scorecardresearch

दफ्तरों में विविधता के लिए मिशन मोड में देसी कंपनियां

देश की कंपनियां कर्मचारियों में ज्यादा विविधता, समानता और समावेशी माहौल तैयार करने की कोशिश में हैं, ताकि ज्यादा प्रतिभाएं जुटें और कमजोर कड़ियां घटें

एचसीएल टेक्नोलॉजीज/ फोटो- राजवंत रावत
एचसीएल टेक्नोलॉजीज/ फोटो- राजवंत रावत
अपडेटेड 1 फ़रवरी , 2024

''विविधताओं से भरा दफ्तर बेहतर ही नहीं, आकर्षक भी होता है.'' चीफ सस्टेनेबिलिटी अफसर अंजलि रवि कुमार की यही विलक्षण सोच विशाल फूड एग्रीगेटर कंपनी जोमैटो का मूल मंत्र बन गई है. वे कहती हैं, ''कर्मचारियों में ज्यादा विविधता वाली कंपनियां ज्यादा इनोवेटिव भी होती हैं.'' जोमैटो में यह बदलाव एकदम शिखर यानी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से शुरू होता है. इसके सात डायरेक्टरों में चार महिलाएं हैं—एयरवेदा टेक्नोलॉजीज की संस्थापक नमिता गुप्ता, जालोरा ग्रुप की सीईओ गुंजन तिलक राज सोनी, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की नुमाइंदगी कर चुकी बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट वेद, और बैंकिंग दिग्गज सुतपा बनर्जी. 

कंपनी जगत में जोमैटो उत्साहवर्धक मिसाल की तरह है. प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड में एक दशक पहले 5 फीसद के मुकाबले अब 20 फीसद महिलाएं हैं. इस अहम बदलाव का कुछ श्रेय सेबी को जाता है जिसने सभी सूचीबद्ध फर्मों के लिए बोर्ड में कम से कम एक महिला स्वतंत्र डायरेक्टर को रखना अनिवार्य कर दिया है, तो कुछ श्रेय कंपनियों के डीईआइ (डाइवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन या विविधता, समानता और समावेशी माहौल) अभियान को जाता है. प्राइम डेटाबेस ग्रुप के एमडी प्रणव हल्दिया कहते हैं, ''2013 में सेबी के इस आदेश पर अमूमन करीबी महिला रिश्तेदारों को बोर्ड में रख लिया गया. लेकिन अब कई कंपनियों को विविधता के फायदों का एहसास हुआ है.'' 15 दिसंबर को एनएसई में सूचीबद्ध 2,271 कंपनियों में 997 या 45 फीसद के बोर्ड में एक से ज्यादा महिला डायरेक्टर थीं.

एक्सिस बैंक में भी डीईआइ को मिशन के तौर पर लिया जाता है, जहां 2022-23 में कुल कर्मचारियों में 25.7 फीसद महिलाएं थीं. हालांकि यह एहसास हुआ कि ज्यादातर महिलाएं तो जूनियर पदों पर हैं और एचआर तथा कम्युनिकेशंस की भूमिकाओं में तो उनकी अच्छी नुमाइंदगी है पर फाइनेंस, सेल्स और टेक्नोलॉजी विभागों में बहुत ही कम है. उसके बाद बैंक ''हर टीम में उनकी तादाद बढ़ाने'' के लिए कदम उठा रहा है. इसीलिए बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी ने महिला दिवस पर सभी कर्मचारियों को ई-मेल भेजकर कहा कि ''मैं (भी) सभी मैनेजरों को अपनी टीम में महिलाओं का बढ़-चढ़कर मेंटर करने के लिए आमंत्रित करता हूं. महिलाओं को मेंटर करने का मेरा अपना अनुभव यह है कि इससे न सिर्फ महिला कर्मचारी तैयार होती हैं और उन्हें कामयाबी दिलाती है, बल्कि यह हमारा कायापलट भी कर देती है...मुझे यकीन है कि हर टीम में महिलाओं का होना आश्वस्त करने के लिए मुझे आपका समर्थन मिलेगा.''

इस विजन पर अमल के लिए बैंक की डीईआइ काउंसिल मिशन मोड में काम कर रही है. कई कामों के टीम मैनेजरों की टीमों में विविधता कम या बिल्कुल नहीं है, उनके साथ नियमित सत्र आयोजित किए जाते हैं और समावेशी माहौल बनाने में उनका सहयोग तथा मार्गदर्शन किया जाता है. बैंक में डीईआइ के प्रमुख हरीश अय्यर कहते हैं, ''इरादा यह पक्का करने का है कि समावेशी महौल महज एचआर की नहीं बल्कि कारोबारी पहल बने, जिसकी अगुआई हर मैनेजर करे और हर टीम में विविधता आश्वस्त करे. हम यह कहने के काबिल बनें कि हर फैसले में और मेज की हर सीट पर एक महिला शामिल है.''

