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सोनाक्षी: दबंग,राउडी और हिम्मतवाली

सोनाक्षी सिन्हा ने 10 फिल्मों के करियर में लगातार हिट फिल्में दी हैं. यह जादू उनकी देसी छवि और मोहक खूबसूरती का है जो गुजरे जमाने की हसीन हीरोइनों की यादें ताजा कर देती है

अपडेटेड 22 अगस्त , 2013
अगर अखबार में उन्हें भरे बदन की कहा गया है, तो वे शाम की पार्टी में चुस्त पतलून पहनकर पहुंच जाएंगी ताकि यह सबको नजर भी आए. उन्हें आप खांटी हिंदुस्तानी कह कर देखें, वे तुरंत अपनी आंखों को भड़कीला बनाने के लिए काजल लगा लेंगी. जब वे हंसती हैं तो उनका पूरा बदन हंसता है. जब वे गुस्से में हों, तो रोम-रोम उसका गवाह होता है. 26 वर्षीया सोनाक्षी सिन्हा का बदन उनके मनोभावों को जाहिर करता है. फिल्म डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवाणी कहते हैं कि यही वह खूबी है जिसने लुटेरा की कहानी के सुस्त पलों में भी जान भर दी थी. वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा के डायरेक्टर मिलन लूथरिया के मुताबिक सोनाक्षी की यही खासियत उन्हें लड़की और औरत दोनों के भाव से लैस करती है.

सोनाक्षी की यह परिपक्वता दर्शकों को लुटेरा के बाद से ही समझ में आई है. इस फिल्म ने 26 करोड़ रु. का कारोबार किया है. यह बात अलग है कि सोनाक्षी में ऐक्टिंग की परिपक्वता हमेशा से ही मौजूद रही है जिसकी वजह से सलमान खान, अक्षय कुमार और अजय देवगन जैसे ऐक्टर्स समेत बड़े डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी बार-बार उनकी ओर खिंचते रहे हैं.

इसमें कोई हैरत नहीं कि वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई अगर एक शहर पर कब्जे की कहानी थी, तो उसका सीक्वल एक औरत को पाने की जंग पर टिका है. दो साल पहले सोनाक्षी के साथ अपने पहले फोटो शूट को याद करते हुए लूथरिया बताते हैं, ‘‘वे कोई फैशन की देवी जैसी नहीं हैं, वे हेमा मालिनी जैसी हैं. बेहद सेक्सी भारतीय लड़की जिसके भीतर एक औरत छिपी है.’’ वे याद करते हैं कि जैसे ही शटर खुला, उनके चेहरे के भाव बदल गए. वे कहते हैं, ‘‘उनकी यही चमक है जो उन्हें स्वाभाविक बनाती है.’’ यही बात उनके कई डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स कहते हैं. जहां तक सोनाक्षी की बात है तो उनका कहना है कि वे तो डायरेक्टर के हिसाब से ही काम करती हैं.

उनकी शिष्टता जितनी सहज है, वे इस बात को लेकर उतनी ही ज्यादा सतर्क भी हैं कि इंडस्ट्री की सीमा क्या है. अगली पीढ़ी की ऐक्ट्रेस में अपनी जगह बनाने के लिए उन्होंने फॉर्मूला फिल्मों से एक्सपेरिमेंटल फिल्मों तक का उलटा रास्ता चुना. उन्होंने शुरुआत सलमान खान के साथ 2010 में दबंग से की जिसने 225 करोड़ रु. कमाए. फिल्मों के कारोबार से जुड़ी ई-मैग्जीन बॉक्स ऑफिस इंडिया के संपादक वजीर सिंह के मुताबिक, ‘‘उनका रोल स्क्रिप्ट के लिहाज से अहम नहीं था लेकिन वे रातोंरात इंडस्ट्री के लिए बहुत ही लकी साबित हो गईं.’’ खासकर अक्षय कुमार के लिए जिनके साथ उन्होंने कई हिट फिल्में दीं. राऊडी राठौड़  ने 133 करोड़ रु. कमाए; फिर 20 करोड़ रु. का कारोबार करने वाली जोकर; इसके बाद ओह! माइ गॉड आई और अगली फिल्म होगी तुपक्की का हिंदी रीमेक.

