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यूपीए सरकार के पैसे से मॉडर्न हुई तमंचा इंडस्‍ट्री

बिहार के मुंगेर जिले में प्रधानमंत्री रोजगार योजना से मिले पैसे का इस्तेमाल कर अवैध हथियार निर्माता अब अल्ट्रा मॉडर्न हथियार बना रहे हैं. इसमें ये महारत हासिल कर चुके हैं.

अपडेटेड 5 अगस्त , 2013

बिहार के मुंगेर में देसी कट्टे तो पहले से ही बनते रहे थे, पर अब वहां गैरकानूनी तरीके से विदेशी हथियार भी धड़ल्‍ले से बनाए जा रहे हैं. यूं समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री रोजगार योजना से मिली राशि का इस्‍तेमाल कर ही अवैध हथियार निर्माता अब अल्‍ट्रा मॉडर्न हथियार बना रहे हैं. हथियारों के इसी कालाबाजार पर आधारित है हमारी ये स्‍टोरी...

इस जिले में एक केंद्रीय योजना यहां के हथियार बनाने वाले लोगों की मदद कर रही है. देसी हथियार बनाने के मामले में बिहार का मुंगेर एक पारंपरिक केंद्र रहा है और हाल तक यह जिला एक गोली वाले देसी कट्टे के लिए कुख्यात था. अब यहां सरकारी योजना के पैसे से विदेशी पिस्तौलें और रिवॉल्वर भी बनाए जाने का चलन शुरू हो चुका है. यह बात अलग है कि सब कुछ गैर-कानूनी है.

जिले के पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस क्षेत्र के कई नौजवानों ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाइ) और दूसरे कल्याणकारी कार्यक्रमों से मिलने वाले कर्ज के पैसे से लेथ यानी खराद के कारखाने लगा लिए हैं. खराद असल में बंदूक बनाने वाले छोटे कारखानों के लिए पाट्र्स बनाने के काम आती है. पीएमआरवाइ की शुरुआत 2 अक्तूबर, 1993 को गरीब बेरोजगार युवाओं को खुद के छोटे-छोटे रोजगार उद्यम लगाने में मदद के लिए की गई थी. शुरू में यह योजना सिर्फ शहरी क्षेत्रों में लागू की गई लेकिन 1994-95 के बाद से इसे गांवों में भी लागू किया जा रहा है.

मुंगेर के पुलिस अधीक्षक नवीन कुमार झा बताते हैं, “हम उन लोगों का ब्यौरा पता कर रहे हैं, जिन्होंने छोटे-छोटे शस्त्र कारखाने लगाने के नाम पर सरकारी योजना के तहत लोन लिया और खराद के कारखाने लगाए हैं.” झा से पहले पुलिस अधीक्षक रहे एम. सुनील नायक ने ऐसे 14 गैर-कानूनी शस्त्र कारखानों का पता लगाया था, जिन्हें उनके कार्यकाल में पीएमआरवाइ से लोन लेकर प्रतिबंधित शस्त्र निर्मित करने के लिए स्थापित किया गया था.

अभी पश्चिमी चंपारण के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात नायक कहते हैं, “खराद के कारखाने दूसरे कामों के लिए होते हैं लेकिन मुंगेर में उनका इस्तेमाल हथियारों के निर्माण में भी किया जाता रहा है. मैंने ऐसे 20 लोगों को गिरफ्तार किया है जो खराद मशीनों का इस्तेमाल हथियार बनाने में कर रहे थे.”

अनुदान का दुरुपयोग
दिल्ली में हाल ही में 99 ‘मेड इन मुंगेर’ पिस्तौलों की जब्ती के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को भी यही जानकारी हाथ लगी कि पीएमआरवाइ से लिए गए लोन का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर बंदूकें बनाने में हो रहा है.

पीएमआरवाइ से मिलने वाले लोन का दुरुपयोग चौंकाने वाली बात भले हो, लेकिन इससे कहीं ज्यादा दिलचस्प घटना पिछले दिनों सामने आई. गंगा के बीचोंबीच एक नाव पर हथियारों का छोटा-सा कारखाना पकड़ा गया. मुंगेर की जिला पुलिस जो एक लंबे समय से यहां हथियार बनाने के तमाम तरीकों की गवाह रही है, उसने भी तैरता हुआ कारखाना देखकर दांतों तले उंगली दबा ली. पुलिस अधीक्षक बताते हैं, “वे एक नाव पर लेथ मशीन लगाए हुए थे और हमने जब उन्हें घेरा तो वे बंदूक बनाने में व्यस्त थे.” जाहिर है, फिर इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि देश में सबसे ज्यादा लेथ मशीनों के कारखानों वाले शहर के रूप में मुंगेर की ख्याति है. पुलिस के आकलन के मुताबिक अब भी जिले में करीब 300 हथियार कारखाने फल-फूल रहे हैं, बावजूद इसके कि पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में कई हथियार तस्करों पर हमला बोला है.

आग्नेयास्त्रों से पटे हुए एक शहर में पुलिस का काम इतना आसान भी नहीं होता. हाल ही में जब पुलिस ने जिले के बरधा गांव में हथियार के तस्करों के एक गिरोह पर धावा बोला, तो पूरे गांव ने पलट कर पुलिस पर हल्ला बोल दिया, जिसका नेतृत्व महिलाएं कर रही थीं. झा बताते हैं, “महिलाएं हमला बोलने वालों की अगुआई कर रही थीं, जिन्होंने पुलिस के जब्त किए गए छह गैर-कानूनी हथियारों को न सिर्फ वापस छीन लिया बल्कि पुलिसवालों पर दुव्र्यवहार का भी आरोप लगा दिया.” मुंगेर पुलिस के मुताबिक, बरधा गैर-कानूनी हथियारों के निर्माण का केंद्र है. झा बताते हैं, “बमुश्किल ही गांव में कोई ऐसा घर होगा, जहां हथियार न बनते हों. यहां के ज्यादातर रहवासी कई बार इस आरोप में धरे जा चुके हैं. जैसे ही उन्हें जमानत मिलती है, वे लौटकर वापस अपने काम में लग जाते हैं.”

झा बताते हैं कि 99 पिस्तौलों के साथ दिल्ली पुलिस ने जिस मोहम्मद फिरोज आलम को गिरफ्तार किया था, उसे पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है. उन्हीं के शब्दों में, “दरअसल, गैर-कानूनी हथियारों के निर्माण में लिप्त 80 फीसदी लोगों को कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है.”

इसीलिए जब आलम और निरंजन मिश्र को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया, तो मुंगेर पुलिस को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. झ एक बार फिर यहां जोड़ते हैं, “कहीं और 99 पिस्तौलों की बरामदगी एक बड़ी घटना मालूम हो सकती है, लेकिन हम तो करीब-करीब हर हफ्ते इतने ही हथियार जब्त करते हैं. एक हफ्ता भी नहीं बीतता, जब हम किसी गैर-कानूनी बंदूक फैक्टरी पर छापा न मारते हों.”

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