जोमैटो फूड एग्रीगेटर फर्म/फोटो- हार्दिक छाबड़ा

भर्ती में क्रांति 

भारत में कंपनियां आम तौर पर नई भर्ती रणनीतियों के जरिए दफ्तरों में महिलाओं की तादाद बढ़ाने की दिशा में बढ़ रही हैं. मसलन, कंसल्टिंग और ऑडिटिंग फर्म डेलॉइट सभी भूमिकाओं और पदों पर महिलाओं की भर्ती के लिए अपने प्रतिभा तलाश सलाहकारों को प्रोत्साहन दे रही है. उनसे यह पक्का करने को कहा गया है कि हर पद के लिए महिलाओं के आवेदन आएं. यह महज खानापूर्ति होकर न रह जाए, इसलिए भर्ती सलाहकारों को हर बार किसी महिला की भर्ती पर ज्यादा फीसद भुगतान का प्रोत्साहन लाभ दिया जाता है. 

एक्सिस बैंक में भर्ती की रणनीति थोड़ी अलग है. डीईआइ प्रमुख अय्यर के शब्दों में, कोशिश यह है कि भर्ती के लिए एकांगी नजरिए से हटकर, ''उस ओर देखा जाए जहां नजर नहीं जा रही है.'' यह विचार एक अनूठे आवेदन से फूटा, जिसमें महिला ने बतौर गृहिणी अपने अनुभव के विभिन्न पहलुओं का जिक्र करके लिखा था कि ये अनुभव कॉर्पोरेट माहौल में काम के हो सकते हैं. अय्यर कहते हैं, ''इससे हम अपनी भर्ती रणनीति पर नए सिरे से सोचने को प्रेरित हुए. हम आजमाई और भरोसेमंद भर्ती प्रक्रिया से हटकर हुनर पर ज्यादा तवज्जो देने लगे. फिर, हमने जिंदगी के अनुभव और घर में सीखे हुनर को अहमियत दी, जो कॉर्पोरेट माहौल में भी उतने ही कारगर हैं.''

बैंक ने जनवरी, 2022 में अपनी 'हाउसवर्कइजवर्क' पहल शुरू की, जिसमें 15 पद गृहिणियों, पुरुषों और ट्रांस व्यक्तियों सहित ऐसे लोगों के लिए रखे गए जिन्होंने दफ्तरी काम से दोबारा जुड़ने के लिए रोजगार से बाहर कदम रखा था. बैंक को 3,437 से ज्यादा आवेदन मिले और अंतत: 22 महिलाओं को भर्ती किया गया. ऐसी ही सोच जोमैटो ने भी अपनाई. अंजलि कहती हैं, ''हम महज अनुभव के वर्षों को नहीं, बल्कि लोगों में संभावना, उनकी क्षमता, हुनर और अनुभव की विविधता को अहमियत देते हैं.''

महिला कर्मियों की देखभाल

अलबत्ता कंपनियां अपने टैलेंट पूल में इजाफे के लिए भर्ती में विविधता लाने के साथ अपनी प्रतिभाओं और खासकर महिला कर्मियों को रोककर रखने की भी उतनी ही कोशिश कर रही हैं, क्योंकि परिवार में किसी आपदा की स्थिति में सबसे पहले महिलाएं ही नौकरी छोड़ती हैं. एक्सिस बैंक के अय्यर कहते हैं, ''महिलाओं को उनकी जिंदगी के चरण के आधार पर परखने के बजाय उनके हुनर और संभावनाओं के नजरिए से देखना जरूरी है. समान अवसर की बात अहम है क्योंकि हर कोई अलग है और जिंदगी के हर चरण की भूमिका से ज्यादा काबिल हो सकता है.''

डीईआइ कंसल्टिंग फर्म अवतार ग्रुप के संस्थापक-प्रेसिडेंट डॉ. सौंदर्य राजेश का कहना है कि ज्यादा कंपनियां या तो चाइल्ड केयर सपोर्ट, हाइब्रिड या लचीली कार्य-पद्धति, महिलाओं की शारीरिक और भावनात्मक स्थितियों का ख्याल रखने वाली पहल शुरू कर रही हैं, या औपचारिक मेंटरिंग और पेशेवर विकास कार्यक्रम के जरिये महिलाओं की कुशलता में इजाफे के उपाय कर रही हैं. मसलन, जोमैटो में इक्वल पेरेंटिंग पॉलिसी है जो माता-पिता दोनों को छह महीने की छुट्टी देती है. यह नीति बच्चा गोद लेने वाले और समान-सेक्स जोड़ों पर भी लागू होती है.

