अमेरिका के लॉस एंजेलिस में रहने वाले भारतीय ऐक्टर कुणाल नय्यर सीबीएस के हिट टीवी धारावाहिक द बिग बैंग थ्योरी में साइंटिस्ट राज कूठरापल्ली का किरदार निभा रहे हैं. वे हाल ही में रेस्तरां में एक प्रशंसक से टकरा गए तो उसने झट से वही जानी-पहचानी ख्वाहिश सामने रख दी, ''ओ माय गॉड, राज बिग बैंग थ्योरी, क्या मैं एक फोटो ले सकता हूं?”
कुणाल ने परेशानी की ओर इशारा किया: दोनों वॉशरूम में अगल-बगल खड़े थे लेकिन इस फैन को कोई परवाह नहीं थी. उसने अपना फोन निकाला और क्लिक कर दिया. कुणाल ने हंसते हुए बताया, ''मुझे लगता है कि जब कोई यूरिनल में आपकी तस्वीर ले तो समझ जाइए कि आप काफी मशहूर हैं.”
सितंबर में अमेरिका के लोग राज और उनके जैसे कई भारतीयों से रू-ब-रू होंगे. अमेरिका के कई नामी-गिरामी टेलीविजन शो के नए सीजन में कई भारतीय कलाकार और किरदार दिखाई देंगे. क्या राज ने शराब पिए बिना किसी औरत से बात न कर पाने की अपनी कमजोरी से निजात पा ली है?
क्या डॉ. मिंडी लाहिड़ी को अपना मिस्टर राइट मिलेगा? कालिंदा शर्मा का नया प्यार पुरुष होगा या महिला? नए अजीबो-गरीब भारतीय-अमेरिकी नाम वाले टॉम हैवरफोर्ड के बिजनेस रेंट-अ-स्वाग में किसकी दिलचस्पी होगी?
इन सभी सवालों के बारे में अटकलों के बाढ़ से साबित होता है कि कई हिट शो में भारतीय किरदार लोगों को कितने पसंद आ रहे हैं. मिंडी कैलिंग के हंसाने के हुनर की द ऑफिस में जमकर तारीफ हुई और अब उनका अपना शो द मिंडी प्रोजेक्ट फॉक्स पर आ रहा है.
स्टैंडअप कॉमेडियन अजीज अंसारी ने पाक्र्स ऐंड रिक्रिएशन के लेखकों को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने सिर्फ उसे एनबीसी शो पर लाने की खातिर उसके लिए एक किरदार लिख डाला. रेशमा शेट्टी यूएसए नेटवर्क पर रॉयल पेन्स में अपना शबाब बिखेरती हैं. ब्रिटिश-भारतीय ऐक्ट्रेस आर्ची पंजाबी ने सीबीएस के ड्रामा द गुड वाइफ में अपने रोल के लिए एमी जीता है.
उनके ही जैसे देव पटेल एचबीओ के द न्यूजरूम में नजर आते हैं. भारतीय जड़ों वाली हैना सिमोन फॉक्स के सिटकॉम न्यू गर्ल में लीड कैरेक्टर की सबसे अच्छी दोस्त के रोल में हैं. भारतीय मूल के अन्य कलाकारों में अधीर कल्याण और डैनी पुडी के नाम भी शामिल हैं जिनके काम को रूल्स ऑफ एंगेजमेंट और कम्युनिटी जैसे शो में काफी सराहा गया है.
वैसे भारतीय मूल के ऐक्टर अमेरिकी टेलीविजन के लिए नए नहीं हैं. हाउस में काल पेन, लॉस्ट में नवीन एंड्रयूज और सेंथिल राममूर्ति हीरोज में कुछ ताजा मिसालें हैं. लेकिन नए ऐक्टर उनसे ज्यादा हाइ प्रोफाइल हैं. इसकी एक वजह तो यह है कि अमेरिका में भारतीय समुदाय ज्यादा दिखने लगा है.
कुणाल का कहना है, ''किसी सुपर मार्केट, लॉ कंपनी या डॉक्टर के क्लिनिक में चले जाइए, वहां आपको भारतीय जरूर दिखेंगे क्योंकि अब हम इस कल्चर का हिस्सा हो गए हैं.”
