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सैनिकों की शहादत: सीमा पर पाकिस्तानी बर्बरता का खेल

भारतीय सेना के दो जवानों का सिर कलम कर देने की घटना नियंत्रण रेखा की शांति में खलबली पैदा कर सकती है.

भारतीय सेना
भारतीय सेना
अपडेटेड 21 जनवरी , 2013

आपको खंजर की जरूरत नहीं. एक बार किसी सैनिक को गोली मार दी, फिर उसके सिर को बूट से दबाकर चाकू से उसका गला रेत दिया. डैनियल पर्ल (वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर, 2001 में कराची में आतंकवादियों ने जिनका अपहरण कर सिर कलम कर दिया था) की हत्या का यह वीडियो देखिए.’’ भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बेहद सर्द लहजे में यह बताने की कोशिश की कि पाकिस्तानी सैनिकों ने 8 जनवरी को श्रीनगर के दक्षिण-पश्चिम की ओर 80 किमी दूर पुंछ इलाके में घुसपैठ कर भारतीय सेना के दो जवानों को पकडऩे के बाद उनके साथ क्या किया होगा.

यह अटल बिहारी वाजपेयी और परवेज़ मुशर्रफ के बीच सितंबर, 2003 में हुए संघर्ष विराम समझौते का सबसे गंभीर उल्लंघन है. दोनों ही पक्षों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) से दोनों ओर 740 किमी. तक के इलाके में मशीनगन चलाने या गोला-बारूद दागने पर रोक लगाने पर सहमति जताई थी.

भारत ने पाकिस्तानी सेना पर हमले का आरोप लगाया है और इसकी पुष्टि के लिए इस बात का जिक्र किया है कि 2012 में संघर्ष विराम के उल्लंघन की 120 घटनाएं हुई हैं. इसमें कहा गया है कि बर्फ पडऩे से पहले एलओसी पार करने वाले आतंकवादियों की गतिविधियों से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तानी सुरक्षा बल गोलीबारी शुरू कर देते हैं.

बंदूकें शांत नहीं हुई हैं. चाकू अब भी हाथों में लहरा रहे हैं. सीमा के अंदर घुसपैठ कर सैनिकों को मारकर उनके कटे सिरों को ट्रॉफी की तरह ले जाने का अमानवीय कृत्य पाकिस्तानियों की फितरत बन गया है. इस तरह के हमलों को अब तक गोपनीय रखा जाता था. नतीजतन ऐसी वारदातों से वे पल्ला झाड़कर अलग हो लेते या इन पर सीमा पर झड़प में हुई मौत के नाम से परदा  डाल दिया जाता.POK

पर 8 जनवरी को इस छद्म युद्ध की परतें खुल गईं, जब बलूच रेजिमेंट की पाकिस्तानी टुकड़ी सीमा पार कर पुंछ में घुस आई और राजपूताना राइफल्स के लांसनायक हेमराज और लांसनायक सुधाकर सिंह को मार गिराया. उनके सिर कलम कर डाले और उनमें से एक का सिर अपने साथ ले गई.

सेना की उत्तरी कमान के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने के लिए ‘‘सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है.’’ नई दिल्ली में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सैनिकों के शरीर ‘क्षत-विक्षत’ थे, लेकिन अकेले में उन्होंने स्वीकार किया  कि उनके सिर कटे थे. रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने इस घटना को ‘‘अत्यधिक उकसाने वाली कार्रवाई बताया.’’ उधर शिवसेना ने एंटनी के इस्तीफे की मांग की है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के इन आरोपों को ‘बेबुनियाद और निराधार’ बताया. उसकी ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर हालिया संघर्ष विराम उल्लंघन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षक से जांच कराने के लिए तैयार है.’’

उसी दिन इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के उप-उच्चायुक्त को बुलाकर पाकिस्तानी चौकी पर भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले की शिकायत की, जिसमें एक पाक सैनिक के मरने और एक के घायल होने की बात कही गई. कहने का मतलब यह है कि सैनिकों के सिर को कलम किया जाना पाकिस्तान की ओर से हुई प्रतिक्रिया थी. यह बदले की भावना से प्रेरित था.

सबसे चिंताजनक है बॉर्डर ऐक्शन टीम (बैट) के भेष में पाकिस्तानी स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (एसएसजी) के कमांडो का एलओसी पार कर आना और भारतीय सैनिकों को मारकर चले जाना. सेना के एक अधिकारी कहते हैं कि बैट के हमले भावनाओं के आवेग में नहीं होते. वे नियंत्रण रेखा का अध्ययन करके कमजोर स्थलों की पहचान करने के बाद ही होते हैं.

फिदायीन हमले और सीमा पार कर सिर काट देने वाले ऐसे बर्बर हमले कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुए. कैप्टन सौरव कालिया के नेतृत्व में छह सदस्यों वाले गश्ती दल को पाकिस्तानी सैनिकों ने काकसर सेक्टर के पास पकड़ लिया था. कालिया और उनके साथियों को 22 दिनों तक यातना दी गई, उनकी हत्या की गई और फिर उनके क्षत-विक्षत शव भारतीय सेना को सौंप दिए गए.