यही नहीं, जब जोमैटो में आठ साल से काम कर रहीं 32 वर्षीया स्वप्ना जोशी (बदला हुआ नाम) छह महीने के मातृत्व अवकाश से लौटीं, तो उन्हें मांओं के लिए कंपनी की 'काम पर वापसी' कार्यक्रम में भेजा गया. वे कहती हैं, ''कार्यक्रम में उन पहलुओं को बताया गया, जिन पर ध्यान देने की मुझे ज्यादा जरूरत थी—शारीरिक और मानसिक सेहत, रुपए-पैसे के प्रति जिम्मेदराना रवैया, वगैरह. यहां तक कि मेरे पार्टनर को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया गया, ताकि बच्चे की परवरिश की बेहतर समझ बनाने और उसके हिसाब से ढलने में हम दोनों को मदद मिले.'' इसमें काउंसलरों के साथ आमने-सामने बातचीत के सत्र किए गए. कामकाजी मां होने की चुनौतियों से निबटने के लिए जोशी अब भी उन काउंसलरों से सलाह लेती हैं. वे यह भी कहती हैं, ''इससे मुझे काम, मातृत्व और घरेलू जिम्मेदारियों के बीच संतुलन साधने में मदद मिली.''

जोमैटो में मासिक धर्म अवकाश नीति भी है, जिसमें महिला स्टाफ और ट्रांसजेंडरों को साल में 10 दिन की छुट्टी दी जाती है. महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश के बारे में बेझिझक होकर कहने को प्रोत्साहित किया जाता है. अंजलि कहती हैं, ''जब तक कि सह-संस्थापक ही मासिक धर्म अवकाश नहीं लेने लगीं तब तक महिलाकर्मियों के बीच इसको लेकर कुछ ऊहापोह थी.'' कंपनी मातृत्व और मासिक धर्म अवकाश अपने सभी डिलिवरी पार्टनर को भी देती है, जो ज्यादातर अपने खाली वक्त में डिलिवरी देते हैं. जोमैटो में आप 'वेलनेस' या कुशलता अवकाश के भी हकदार हैं, जो चिकित्सा अवकाश से अलग है और आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने या कायाकल्प उपचार के लिए जाने की इजाजत देता है. उसकी कर्मचारी बीमा पॉलिसी में जेंडर रीएसाइनमेंट सर्जरी (किसी व्यक्ति के जेंडर को उसके मनचाहे ढंग से बदलने के लिए की जाने वाली सर्जरी) को भी कवर किया गया है.

एक्सिस बैंक/फोटो- मंदार देवधर

मजबूरियों की बैसाखी

सांगठनिक पिरामिड के शीर्ष पर कम महिलाओं के पहुंचने की वजह अमूमन जिंदगी की मजबूरियां होती हैं. अक्सर महिलाएं शादी, बच्चे के जन्म या बूढ़े मां-बाप की देखभाल के लिए बीच में नौकरियां छोड़ जाती हैं. कंपनियां इस समस्या का हल ढूंढने और ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार करने की खातिर प्रशिक्षण संबंधी नीतियां बना रही हैं. मसलन, आईटी की बड़ी कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने महिलाओं के लिए दो किस्म के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की तजवीज की है, एक नेतृत्व के लिए और दूसरा तकनीकी.

कंपनी में चार करियर डेवलपमेंट प्रोग्राम हैं: एसेंड (ऊंचाई छूना), जिसका मकसद महिला नेतृत्व की मजबूत पाइपलाइन बनाना है; स्टेपिंग स्टोन (आगे बढ़ने की सीढ़ी), जो महिलाओं को करियर में बढ़ोतरी के लिए जरूरी हुनर और क्षमताओं से लैस करके मिड-मैनेजमेंट भूमिकाओं के लिए तैयार करने का प्रशिक्षण कार्यक्रम है; प्रील्यूड (पूर्वरंग), महिलाओं को अगली भूमिका के लिए प्रशिक्षण; और डीकोड (जानना-समझना), महिला कर्मचारियों और उनके मैनेजरों के बीच बातचीत के मौके. 

एचसीएल टेक में महिला कर्मचारियों को हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की केस स्टडीज सहित अव्वल दर्जे की शिक्षण सामग्री से सीखने का मौका दिया जाता है. डीईआइ की ग्लोबल हेड चांदनी कमल कहती हैं, ''हमारे कर्मचारी अपने हिसाब से जो भी कोर्स चाहते हैं, चुन सकते हैं. इससे दूसरे टाइम जोन में काम कर रही महिलाओं को अपनी पसंद के समय पर, फर्ज कीजिए, घर के सभी काम निबटाने के बाद, सीखने में मदद मिलती है.'' शिक्षण सामग्री देने के अलावा वरिष्ठों से कोचिंग भी दिलवाई जाती है, ताकि कर्मचारी अपने क्षेत्र के ताजातरीन घटनाक्रमों से वाकिफ रहें.

