scorecardresearch

क्रिकेट फिक्सिंग: जरूरत है सच से सामना करने की

क्रिकेट अधिकारियों को फिक्सिंग की हकीकत से जूझकर, इससे निबटने के लिए खुद को साधन संपन्न बनना होगा.

अपडेटेड 26 नवंबर , 2012

यह सही है कि 30 मार्च को हुए विश्व कप 2011 के सेमीफाइनल मैच में सचिन तेंडुलकर का कैच वास्तव में चार बार छोड़ा गया था. उन्होंने महत्वपूर्ण 85 रन बनाए और आखिरकार पाकिस्तान इस मैच में हार गया. मुंबई में 2 अप्रैल को हुए वर्ल्ड कप फाइनल में भी भारत की जीत हुई. ये तथ्य उस कॉन्सपिरेसी थ्योरी को सहारा देते हैं जिसमें कहा जा रहा था कि 26/11 के हमले के घाव झेलने वाले शहर में पाकिस्तान के कप जीतने की शर्मिंदगी से बचने के लिए यह महत्वपूर्ण मैच फिक्स कर लिया गया था.

एड हॉकिंस की नई किताब बुकी फिक्सर गैम्बलर स्पाइ में सेमीफाइनल मैच फिक्स होने संबंधी किए गए खुलासे ने फिर से उस विवाद को हवा दे दी है जिसे क्रिकेट की दुनिया दफनाए रखना पसंद करती है.

क्रिकेट को चलाने वाले यह जानते हैं कि खेल में प्रशंसकों के भरोसे को झटका देने की भारी कीमत चुकानी पड़ती है. 2000 में आधा दर्जन से ज्यादा क्रिकेट के सितारे उस वक्त कलंक की चपेट में आ गए थे, जब दिल्ली पुलिस ने एक बुकी और दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए के बीच बातचीत सुन ली थी. इस बुकी ने बाद में मुहम्मद अज़हरुद्दीन और सलीम मलिक का नाम लिया.Cricket Fixing

2010 में पाकिस्तान के तीन उभरते सितारे स्पॉट फिक्सिंग के लिए रकम लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए. इस पर यकीन करना आसान है कि पाकिस्तान मैच खुद ही हार गया था, क्योंकि उसका अतीत संदिग्ध रहा है. पाकिस्तान के खिलाडिय़ों को क्रिकेट से बाहर वैध तरीके से धन कमाने के ज्यादा मौके नहीं मिलते. यही नहीं, क्रिकेट के अवसरों को भी बनाए रखना उनके लिए मुश्किल होता है क्योंकि टीम में स्थिरता नहीं रहती.

कोई गुस्साया प्रशंसक बड़ी आसानी से इस बात पर यकीन कर सकता है कि कोई हार मानवीय गलती से नहीं बल्कि हार जाने के लिए पहले से तय योजना के तहत हुई है. यह मानना भी आसान है कि पाकिस्तान बिक गया था, बजाए यह मानने के कि उस दिन भारत ने बेहतर खेल दिखाया था.

शायद श्रीलंका के प्रशंसक भी आसानी से यह मान लें कि 2012 का टी-20 विश्वकप फाइनल मैच फिक्स था जो यह मानने से ज्यादा आसान है कि जीतने वाली वेस्टइंडीज टीम बेहतर थी. कोई इस बात का स्पष्टीकरण भला कैसे देगा कि आखिर वेस्टइंडीज के कुल 138 रनों का ही पीछा करते हुए श्रीलंका की टीम ने 13 रन में ही चार विकेट गंवा दिए? बीसीसीआइ के सचिव संजय जगदाले कहते हैं कि ऐसे व्यक्तियों (हॉकिंस के संदर्भ में) के बारे में कुछ नहीं कर सकते जो सनसनीखेज दावों से अपनी पहचान बनाना चाहते हैं.

उनके शब्दों में, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इस तरह के आरोपों से खेल की विश्वसनीयता के बारे में लोगों का भरोसा कम होगा. लोग समझते हैं कि इस तरह के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं, इनके लिए कोई सबूत नहीं हैं और लोग यह समझने में भी माहिर हैं कि यह सिर्फ अपनी किताब बेचने के लिए पब्लिसिटी स्टंट है.’’

क्रिकेट पर बनी संदेह की छाया की तुलना लांस आर्मस्ट्रांग के बारे में अनवरत चलने वाली अफवाहों से करना रोचक होगा. साइकिलिंग के वैश्विक संगठन यूनियन साइकिलिस्ट इंटरनेशनल (यूसीआइ) ने उन पर लगे डोपिंग के आरोपों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया. इस बारे में निर्विवाद साक्ष्य आने पर उसे आखिरकार कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा और विश्व की महान हस्तियों में से एक आर्मस्ट्रांग जमीन पर आ गए. साथ ही विश्व साइकिलिंग को भी इससे भारी झटका पहुंचा.