सोनाक्षी के बारे में बात करते हुए ‘‘अक्षय सर्य का चेहरा चमक उठता है. वे कहते हैं, ‘‘सोनाक्षी बड़े परदे के लिए बनी थीं. हमने कई नई ऐक्ट्रेस देखी हैं, लेकिन उनके बारे में कुछ ऐसी बात थी जो उन्हें सबसे अलग बनाती है. वे दुबली-पतली नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपने लुक को लेकर कोई आग्रह नहीं. उन्हें काम से प्यार है और उनके लिए ऐक्टिंग का मतलब ऐक्टिंग है न कि यह चिंता कि बाल ठीक से संवरे हैं या नहीं.’’

सोनाक्षी ने अपनी शुरुआती कामयाबी का इस्तेमाल बढिय़ा फिल्में चुनने के लिए किया है. उन्हें पता था कि उनकी आलोचना जिस बात को लेकर हो रही है उसकी सीमाएं क्या हैं- चाहे वह छरहरी न होने पर आलोचना हो या ज्यादा उम्र की दिखने पर. वजीर बताते हैं, ‘‘उन्होंने अपनी नकारात्मक चीजों को लोकप्रिय अपील वाली सकारात्मक चीजों में बदल डाला.’’ जिस बात को शुरुआती कुछ फिल्मों में लक कहा गया, वही बाद में उनके हिट होने का फॉर्मूला बन गई. सोनाक्षी कहती हैं कि अपने काम के प्रति लगन की वजह से काम आसान हो सका. वे बताती हैं, ‘‘मैं सबसे अच्छे वक्त में इंडस्ट्री का हिस्सा बनी, जब दर्शक अलग-अलग तरह की फिल्मों को देख रहे थे और उन्हें मेरे जैसी शख्सियत भी मंजूर थी जो बॉलीवुड की पारंपरिक हीरोइनों से कुछ हटकर थी.’’

सोनाक्षी पूछती हैं, ‘‘मुझे अपने भारतीय दिखने या अपने साइज जीरो न होने या फिर मैं जैसी भी हूं, उस पर शर्म नहीं आती. जो चीज मेरे लिए कारगर है, उसे मैं क्यों बदलूंगी?’’ अपने इस आत्मविश्वास का श्रेय वे अपनी परवरिश को देती हैं. वे फिल्म अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी हैं. फिल्मी परिवार में रहने पर आपको पता होता है कि क्या चीज टिकने वाली है और क्या नहीं. हर स्क्रिप्ट या फिल्म जीने-मरने का सवाल नहीं होती. वे कंधे उचकाकर कहती हैं, ‘‘मैं तो मस्ती कर रही हूं और मुझे लगता है कि इसी से स्टेबिलिटी आएगी.’’

वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा में आप उनकी विविधता को साफ  देख सकते हैं. लूथरिया के मुताबिक उन्होंने यास्मीन के रोल के लिए सोनाक्षी को इसलिए चुना क्योंकि उन्हें ऐसी हीरोइन की जरूरत थी जो 45 साल के अक्षय कुमार के किरदार शोएब और 30 साल के इमरान खान के किरदार असलम दोनों के साथ मेल खा सके. इसके अलावा, एक बात यह भी थी कि लूथरिया ने हमेशा बहुत मजबूत हीरोइनें चुनी हैं, चाहे वह वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई में रेहाना के रोल में कंगना रनोट हों या फिर सिल्क के किरदार में डर्टी पिक्चर की विद्या बालन. उन्हें ऐसी हीरोइन की जरूरत थी जिसमें मॉडर्निटी और परंपरा, शिष्टता और मादकता, दोनों का संगम हो. वे कहते हैं, ‘‘सोनाक्षी इस खाके में एकदम फिट बैठती हैं.’’

सोनाक्षी के परदे पर आने से पहले तक ऐक्टर भी काफी चमक-धमक वाले शहरी हुआ करते थे और उन्हीं के जैसी ऐक्ट्रेस भी चाहिए होती थी. दूसरे छोर पर ऐसे देसी हीरो थे जिनकी जोड़ी ऋचा चड्ढा जैसी ग्रामीण छवि वाली ऐक्ट्रेस संग ही बैठ पाती. अब पुलिसवाले, गैंगस्टर या बदमाशों के साथ सोनाक्षी की नई जोड़ी ने खाई को काफी हद तक पाटा है. उनकी लोकप्रियता का रहस्य यह है कि वे आकांक्षाओं के बोझ तले दबे शहरी मध्यवर्गीय शख्स के साथ जोड़ी बना पाती हैं. मोटवाणी कहते हैं, ‘‘वे अब तक की महानतम अभिनेत्रियों में एक साबित होंगी. महानतम से मेरा मतलब माधुरी या श्रीदेवी के स्तर की.’’

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