कंपनी में एआई से संचालित और सुव्यवस्थित मेंटरिंग पोर्टल भी है, जहां कर्मचारी रजिस्टर करके अपनी आकांक्षाएं बता सकते हैं. इसके बाद उन्हें सही मेंटोर से जोड़ दिया जाता है, जो आम तौर पर वरिष्ठ सहयोगी या, मान लीजिए, वाइस प्रेसिडेंट या उससे ऊपर का कोई अधिकारी होता है. प्रशिक्षण से लेकर नेतृत्व पदों पर पहुंचने वालों से बदले में युवा कर्मियों को सिखाने-बताने की जिम्मेदारी उठाने को कहा जाता है. प्रील्यूड सरीखे भारी तकनीकी कंटेट वाले कार्यक्रमों का उद्देश्य ''संकटमोचन'' बनने में महिलाओं की मदद करना है, जिसके लिए एचसीएल प्रशिक्षण अकादमियों के साथ मिलकर काम करता है. कमल कहती हैं, ''हमने इस खास दस्ते में अद्भुत रिटेंशन रेट देखा है. हम उनकी यात्रा में उनकी बढ़ोतरी पर भी नजर रखते हैं और इस पर भी कि उन्हें भूमिका में सही बदलाव मिला या नहीं.''

फर्म में नेटवर्किंग और एडवोकैसी प्लेटफॉर्म भी हैं, जहां एचसीएल टेक के ग्राहकों की महिला प्रमुखों को कंपनी की महिला कर्मचारियों को संबोधित करने के लिए बुलाया जाता है. इसके पीछे विचार महिला नेतृत्व की कामयाबी की कहानियां साझा करना है. कमल कहती हैं, ''अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने के कारण महिला कर्मचारी अपने संकोचों के दायरे में सिमटी हो सकती हैं. ये सत्र अपने रोल मॉडल की तरफ देखने और प्रेरित होने में उनकी मदद करते हैं.''

डेलॉइट/फोटो- हेमंत मिश्रा

डेलॉइट भी कुछ ऐसा ही करता है. डेलॉइट इंडिया में पार्टनर सरस्वती कस्तूरीरंगन बताती हैं कि जिंदगी और पेशे के विभिन्न चरणों में सामने आने वाली चुनौतियों को संभालने में महिलाओं की मदद करने के लिए कंपनी ने उनकी जरूरतों के हिसाब से आउटरीच या मेलजोल कार्यक्रम विकसित किया है. वे कहती हैं, ''इरादा यह है कि महिलाओं को, फिर चाहे उनका पद या स्थिति जो भी हो, अपने वरिष्ठों से जुड़ने का मौका मिले, जिनसे उनका तादात्मय बन सके और वे अपनी चुनौतियों के बारे में बात कर सकें, ताकि उन्हें अपने करियर के सफर में आगे बढ़ने का मौका मिले.'' 

कंपनी में मिडिल मैनेजमेंट स्तर की महिलाओं के लिए डीआरआइडब्ल्यूई या डेलॉइट रीडिफाइंस इंपैक्ट फॉर विमेन एक्सेलेंस नाम का एक कार्यक्रम है, जिसमें डेलॉइट की वरिष्ठ महिला कर्मचारियों का दस्ता घर और काम को संभालने और कामों की प्राथमिकता तय करने के बारे में व्यावहारिक मार्गदर्शन देता है. सीनियर मैनेजर और डायरेक्टर के स्तरों पर एक प्रायोजन कार्यक्रम भी है, जिसमें सीनियर पार्टनर बोर्ड के पद के वास्ते तैयार करने के लिए एक महिला लीडर को चुनता है. कस्तूरीरंगन को भी एहसास है कि यह बात कितनी अहम है, क्योंकि इस तथ्य के बावजूद कि डेलॉइट 38 फीसद समग्र विविधता दर का दावा करता है, उसके कार्यबल में नेतृत्व के पदों पर महिलाएं महज 16 फीसद हैं. वे कहती हैं, ''इसमें बदलाव लाने की जरूरत है.''

जैसा कि अवतार ग्रुप की फाउंडर-प्रेसिडेंट सौंदर्य राजेश कहती हैं, ''जब तक कंपनी के अगुआ कमचारियों में स्त्री-पुरुष विविधता के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होते और फर्म के भीतर भाईचारे और पैरोकारी की संस्कृति का निर्माण नहीं करते, कंपनियों के लिए अपने विविधता के एजेंडे को पूरा कर पाना मुश्किल होगा.'' साथ ही, उन्हें महज बदलाव की खातिर विविधता को अपनाने और इस प्रक्रिया में योग्यता के तंत्र को कुर्बान कर देने के खिलाफ चौकस रहने की भी जरूरत है.

Advertisement
Advertisement