बीसीसीआइ और आइसीसी के लिए तो गड़बड़ी का अंदेशा होने की बात उठाने वाले को ही संदेह के घेरे में ले आना हैरत की बात नहीं. पर संदेश को नजरंदाज करके वे खुद के लिए संकट पैदा कर रहे हैं. बीसीसीआइ और आइसीसी ने अगर चेतावनी के संकेतों पर ध्यान नहीं देते हैं तो उनका हश्र यूसीआइ जैसा ही हो सकता है जिसे इस बारे में कुछ भी अनुमान नहीं था कि डोपिंग तंत्र कितना परिष्कृत है और किस हद तक फैला हुआ है.

इसी तरह आइसीसी की भ्रष्टाचार निरोधी और सुरक्षा इकाई (एसीएसयू) को भी यह समझने की जरूरत है कि किस तरह से सट्टेबाजी सिंडिकेट काम कर रहा है. हॉकिंग ने अपनी किताब में लिखा है, एसीएसयू को यह बुनियादी जानकारी भी नहीं है कि सट्टेबाजी की दुनिया में ब्रैकेट (खेल की एक तय अवधि जिस दौरान सट्टेबाजी होती है) का मतलब क्या है और तथाकथित प्रशंसक कितनी आसानी से सूचनाएं इधर-से-उधर करते हैं.

हॉकिंस ने लंदन से इंडिया टुडे को बताया: ‘‘एसीएसयू इस बारे में कुछ नहीं जानता कि भारत में सट्टेबाजी का बाजार किस तरह काम कर रहा है. उदाहरण के लिए रवि सावनी (एसीएसयू के पूर्व प्रमुख) जैसे लोग तो यह भी नहीं जानते थे कि ब्रैकेट क्या होता है.

एसीएसयू के कर्मचारियों की संख्या को दोगुना करने की जरूरत है. एक अधिकारी ही इंग्लैंड और वेस्टइंडीज दोनों का प्रतिनिधित्व करता है और एक अन्य अधिकारी पाकिस्तान और बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व करता है. एसीएसयू के कर्मचारी आम तौर पर पुलिस से लिए जाते हैं, ऐसे क्रिकेट एक्सपर्ट को नहीं लिया जाता जिन्होंने खेल खेला हो.’’Cricket Fixing

पिछले वर्षों में सट्टेबाजी उद्योग काफी परिष्कृत हुआ है. अनुमान के मॉडल तैयार करने के लिए गहन सांख्यिकीय विवरण और प्रदर्शन विश्लेषण का इस्तेमाल किया जाता है. मौसम के बारे में जानकारी आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध होती है, पिच का स्वभाव रातोरात नहीं बदलता और आम तौर पर खेल के एक दिन पहले ही इसके बारे में अंदाजा लग जाता है. ज्यादातर मामलों में टीम काफी हद तक लॉजिकल रीजनिंग के आधार पर ही बनाई जाती है-जैसे कि अगर ओस पड़ी हो तो भारत तीन तेज गेंदबाजों और एक स्पिनर के साथ खेलेगा.

सूचना गोपनीय नहीं होती और प्रदर्शन के पैटर्न का विश्लेषण कर लिया जाता है. बड़े मौकों पर क्रिस गेल और लसित मलिंगा का नाकाम रहना आम बात है. ये दोनों इस बार 7 अक्तूबर को टी-20 के फाइनल में भी नाकाम साबित हुए. किसी पंटर ने अनुमान लगाया होगा कि ऐसा होगा तो ऐसा सिर्फ  इसलिए कि उसने अपना होमवर्क अच्छे से किया था, इस वजह से नहीं कि खिलाड़ी बिक गए हैं. यदि एक जनमत सर्वेक्षण सही साबित होता है तो इसका मतलब यह है कि अनुमान का मॉडल काम रहा है, यह नहीं कि चुनाव में धांधली की गई है.

बुकी फिक्सर गैम्बलर स्पाइ ने क्रिकेट में भरोसे का संकट पैदा कर दिया है. इसने दिखाया है कि फिक्सिंग किस हद तक फैल चुकी है. सट्टेबाजी पर कानून लाना सबसे बढिय़ा इलाज है क्योंकि निगरानी की स्थिति में किसी व्यक्ति के लिए बच पाना संभव नहीं होता. बुकीज ने तो अब घरेलू क्रिकेट जैसे इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट, रणजी ट्रॉफी और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय टी-20 लीग में अपना जाल फैला लिया है.

भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी कहते हैं, ‘‘एसीएसयू यह तो नहीं पढ़ सकता कि किसी खिलाड़ी के दिमाग में क्या चल रहा है. लेकिन वह यह तो देख सकता है कि मैदान में क्या हो रहा है. खिलाडिय़ों को खुद ही इस बात की इजाजत देनी चाहिए कि एसीएसयू जैसी इकाइयां उनकी निगरानी कर सकें. मसलन, इन दिनों टॉस के लिए कप्तानों के साथ मैच रेफरी क्यों जाता है? इसलिए कि अगर एक बार टॉस में गड़बड़ कर दी गई तो उन्हें रोकने का कोई तरीका नहीं होता. इसलिए यह समझना कि मैदान पर क्या हो रहा है और उसे पकड़ पाना जरूरी है.’’

Advertisement
Advertisement