टेलीविजन इंडस्ट्री भी इस सचाई से अच्छी तरह वाकिफ है. एनबीसी के यूनिवर्सल टेलीविजन की एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और स्टूडियो के हिट शो पाक्र्स ऐंड रिक्रिएशन, द मिंडी प्रोजेक्ट और लॉ ऐंड ऑर्डर: स्पेशल विक्टिम्स यूनिट की हेड बेला बजारिया का कहना है, ''सभी नेटवर्क, स्टूडियो और तरह-तरह के लोग शो में अलग-अलग तरह की चीजें डाल रहे हैं, कहते हैं कि दुनिया अब ऐसी दिखती है और इसलिए हमें अब शो में ऐसी दुनिया दिखानी पड़ रही है जो असल जिंदगी के ज्यादा करीब है.”
अमेरिका के टेलीविजन शो में एक ओर जहां भारतीय ऐक्टर ज्यादा दिखने लगे हैं वहीं उनके रोल द सिम्पसंस में स्टोर के मालिक अप्पू नहासापिमापेटिलॉन जैसे घिसे-पिटे किरदारों से बहुत अलग हो गए हैं. वे डॉक्टर या टैक्सी ड्राइवर के पुराने पड़ चुके रोल से भी बचने में कामयाब रहे हैं.
कुणाल का राज कूठरापल्ली कैलटेक में सामाजिक रूप से थोड़ा अजीबो-गरीब एस्ट्रोफिजिसिस्ट है; शेट्टी की दिव्या काटडरे न्यूयॉर्क के पास संभ्रांत हैम्पटन्स में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर की असिस्टेंट हैं; अंसारी का किरदार मुस्लिम भारतीय अमेरिकी का है जो सरकारी अधिकारी है, जिसने अपना नाम बदलकर राजनैतिक दृष्टि से ज्यादा हजम होने लायक टॉम हैवरफोर्ड रख लिया है;
पंजाबी कालिंदा शर्मा हैं जो सनकी और सेक्स के लिहाज से रहस्य समेटे हुए जासूस का किरदार निभा रही हैं; द न्यूजरूम के पटेल ब्लॉगर नील संपत हैं; तो सिमोन भारतीय अमेरिकी मॉडल सीसी मेयर्स के रोल में हैं और कलिंगा द मिंडी प्रोजेक्ट में ऑब्सटेट्रिशियन/ गाइनीकॉलोजिस्ट के रोल में हैं. उनका किरदार के कल्चर के मुताबिक होना संयोग मात्र है.
द मिंडी प्रोजेक्ट को टेलीविजन पर प्रसारित कराने में मुख्य भूमिका निभाने वाली बजारिया का कहना है, ''मिंडी है तो भारतीय, लेकिन वास्तव में वह ब्रिजेट जोन्स (एक काल्पनिक पात्र, जिसे ब्रिटिश लेखिका हेलन फील्डिंग ने गढ़ा है) है. यह शो किसी के भारतीय होने के बारे में नहीं है. संयोगवश वह भारतीय है.”
रेशमा को लगता है कि रॉयल पेन्स की दिव्या पर भी यही बात लागू होती है, ''वह जो है उसकी वजह से शो में है. भारतीय होना संयोग है, जरूरत नहीं.” एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर माइकल रॉश बताते हैं, ''उनकी पृष्ठभूमि दर्शकों को उस संस्कृति की झ्लक देती है जिससे वह अच्छी तरह परिचित नहीं हैं. उसकी उलझनें पूरी तरह भारतीय है लेकिन वे भी अक्सर यूनिवर्सल भी हो जाती हैं.”
भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने खुद को इतनी अच्छी तरह स्थापित कर लिया है कि अमेरिकी टेलीविजन लेखकों की मौजूदा पीढ़ी अकसर स्कूलों में ही भारतीय बच्चों से रू-ब-रू हो चुकी होती है. रॉयल पेन्स के एक और एग्जीक्यूटिव प्रोडयूसर एंड्रयू लेंचेस्की ने बताया, ''दिव्या का किरदार मेरी बचपन की दोस्त से प्रेरित है, जो हमेशा अपनी हसरतों और परंपराओं के बीच फंसी रहती थी.
