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मध्य प्रदेश में डॉक्टर बनाने का गोरखधंधा

मध्य प्रदेश में पीएमटी में फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ जिसमें अधिकारियों की सांठगांठ भी सामने आ रही है. कांग्रेस ने लगाया बीजेपी सरकार पर लापरवाही का आरोप.

अपडेटेड 5 अगस्त , 2013
मध्य प्रदेश में मेडिकल के क्षेत्र में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश करते हुए इंदौर पुलिस ने जब 7 जुलाई को प्री मेडिकल टेस्ट देने पहुंचे 20 फर्जी परीक्षार्थियों को गिरफ्तार किया तो हड़कंप मच गया. ये परीक्षार्थी 25-40 लाख रु. लेकर पीएमटी पास कराने वाले गिरोह के सदस्य थे. मामले के उजागर होने के बाद राज्य सरकार विपक्षी पार्टी कांग्रेस के निशाने पर है.

इसमें बीजेपी सरकार के कुछ वरिष्ठ नेता भी संदेह के घेरे में हैं जिनसे प्रमुख आरोपी जगदीश सागर की कथित निकटता रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में सीबीआइ जांच से इनकार कर दिया है. विपक्ष के नेता अजय सिंह का आरोप है कि सरकार के प्रभावशाली लोग मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं क्योंकि मुख्य आरोपी लंबे समय से पार्टी नेताओं के संपर्क में है.

इंदौर पुलिस ने पीएमटी परीक्षा देने आए 20 छात्रों को पकड़ा जो दूसरों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे. इनमें से18 उत्तर प्रदेश के और दो मध्य प्रदेश के हैं. रीवा और सागर में भी इस तरह की गिरफ्तारियां हुईं. पकड़े गए ज्यादातर छात्रों ने माना कि उन्हें परीक्षा देने के लिए 50,000 रु. से लेकर एक लाख रु. तक की पेशकश की गई थी.

इंदौर से पकड़े गए छात्रों ने खुलासा किया कि इस पूरे कांड का मुख्य सरगना इंदौर का रहने वाला 42 वर्षीय डॉ. जगदीश सागर है. इसकी खबर लगते ही जगदीश इंदौर छोड़कर मुंबई भाग गया था. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने उसे मुंबई में गिरफ्तार किया. पूछताछ में जगदीश ने कथित तौर पर माना कि वह  इस रैकेट को कई साल से चला रहा था. इसके लिए अलग-अलग जगह से छात्रों को पीएमटी परीह्ना के लिए लाया जाता था.

उसने पीएमटी परीक्षा संचालित करने वाले व्यावसायिक परीक्षा मंडल के अधिकारियों और इंदौर स्थित एमजीएम अस्पताल के डॉक्टरों का नाम भी बताया जो उसकी मदद करते थे. असली छात्रों की जगह नकली छात्रों को परीक्षा में बैठाने के लिए वह लैब में मिक्स फोटो बनवाता था जिसमें परीक्षा देने वाले के साथ ही फर्जी छात्र का फोटो भी होता था. छात्र परीक्षा फॉर्म में इसी मिक्स फोटो का इस्तेमाल करते थे.

परीक्षा में फोटो की जांच के दौरान अंतर पकड़ में नहीं आ पाता था. इस तरह फर्जी छात्र परीक्षा देते थे. पुलिस के मुताबिक जगदीश सागर नकल कराकर भी पीएमटी में पास कराता था. वह नकल करने और कराने वाले की बैठने की व्यवस्था ऐसे करवाता था कि दोनों एक दूसरे के आगे पीछे आएं. इसके लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल में अधिकारियों को ऊंची कीमत अदा की जाती थी.

इस पूरे मामले में जगदीश सागर की व्यावसायिक परीक्षा मंडल के प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा और सीनियर सिस्टम एनालिस्ट अजय सेन से सांठगांठ सामने आई. उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो उन्होंने एक अन्य कर्मचारी असिस्टेंट कंप्यूटर प्रोग्रामर सी.के. मिश्र का नाम लिया. इसके बाद मिश्र को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इन लोगों पर छात्रों को आगे-पीछे रोल नंबर उपलब्ध कराने का आरोप है.

पुलिस ने पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड को जब्त कर जांच शुरू कर दी है. नितिन महिंद्रा और अजय सेन पर 2005 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में भी मामला दर्ज किया गया था. उन्हें उस वक्त के अध्यक्ष ने महत्वपूर्ण कामों से हटा दिया था, लेकिन मंडल के कंट्रोलर पद पर डॉ. पंकज त्रिवेदी की नियुक्ति के बाद उन्हें फिर से महत्वपूर्ण काम सौंप दिए गए.

व्यावसायिक परीक्षा मंडल के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका सामने आने के बाद सरकार ने डॉ. पंकज त्रिवेदी को भी निलंबित कर दिया. पीएमटी कांड के मुख्य अभियुक्त डॉ. सागर के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर उसकी संपत्ति की जांच शुरू कर दी है. अब तक की जांच में उसके पास विभिन्न स्थानों पर करोड़ों रुपए की संपत्ति सामने आई है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने इस पूरे मामले के लिए तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को जिम्मेदार बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है. भूरिया ने कहा, ''पिछले वर्षों में जो फर्जीवाड़ा सामने आया था अगर उस पर सरकार सही तरह से जांच करती और दोषियों को सजा देती तो इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं होता. इसकी जांच सीबीआइ से कराई जानी चाहिए. ''

दूसरी ओर, तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा, ''पीएमटी में हुए फर्जीवाड़े की सभी स्तर पर जांच चल रही है. सरकार इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है. सभी तथ्यों की जांच होने के बाद ही हम कुछ बोलने की स्थिति में होंगे. '' चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्र सख्त कार्रवाई करने का वादा करते हुए कहते हैं, ''हम इस पूरे मामले को लेकर बहुत गंभीर हैं. हम किसी भी सूरत में दोषी को छोडऩे वाले नहीं हैं. जो भी इस मामले में लिप्त पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई की जाएगी. पुलिस कार्रवाई पर सरकार की नजर है और पूरा मामला कानून के हिसाब से चल रहा है. ''

लाभान्वित छात्रों पर कार्रवाई के बारे में इंदौर रेंज के डीआइजी राकेश गुप्ता कहते हैं, ''लाभान्वित छात्रों के खिलाफ साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं. साक्ष्य मिलने पर उनके खिलाफ  भी कार्रवाई करेंगे. '' पुलिस ने संदिग्ध लाभान्वितों की सूची भी बनाई जिसके बारे में जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिलीप सोनी कहते हैं, ''व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने कई जानकारियां मांगी थीं. सब दे दी गई हैं. ''

मध्य प्रदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है. व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से आयोजित की गई पीएमटी परीक्षा में 2000 से लेकर 2013 तक 150 से भी अधिक मुन्नाभाइयों को पकड़ा गया है. सबसे ज्यादा 47 मामले 2009 में सामने आए थे. इसके पहले 2008 में 27 छात्रों को पकड़ा गया था. हाइकोर्ट इंदौर ने पीएमटी फर्जीवाड़े को लेकर राज्य सरकार, व्यावसायिक परीक्षा मंडल और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर सात दिन के अंदर जवाब देने को कहा है. हाइकोर्ट ने मंडल को कहा है कि वह काउंसलिंग जारी रखे, लेकिन मेडिकल में प्रवेश कोर्ट के आखिरी फैसले पर निर्भर करेगा.
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