुकड़े किए और शव को उसके घर के सामने फेंक दिया.

इस हत्या से भी ज्यादा दहलाने वाला था, निधि के पिता बिल्लू का वह खौफनाक बयान, ''मैंने कुछ गलत नहीं किया. जरूरत पड़ी तो दोबारा ऐसा करूंगा.” जून, 2013 में हफ्ते के भीतर लगातार ऑनर किलिंग की छह घटनाएं हुईं.

भिवानी जिले के निमरीवाली गांव में जाट समुदाय के रिंकू और मोनिका को उनके घरवालों ने मारकर लाशों को अपने घर के सामने टांग दिया. सोनीपत में दीपक कुमार और टीना झ के परिजनों ने उन्हें इतना उत्पीड़ित किया कि दोनों ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी.
फतेहाबाद में सेफ होम
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक ऑनर किलिंग के मामले में हरियाणा देश में अव्वल है. हरियाणा के एनजीओ राह ग्रुप के मुताबिक, 2010 से लेकर अब तक ऑनर किलिंग के तकरीबन 46 मामले सामने आए हैं. इसे देखते हुए सेफ हाउस व्यवस्था को और अधिक पुख्ता करने की जरूरत सामने आ जाती है.

प्रेमी जोड़े मानते हैं कि यहां आकर सुरक्षा तो मिल जाती है लेकिन प्राइवेसी और स्वच्छता के मामले में ये बहुत उत्साहजनक नहीं हैं, और जीवन कैदियों जैसा हो जाता है.

नवंबर, 2010 में हरियाणा सरकार ने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा देने के लिए हर जिले में प्रोटेक्शन होम या सेफ हाउस बनाने का आदेश दिया था. सो आनन-फानन में शहर की किसी भी मौजूदा सरकारी इमारत को सेफ हाउस में तब्दील कर दिया गया. जैसे फतेहाबाद में पुलिस लाइन के पीछे वाले हिस्से के एक कमरे को सेफ हाउस बनाया गया है.

कमरे में एक तख्तपोश के सिवा और कुछ भी नहीं है. अलग से टॉयलेट की भी व्यवस्था नहीं है. कमरे के बाहर कूड़ा पड़ा है. ऊपर टंकी से रिसते पानी से कमरे की छत और दीवारों पर सीलन आ गई है.

झज्जर, सोनीपत और हिसार में भी दो कमरों को सेफ हाउस में बदल दिया गया है, जहां कई बार एक ही कमरे में तीन-चार जोड़े रहने पर मजबूर होते हैं. कुछ जिलों में सिर्फ एक ही कमरा है, वहां तो पुलिसकर्मियों के लिए भी अलग से रहने की कोई व्यवस्था नहीं होती. कैथल के सेफ हाउस में रह चुकी 24 वर्षीया गुडिय़ा कहती हैं, ''मेरे समय चार और जोड़े थे और हम सब एक ही कमरे में रहते थे.
बिल्लू ने बेटी निधि और दामाद धर्मेंद्र की हत्या कर दी थी
वहां कोई व्यवस्था नहीं थी. यहां तक कि हमारा कोई मित्र-शुभचिंतक मिलने भी नहीं आ सकता था.” इस पर जनवादी महिला संगठन की राष्ट्रीय महासचिव जगमति संगवान कहती हैं, ''पुलिस ने एक कमरे में प्रोटेक्शन होम बनाकर मान लिया कि प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी हो गई. सवाल यह है कि ये सेफ हाउस कितने सेफ हैं? बुनियादी सुविधाओं से वंचित इन जगहों में जाकर जोड़ों का जीवन कैदियों जैसा हो जाता है.”

पुलिस की असंवेदनशीलता भी इन प्रेमी जोड़ों के लिए कम कष्टकर नहीं है. सोनीपत के अमित और वर्षा (बदला हुआ नाम) मानते हैं कि सेफ हाउस में मिलने वाली सुविधाओं की परवाह उन्हें नहीं है लेकिन, ''जब हम सुरक्षा के लिए पुलिस के पास जाते हैं तो वे सबसे पहले हमें सिर से लेकर पैर तक घूरते हैं. जैसे हम कोई अपराधी और चोर हैं.”

वर्षा रोते हुए कहती हैं कि थाने में पुलिस वाले भी बोलते हैं, ''घरवालों की नाक क्यों कटवा रही हो.” पुलिस के बड़े अधिकारी भी इससे वाकिफ हैं. सोनीपत के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण नेहरा कहते हैं, ''पुलिस फोर्स में भी उसी समाज के लोग आते हैं. इसलिए कानून बनाने के साथ-साथ पुलिस को और संवेदनशील बनाने की जरूरत है.”

अच्छी बात यह है कि राज्य के 21 सेफ हाउसेज में 2010 में कोर्ट से सुरक्षा पाने वाले जोड़ों की संख्या 366 थी जो 2012 में 1,345 पर पहुंच गई. यह तय है कि प्रेम की राह पर बढऩे वाले परवानों की कमी नहीं और सेफ हाउस इसमें अहम भूमिका निभाते रहेंगे.

हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री गीता भुक्कल कहती हैं, ''ऑनर किलिंग रोकना हमारी सबसे बड़ी चुनौती है. इसकी सबसे ज्यादा शिकार लड़कियां होती हैं क्योंकि उन्हें ही घर की इज्जत माना जाता है.” 
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