हैम्पटन्स की इस दुनिया में किसी किरदार के लिए यह बहुत सघन भीतरी टकराव लगता है.” लेखक भारतीय-अमेरिका समुदाय से इतनी अच्छी तरह परिचित हैं और उनके साथ इतने सहज हैं कि अतिशयोक्ति की जरूरत महसूस नहीं करते. कुणाल का कहना है, ''बिग बैंग में किरदार निभाना और उसके लेखक मुझे इसलिए पसंद हैं कि वे यहूदियों, श्वेतो, अश्वेतों भारतीयों, अमेरिकियों, सबका मजाक उड़ाते हैं.”
हालांकि आजकल कई शो में ढेरों भारतीय किरदार दर्शकों और आलोचकों दोनों को बहुत पसंद आ रहे हैं, फिर भी सिर्फ मिंडी को ही लीड रोल मिला है. वह भी तब जब वे अपने शो खुद लिखती और बनाती हैं. अब जब नए शो भारतीय लेखक लिख रहे हैं तो यह स्थिति भी जल्दी बदल सकती है.
बजारिया का स्टूडियो अब ऐसे दो शो पर काम कर रहा है (एक असीम बत्रा और दूसरा संजय शाह का) जो भारतीय-अमेरिकी परिवार में उनके अपने अनुभवों पर आधारित है. अगर ये शो बने तो इनमें भारतीय किरदारों को ज्यादा अहमियत मिलने वाली है.
बजारिया किसी बड़े अमेरिकी टेलीविजन स्टूडियो की पहली भारतीय अधिकारी हैं. उनका मानना है कि दर्शक भारतीय किरदारों को मुख्यधारा का अंग मानने को तैयार हैं. उनका कहना है, ''जैसे किसी जमाने में कॉस्बी और जेफरसन खानदान मुख्यधारा में हिट थे, उसी तरह एक समय जरूर आएगा जब भारतीय शो वैसा ही करेंगे.”
उनका इशारा द कॉस्बी शो और द जेफरसन्स नाम के कामयाब सिटकॉम्स की ओर था जिनमें 1970 के दशक के मध्य से लेकर 1990 के दशक के शुरू तक अफ्रीकी-अमेरिकी किरदार दिखाए गए. मौजूदा किरदारों और पीछे इंतजार करते किरदारों को देखते हुए ऐसा लगता है कि अमेरिकी आबादी में तकरीबन सिर्फ एक प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने कहीं बड़े अनुपात में छोटे परदे पर खुशी-खुशी अपनी दस्तक दे दी है.
कुणाल ने परेशानी की ओर इशारा किया: दोनों वॉशरूम में अगल-बगल खड़े थे लेकिन इस फैन को कोई परवाह नहीं थी. उसने अपना फोन निकाला और क्लिक कर दिया. कुणाल ने हंसते हुए बताया, ''मुझे लगता है कि जब कोई यूरिनल में आपकी तस्वीर ले तो समझ जाइए कि आप काफी मशहूर हैं.”
सितंबर में अमेरिका के लोग राज और उनके जैसे कई भारतीयों से रू-ब-रू होंगे. अमेरिका के कई नामी-गिरामी टेलीविजन शो के नए सीजन में कई भारतीय कलाकार और किरदार दिखाई देंगे. क्या राज ने शराब पिए बिना किसी औरत से बात न कर पाने की अपनी कमजोरी से निजात पा ली है?
क्या डॉ. मिंडी लाहिड़ी को अपना मिस्टर राइट मिलेगा? कालिंदा शर्मा का नया प्यार पुरुष होगा या महिला? नए अजीबो-गरीब भारतीय-अमेरिकी नाम वाले टॉम हैवरफोर्ड के बिजनेस रेंट-अ-स्वाग में किसकी दिलचस्पी होगी?
इन सभी सवालों के बारे में अटकलों के बाढ़ से साबित होता है कि कई हिट शो में भारतीय किरदार लोगों को कितने पसंद आ रहे हैं. मिंडी कैलिंग के हंसाने के हुनर की द ऑफिस में जमकर तारीफ हुई और अब उनका अपना शो द मिंडी प्रोजेक्ट फॉक्स पर आ रहा है.