कारगिल युद्ध के सात माह बाद फरवरी, 2000 में भारतीय सेना को इस नई तरह की बर्बरता से दो-चार होना पड़ा. पाकिस्तान की बैट टीम ने राजौरी जिले के नौशेरा इलाके में घात लगाकर सात भारतीय सैनिकों को मार डाला. तब भारतीय सैनिक एक जवान के सिर कटे शव को देखकर दंग रह गए थे. घटना की जांच हुई, लेकिन रिपोर्ट से सैनिक भाउसाहेब तालेकर की लाश से सिर के कटे होने की बात हटा दी गई. लेकिन उसके बाद पकड़े गए एक आतंकवादी से पूछताछ में पता चला कि पाकिस्तान में दुश्मन के सिर को ट्रॉफी जैसा मानते हैं. उसने यह भी खुलासा किया कि वह भी उस हमलावर दल का सदस्य था और उन लोगों ने साथ लाए सैनिक के सिर से फुटबॉल खेला था.POK

पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने लिखा था कि वह हमला एक पूर्व एसएसजी कमांडो इलियास कश्मीरी की अगुआई में हुआ था. वह बाद में हुजी की 313 ब्रिगेड का प्रमुख बना और 2011 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया.

वर्ष 2003 के संघर्ष विराम से इस तरह की घटनाएं तो रुक गई थीं, लेकिन माना जाता है कि हमलों में सिर काट लेने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. जुलाई 2011 में कुपवाड़ा में राजपूत रेजिमेंट के हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह की नृशंस हत्या के मामले को भारतीय सेना ने दबा दिया था. उनके शव उत्तराखंड में उनके परिवारों के पास सीलबंद ताबूतों में भेजे गए क्योंकि वे ‘‘अत्यधिक क्षत-विक्षत’’ थे और उनका वैसे ही अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनकी मौत का कारण सीमा पर आतंकवादियों से झड़प बताया गया.

पिछले अगस्त में भारतीय सेना के मेस में एक चर्चा जोरों से फैली थी. सैन्य अधिकारियों में कानाफूसी हो रही थी कि भारतीय सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर में सीमा पर हमला बोलते हुए कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला है. कहा जा रहा था कि यह हमला जुलाई, 2011 में भारतीय सैनिकों के सिर काट देने के बाद प्रतिशोध की कार्रवाई के तहत किया गया था. हालांकि भारतीय सेना जुलाई, 2011 की घटना के साथ ही उसके बदले के लिए किए गए किसी भी हमले को सिरे से खारिज करती है. पाकिस्तान की ओर से भी ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई, जिससे पता चलता कि ऐसी कोई घटना हुई.POK

सैन्य अधिकारियों का कहना है कि दुश्मन का सिर काट लेना प्राचीन युद्धकालीन रणनीति है. इसका इस्तेमाल दुश्मन सेना को आतंकित करने के लिए होता था, जिससे मनोवैज्ञानिक तौर पर उन्हें कमजोर किया जा सके. इस तरह काटकर लाए गए सिर को ट्रॉफी के तौर पर रख लिया जाता था. पाकिस्तानी तालिबान वजीरिस्तान में पाक सैनिकों के खिलाफ सिर कलम करने वाले वीडियो का इस्तेमाल करते हैं.

पिछले जून में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें 17 पाकिस्तानी सैनिकों के सिर कटे शव दिखाए गए थे. पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों के सिर काट लेने की इस घटना ने शांति प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की ईमानदारी पर भी सवालिया निशान लगा दिया है. ऐसा इसलिए भी हुआ कि भारतीय सेना ने इस घटना को सार्वजनिक करने का फैसला किया.

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘सेना को इस घटना की पुष्टि करनी पड़ी क्योंकि परिवार वालों से क्षत-विक्षत शवों को छिपाना मुश्किल हो रहा था.’’

उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर ले. जनरल बी.एस. जसवाल कहते हैं, ‘‘पाकिस्तान की सेना और उनके असैनिक प्रशासन में तालमेल नहीं है.’’ बहरहाल, भारतीय सेना ने सिर काटने के इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाने के सुझावों को खारिज कर दिया है क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप होगा, जिसकी तरफदारी पाकिस्तान करता रहा है.

भारत सरकार इस मामले को तूल देने के मूड में नहीं दिखती. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ, उसे और नहीं बढ़ाना चाहिए. इस अकेली घटना को लेकर न तो हम विवाद बढ़ा सकते हैं और न हमें ऐसा करना चाहिए.’’ लेकिन इस तरह के संकेत हैं कि भारत की ओर से बदले की सुगबुगाहट चल रही है. एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘यहां नहीं, अभी नहीं...लेकिन हमारी पसंद के समय और जगह पर.’’ तो क्या आने वाले समय में नियंत्रण रेखा पर शांति नहीं कायम होने वाली?

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