स्टैंडअप कॉमेडियन अजीज अंसारी ने पाक्र्स ऐंड रिक्रिएशन के लेखकों को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने सिर्फ उसे एनबीसी शो पर लाने की खातिर उसके लिए एक किरदार लिख डाला. रेशमा शेट्टी यूएसए नेटवर्क पर रॉयल पेन्स में अपना शबाब बिखेरती हैं. ब्रिटिश-भारतीय ऐक्ट्रेस आर्ची पंजाबी ने सीबीएस के ड्रामा द गुड वाइफ में अपने रोल के लिए एमी जीता है.
उनके ही जैसे देव पटेल एचबीओ के द न्यूजरूम में नजर आते हैं. भारतीय जड़ों वाली हैना सिमोन फॉक्स के सिटकॉम न्यू गर्ल में लीड कैरेक्टर की सबसे अच्छी दोस्त के रोल में हैं. भारतीय मूल के अन्य कलाकारों में अधीर कल्याण और डैनी पुडी के नाम भी शामिल हैं जिनके काम को रूल्स ऑफ एंगेजमेंट और कम्युनिटी जैसे शो में काफी सराहा गया है.
वैसे भारतीय मूल के ऐक्टर अमेरिकी टेलीविजन के लिए नए नहीं हैं. हाउस में काल पेन, लॉस्ट में नवीन एंड्रयूज और सेंथिल राममूर्ति हीरोज में कुछ ताजा मिसालें हैं. लेकिन नए ऐक्टर उनसे ज्यादा हाइ प्रोफाइल हैं. इसकी एक वजह तो यह है कि अमेरिका में भारतीय समुदाय ज्यादा दिखने लगा है.
कुणाल का कहना है, ''किसी सुपर मार्केट, लॉ कंपनी या डॉक्टर के क्लिनिक में चले जाइए, वहां आपको भारतीय जरूर दिखेंगे क्योंकि अब हम इस कल्चर का हिस्सा हो गए हैं.”
टेलीविजन इंडस्ट्री भी इस सचाई से अच्छी तरह वाकिफ है. एनबीसी के यूनिवर्सल टेलीविजन की एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और स्टूडियो के हिट शो पाक्र्स ऐंड रिक्रिएशन, द मिंडी प्रोजेक्ट और लॉ ऐंड ऑर्डर: स्पेशल विक्टिम्स यूनिट की हेड बेला बजारिया का कहना है, ''सभी नेटवर्क, स्टूडियो और तरह-तरह के लोग शो में अलग-अलग तरह की चीजें डाल रहे हैं, कहते हैं कि दुनिया अब ऐसी दिखती है और इसलिए हमें अब शो में ऐसी दुनिया दिखानी पड़ रही है जो असल जिंदगी के ज्यादा करीब है.”
अमेरिका के टेलीविजन शो में एक ओर जहां भारतीय ऐक्टर ज्यादा दिखने लगे हैं वहीं उनके रोल द सिम्पसंस में स्टोर के मालिक अप्पू नहासापिमापेटिलॉन जैसे घिसे-पिटे किरदारों से बहुत अलग हो गए हैं. वे डॉक्टर या टैक्सी ड्राइवर के पुराने पड़ चुके रोल से भी बचने में कामयाब रहे हैं.
कुणाल का राज कूठरापल्ली कैलटेक में सामाजिक रूप से थोड़ा अजीबो-गरीब एस्ट्रोफिजिसिस्ट है; शेट्टी की दिव्या काटडरे न्यूयॉर्क के पास संभ्रांत हैम्पटन्स में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर की असिस्टेंट हैं; अंसारी का किरदार मुस्लिम भारतीय अमेरिकी का है जो सरकारी अधिकारी है, जिसने अपना नाम बदलकर राजनैतिक दृष्टि से ज्यादा हजम होने लायक टॉम हैवरफोर्ड रख लिया है;
पंजाबी कालिंदा शर्मा हैं जो सनकी और सेक्स के लिहाज से रहस्य समेटे हुए जासूस का किरदार निभा रही हैं; द न्यूजरूम के पटेल ब्लॉगर नील संपत हैं; तो सिमोन भारतीय अमेरिकी मॉडल सीसी मेयर्स के रोल में हैं और कलिंगा द मिंडी प्रोजेक्ट में ऑब्सटेट्रिशियन/ गाइनीकॉलोजिस्ट के रोल में हैं. उनका किरदार के कल्चर के मुताबिक होना संयोग मात्र है.
द मिंडी प्रोजेक्ट को टेलीविजन पर प्रसारित कराने में मुख्य भूमिका निभाने वाली बजारिया का कहना है, ''मिंडी है तो भारतीय, लेकिन वास्तव में वह ब्रिजेट जोन्स (एक काल्पनिक पात्र, जिसे ब्रिटिश लेखिका हेलन फील्डिंग ने गढ़ा है) है. यह शो किसी के भारतीय होने के बारे में नहीं है. संयोगवश वह भारतीय है.”
रेशमा को लगता है कि रॉयल पेन्स की दिव्या पर भी यही बात लागू होती है, ''वह जो है उसकी वजह से शो में है. भारतीय होना संयोग है, जरूरत नहीं.” एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर माइकल रॉश बताते हैं, ''उनकी पृष्ठभूमि दर्शकों को उस संस्कृति की झ्लक देती है जिससे वह अच्छी तरह परिचित नहीं हैं. उसकी उलझनें पूरी तरह भारतीय है लेकिन वे भी अक्सर यूनिवर्सल भी हो जाती हैं.”
भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने खुद को इतनी अच्छी तरह स्थापित कर लिया है कि अमेरिकी टेलीविजन लेखकों की मौजूदा पीढ़ी अकसर स्कूलों में ही भारतीय बच्चों से रू-ब-रू हो चुकी होती है. रॉयल पेन्स के एक और एग्जीक्यूटिव प्रोडयूसर एंड्रयू लेंचेस्की ने बताया, ''दिव्या का किरदार मेरी बचपन की दोस्त से प्रेरित है, जो हमेशा अपनी हसरतों और परंपराओं के बीच फंसी रहती थी.
हैम्पटन्स की इस दुनिया में किसी किरदार के लिए यह बहुत सघन भीतरी टकराव लगता है.” लेखक भारतीय-अमेरिका समुदाय से इतनी अच्छी तरह परिचित हैं और उनके साथ इतने सहज हैं कि अतिशयोक्ति की जरूरत महसूस नहीं करते. कुणाल का कहना है, ''बिग बैंग में किरदार निभाना और उसके लेखक मुझे इसलिए पसंद हैं कि वे यहूदियों, श्वेतो, अश्वेतों भारतीयों, अमेरिकियों, सबका मजाक उड़ाते हैं.”
हालांकि आजकल कई शो में ढेरों भारतीय किरदार दर्शकों और आलोचकों दोनों को बहुत पसंद आ रहे हैं, फिर भी सिर्फ मिंडी को ही लीड रोल मिला है. वह भी तब जब वे अपने शो खुद लिखती और बनाती हैं. अब जब नए शो भारतीय लेखक लिख रहे हैं तो यह स्थिति भी जल्दी बदल सकती है.
बजारिया का स्टूडियो अब ऐसे दो शो पर काम कर रहा है (एक असीम बत्रा और दूसरा संजय शाह का) जो भारतीय-अमेरिकी परिवार में उनके अपने अनुभवों पर आधारित है. अगर ये शो बने तो इनमें भारतीय किरदारों को ज्यादा अहमियत मिलने वाली है.
बजारिया किसी बड़े अमेरिकी टेलीविजन स्टूडियो की पहली भारतीय अधिकारी हैं. उनका मानना है कि दर्शक भारतीय किरदारों को मुख्यधारा का अंग मानने को तैयार हैं. उनका कहना है, ''जैसे किसी जमाने में कॉस्बी और जेफरसन खानदान मुख्यधारा में हिट थे, उसी तरह एक समय जरूर आएगा जब भारतीय शो वैसा ही करेंगे.”
उनका इशारा द कॉस्बी शो और द जेफरसन्स नाम के कामयाब सिटकॉम्स की ओर था जिनमें 1970 के दशक के मध्य से लेकर 1990 के दशक के शुरू तक अफ्रीकी-अमेरिकी किरदार दिखाए गए. मौजूदा किरदारों और पीछे इंतजार करते किरदारों को देखते हुए ऐसा लगता है कि अमेरिकी आबादी में तकरीबन सिर्फ एक प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने कहीं बड़े अनुपात में छोटे परदे पर खुशी-खुशी अपनी दस्तक दे दी है.